11 सितंबर 2013

गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी











गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी












अघोर  शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध  मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस  स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै  साष्टांग प्रणाम करता हूं.













प्रचंडता  की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव  स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी  के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता  हूं.





सौन्दर्य  की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के  प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय   परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके  चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.




जो  स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि  के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय  विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो  प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण  स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


जो  योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम  आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं,  जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के  स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः  स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं,  उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


काल  भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल  स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे  पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी  निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै  साष्टांग प्रणाम करता हूं.







गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी


एक  विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण  दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.






दस  महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन गुरुजी ने किया है वह अपने आप में  एक मिसाल है.शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता और कामकलाकाली तन्त्र से  लेकर गुह्यकाली तक तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव [ Swami Sudarshan Nath  Ji ] की सीमा से परे नहीं है.






लुप्तप्राय  हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर ज्ञान का अकूत भन्डार अपने शिष्यों के  लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन  है .




आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....


ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.

















कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com