27 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव 15 : सर्व रोग हर मृत्युंजय मन्त्र

||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||

  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रावण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • पुरस्चरण सवा लाख का होगा.

2 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. पुरश्चरण का तात्पर्य मंत्र जाप की वह न्यूनतम संख्या है जिसके बाद इष्ट की कृपा का अनुभव किसी न किसी रूप में होने की संभावना रहती है.

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