30 मार्च 2014

महाविद्या साधक परिवार : यु ट्यूब विडियो चेनल

नवरात्रि साधना विधि

नवरात्रि साधना विधि :-
  1. गुरु पूजन करें अनुमति लें.
  2. १ माला गुरु मंत्र कर लें.
  3. गणेश पूजन करें 
  4. भैरव पूजन करें 
  5. गुरु पूजन करें 
  6. यदि विधि मालूम हो तो कलश पूजन कर लें.
  7. दीपक जलाने की इच्छा हो सामर्थ्य हो तो जला लें.पूजन कर लें.
  8. सामने चौकी या पीढ़े पर देवी का चित्र/यन्त्र/मूर्ती किसी पात्र में रख लें.
  9. हाथ में जल लेकर अपनी इच्छा बोल दें 
  10. तय कर लें की प्रतिदिन कितनी माला या कितनी देर बैठेंगे , रोज उतना ही बैठें.
  11. प्रतिदिन संभव हो तो निश्चित समय पर ही बैठें.
 
विशेष ध्यान देने योग्य बातें :-
  • पूरे साधना काल में किसी स्त्री/बालिका/युवती का अपमान न करें. घर में भी किसी को अपमानित न करें.
  • व्यर्थ प्रलाप बकवास गप्पबाजी से बचें.
  • माथे पर कुमकुम का लाल टिका लगाकर रखें.
  • गले में माला पहने रखें.
  • चलते फिरते भी मानसिक रूप से मंत्र जाप करते रहें.
  • यदि हो सके तो साधन स्थल पर ही भूमि शयन करें.
  • महिलाएं हों साधना काल में मासिक आने पर उतने दिन आसन पर बैठ कर जाप न करें, मानसिक रूप से कर सकती हैं, इससे साधन खंडित नहीं माना जाएगा.







 दुर्गामंत्र 

 || ॐ ह्रीं दूँ दुर्गायै नमः ||

चंडी मन्त्र 


|| एँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||

साम्ब सदाशिव मंत्र :-

|| ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||

महाकाली मंत्र :-

|| क्रीं महाकाल्ये नमः ||

महालक्ष्मी मंत्र :-

|| श्रीं श्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नमः ||

28 मार्च 2014

महाविद्या बगलामुखि साधना


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

तथा

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


 तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से 


छिन्नमस्ता दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
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विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें :-
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना  सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना,  अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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27 मार्च 2014

महाविद्या धूमावती साधना

महाविद्या धूमावती




॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

  • सर्व बाधा निवारण हेतु.

  • मंगल या शनिवार से प्रारंभ करें.

  •  ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 

  • यथा संभव मौन रहें. 

  • अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 

  • सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 

  • बेसन के पकौडे का भोग लगायें. 

  • जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.

  • ११००० जाप करें. ११०० मंत्रों से हवन करें.मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर हवन सामग्री को आग में छोडें. हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.

  •  
  • जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.
  •  
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विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

तथा

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


 तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से 


धूमावती दीक्षा
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26 मार्च 2014

छिन्नमस्ता महाविद्या साधना



नवरात्रि के अवसर पर संपन्न करें  

छिन्नमस्ता साधना





  • यह साधना एक प्रचंड साधना है.
  • इस साधना में मार्गदर्शक गुरु का होना जरूरी है.
  • दीक्षा लेने के बाद ही इस साधना को करें.
  • कमजोर मानसिक स्थिति वाले बच्चे तथा महिलायें इसे ना करें क्योंकि इस साधना के दौरान डरावने अनुभव हो सकते हैं.
  • प्रबल से प्रबल तंत्र बाधा की यह अचूक काट है.
  • हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोग को, प्रयोग करने वाले सहित ध्वस्त करने में इस साधना का कोई जवाब नहीं है.




॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऎं व ज्र वै रो च नी यै हुं हुं फ़ट स्वाहा ॥ 



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें....

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विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

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25 मार्च 2014

तारा महाविद्या साधना


  • तारा काली कुल की महविद्या है । 

  • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

  • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

  • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

  • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना अनिवार्य होता है । 


विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा तारा दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें 


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तारा बीजयुक्त गायत्री मंत्रम

 ॥ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट एकजटे विद्महे ह्रीं स्त्रीं हूँ परे नीले विकट दंष्ट्रे ह्रीं धीमहि ॐ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट एं सः स्त्रीं तन्नस्तारे प्रचोदयात  ॥






  1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
  3. नवरात्रि के प्रथम दिन या गुरुवार से प्रारंभ करें. 
  4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
  8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध और बकवास ना करें.
  11. साधना को गोपनीय रखें.


प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

तारा स्तव मंजरी
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका            

24 मार्च 2014

मंत्र दीक्षा : एक सामान्य विवेचन


किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ? यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण दत्ता श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-

  • साधना से शारीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
  • जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
  • गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.

  • हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शारीर के इर्दगिर्द घूमता है.
  • हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
  • गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनों से सम्बंधित दीक्षाएं नी:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.

यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-

समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]



गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
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23 मार्च 2014

नवार्ण मन्त्र





॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥


ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।

ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।

क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।




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महाविद्या मातंगी साधना



॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.

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21 मार्च 2014

हनुमान मन्त्र





॥ ॐ पंचमुखाय महारौद्राय कपिराजाय नमः ॥ 




ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें. जाप संख्या ११,००० होगी. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.

16 मार्च 2014

होली पर दोष निवारण का सरल उपाय

होलिका दहन की रात्रि विभिन्न साधनाओं के लिए एक अत्यंत ही विशिष्ट रात्रि है. इस रात्रि षटकर्म से सम्बंधित उग्र प्रयोग सबसे ज्यादा किये जाते हैं. समस्त प्रकार की बाधाओं की शांति के लिए एक आसान सा प्रयोग प्रस्तुत है :-

सामग्री :-
  1. एक पानी वाला नारियल.
  2. सवा मीटर काला/लाल कपडा .
  3. सिन्दूर.
  4. काले रंग का धागा ,लगभग 10 मीटर .
  5. एक कैंची .
विधि :-
होलिका दहन की शाम 6 से रात्रि 3 के बिच किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं.

  • सबसे पहले गुरु मंत्र का २१ बार जाप करें. [यदि आपके कोई गुरु न हो तो " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " इस मंत्र का जप करें गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी को प्रणाम करें ] गुरुदेव से प्रार्थना करें की मेरी समस्त बाधाओं की शांति करें.
  • मंत्र जाप के बीच में उठना नहीं है , इसलिए पानी पेशाब पहले करके बैठें.
  • स्नान करना जरुरी नहीं है हाथ पैर धोकर बैठ सकते हैं.

  • अब सामने कपडे को बिछा लें.
  • नारियल को सामने रख लें .
  • अपनी बाधा का स्मरण कर अपने ऊपर इस काले धागे को लपेट दें.
  • अब ["ॐ भ्रम भैरवाय फट "] मंत्र का आधे घंटे तक जाप करें.
  • अब धागे को कैंची से काट दें काटते समय मन में भावना रखें की काल भैरव आपकी समस्त बाधाओं को काट रहे हैं.
  • अब नारियल लेकर 7 बार सर से पैर तक यानि ऊपर से निचे फेर दें [इसे उतारा कहते हैं ]. 
  • गर्भवती स्त्री हो तो केवल सर पर सात बार घुमा दें ऊपर से निचे तक न लायें.
  • इस नारियल को कपडे के बीच रख दें. सिन्दूर से उसपर 9 बिंदियाँ लगायें.
  • अब काले धागे के कटे टुकड़ों को भी उसी कपडे में रख दें .
  • बचा हुआ सिन्दूर भी उसी में दाल दें  और कपडे की पोटली बना लें,
  • इस पोटली को रात्री में ही या फिर सुबह किसी निर्जन स्थान पर छोड़ दें और पीछे मुड़कर देखे बिना लौट आयें.
  • घर के बाहर हाथ पैर धो लें अपने ऊपर थोडा पानी छिड़क लें तब अन्दर घुसें.
  • पुनः पूजा स्थान में बैठकर १०८ बार भैरव मंत्र का जाप करें.
  • २१ बार गुरु मंत्र करें.
  • क्षमा प्रार्थना करें .
  • इस प्रकार आपका बाधा निवारण प्रयोग संपन्न होगा .
  • होली की रात्रि न कर पायें तो किसी भी अमावस्या को कर सकते हैं.
  •  

11 मार्च 2014

गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी : जन्म दिवस




११ मार्च

 मेरे आदरणीय गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथजी का जन्म दिवस

निखिलकृपा से आप शतायु हों....

आपकी कृपा शिष्यों को इसी प्रकार मिलती रहे...







गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी


एक विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर तन्त्र साधनाओं के विश्व्वविख्यात गुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.






डॉ . नारायण दत्त श्रीमाली जी के देहत्याग [ ३ जुलाई १९९८ ] के बाद साधनाओं के पुनरुत्थान तथा साधकों के निर्माण में सतत गतिशील गुरुवर स्वामी सुदर्शन नाथजी ने दस महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन किया है वह अपने आप में एक मिसाल है.

परम गोपनीय शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता तक ...... और कामकलाकाली तन्त्र से लेकर गुह्यकाली तक........

तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव की सीमा से परे नहीं है.



लुप्तप्राय हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर सहस्रनाम स्तोत्रों और दुर्लभ पूजन विधियों का अकूत भन्डार साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका के माध्यम से अपने शिष्यों के लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन है .

आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....

ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.


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10 मार्च 2014

मेरे गुरुदेव : स्वामी सुदर्शननाथ जी









अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....

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