16 अप्रैल 2017

गुरु की तलाश


  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
  • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
  • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...




गुरु मंत्रम:-

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥


  • ऊपर छपे चित्र को फ्रेम करा लें. नित्य जाप उसी के सामने करेंगे .
  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
  • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
  • यदि न हो तो तूलसी माला या किसी भी माला से जाप कर सकते हैं .
  • नित्य अपनी क्षमतानुसार 5 माला या अधिक मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी या गुरु प्राप्ति के सम्बन्ध में दिशा मिलेगी.
  • यदि निर्देश न मिले तो चित्र को फ्रेम से निकाल लें और लाल कपडे में बंधकर प्रवाहित कर दें.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com