एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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29 नवंबर 2011
28 नवंबर 2011
22 नवंबर 2011
गुरु सूत्रम -४
- गुरु के साथ छ्ल ना करें.
- गुरु आपकी हर बात जानने में समर्थ होता है , उसके साथ झूठ बोलने से, छ्ल करने से फ़िर भयानक अधोगति भोगनी पडती है.
- कैसी भी गलती की हो गुरु के सामने स्वीकार करके चरण पकड के माफ़ी मांग लेनी चाहिये.
- ऐसा भी हो सकता है कि आपको बेवजह डांट पड जाये, अपमानित होना पडे, ये सब गुरु का परीक्षण होता है, इसे सहज होकर स्वीकार करें, गुरु कृपा अवश्य होगी.
21 नवंबर 2011
निखिलधाम
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.
इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.
यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.
यहां पर महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.
19 नवंबर 2011
18 नवंबर 2011
काल भैरव साधना
- काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है.
- सभी प्रकार के पूजन/हवन/प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है.
- ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था.
- इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है.
- नीचे लिखे मन्त्र की १०८ माला रात्रि को करें.
- काले रंग का वस्त्र तथा आसन रहेगा.
- दिशा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें
- इस साधना से भय का विनाश होता है तथा साह्स का संचार होता है.
- यह तन्त्र बाधा, भूत बाधा,तथा दुर्घटना से रक्षा प्रदायक है.
॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥
17 नवंबर 2011
गुरु सूत्रम -२
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के लक्षण :-
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को अपने गुरु का एक अच्छा शिष्य होना चाहिये. अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को साधक होना चाहिये. उसे निरंतर साधना करते रहना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को कम से कम एक महाविद्या सिद्ध होनी चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को वाक सिद्धि होनी चाहिये अर्थात उसे आशिर्वाद और श्राप दोनों देने में सक्षम होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को पूजन करना और कराना आना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को योग और मुद्राओं का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को रस सिद्धि होनी चाहिये, अर्थात पारद के संस्कारों का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को मन्त्र निर्माण की कला आती है. वह आवश्यकतानुसार मंत्रों का निर्माण कर सकता है और पुराने मंत्रों मे आवश्यकतानुसार संशोधन करने में समर्थ होता है.
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