11 अक्तूबर 2012

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें





गुरु दीक्षा फोटो द्वारा निशुल्क प्राप्त करने के लिये

पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   



साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न५ प्लाट न२१०
एम.पी.नगर
भोपाल [.प्र.] ४६२०११

सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का  विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क दीक्षा तथा मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.


नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

27 सितंबर 2012

तान्त्रिक पंचांग : अषाढ़ मास

शुक्ल पक्ष :-

१- विष्णु सिद्धि दिवस
९- पार्वती जयंती,  कामाक्षी सिद्धि दिवस 




पूर्णिमा === गुरु पूर्णिमा
कृष्ण  पक्ष  :-


२ - सन्यास सिद्धि दिवस
९ - सिद्धाश्रम सिद्धि दिवस


११ - योगिनी सिद्धि दिवस



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26 सितंबर 2012

तांत्रिक पंचांग - ज्येष्ठ मास

शुक्ल पक्ष 

  1.  वीर जयंती





  2. काल सिद्धि दिवस
  3. धूमावती जयंती
  4. शिव सिद्धि दिवस
  5. काल भैरव जयंती



 पूर्णिमा - सावित्री सौभाग्य जयंती

कृष्ण  पक्ष:-
  1.  
  2.  
  3.  
  4.  
  5.  
  6.  
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  8.  
  9.  
  10.  
  11. अपरा  सिद्धि दिवस
  12.  
  13.  
  14.  
अमावस्या  -- शनि जयंती


21 सितंबर 2012

बालकों के लिए : सरस्वती प्रयोग




यह सरस्वती प्रयोग है .

  1. मेरे वरिष्ट गुरु भाई स्वामी अदित्यानंद जी के द्वारा मुझे यह प्रयोग प्राप्त हुआ है.
  2. आप यह प्रयोग निम्नलिखित दिनों में कर सकते हैं :-

  • जगन्नाथ रथ यात्रा [ अषाढ़ शुक्ल २ ]
  • गुरुपूर्णिमा, 
  • बसंत पंचमी,
  • रामनवमी,
  • विजयादशमी,
  • शिवरात्रि , 
  • कालरात्री, 
  • और नवरात्रि की पंचमी 


सर्वप्रथम ब्रह्मा मुहूर्त ४-६ बजे उठ जाएँ . केसर के ५-१० धागे पानी में भिगा दें.

एक माला गुरु मन्त्र क जाप करें

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

अब निम्नलिखित मन्त्र का आधे घंटे तक जाप करें :-

॥ ऎं ऎं ऎं सरस्वत्यै ऎं ऎं ऎं नमः 

इसके बाद भीगे हुए केसर में तर्जनी उंगली डुबाकर बच्चे की जीभ पर

  ऎं  

लिखें. यह देवी सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे लिखते समय देवी से प्रार्थना करें की वह बच्चे पर कृपा करे तथा उसके कंठ पर विराजमान होकर उसे बुद्धिशाली बनाए.



18 सितंबर 2012

निखिल धाम







परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













4 सितंबर 2012

शिव शक्ति मन्त्र





॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

 लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.