14 अक्तूबर 2012

नवरात्रि विशेष : गृहस्थ सुख हेतु मातंगी साधना





॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.
  • ११००० जाप करें. ११०० मंत्रों से हवन करें.
  • गुलाबी रंग का वस्त्र आसन होगा.

13 अक्तूबर 2012

नवरात्रि साधना के सामान्य नियम




  1. साधना प्रारम्भ करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना बोले.
  2. महाविद्याओं की साधना दीक्षा लेकर ही करे.
  3. जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें.

    ॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

  4. नवरात्रि में मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  5. जहाँ दिशानिर्देश न हो वहाँ उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  8. बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं. 
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध न करें . 
  11. किसी को नुक्सान न पहुंचाए.
  12. साधना को गोपनीय रखें.
  13. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  14. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  15. यथा संभव मौन रखें.
  16. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  17. जप के बाद दोनों कान पकड़कर सभी प्रकार की गलतियों के लिए माफ़ी मांगें
  18. अंत में जप गुरु को समर्पित करें .
  19. उग्र सधानाये बच्चे और महिलाएं न करें.
  20. गुरु से अनुमति लेकर ही साधना करें .
  21. साधनात्मक शक्तियों के दुरुपयोग का दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक को झेलना पडता है, इसलिए सिद्धि का दुरुपयोग न करे वरना परिणाम भयानक तथा विनाशकारी होंगे .

नवरात्रि : नवार्ण मन्त्रं









॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥


ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।

ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।

क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवरात्री में नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।

11 अक्तूबर 2012

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें





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