25 नवंबर 2013

काल भैरव साधना





काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
  • शत्रु बाधा.
  • तंत्र बाधा.
  • इतर योनी से कष्ट.
  • उग्र साधना में रक्षा हेतु.




काल भैरव मंत्र :-

|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||

विधि :-
  1. रात्रि कालीन साधना है.
  2. रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
  3. काला आसन और वस्त्र रहेगा.
  4. रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
  5. १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
  6. जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन  कर लें.
  7. हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
  8. कलि मिर्च , तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  9. अंत में एक कुत्ते को भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.


24 नवंबर 2013

गुरु साधना



  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
  • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
  • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...


गुरु मंत्रम:-

॥ ॐ गुं गुरुभ्यो नमः ॥


  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
  • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
  • माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.
  • सवा लाख मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी.

यदि आप इच्छुक हों तो मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी से भी निःशुल्क दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं.

नटराज मंत्रम

यह मंत्र उनके लिए है जो .....
जीवन को एक उत्सव मानते हैं ....
उल्लास जिनकी जीवन शैली है ....
मुस्कान जिनके होंठों का श्रृंगार है.....
सहजता जिनकी प्रवृत्ति है ..................
....................यह शिवत्व की यात्रा है...........


॥ क्रीं आनंद ताण्डवाय नमः ॥

आनंद और उल्लास के साथ नृत्य के साथ इस मन्त्र का जाप करें.....

और फ़िर कहीं कुछ होगा, ऐसा जो अद्भुत होगा 
बाकी शिव इच्छा.......

13 नवंबर 2013

पूज्यपाद गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा रचित : पद्मावती स्तोत्रम

पूज्यपाद गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी 

द्वारा रचित



पद्मावती स्तोत्रम 


दिव्योवताम वै पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धान्य सुतान्वदै  च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||

ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||

धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं  , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

सन्यस्त रूपमपरम पूर्ण गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमलत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||

|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद विरचित पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||

व्यवसाय की सफलता और जैन धर्मावलम्बी आज एक दुसरे के पर्याय माने जाते हैं. जैन मार्गी लक्ष्मी के पद्मावती स्वरुप की पूजा करते हैं. देवी का यह स्वरुप अतुलनीय ऐश्वर्य प्रदान करता है.पूज्यपाद गुरुदेव ने इस स्तोत्र  को अत्यंत प्रभावशाली बताया था.




विधि:-

  • दक्षिणावर्ती शंख या पारद श्रीयंत्र या किसी भी प्रकार के श्रीयंत्र को सामने रखें.
  • प्रतिदिन एक पाठ करें.
  • १०८ दिन तक करें.
  • यदि व्यवसाय करते हों तो दूकान पर पाठ करें.
  • लाभ होगा .

7 नवंबर 2013

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