एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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21 जून 2014
17 जून 2014
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह द्वारा लिखित ग्रन्थ “बगलामुखी रहस्यम”
महाविद्या साधक परिवार और जोरबा प्रकाशन अत्यंत हर्ष के साथ
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
द्वारा लिखित ग्रन्थ
“बगलामुखी रहस्यम”
के New Delhi, 12th July 2014 को विमोचन की घोषणा करते हैं.
यह अत्यंत हर्ष की बात है कि हमें, महाविद्या साधक परिवार की स्थापना करने
वाले भारत के अद्वितीय गुरुओं स्वामी सुदर्शन नाथ जी और डॉ साधना सिंह जी
की ओर से उनके प्रथम ग्रन्थ “बगलामुखी रहस्यम” के प्रकाशन के अवसर पर आपको
सूचित करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.
“बगलामुखी रहस्यम” ग्रन्थ के रूप में पहला प्रकाशन है जो जोरबा प्रकाशन के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है. इस ग्रन्थ में भगवती बगलामुखी के अन्तर्निहित गूढ़ तत्त्व और साधना मार्ग को सरल सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है.
यह ग्रन्थ दस महाविद्याओं में प्रमुख महाविद्या माता बगलामुखी की साधना के द्वारा अध्यात्मिक विकास और मानसिक शक्तियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. यह शुद्ध अध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करने वाले सभी सात्विक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा.
यह ग्रन्थ माता बगलामुखी के साधकों के लिए साधना और सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा. लेखक द्वय गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह स्वयं भगवती बगलामुखी के अनन्य साधक हैं इसलिए यह सम्पूर्ण ग्रन्थ लीक से हटकर है. लेखकों के स्वयं के अनुभवों पर आधारित होने के कारण साधकों के लिए यह एक प्रमाणिक ग्रन्थ का कार्य करेगा.
यह ग्रन्थ निम्नलिखित 12 july 2014 से ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है.:
“बगलामुखी रहस्यम” ग्रन्थ के रूप में पहला प्रकाशन है जो जोरबा प्रकाशन के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है. इस ग्रन्थ में भगवती बगलामुखी के अन्तर्निहित गूढ़ तत्त्व और साधना मार्ग को सरल सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है.
यह ग्रन्थ दस महाविद्याओं में प्रमुख महाविद्या माता बगलामुखी की साधना के द्वारा अध्यात्मिक विकास और मानसिक शक्तियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. यह शुद्ध अध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करने वाले सभी सात्विक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा.
यह ग्रन्थ माता बगलामुखी के साधकों के लिए साधना और सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा. लेखक द्वय गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह स्वयं भगवती बगलामुखी के अनन्य साधक हैं इसलिए यह सम्पूर्ण ग्रन्थ लीक से हटकर है. लेखकों के स्वयं के अनुभवों पर आधारित होने के कारण साधकों के लिए यह एक प्रमाणिक ग्रन्थ का कार्य करेगा.
यह ग्रन्थ निम्नलिखित 12 july 2014 से ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है.:
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी सिद्धाश्रम के
सिद्धहस्त योगी परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली
जी] के परम शिष्य हैं. डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी 200 से भी ज्यादा
ग्रंथों के रचयिता हैं जो सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त गूढ़ विद्याओं
के विद्वान् , प्रकांड ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखाशास्त्री प्रमाणिक कर्मकांडी
रहे हैं. सन 1998 में उनके देहावसान के बाद उनके आदेशानुसार उसी साधनात्मक
श्रुंखला को आगे बढाने की कड़ी में यह एक छोटा सा योगदान है.
दस महाविद्याओं में से प्रमुख महाविद्या बगलामुखी आदिकाल से आत्मज्ञान की अधिष्टात्री देवी मानी जाती रही हैं. बगलामुखी देवी शत्रु संहार और शत्रु स्तम्भन के लिए विश्वविख्यात हैं. माता की साधना से सभी प्रकार के शत्रुओं, रोगों बाधाओं और समस्याओं के निराकरण का मार्ग सहज ही मिल जाता है.
साधनात्मक जगत में रक्षा कवच सबसे महत्त्वपूर्ण होता है जिसका रक्षा कवच जितना मजबूत होगा वह उतना सुरक्षित और शक्तिशाली माना जायेगा ! वह उतना ही प्रहारक शक्ति से युक्त होगा ! सभी रक्षा कवचों की शक्ति बगलामुखी ही होती हैं इसलिए बगलामुखी देवी की साधना से प्राप्त रक्षा कवच सबसे सुदृढ़ तथा शक्तिशाली माना जाता है.
माता बगलामुखी की साधना एक सम्पूर्ण विज्ञान है. वे श्री कुल की महाविद्या हैं. बगलामुखी के साधक के चारों ओर एक सुरक्षा चक्र का निर्माण हो जाता है जो उसकी शत्रुओं,रोगों और समस्त प्रकार की बाधाओं से निरंतर रक्षा करता रहता है.
लेखकों के अनुसार बगलामुखी साधना से जहाँ साधक का अंतर्मन शुद्ध होता है वहीँ उसका बाह्य जगत और विराट में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में शुद्धता और सात्विकता का प्रसार होता है. मन अत्यंत चंचल होता है, साधना में उसका स्तम्भन अर्थात नियंत्रण करना होता है. यह नियंत्रण माता बगलामुखी ही प्रदान करती है. एक नियंत्रित मन ही नियंत्रित मष्तिष्क का निर्माण कर सकता है जो आगे चलकर एक अच्छे समाज का निर्माण करता है.
मानसिक शक्तियों का निरंतर विकास होते रहना चाहिए. उन्हें खिलौना नहीं बनने देना चाहिए. निरंतर प्रयास से हम पञ्च ज्ञानेन्द्रियों से परे भी जा सकते हैं और अपनी अतीन्द्रिय शक्तियों का विकास कर सकते हैं.
“बगलामुखी रहस्यम[हिंदी]” , महाविद्या साधक
परिवार के संस्थापक गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना
सिंह द्वारा लिखित तथा जोरबा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है और यह सभी
ओन-लाइन स्टोर पर [मूल्य - 400 रुपये ]उपलब्ध है.
संपादक के लिए नोट - शक्तिवाद महाविद्याओं की साधना पर ही आश्रित है. दसों महाविद्यायें परास्वतंत्र भी हैं और एक दूसरे से जुडी भी हुई हैं ! आज हमारे देश में महाविद्याओं के साधक गिने चुने रह गए हैं. यह विश्व शक्तिमय है ! शक्ति ही शव को शिव बनाती है ! एक से अनेक यही शक्तिवाद का मूलमंत्र हैं. शक्ति बहुलता लाती हैं, शक्ति विभिन्नता लाती हैं, वह शिव के सानिध्य में प्रतिक्षण कुछ नया निर्मित करती हैं ! नवीनता का धोतक हैं शक्ति ! शक्ति उपासना के आभाव में यह विश्व पुरातन पड जायेगा और एक दिन वृद्ध एवं जर्जर होकर धराशायी हो जायेगा ! शक्तिवाद ही विश्व को आनंदमयी, यौवनमयी एवं नित्य नवीन बनाये हुए हैं !
संपादक के लिए नोट - शक्तिवाद महाविद्याओं की साधना पर ही आश्रित है. दसों महाविद्यायें परास्वतंत्र भी हैं और एक दूसरे से जुडी भी हुई हैं ! आज हमारे देश में महाविद्याओं के साधक गिने चुने रह गए हैं. यह विश्व शक्तिमय है ! शक्ति ही शव को शिव बनाती है ! एक से अनेक यही शक्तिवाद का मूलमंत्र हैं. शक्ति बहुलता लाती हैं, शक्ति विभिन्नता लाती हैं, वह शिव के सानिध्य में प्रतिक्षण कुछ नया निर्मित करती हैं ! नवीनता का धोतक हैं शक्ति ! शक्ति उपासना के आभाव में यह विश्व पुरातन पड जायेगा और एक दिन वृद्ध एवं जर्जर होकर धराशायी हो जायेगा ! शक्तिवाद ही विश्व को आनंदमयी, यौवनमयी एवं नित्य नवीन बनाये हुए हैं !
16 जून 2014
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः
॥
॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
- नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
- जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
- यथा संभव मौन रहेंगे.
- किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
- यह साधना उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक उच्चता के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
- यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
- यह साधना वैराग्य की साधना है.
- यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
- यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
- चूँकि यह गुरु साधना है इसलिए इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.
5 जून 2014
पवन पुत्र हनुमान
- ॥ ॐ पवन नन्दनाय स्वाहा ॥
- सबसे पहले गुरु यदि हों तो उनके मंत्र की एक माला जाप करें. यदि न हों तो मेरे गुरुदेव
- परम हंस स्वामी निखिलेस्वरानंद जी
- [ डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]
- को गुरु मानकर निम्नलिखित मंत्र की एक माला जाप कर लें.
- || ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
- इसके बाद आप जाप प्रारंभ करें. गुरु मन्त्र का जाप करने से साधना में बाधा नहीं आती और सफलता जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
- हनुमान जी की साधना के सामान्य नियम निम्नानुसार होंगे :-
- पहले दिन हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामाना बोल देना चाहिए.
- ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
- साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
- साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
- आसन तथा वस्त्र लाल या सिंदूरी रंग का रखें.
- जाप संख्या ११,००० होगी.
- प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
- हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
- हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
अधिक जानकारी के लिए डाऊनलोड करें "साधना सिद्धि विज्ञान " का हनुमान विशेषांक
http://nikhildham.org/ssv/2004/0053_March_2004.PDF
http://nikhildham.org/ssv/2004/0053_March_2004.PDF
4 जून 2014
गुरुमाता डा साधना सिंह : जन्म दिवस
मेरी आदरणीय गुरुमाता : डा. साधना सिंह
आज जिनका जन्मदिवस है.
निखिलकृपा से आप शतायु हों.....
शिष्यों पर आप अपना वात्सल्य इसी प्रकार लुटाती रहें......
और
साधकॊं को मार्गदर्शन देती रहें...........
निरोगधाम तथा अन्यान्य पत्रिकाओं में होम्योपैथी तथा योग पर विहंगम लेख लिखने वाली योग विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होमियोपैथी विशेषज्ञ, और गुरुदेव डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी की प्रिय शिष्या, गुरुमाता डा. साधना सिंह
डा. साधना सिंह तन्त्र क्षेत्र की गिनी चुनी स्त्री गुरुओं में से एक हैं, जो दश महाविद्या साधनाओं मे अग्रणी हैं.
ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.
गुरु माता डा. साधना सिंह जी से सीधे सम्पर्क का समय :
दोपहर १ से ३ बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4221116
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