14 दिसंबर 2014

अष्ट्काली मंत्रम



॥  ऊं अष्टकाल्यै क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं सिद्धिं मे देहि दापय नमः ॥


  1. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
  2. दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
  3. रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
  4. पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.
  5. रात्रिकाल में जाप करें.
  6. जप के बाद १२५०० मन्त्र में स्वाहा लगाकर सामान्य हवन सामग्री या कालीमिर्च से हवन  करें.

13 दिसंबर 2014

नवग्रह स्तुति






ब्रह्मा मुरारी, त्रिपुरान्तकारी, भानु शशि, भूमि सुतो, बुधश्च
गुरुश्च शुक्रः, शनि राहु केतवः, सर्वे ग्रहाः, शान्तिकराः भवन्तु ....


======

इस स्तोत्र के पाठ से ब्रह्मा विष्णु महेश तथा नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है

===
किसी भी कार्य को करने के पहले इसका पाठ करके कार्य प्रारंभ करें.
===
नित्य पूजन में इसे शामिल करना चाहिए.

12 दिसंबर 2014

नवार्ण मन्त्र




  ॥    ऐं 
ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै  ॥


यह नवार्ण मन्त्र है.

इसमे 

ऐं =  भगवती महासरस्वती का बीज मन्त्र है. 
ह्रीं =  भगवती महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है.

क्लीं = 
भगवती महाकाली का बीज मन्त्र है.


इससे तीनों देवियों की कृपा मिलती है.

 इस मन्त्र का यथा शक्ति जप करने से महामाया की कॄपा प्राप्त होती है .

विधि ---
  1. रात्रि काल में जाप होगा.
  2. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  3. लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  4. दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  5. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  6. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  7. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  8. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  9. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  10. यथा संभव मौन रखें.
  11. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  12. बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.

7 दिसंबर 2014

तारा महाविद्या साधना



  • तारा काली कुल की महविद्या है । 

  • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

  • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

  • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

  • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है । 

  • ज्येष्ठ मास तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।









तारा मंत्रम

 ॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥






  1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
  3. गुरुवार से प्रारंभ करें. 
  4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
  8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध और बकवास ना करें.
  11. साधना को गोपनीय रखें.


प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.



साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका             

https://plus.google.com/105560236464645529722/posts

4 दिसंबर 2014

कामकला काली बीज मन्त्रम


कामकला काली [ KAMAKALA KALI ] साधना साधनात्मक जगत की सर्वोच्च साधना है. जब साधक का सौभाग्य अत्यंत प्रबल होता है तब उसे इस साधना की दीक्षा तथा अनुमति मिलती है.

यह साधना साधक को एक शक्तिपुंज में बदल देती है.


॥ स्फ़्रें ॥


  • अत्यंत प्रेम तथा मधुरता से जाप करें.
  • जप काल में रुद्राक्ष धारण करें.
  • यदि संभव हो तो गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करें.
  • बैठकर जाप रात्रि काल ११ से ३ में करें.
  • किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  • क्रोध ना करें.
  • किसी प्रकार का प्रलाप , श्राप या बुरी बात ना कहें.
  • यदि विवाहित हैं तो अपनी पत्नी के साथ बैठ कर जाप करें.
  • साधना काल में अपनी पत्नी को भगवती का अंश समझकर उसे सम्मान दें, भूलकर भी उसका अपमान ना करें.
  • साधना प्रारंभ करने से पहले किसी समर्थ गुरु से दीक्षा अवश्य ले लें.