10 जून 2013

गुरु प्राप्ति साधना





  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.



  • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.



  • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.



  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...









  • गुरु मंत्रम:-




    ॥ ॐ गुं गुरुभ्यो नमः ॥









    • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.




    • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.



    • माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.



    • सवा लाख मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी.








    • यदि आप इच्छुक हों तो मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी से भी निःशुल्क दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं.


      8 जून 2013

      शनिश्चरी अमावस्या : काली साधना


      || क्रीं ||

      काली बीज मंत्र 

      यथा शक्ति जाप करें.

      काले वस्त्र तथा आसन पहनकर दक्षिण की ओर देखते हुए करें.

      शनि मंत्रम




      शनि मंत्र :-


      || ॐ शं शनैश्चराए नमः ||

      || ॐ प्राम प्रीम प्रौम स: शनैश्चराए नमः ||

      यथा शक्ति जाप करें.

      शनि कृपा के उपाय :-

      • काले कुत्ते को रोटी खिलाएं.
      • दरिद्र व्यक्ति को दान दें.
      • तेल का दान उसमे अपनी छाया देखकर करें.
      • अनाथालय में दान करें.
      • काले वस्त्र का दान करें.



      6 जून 2013

      तारा साधना मंत्र -३

      • ज्येष्ठ मास [२६ मई से २३ जून ] तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।


      • तारा काली कुल की महविद्या है । 

      • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

      • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

      • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

      • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है । 










      तारा गायत्री मंत्रम

       ॥ॐ तारायै च विद्महे महोग्राये च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात   ॥






      1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
      2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
      3. गुरुवार से प्रारंभ करें. 
      4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
      5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
      6. यथासंभव एकांत वास करें.
      7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
      8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
      9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
      10. क्रोध और बकवास ना करें.
      11. साधना को गोपनीय रखें.


      प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

      तारा स्तव मंजरी
      साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका            

      4 जून 2013

      गुरुमाता डा साधना सिंह : जन्म दिवस




      मेरी आदरणीय गुरुमाता : डा. साधना सिंह


      आज जिनका जन्मदिवस है.

      निखिलकृपा से आप शतायु हों.....

      शिष्यों पर आप अपना वात्सल्य इसी प्रकार लुटाती रहें......

      और

      साधकॊं को मार्गदर्शन देती रहें...........



       निरोगधाम तथा अन्यान्य पत्रिकाओं में होम्योपैथी तथा योग पर विहंगम लेख लिखने वाली योग विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होमियोपैथी विशेषज्ञ, और गुरुदेव डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी की प्रिय शिष्या, गुरुमाता डा. साधना सिंह

      डा. साधना सिंह तन्त्र क्षेत्र की गिनी चुनी स्त्री गुरुओं में से एक हैं, जो दश महाविद्या साधनाओं मे अग्रणी हैं.


       -:   गुरुवचन  :-




      ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.

      साधना सिद्धि विज्ञानं 
      जास्मिन - 429
      न्यू मिनाल रेसिड़ेंसी
      जे.के. रोड ,भोपाल म.प्र.

      ०७५५-४२८३६८१ 









      3 जून 2013

      साधना



      साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


      गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

      बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

      एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


      भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





       कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

      अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





      महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

      महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





      वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

       महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





      स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






      तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

      गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

      स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





      मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


      यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें







      पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २5०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   


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      नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

      1 जून 2013

      तारा साधना मन्त्र -२

      • ज्येष्ठ मास [२६ मई से २३ जून ] तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।


      • तारा काली कुल की महविद्या है । 

      • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

      • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

      • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

      • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है । 









      तारा मंत्रम

       ॥ॐ तारा तूरी  स्वाहा  ॥





      1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
      2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
      3. गुरुवार से प्रारंभ करें. 
      4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
      5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
      6. यथासंभव एकांत वास करें.
      7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
      8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
      9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
      10. क्रोध और बकवास ना करें.
      11. साधना को गोपनीय रखें.


      प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

      तारा स्तव मंजरी
      साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका