एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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21 अगस्त 2013
18 अगस्त 2013
13 अगस्त 2013
अघोरेश्वराय नमः
॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
- १,२५,००० मंत्र का जाप .
- दिगंबर/नग्न अवस्था में जाप करें
- अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं.
- लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं करें. यह गम्भीर नुकसान कर सकता है.
- गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
- जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
- जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
- शिव कृपा होगी.
- रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
11 अगस्त 2013
निखिल पंचकम
आदोवदानं परमं सदेहं, प्राण प्रमेयं पर संप्रभूतम ।
पुरुषोत्तमां पूर्णमदैव रुपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ १॥
अहिर्गोत रूपं सिद्धाश्रमोयं, पूर्णस्वरूपं चैतन्य रूपं ।
दीर्घोवतां पूर्ण मदैव नित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ २॥
ब्रह्माण्ड्मेवं ज्ञानोर्णवापं,सिद्धाश्रमोयं सवितं सदेयं ।
अजन्मं प्रवां पूर्ण मदैव चित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ३॥
गुरुर्वै त्वमेवं प्राण त्वमेवं, आत्म त्वमेवं श्रेष्ठ त्वमेवं ।
आविर्भ्य पूर्ण मदैव रूपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ४॥
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं परेशां,प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं विवेशां ।
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं सुरेशां, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ५॥
9 अगस्त 2013
8 अगस्त 2013
साधना
साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.
भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.
वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.
तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.
मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......
यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें
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