एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
ब्लॉग पर दिखाये गए विज्ञापन गूगल तथा थर्ड पार्टी द्वारा दिखाये जाते हैं । उनकी प्रमाणकिता, प्रासंगिकता तथा उपयोगिता पर स्वविवेक से निर्णय लें ।
डॉ.साधना सिंह Dr. SADHANA SINGH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
डॉ.साधना सिंह Dr. SADHANA SINGH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
5 जून 2020
4 जून 2020
3 जून 2020
12 अप्रैल 2020
विश्व कल्याण हेतु समूहिक मंत्र जाप मे शामिल हो,
गुरुदेव प.पू. श्री सुदर्शननाथ जी ने आज के इस महामारी के भयावह वातावरण मे साधकों को आध्यात्मिक कवच प्राप्ति हेतु पाशुपत मंत्र की साधना करने के लिये कहा था ..
और उनके आदेश अनुसार सभी साधक व्यक्तिगत स्तर पर पाशुपत मंत्र साधना कर रहे हे ..
हम कुछ साधक मिलकर संकल्प लेकर सामुहिक स्तर पर अपने अपने घर मे बैठकर सोमवार 6 एप्रिल से सोमवार 13 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 की बीच कम से कम 11 माला पाशुपत मंत्र का जाप कर रहे है ..
कल सोमवार दि.13 एप्रिल को वह सामूहिक अनुष्ठान समाप्त होगा ॥
जिसमे लगबग 400 लोगोका मिलकर करीब 40 लाख की संख्या मे पाशुपत मंत्र जाप पूरा होगा ..
Lock down अब 30 एप्रिल तक बढाया गया है ....
इसलिए हम लोगो ने अब 14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक एक साधना और 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक एक और साधना करने का संकल्प लिया है ..
आप चाहे तो आप भी इसमे शामिल हो सकते है ..
अपने घर मे ही बैठकर साधना कर सकते है ..
एक ही समय ज्यादा संख्या मे साधक एक ही मंत्र का जाप करते है तो निश्चित तौर पर एक बहुत बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होता है और कई साधकों ने अभी इसका अनुभव भी किया है ..
इस साधना के दौरान कई साधकों को आध्यात्मिक अनुभूती हुयी है .सामुहिक संकल्प शक्ति मे उर्जा का निर्माण ज्यादा मात्रा मे होता है ..
गुरु मंत्र का सामूहिक जाप :-
14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक हमे ब्रह्मांडीय गुरु मंडल की कृपा प्राप्ती हेतु
" ॐ परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम: "
इस मंत्र का जाप करना है .
इसे आपको मंगलवार 14 एप्रिल से मंगलवार 21 एप्रिल तक रोज शाम को 7 से 8 के बीच अपने घर मे बैठकर करना होगा .
अपने परिवार पर गुरुमंडल की कृपा प्राप्ति हेतु इस मंत्र का जाप अवश्य करे ..
गुरुकृपा से बडे से बडे संकट टल जाते है और दुर्भाग्य सौभाग्य मे परिवर्तित होता है .. ..
आज के इस माहोल मे गुरुओं की कृपा निश्चित तौर पर जरुरी है ..
गुरुमंडल की कृपा से आप और आपका परिवार किसी भी प्रकार की बाधा से सदैव सुरक्षित रहेगा ..
आप या तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप कर सकते है या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप कर सकते है या पुरे 7 से 8 के बीच जाप कर सकते है ..
मंत्र जाप के लिये किसी भी माला का उपयोग कर सकते है चाहे वो स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला हो या और कोई माला हो ..
माला अगर नही है तो बिना माला के भी जाप कर सकते है .
आप कितनी भी संख्या मे इस मंत्र का जाप कर सकते है ..
21 एप्रिल को सिद्धाश्रम के महान योगी सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराजजी की जयंती है .
21 एप्रिल को यह साधना उन्हे समर्पित होगी और निश्चित ही साधना करनेवाले सभी को उनका अनमोल आशिर्वाद प्राप्त होगा ..
महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक जाप :-
22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक हम गुरुमुख से प्राप्त तांत्रोक्त महामृत्युंजय मंत्र
" ॐ ह्रौं जुं स: ॐ "
( उच्चारण ॥ ॐ ह्रौम जुम स: ॐ ॥ ऐसा होगा )
इस मंत्र का जाप कमसेकम 11 माला जाप करेंगे ..
यह मंत्र गुरुमाता डॉ. साधना जी ने सभी लोगों के लिये प्रदान किया है उत्तम स्वास्थ्य हेतु , समस्त रोग बाधा निवारण हेतु , अकाल मृत्यु एवं अपमृत्य निवारण हेतु ..
इस साधना को सभी को करना चाहिये ..
यह एक बहुत भी चमत्कारिक और प्रभावशाली मंत्र है ..
अपने जीवन मे मैने इस मंत्र की साधना से कई लोगों को लाभ प्राप्त हुआ देखा है ..
गुरुकृपा से यह मंत्र प्राप्त हुवा है तो इसे अवश्य करे और अपनी नित्य साधना मे सदैव इस मंत्र का कमसेकम एक माला मंत्र जाप अवश्य करते रहे ..
आप कोई भी व्यक्ति अपने और अपने समस्त परिवार के उत्तम स्वास्थ हेतु इस मंत्र का जाप कर सकते है .
जैसा उपर बताया गया है की आप 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 के बीच इस मंत्र का जाप करे
आप चाहे तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप करे या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप करे या फिर शाम को 7 से 8 के बीच जाप करे ..
आपको कमसेकम 11 माला मंत्र जाप करना है ..
ज्यादा संख्या मे कर सकते है तो अतिउत्तम ..
आप अपने परिवार के अन्य सदस्य या मित्र परिवार या परिचित के लोगों को भी इस साधना मे शामिल होने के लिये कह सकते है ..
कोई भी श्रद्धालू व्यक्ति इन साधनाओं को संपन्न कर सकता है ..
वैसे भी आनेवाले कुछ दिन और lock down हर जगह होगा तो हमे साधना के लिये समय भी मिल रहा है और समय का सदुपयोग अवश्य करना चाहिये ..
इतने लोग एक साथ एक समय अपने अपने घर मे बैठकर साधना करते है तो निश्चित ही बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होगा ....
जो एक साधक को और पुरे समाज को आध्यात्मिक शक्तियों की कृपा से किसी भी आपदा से सुरक्षित रखेगा ..
29 जून 2019
निखिल धाम
-
---++==
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.
इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.
यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.
यहां पर महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.
28 जून 2019
24 जून 2019
तंत्र साधनाओं के क्षेत्र में प्रवेश कैसे करें........
साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.
भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.
वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.
तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.
मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......
यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें
साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116
समय -सुबह 10 से शाम 5
[रविवार अवकाश ]
6 जनवरी 2019
दीक्षा और गुरु क्यों ?
किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ?
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शरीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.कई बार ऐसा अनुभव होता है जैसे तेज बुखार चढ़ गया हो .
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- कई बार मन्त्र जाप करते करते ऐसी स्थिति आती है कि साधक को छूने से बिजली के हल्के झटके जैसा एहसास भी होता है .
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं नि:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
11 अक्तूबर 2018
तारा साधना
तारा साधना मंत्रम
तारा साधना जीवन का सौभाग्य है।
यह साधना मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
यह साधना मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
शक्ति साधकों के लिए गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ने तारा शाक्त मन्त्र नवरात्री शिविर 1995 कराला में प्रदान किया था. यह साधना आर्थिक लाभ प्रदायक है .
· यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.
· भगवती तारा महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप करें। कम ज्यादा जाप ना करें
- · सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
- · भगवती तारा अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने शिशु को ले जाती है.
|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तारायै नमः ||
· इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन साधना है |
· उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा होना चाहिए | साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये |
· दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप करते रहें .
·
24 अगस्त 2018
साधना को करने से पहले दीक्षा क्यों ?
किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ?
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शरीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.कई बार ऐसा अनुभव होता है जैसे तेज बुखार चढ़ गया हो .
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- कई बार मन्त्र जाप करते करते ऐसी स्थिति आती है कि साधक को छूने से बिजली के हल्के झटके जैसा एहसास भी होता है .
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं नि:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
17 अगस्त 2018
गुरुदेव : स्वामी सुदर्शन नाथ जी
- गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
- गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
- वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
- बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
- गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
- गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
- शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.
- बेवजह गुरु बनने का ढोंग करने से साधक साधनात्मक रूप से नीचे गिरता जाता है और एक दिन अभिशप्त जीवन जीने को विवश हो जाता है .
- गुरु भी सदैव अपने गुरु के प्रति नतमस्तक ही रहता है इसलिए साधकों को अपने गुरुत्व के प्रदर्शन में अपने गुरु के सम्मान को ध्यान रखना चाहिए .
7 अगस्त 2018
23 जुलाई 2018
दीक्षा और गुरु क्यों ?
किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ?
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है
गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शरीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.कई बार ऐसा अनुभव होता है जैसे तेज बुखार चढ़ गया हो .
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- कई बार मन्त्र जाप करते करते ऐसी स्थिति आती है कि साधक को छूने से बिजली के हल्के झटके जैसा एहसास भी होता है .
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं नि:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
29 जून 2016
गुरु श्रंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
।
।
।
भगवान वेद व्यास
।
।
।
।
गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]
।
।
।
।
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य
।
।
।
।
==========
।
।
।
।
ब्रह्मानंद सरस्वती
।
।
।
।
------------------------------------------------------------------
। ।
महेश योगी करपात्री महाराज
। ।
। ।
पूज्यपाद सद्गुरुदेव
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]
[1933-1998]
।
।
।
-----------------------------------------------------------------------
। ।
। ।
। ।
। ।
गुरुमाता डॉ . साधना सिंह जी गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
जानकारी स्त्रोत - साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०
25 जून 2016
दीक्षा और गुरु क्यों ?
किसी
भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ?
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण
दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा
प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शरीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान
में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं
नी:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
23 नवंबर 2015
गुरु श्रुंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
।
।
।
भगवान वेद व्यास
।
।
।
।
गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]
।
।
।
।
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य
।
।
।
।
==========
।
।
।
।
ब्रह्मानंद सरस्वती
।
।
।
।
------------------------------------------------------------------
। ।
महेश योगी करपात्री महाराज
। ।
। ।
पूज्यपाद सद्गुरुदेव
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]
[1933-1998]
।
।
।
<<<---------------------------------------------------------------------------------->>>---------------------------------------------------------------------------------->
। ।
। ।
। ।
। ।
गुरुमाता डॉ . साधना सिंह जी गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
जानकरी स्त्रोत-> साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०
सदस्यता लें
संदेश (Atom)