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12 जुलाई 2025

रुद्राक्ष की सिद्ध माला : आध्यात्मिक साधकों के लिए

 रुद्राक्ष की सिद्ध माला : आध्यात्मिक साधकों के लिए

वे साधक या आध्यात्मिक व्यक्ति जो अपनी साधनात्मक शक्तियों का उपयोग दूसरे लोगों के लिए अनुष्ठान करने या उनकी समस्याओं के समाधान के लिए करते हैं उन्हें सिद्ध माला धारण करनी चाहिए । यह उन्हें विभिन्न प्रकार के विपरीत प्रभावों से बचाने के साथ-साथ उनकी आध्यात्मिक शक्तियों को संरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
सिद्ध माला एक मुखी से लेकर 14 मुखी तक के रुद्राक्ष को एक माला में गूँथकर बनाई जाती है । यह काफी महंगी होती है । 
यह माला ऑनलाइन भी उपलब्ध है आप प्रतिष्ठान को और उसकी प्रामाणिकता को देखकर मंगा सकते हैं ।


इसके अलावा आप चाहे तो यह माला मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको स्वयं भोपाल तक जाना पड़ेगा क्योंकि वह इसे अपने शिष्यों को ही प्रदान करते हैं । रुद्राक्ष के जितने प्रकार होते हैं लगभग वे सारे उनके संग्रह मे मौजूद रहते हैं । वे रुद्राक्षों के मर्मज्ञ हैं ...... 


उनकी वैबसाइट है :-
namobaglamaa.org

8 जुलाई 2025

गुरू पूर्णिमा महत्व

 एक पत्थर की भी तकदीर बदल सकती है,


शर्त ये है कि सलीके से तराशा जाए....



रास्ते में पडा ! लोगों के पांवों की ठोकरें खाने वाला पत्थर ! जब योग्य मूर्तिकार के हाथ लग जाता है, तो वह उसे तराशकर ,अपनी सर्जनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुये, इस योग्य बना देता है, कि वह मंदिर में प्रतिष्ठित होकर करोडों की श्रद्धा का केद्र बन जाता है। करोडों सिर उसके सामने झुकते हैं।


रास्ते के पत्थर को इतना उच्च स्वरुप प्रदान करने वाले मूर्तिकार के समान ही, एक गुरु अपने शिष्य को सामान्य मानव से उठाकर महामानव के पद पर बिठा देता है।


चाणक्य ने अपने शिष्य चंद्रगुप्त को सडक से उठाकर संपूर्ण भारतवर्ष का चक्रवर्ती सम्राट बना दिया।


विश्व मुक्केबाजी का महानतम हैवीवेट चैंपियन माइक टायसन सुधार गृह से निकलकर अपराधी बन जाता अगर उसकी प्रतिभा को उसके गुरू ने ना पहचाना होता।


यह एक अकाट्य सत्य है कि चाहे वह कल का विश्वविजेता सिकंदर हो या आज का हमारा महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वे अपनी क्षमताओं को पूर्णता प्रदान करने में अपने गुरु के मार्गदर्शन व योगदान के अभाव में सफल नही हो सकते थे।


हमने प्राचीन काल से ही गुरु को सबसे ज्यादा सम्माननीय तथा आवश्यक माना। भारत की गुरुकुल परंपरा में बालकों को योग्य बनने के लिये आश्रम में रहकर विद्याद्ययन करना पडता था, जहां गुरु उनको सभी आवश्यक ग्रंथो का ज्ञान प्रदान करते हुए उन्हे समाज के योग्य बनाते थे।


विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों नालंदा तथा तक्षशिला में भी उसी ज्ञानगंगा का प्रवाह हम देखते हैं। संपूर्ण विश्व में शायद ही किसी अन्य देश में गुरु को उतना सम्मान प्राप्त हो जितना हमारे देश में दिया जाता रहा है। यहां तक कहा गया किः-

गुरु गोविंद दोऊ खडे काके लागूं पांय ।

बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताय ॥


अर्थात, यदि गुरु के साथ स्वयं गोविंद अर्थात साक्षात भगवान भी सामने खडे हों, तो भी गुरु ही प्रथम सम्मान का अधिकारी होता है, क्योंकि उसीने तो यह क्षमता प्रदान की है कि मैं गोविंद को पहचानने के काबिल हो सका।
आध्यात्मिक जगत की ओर जाने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति का मार्ग गुरु और केवल गुरु से ही प्रारंभ होता है।

कुछ को गुरु आसानी से मिल जाते हैं, कुछ को काफी प्रयास के बाद मिलते हैं,और कुछ को नहीं मिलते हैं।

साधनात्मक जगत, जिसमें योग, तंत्र, मंत्र जैसी विद्याओं को रखा जाता है, में गुरु को अत्यंत ही अनिवार्य माना जाता है।

वे लोग जो इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं, उनको अनिवार्य रुप से योग्य गुरु के सानिध्य के लिये प्रयास करना ही चाहिये।

ये क्षेत्र उचित मार्गदर्शन की अपेक्षा रखते हैं।





गुरु का तात्पर्य किसी व्यक्ति के देह या देहगत न्यूनताओं से नही बल्कि उसके अंतर्निहित ज्ञान से होता है, वह ज्ञान जो आपके लिये उपयुक्त हो,लाभप्रद हो। गुरु गीता में कुछ श्लोकों में इसका विवेचन मिलता हैः-


अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया ।

चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥


अज्ञान के अंधकार में डूबे हुये व्यक्ति को ज्ञान का प्रकाश देकर उसके नेत्रों को प्रकाश का अनुभव कराने वाले गुरु को नमन ।

गुरु शब्द के अर्थ को बताया गया है कि :-


गुकारस्त्वंधकारश्च रुकारस्तेज उच्यते।

अज्ञान तारकं ब्रह्‌म गुरुरेव न संशयः॥


गुरु शब्द के पहले अक्षर 'गु' का अर्थ है, अंधकार जिसमें शिष्य डूबा हुआ है, और 'रु' का अर्थ है, तेज या प्रकाश जिसे गुरु शिष्य के हृदय में उत्पन्न कर इस अंधकार को हटाने में सहायक होता है, और ऐसे ज्ञान को प्रदान करने वाला गुरु साक्षात ब्रह्‌म के तुल्य होता है।


ज्ञान का दान ही गुरु की महत्ता है। ऐसे ही ज्ञान की पूर्णता का प्रतीक हैं भगवान शिव। भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी। वे संगीत के आदिसृजनकर्ता भी हैं, और नटराज के रुप में कलाकारों के आराध्य भी हैं। वे प्रत्येक विद्या के ज्ञाता होने के कारण जगद्गुरु भी हैं। गुरु और शिव को आध्यात्मिक जगत में समान माना गया है।


कहा गया है कि :-


यः शिवः सः गुरु प्रोक्तः। यः गुरु सः शिव स्मृतः॥


अर्थात गुरु और शिव दोनों ही अभेद हैं, और एक दूसरे के पर्याय हैं।जब गुरु ज्ञान की पूर्णता को प्राप्त कर लेता है तो वह स्वयं ही शिव तुल्य हो जाता है, तब वह भगवान आदि शंकराचार्य के समान उद्घोष करता है कि ÷


शिवो s हं, शंकरो s हं'।


ऐसे ही ज्ञान के भंडार माने जाने वाले गुरुओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने का पर्व है,

गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा

यह वो बिंदु है, जिसके वाद से सावन का महीना जो कि शिव का मास माना जाता है, प्रारंभ हो जाता है।

इसका प्रतीक रुप में अर्थ लें तो, जब गुरु अपने शिष्य को पूर्णता प्रदान कर देता है, तो वह आगे शिवत्व की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होने लगता है,और यह भाव उसमें जाग जाना ही मोक्ष या ब्रह्‌मत्व की स्थिति कही गयी है।

6 जुलाई 2025

संक्षिप्त गुरुपूजन

    






संक्षिप्त गुरुपूजन
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यहाँ पर संक्षिप्त गुरुपूजन विधि प्रस्तुत कर रहा हूं .. इसे आप अपने नित्य दैनंदिन साधना मे कर सकते है ..
हाथ जोडकर प्रणाम करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ॐ ह्रीम दशमहाविद्याभ्यो नम:
फिर गुरुदेव का ध्यान करे
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:
ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं
मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा
गुरुकृपाहि केवल गुरुकृपाहि केवलं
गुरुकृपाहि केवलं गुरुकृपाहि केवलं
श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि
श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम:
अगर आपके पास समय कम है तो आप सीधे गुरुमंत्र का जाप शुरु करे .. नही तो सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे और पूजन के बाद गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का भी पाठ अवश्य करे ..
अब सदगुरुदेव का मानसिक पूजन या उपलब्ध सामुग्री से पंचोपचार पूजन करे .. मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामुग्री से पूजन करते समय उचित सामुग्री का उपयोग करे
ॐ " लं " पृथ्वी तत्वात्मकं गंधं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " हं " आकाश तत्वात्मकं पुष्पम समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " यं " वायु तत्वात्मकं धूपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " रं " अग्नी तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " वं " जल तत्वात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " सं " सर्व तत्वात्मकं तांबूलं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
अब हाथ जोडकर गुरु पंक्ति का पूजन करे
ॐ गुरुभ्यो नम:
ॐ परम गुरुभ्यो नम:
ॐ परात्पर गुरुभ्यो नम:
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
ॐ दिव्यौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ सिद्धौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ मानवौघ गुरुपंक्तये नम:
आप चाहे तो निम्न गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का पाठ करे .. अगर स्तोत्र पाठ नही करना है तो सीधे आगे का पूजन करे
गुरुपादुका पंचक स्तोत्र
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! १ !!
ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! २ !!
होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ
होमादि सर्वाकृति भासमानं
यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ३ !!
अनंत संसार समुद्रतार
नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां
जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ४ !!
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां
विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां
बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ५ !!
अब एक आचमनी जल मे चंदन मिलाकर अर्घ्य दे या मानसिक स्तर पर अर्घ्य दे ..
ॐ गुरुदेवाय विद्महे परम गुरवे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
अब गुरुमंत्र का यथाशक्ती जाप करे
ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
अंत मे जप गुरुदेव को अर्पण करे
ॐ गुह्याति गुह्यगोप्ता
त्वं गृहाणास्मत कृतं जपं
सिद्धिर्भवतु मे गुरुदेव त्वतप्रसादान्महेश्वर !!
अब एक आचमनी जल अर्पण करे
अनेन पूजनेन श्री गुरुदेव प्रीयंता मम !!

5 जुलाई 2025

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar




26 अप्रैल 2025

युद्ध मे भारत की विजय के लिए गुरुसेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा प्रदत्त रणचंडी मंत्र

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं । सैनिक तो युद्ध क्षेत्र मे अपना कार्य करेंगे । हम सभी देशवासी भी युद्ध मे विजय के लिए गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा प्रदत्त निम्नलिखित मंत्र का यथा शक्ति जाप करें । 

इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है । 

गुरु दीक्षित होने की भी अनिवार्यता नहीं है । 

यह संकट काल है और रणचंडी देवी महाकाली के किसी भी स्वरूप का ध्यान करके आप अपनी क्षमतानुसार जाप कर सकते हैं । 

बैठकर ना कर पाएँ तो चलते फिरते भी कर सकते हैं । 





21 अप्रैल 2025

निखिल धाम [ परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी को समर्पित मंदिर ]

    

निखिल धाम

[ परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी को समर्पित मंदिर ]




परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.















27 मार्च 2025

नवरात्रि पर देवी साधना कैसे करें ?

 नवरात्रि पर देवी साधना कैसे करें ?

नवरात्रि पर देवी साधनाएं करने की इच्छा सभी की होती है । अधिकांश लोग नियमों मान्यताओं और डर आदि की वजह से घबराते हैं या झिझकते हैं कि....
कुछ गड़बड़ न हो जाए !
मातारानी क्रोधित होकर कोई नुकसान न कर दे !
आदि आदि.....
वास्तव में ऐसा झिझकने लायक कुछ नहीं है ।

जगदंबा संपूर्ण सृष्टि की माता है और वह बच्चों की गलतियों को क्षमा कर देती है । इसलिए आप जैसे और जितना अपनी क्षमतानुसार कर पाएंगे वैसा पूरी श्रद्धा से करें आपको अनुकूलता और महामाया की कृपा अवश्य मिलेगी ।
जगदंबा का आशीर्वाद और कृपा हर क्षेत्र मे सहायक होती ही है ..... इसीलिए हमारे सनातन धर्म मे शक्ति साधनाओं को इतना महत्व दिया गया है ।
आप देखें तो विश्व में सबसे शक्तिशाली नेताओं में मोदी जी की गिनती होती है । वह भगवती जगदंबा के प्रबल भक्त हैं । ऐसे भक्त जो नवरात्रि के समय में पूरी श्रद्धा के साथ निर्जला व्रत भी रखते हैं....
इसी प्रकार से अगर आप इतिहास के पन्नों में जाएं तो आपको पता चलेगा कि जितने भी अत्यंत उच्च कोटि के वीर और साहसी राजा या योद्धा हुए हैं वे सभी के सभी आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न थे । किसी न किसी इष्ट की प्रबल भक्ति और साधना से उनके अंदर जागृत हुई अध्यात्मिक शक्ति, उनकी शारीरिक शक्तियों और प्रतिभा को कई कई गुना बढ़ा देती थी जिसके चलते वे असामान्य अभूतपूर्व और असंभव से लगने वाले कार्यों को भी संपन्न कर पाते थे ।
एक उदाहरण ले लीजिए....
महाकवि कालिदास, विश्व के श्रेष्ठतम पद्य रचयिता माने जाते हैं । उनकी कविताओं की टक्कर की कविता आज तक न किसी ने लिखी है और संभवत कोई लिख भी नहीं पाएगा...
उनका कवित्व तब प्रस्फुटित हुआ था जब वह महाकाली की साधना में संलग्न हुए थे .....
स्वर कोकिला लता दीदी यानी लता मंगेशकर जी वाग्देवी की प्रबल साधिका थी..... अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि माँ शारदा साक्षात उनके कंठ में निवास करती थी........
छत्रपति शिवाजी से लेकर महाराणा प्रताप तक जितने भी वीर प्रचंड योद्धा हुए हैं सब अपने अपने इष्ट के प्रति पूर्ण समर्पित रहे हैं.....
उनका आध्यात्मिक बल इतना प्रचंड रहा है कि वह उन्हे उनसे कई गुना शक्तिशाली शत्रु पर भी भारी पड़ने के लिए समर्थ कर देता था.....
मुझे ऐसा लगता है कि जीवन में आप किसी भी क्षेत्र में हों यदि आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके अंदर....
आध्यात्मिक शक्ति का अंश भी होना चाहिए !
देवी कृपा भी होनी चाहिए !!
भगवती जगदंबा का आशीर्वाद होना चाहिए !!!
यह बहुत कठिन कार्य नहीं है । हमारे साथ दिक्कत यह है कि हमारे पास जब समस्या आती है, उस समय हम मंदिर की ओर दौड़ लगाते हैं । वहां जाकर रोना गाना करके वापस आ जाते हैं । उसमें भी हमारे कई काम हो जाते हैं तो आप स्वयं सोचे कि अगर आप नित्य प्रति निष्ठा के साथ सम्मान के साथ श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवती जगदंबा की आराधना, पूजन, चिंतन, मंत्र जाप करेंगे तो वे स्वयं कितनी कृपालु हो जाएंगी ।
उन का वरद हस्त आपको अपने क्षेत्र में एक अद्भुत व्यक्तित्व बनाने की क्षमता रखता है । आप अगर इस बात पर विश्वास नहीं रखते हैं तो उसका उदाहरण मैं स्वयं हूँ । एक मामूली सा व्यक्ति जो संयोग से एक तंत्र गुरु से दीक्षा ले पाया, उनकी कृपा से भगवती की साधना की विधियां समझ पाया । एक लंबे समय..... यूं समझ लीजिए 10 साल 15 साल उनका मंत्र जाप निष्ठा के साथ करता रहा । आज आप देख लीजिए कि लिखते हुए मुश्किल से मुझे चार साल हुए हैं ....
और आप जैसे कितने लोग मुझे जानते हैं....
कितने लोगों की यह लगता है कि यह व्यक्ति वास्तव में आध्यात्मिक क्षेत्र में कुछ दखल रखता है....
यह सब प्रतिभा विकसित होती है भगवती जगदंबा के आशीर्वाद से......
मुझे यह कहते हुए जरा भी संकोच नहीं है कि मैं एक बिल्कुल आम और सामान्य सा मूर्ख आदमी हूं जिसके अंदर कमजोरियाँ और कमियाँ भरी पड़ी हैं......
आप जो भी लेखन देखते हैं जो भी मेरा लिखा हुआ पढ़ते हैं वह सब उसकी अहेतुकी कृपा है.....
उसका आशीर्वाद है कि वह मुझे जैसे मूढ़ व्यक्ति से भी इतना कुछ लिखवा लेती है ।
बिल्कुल ऐसा ही आपके साथ भी संभव है !
बस जरूरत इसकी है कि आप पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ नवरात्रि में जाप करें !
नित्य जाप करें !
उन्हें अपनी माता के रूप में देखें !
अपने आप को उनके शिशु के रूप में देखें !!
जैसा कर सकते हों !
जितना कर सकते हों !
उतना पूरे विश्वास और श्रद्धा से समर्पण भाव से एक शिशु के जैसे भाव से करिये......
यकीन मानिए उसके बाद फिर जो घटित होगा उसका शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता ।
वह एक ऐसी स्थिति होती है कि बस आप कुछ बन जाते हैं....
कुछ ऐसा..... जो लोगों को एहसास करा देता है कि यह औरों से अलग है ....
इसमे कुछ तो स्पेशल है ......
अगर आप स्पेशल बनना चाहते हैं तो मैं आपका स्वागत करता हूं साधना के जगत में.....
आप आइए और इन विद्याओं को, इन शक्तियों को प्राप्त करने के प्रयासों को समझें, मंत्र जाप करें और जीवन में सफलता प्राप्त करें....

प्राचीन काल मे गुरु को खोजने के लिए जंगल जंगल भटकना पड़ता था । उसकी सेवा टहल मे बरसों बिताने पड़ते थे तब एकाध मंत्र या साधना मिल पाती थी ....
आज कि स्थिति अलग है .... आप इतना सब नहीं कर सकते ....


इसलिए आज के युग मे स्वामी सुदर्शन नाथ और गुरुमाता डा साधना सिंह जैसे गुरु सहजता से समाज के बीच मे उपलब्ध हैं । आप उनसे मिलेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे अपने परिवार के ही किसी सदस्य से मिल रहे हैं । न किसी प्रकार का तामझाम और न ही किसी प्रकार का प्रपंच !
एक सामान्य लोगों के रहने वाली कॉलोनी मे एक सामान्य से घर मे बिलकुल एक सामान्य गृहस्थ जैसे !
आप उनसे मिल सकते हैं !
दीक्षा ले सकते हैं !
मंत्र और साधनाएं प्राप्त कर सकते हैं !
साधना के दौरान आने वाली किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान मांग सकते हैं ....
सबसे बड़ी बात यह कि आप उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर बातचीत कर सकते हैं .....
ऐसे गुरु से जो साधनाओं के शिखर पर बैठकर भी आपके लिए सहज उपलब्ध है .....
ऐसे अवसर का लाभ उठाएँ । उनसे मिलें अपने फील्ड से संबन्धित दीक्षा और मंत्र प्राप्त करें । नित्य जाप करें और फिर दस साल के बाद आप मुड़कर देखेंगे तो एहसास करेंगे कि ...
हाँ ! मैं स्पेशल बन चुका हूँ .... कुछ ऐसा जो शायद मेरे पूरे खानदान मे नहीं है ...... 


गुरुदेव से संपर्क का पता :-

साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय -जैस्मिन – 429, न्यू मिनाल रेसिडेंसी, जे.के.रोड, भोपाल,म.प्र.

फोन नंबर - 0755-4269368

🌹 निखिल अमृत महोत्सव 🌹 : 21 अप्रैल 2025 : ऑनलाइन दीक्षा





श्री विद्या मार्ग के उद्धारक,भारतवर्ष के आद्यात्मिक लौ को पुनर्जीवित करने वाले सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के जन्मोत्सव 21 अप्रैल 2025  को महाविद्या साधक परिवार, भोपाल द्वारा निखिल भगवान की सूक्ष्म उपस्थिति में गुरुदेव श्री सुदर्शननाथ एवं गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य मे अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है । 

जिसके अंतर्गत 

राज राजेश्वरी पूजन & भुबनेश्वरी पूजन 

संपन्न कराया जाएगा साथ ही 

परम तत्व प्राप्ति दीक्षा, 

ब्रह्म ज्योतिष दीक्षा, 

ध्यान  दीक्षा 

भी प्रदान की जाएगी।

नोट :-

1️⃣ शिविर/अनुष्ठान ऑनलाइन  होगा ।

2️⃣ऑनलाइन पूजन के 2100/-में पूजन और एक व्यक्ति की दीक्षा साथ मे और यदि जिन्हें सिर्फ दीक्षा लेनी हो तो 1100/- में सिर्फ एक फोटो दीक्षा ।

3️⃣फ़ोटो और पेमेंट करने के बाद स्क्रीनशॉट व्हाट्सएप (9852284595) पर अवश्य भेजे। 

4️⃣रेजिस्ट्रेशन के लिए संपर्क करे 

  करुणेश कर्ण (पटना):- 9852284595 (call or whatsapp)

5️⃣ payment के लिए

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BRANCH :- ANTICHAK

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Google pay & phone pay  :-  

9708733515

11 मार्च 2025

गुरु शृंखला

  जगद्गुरु भगवान शिव







भगवान वेद व्यास


गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]


जगद्गुरु आदि शंकराचार्य 



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ब्रह्मानंद सरस्वती



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।                                                                                                 ।
           महेश योगी                                                                     करपात्री महाराज
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
                                           पूज्यपाद सद्गुरुदेव
                                                                               डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]



                                                 
                                              ।
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह  जी                                                                       गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
                                                                                                       
जानकारी स्त्रोत -  साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

   गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar




सद्गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : अवतरण दिवस 11 मार्च


 

11 जनवरी 2025

गुरु श्रंखला

 जगद्गुरु भगवान शिव







भगवान वेद व्यास


गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]


जगद्गुरु आदि शंकराचार्य 



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ब्रह्मानंद सरस्वती



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।                                                                                                 ।
           महेश योगी                                                                     करपात्री महाराज
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
                                           पूज्यपाद सद्गुरुदेव
                                                                               डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]



                                                 
                                              ।
                                              ।
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह  जी                                                                       गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
                                                                                                       
जानकारी स्त्रोत -  साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०

28 नवंबर 2024

गुरु दीक्षा कैसे प्राप्त करें !



मैंने देवी देवताओं तथा उनकी मंत्र साधना से संबन्धित कई लेख प्रकाशित किए हैं । जिन्हे पढ़कर कई पाठकों और पाठिकाओं ने साधना की है या करने की इच्छा व्यक्त की है । मैंने जो विधियाँ प्रकाशित की हैं, वे सरल हैं और उन्हे किसी भी आयु का स्त्री या पुरुष जो सनातन धर्म मे आस्था रखता हो वह सम्पन्न कर सकता है ।  

साधना के मार्ग मे गुरु दीक्षा का बड़ा महत्व होता है । गुरु की देह को गुरु मानने की गलती हम सभी कर बैठते हैं । वास्तव में गुरु के अंदर जो भगवान शिव का ज्ञान या जो शिव तत्व होता है, वही वास्तविक गुरु होता है । तंत्र के अधिपति भगवान शिव सभी साधनाओं के मूल हैं और वही मंत्रों और साधनाओं को शक्ति और चैतन्यता प्रदान करते हैं । 

इसे मैं एक सरल उदाहरण से समझाऊं तो मान लीजिए कि आप अपने घर में एक ट्यूबलाइट जलाना चाहते हैं । इसके दो तरीके हो सकते हैं । पहला तो यह कि आप अपना खुद का बिजली पैदा करने का कोई यंत्र या जनरेटर बना ले और उससे ट्यूबलाइट को जोड़ दें तो ट्यूब लाइट जलने लगेगी । खुद से मंत्र जाप करना कुछ कुछ वैसा ही है । जैसे-जैसे आप जाप करते जाते हैं धीरे-धीरे आपके अंदर ऊर्जा बनने लगती है या आपका खुद का जनरेटर चालू होने लगता है । जब उसकी बिजली पर्याप्त हो जाती है, तब ट्यूब लाइट जलता है । 

दूसरा तरीका यह है कि जो बिजली की सप्लाई लाइन आपके इलाके में आई हुई है, उसके तार से अपने घर में एक कनेक्शन ले ले । उस कनेक्शन के माध्यम से ट्यूबलाइट को जोड़ दें, तब भी वह ट्यूबलाइट चल जाएगी । गुरु दीक्षा कुछ-कुछ वैसा ही कनेक्शन है, जो आपकी ट्यूबलाइट को जल्दी चालू कर सकता है । 

जब आप किसी गुरु से दीक्षा लेते हैं, जो कि स्वयं सिद्ध हो, तो उसकी जो गुरु परंपरा होती है, वह पीछे की ओर जाने पर भगवान शिव से जाकर मिलती है । यानी यह समझ लीजिए कि मेन पावर स्टेशन पर जाकर मिलती है, जहां से सभी साधनाओं का प्रारंभ होता है । जब यह लिंक दीक्षा के माध्यम से जुड़ती है तो आपके अंदर जो शिव तत्व है, जो आपके मस्तिष्क के दोनों हिस्सों के बीच में लगभग लिंग आकार स्वरूप में स्थित होता है, उसकी चैतन्यता बढ़ती है । उसी के माध्यम से मंत्रों की शक्ति जागृत होती है और आपको अपना अभीष्ट प्राप्त होता है ।

अब मन मे यह सवाल उठता है कि दीक्षा कैसे प्राप्त करें ? 

सबसे बढ़िया स्थिति तो यह है कि आप गुरु के पास जाकर दीक्षा प्राप्त करें !

उनके पास व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो और उनसे निवेदन करके अपनी इच्छित दीक्षा प्राप्त करें !!

इसके लिए आप भोपाल मध्य प्रदेश जा सकते हैं, और गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से या गुरु माता डॉ.  साधना सिंह जी से दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं । 




कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं, कि किसी कारणवश आप भोपाल जा पाने में असमर्थ हो !

ऐसी स्थिति में आप चाहे तो अपनी फोटो तथा निर्धारित न्योछावर भेज कर भी गुरु दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं । इसके विषय में अधिक जानकारी के लिए आप सुमन जी से संपर्क कर सकते हैं :-

सुश्री सुमन 

मोबाइल नंबर - 9307610360 


गुरु श्रंखला

 जगद्गुरु भगवान शिव







भगवान वेद व्यास


गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]


जगद्गुरु आदि शंकराचार्य 



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ब्रह्मानंद सरस्वती



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           महेश योगी                                                                     करपात्री महाराज
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                                           पूज्यपाद सद्गुरुदेव  
                                                                               डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]  
[1933-1998]                 



                                                 
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह  जी                                                                       गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
                                                                                                       
जानकारी स्त्रोत -  साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०