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11 नवंबर 2024

दस महाविद्याये तथा उनकी साधना से होने वाले लाभ

  दस महाविद्याये तथा उनकी साधना से होने वाले लाभ 


मेरे सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ने दसों महाविद्याओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन किया है . उनके प्रवचन के ऑडियो/वीडियो आप इंटरनेट पर सर्च करके या यूट्यूब पर सुन सकते हैं . तथा विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं .  

जितना मैंने जाना है उसके आधार पर मुझे ऐसा लगता है कि सभी महाविद्याओं से आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि तथा सर्व मनोकामना की पूर्ती होती है . इसके अलावा जो विशेष प्रयोजन सिद्ध होते हैं उनका उल्लेख इस प्रकार से किया गया है .  

महाकाली - मानसिक प्रबलता /सर्वविध रक्षा / कुण्डलिनी जागरण /पौरुष 

तारा - आर्थिक उन्नति / कवित्व / वाक्शक्ति 

त्रिपुर सुंदरी - आर्थिक/यश / आकर्षण 

भुवनेश्वरी - आर्थिक/स्वास्थ्य/प्रेम 

छिन्नमस्ता - तन्त्रबाधा/शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा

त्रिपुर भैरवी - तंत्र बाधा / शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा

धूमावती - शत्रु बाधा / सर्वविध रक्षा 

बगलामुखी - शत्रु स्तम्भन / वाक् शक्ति / सर्वविध रक्षा

मातंगी - सौंदर्य / प्रेम /आकर्षण/काव्य/संगीत  

कमला - आर्थिक उन्नति 

सभी महाविद्याओं के शाबर मंत्र होते हैं , जिनका प्रयोग कोई भी कर सकता है . यदि आपके गुरु नहीं हैं तो भगवान शिव/महाकाली को गुरु मानकर आप इनका प्रयोग इस नवरात्रि में करें और लाभ उठायें . शाबर मंत्र सामान्य भाषा में होते हैं . उनको जैसा लिखा है वैसा ही पढ़ना चाहिए . उसमे व्याकरण सुधार करने के कोशिश न करें . ये मंत्र सिद्ध योगियों द्वारा उद्भूत हैं इसलिए जैसा उन्होंने रच दिया वैसा ही पढ़ने से ज्यादा लाभ होगा . 

शाबर मन्त्रों के जाप करते समय दीपक और अगरबत्ती या धुप जलाये रखना चाहिए . गुग्गुल की धुप या अगरबत्ती का प्रयोग बेहतर होगा . न हो तो कोई भी अगरबत्ती जला लें . 


महाविद्याओं की साधना उच्चकोटि की साधना है . आप अपनी रूचि के अनुसार किसी भी महाविद्या की साधना कर सकते हैं . महाविद्या साधना आपको जीवन में सब कुछ प्रदान करने में सक्षम है . यदि आप सात्विक पद्धति से गृहस्थ जीवन में रहते हुए ही , महाविद्या साधना सिद्धि करना चाहते हैं तो आप महाविद्या से सम्बंधित दीक्षा तथा मंत्र प्राप्त करने के लिए मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से या गुरुमाता डा साधना सिंह जी से संपर्क कर सकते हैं .




विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए वेबसाइट तथा यूट्यूब चैनल का अवलोकन कर सकते हैं . 

contact for details
वेबसाइट
namobaglamaa.org

यूट्यूब चैनल
https://youtube.com/c/MahavidhyaSadhakPariwar

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

  गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar




13 सितंबर 2024

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

  गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
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16 जुलाई 2024

गुरु पूर्णिमा पर तांत्रोक्त गुरु पूजन

  गुरु पूर्णिमा पर तांत्रोक्त गुरु पूजन


गुरु पूर्णिमा के अवसर पर तंत्रोक्त गुरु पूजन की विधि प्रस्तुत है ।





जिसके माध्यम से आप अपने सदगुरुदेव का पूजन कर सकते हैं क्योंकि मेरे गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ( डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) हैं इसलिए गुरुदेव जी के स्थान पर में उनका नाम ले रहा हूं आप अपने गुरु का नाम उनकी जगह पर ले सकते हैं ।


इस पूजन के लिए स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें । लकड़ी की चौकी या बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर पंचामृत या जल से स्नान कराके गुरु चित्र यंत्र या शिवलिंग जो भी आपके पास उपलब्ध हो उसे रख लें । अब पूजन प्रारंभ करें।



पवित्रीकरण

किसी भी कार्य को करने के पहले हम अपने आप को साफ सुथरा करते हैं ठीक वैसे ही पूजन करने से पहले भी अपने आप को पवित्र किया जाता है इसे पवित्रीकरण कहते हैं इसमें अपने ऊपर बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से छिड़कें या फूल या चम्मच जो भी आप इस्तेमाल करना चाहते हो उसके द्वारा अपने ऊपर थोड़ा सा जल छिड़क लें ।


ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।


आचमन

आंतरिक शुद्धि के लिए निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -


ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।


सूर्य पूजन

भगवान सूर्य इस सृष्टि के संचालन करता है और उन्हीं के माध्यम से हम सभी का जीवन गतिशील होता है इसलिए उनकी पूजा अनिवार्य है ।

कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -


ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।

हिरण्येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं ।जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ।।



ध्यान

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।

गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ॥

ध्यान मूलं गुरु: मूर्ति पूजा मूलं गुरो पदं ।

मंत्र मूलं गुरुर्वाक्य मोक्ष मूलं गुरुकृपा ॥


आवाहन


ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।


षट चक्र स्थापन --


गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -


श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री विष्णुदेवानन्दनाथ ज्ञान शक्त्यम्बा विशुद्ध चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ब्रह्मदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः ।



गुरु चरणों मे समर्पित करें 


ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – गंगाजल स्नानं समर्पयामि ।

ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि ।

ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि ।

ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतं समर्पयामि ।

ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारम समर्पयामि ।


दीपम

सिद्ध शक्तियों को दीप दिखाएँ


श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि ।

श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि ।

श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि ।

श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि ।

श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि ।

श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि ।



नीराजन --

पात्र में जल, कुंकुम, अक्षत और पुष्प लेकर गुरु चरणों मे समर्पित करें -


श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।


पञ्च पंचिका


अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर , दोनों हाथों को भिक्षापात्र के समान जोड़कर, निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें -


श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।


श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।


श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।


श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।


श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।



श्री मन्मालिनी मंत्र


अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके । इसके द्वारा सभी अक्षरों अर्थात स्वर व्यंजनों का पूजन हो जाता है जिससे मंत्र बनते हैं :-


ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः ।

कं खं गं घं ङं ।

चं छं जं झं ञं ।

टं ठं डं ढं णं ।

तं थं दं धं नं ।

पं फं बं भं मं ।

यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः ।


गुरु मंत्र जाप


इसके बाद गुरु मंत्र का यथा शक्ति जाप करें ।

यदि आपके पास कोई गुरु मंत्र हो तो उसका जाप करें ना हो तो निम्नलिखित मंत्र का जाप करें

ॐ गुरुभ्यो नमः ।।


प्रार्थना --

लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् ।

शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।


त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं ।

क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।


मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं ।

सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।


अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं ।

अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।


यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः ।

तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ।।



समर्पण --

सम्पूर्ण पूजन गुरु के चरणों मे समर्पित करें :-


देवनाथ गुरौ स्वामिन देशिक स्वात्म नायक: ।

त्राहि त्राहि कृपा सिंधों , पूजा पूर्णताम कुरु ....


अनया पूजया श्री गुरु प्रीयंताम तदसद श्री सद्गुरु चरणार्पणमस्तु ॥


इतना कहकर गुरु चरणों मे जल छोड़ें ।


शांति


तीन बार जल छिडके...


ॐ शान्तिः । शान्तिः ।। शान्तिः ।।।


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आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं


spotify link


https://open.spotify.com/show/00vXvHwYrtTbjnjSzyOt3V



anchor link


https://anchor.fm/u0938u0928u093eu0924u0928-u0938u0942u0924u094du0930



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15 जुलाई 2024

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

  गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
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4 जुलाई 2024

गुरुपूर्णिमा पर ऑनलाइन शिविर मे भाग लें : विशेष कार्य सिद्धि दीक्षा प्राप्त करें



जीवन में अत्याधिक महत्वपूर्ण दीक्षा कार्यसिद्धि दीक्षा

नोट:
गुरु पूर्णिमा शिविर गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी और गुरुमाता डा साधना सिंह जी के सानिध्य मे सम्पन्न होगा । 



जो भी साधक शिविर में सम्मिलित होना चाहते हैं, वे कृपया नीचे दिये गये नम्बरों में से किसी भी नम्बर पर सम्पर्क कर सकतें है। 👇

🟡रजनीश आचार्य (छिंदवाड़ा):9425146518, 8770365137
🔴 प्रशांत पांड़े (दिल्ली) 8800458271
🟠 देवेन्द्र उइके (नागपुर): 9096078410 
🟡मनोहर सरजाल (छत्तीसगढ़)+91 90091 60861
🟡सचिन किसवे (लातूर)+91 93257 77190
🟠 सुभाष शर्मा (उदयपुर) 9929140845
🟡प्रेमजीत सिंह (पटना)+91 87574 02620
🟡विनयशर्मा(गुना)9685224686
🔴कपिल वास्पत (इंदौर) 9179050735
🔵रणजीत अन्कुलगे (उदगीर) 9923440540
🟡विनय शर्मा ( अयोध्या)09235712271
🟢करुणेश कर्ण (पटना)+91 98522 84595
🟣विजय गंगवार (गोंदिया) 8007682508, 9404592022
🟠 कार्यालय भोपाल +917554269368



13 मार्च 2024

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी

 




अघोरेश्वरम महासिद्ध रूपं,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव ।

अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

 

प्रचंडातिचंडम शिवानंद कंदम,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव । 

प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

 

सुदर्शनोत्वम परिपूर्णरूपम,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव ।

सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

ब्रह्मांड रूपम, गूढ़ातिगूढ़म,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव ।

जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

 

योगेश्वरोत्वम, कृष्ण स्वरूपम,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव ।

 

जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

 

महाकाल तत्वम, घोरतिघोरम,

निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम सदैव ।

काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


गुरु वचनामृत

10 फ़रवरी 2024

माघ गुप्त नवरात्रि 2024 : देवी साधनायें करने का विशेष मुहूर्त

 माघ गुप्त नवरात्रि 2024 : देवी साधनायें करने का विशेष मुहूर्त 

इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से 18 फरवरी 2024 तक है ।.

इस अवसर पर कुछ मंत्र तथा विधियाँ जो गृहस्थ आसानी से कर सकें वह इस धारावाहिक " देवी साधनायें" के माध्यम से प्रस्तुत है ।.

यथासंभव विधियों को सरल रखा गया है ताकि सामान्य गृहस्थ भी इन साधनाओं को कर सकें,  ।

पूर्ण शास्त्रीय विधि विधान से करने के इच्छुक साधक/ पाठक अपने गुरुदेव से प्राप्त करें या किसी प्रामाणिक ग्रंथ से विधि देख लें ।


यदि आप गृहस्थ में रहकर सात्विक विधियों से साधना करने के इच्छुक हैं तो आप गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डा साधना सिंह जी से भोपाल जाकर दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं और अपनी समस्याओं के अनुसार मंत्र प्राप्त करके उसके जाप से अनुकूलता प्राप्त कर सकते हैं .

साधना सिद्धि विज्ञान 
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
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25 दिसंबर 2023

भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर

भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर 


भक्त प्रह्लाद ने जब रक्षा के लिए भगवान विष्णु की अभ्यर्थना की तब वे नरसिंह के स्वरूप में प्रकट हुए थे । उनका आधा शरीर सिंह का था और आधा शरीर मनुष्य का था । उनके उसे विकराल स्वरूप को देखकर पूरी सृष्टि दहल गई थी । हिरण्यकश्प का वध कर देने के बाद भी भगवान नरसिंह की उग्रता शांत नहीं हो पा रही थी । उनके क्रोध और उनके जाज्वल्यमान रूप को देखकर सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच रहा था !

जैसा की समान्यतः होता है जब कोई स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो एक ही देवता याद आते हैं .....
और वह है देवाधिदेव महादेव !
सभी देवताओं ने भगवान महादेव की शरण ली और उनसे इस संकट से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना की । उन्होंने तुरंत ही एक अत्यंत प्रचंड और विकराल स्वरूप धारण किया । जिसे उनका शरभेश्वर स्वरूप कहा गया है ।


इस रूप में उनका मुख मंडल गरुड़ पक्षी की तरह है । देह सिंह की तरह और उनके दो पंख भी लगे हुए हैं ।
उनका यह स्वरूप इतना विकराल था कि जब वे भगवान नरसिंह के सामने प्रकट हुए तो स्वयं आवेशित नरसिंह हतप्रभ रह गए । उसके बाद भगवान शरभेश्वर ने नरसिंह स्वरूप को अपने पंजों में दबोचा और ब्रह्मांड का चक्कर लगा दिया । इस प्रकार चक्कर लगा लेने से भगवान नरसिंह की उग्रता शांत होकर नियंत्रित हो गई...
इस प्रकरण के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं या यूं कहा जाए कि इसका उल्लेख कम किया जाता है ....
भगवान शरभेश्वर एक अत्यंत गुप्त और तांत्रिक देवता है । उनकी आराधना, उनकी साधना करने वाले लोग नहीं के बराबर है ।
अगर आपके घर मे भगवान शरभ का कवच है, विग्रह है और आप नित्य उनका मंत्र जाप करते हैं तो वह आपके पूरे घर और परिवार को कवचित रखता है ।
यह साधना आपको अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा प्रदान करने मे समर्थ है !
विभिन्न प्रकार की रोग बाधाओं और तंत्र बाधाओं को यह समाप्त कर देती है ।
आपके आभामंडल को यह प्रबल बनाती है, जिससे लोग आपसे प्रभावित होने लगते हैं, या यूं कह लीजिये आपके अनुकूल होने लगेंगे ।
सेना, पुलिस जैसे जान जोखिम वाले कार्य करने वालों के लिए यह साधना अद्भुत रक्षाकारक परिणाम देती है ।
इसके अलावा भगवान शरभेश्वर की साधना उन लोगों को अवश्य करनी चाहिए जो किसी भी तरह से लोगों के कष्ट निवारण के लिए तंत्र साधना या प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं, दूसरों का कल्याण करना चाहते हैं, भूत प्रेत बाधा से मुक्त करवाना चाहते हैं, उन सभी के लिए यह साधना सर्वश्रेष्ठ साधना है ।
एक तांत्रिक के रूप मे इस साधना को सिद्ध कर लेने के बाद इस ब्रह्मांड की शायद ही कोई शक्ति हो जिसे आप नियंत्रित न कर सकें......
यहां तक कि आपके स्पर्श मात्र से भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति सामान्य हो जाए, इतनी क्षमता यह दिव्य साधना आपको प्रदान कर सकती है ।

मंत्र तो आपको किताब से मिल जाएँगे । लेकिन इस साधना में दिक्कत यह है कि इस साधना के गोपनीय सूत्रों को प्रदान करने की क्षमता केवल उसी साधक या गुरु में होती है जिसने स्वयं भगवान शरभेश्वर की साधना सम्पन्न की हो..... और उनके आशीर्वाद को प्राप्त किया हो ।


गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी एक ऐसे ही प्रचंड साधक हैं, जिन्होंने न सिर्फ उनकी साधना सम्पन्न की है, बल्कि उनके अति दुर्लभ विग्रह को निखिलधाम, भोपाल मे स्थापित भी किया है । भगवान शरभ का मंदिर स्थापित करना एक अत्यंत जटिल तांत्रिक क्रिया है । इसीलिए पूरे भारत मे आपको गिनती के शरभ मंदिर मिलेंगे । निखिलधाम का शरभेश्वर मंदिर इतना प्रचंड है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.....
इसका अनुभव आप तभी कर सकते हैं जब निशाकाल मे गुरुदेव के सानिध्य मे आप वहाँ उपस्थित हो सकें ।
आज से लगभग आठ साल पहले मैंने गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से यह दीक्षा प्राप्त की थी और मुझे ऐसे ऐसे अनुभव हुए, जो अद्भुत थे .... यह एक प्रकार से साधक के अंदर शिवत्व जागृत करने की साधना है ......
जिसके बाद वह उद्घोष कर उठता है.....
शिवो S हम......



गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी इस नव वर्ष के अवसर पर इस अद्भुत साधना और दीक्षा को प्रदान करने का मानस आठ साल के बाद फिर से बना रहे हैं । उन्होंने इसके लिए इस बार 31 दिसंबर और 1 जनवरी को निखिलधाम, भोजपुर, भोपाल मध्यप्रदेश ( संपर्क फोन 07554269368 ) में
नववर्ष साधना शिविर आयोजित किया हुआ है । उसमे भाग लेकर आप इस अभूतपूर्व साधना को प्राप्त कर सकते हैं ....

यहां पर मैं आपको यह बताना जरूरी समझूंगा कि आज से लगभग 7-8 साल पहले उन्होंने एक बार यह दीक्षा और प्रयोग संपन्न करवाया था । उसके बाद एक लंबे अंतराल के बाद वे पुनः इस प्रयोग को संपन्न करवा रहे हैं । जो साधक इसका लाभ उठाना चाहते हैं वे इस अवसर का लाभ उठा लें.... क्योंकि हो सकता है कि इसकी दीक्षा और प्रयोग का अगला अवसर फिर से 8-10 साल के बाद ही आए.....
भगवान शरभेश्वर दीक्षा आपको सभी प्रकार से कवचित कर देती है ! क्योंकि जो नरसिंह जैसे उग्रतम देवता को दबोच ले उससे बड़ा कवच क्या हो सकता है ।
सर्वेश्वर दीक्षा प्राप्त व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार का तंत्र प्रयोग असर नहीं करता । यदि आप नित्य एक माला उनके मंत्र का जाप करते रहते हैं तो आपके आसपास एक ऐसा रक्षा कवच बन जाता है, जिसको तोड़कर आपको नुकसान पहुंचाने की क्षमता किसी भी इतर योनि में या किसी भी शक्ति में नहीं होती.....
क्योंकि.....
भगवान शरभेश्वर के नाम से ही बाकी सारे देवी देवता थरथर काँपते हैं, क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रचंड और सबसे उग्र रूप है .....
आप भी जानते हैं कि जब देवाधिदेव महादेव अपने प्रचंड संहारक रूप में आ जाते हैं तो उसके बाद सृष्टि में प्रलय प्रारंभ हो जाता है..... और उनके सामने कोई खड़ा ही नहीं हो सकता !
ऐसी अद्भुत साधना और दीक्षा को प्राप्त करने के लिए आप अगर इच्छुक हैं तो कोशिश करिए कि इस नव वर्ष के अवसर पर भोपाल पहुंचे और गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से इस दीक्षा को और इस प्रयोग को प्राप्त करें !
नित्य मंत्र जाप करें !!
साल दो साल के अंदर आपको ऐसे ऐसे अनुभव होंगे जिसके विषय में आपने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा होगा ।
बस आप इतना समझ लीजिए कि यह साधनाओं का सिरमौर है !
अद्भुत है !!
दुर्लभ है !!!
और.....
इसे प्राप्त करना जीवन का सौभाग्य है !

21 अक्तूबर 2023

शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर

 शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर

हम सब गृहस्थ हैं । गृहस्थ व्यक्ति संसार छोडकर नहीं बैठा है । उसकी पत्नी है , पुत्र है , पुत्री है, माता है , पिता है , भाई है, बहन है , बंधु बांधव हैं । कुल मिलाकर उसके आसपास संबंधों का एक लंबा चौड़ा संसार है । जिसमें उसे कई प्रकार से धन की, लक्ष्मी की, आवश्यकता पड़ती है । अगर व्यवसाय है, तो वह चाहता है कि उसके पास ज्यादा ग्राहक आयें । उसका सामान ज्यादा बिके । उसे ज्यादा फायदा हो .... ऐसा चाहने में कुछ गलत भी नहीं है ।
अगर युवा है तो वह विविध प्रकार के भोग की इच्छा रखता है । विवाहित है, तो पत्नी के साथ भोग की इच्छा रखता है ; अगर आप उसे ब्रह्मचर्य रखने के लिए कहें तो वह उसके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है ।
ऐसी स्थिति में आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अपनी भोग की इच्छा की वजह से थोड़ा झिझक जाता है ; लेकिन सनातन धर्म में विशेष रूप से तंत्र साधनाओं में कई ऐसी विद्याएं हैं,जो भोग भी प्रदान करती है और आध्यात्मिक शक्तियां भी प्रदान करती है ।
इनमें सबसे प्रमुख है श्री विद्या या महाविद्या षोडशी त्रिपुर सुंदरी !
इनके विषय मे कहा गया है कि :-
श्री सुंदरी साधन तत्पराणाम्‌ ,
भोगश्च मोक्षश्च करस्थ एव
अर्थात जो साधक श्री विद्या त्रिपुरसुंदरी साधना के लिए प्रयासरत होता है, उसके एक हाथ में सभी प्रकार के भोग होते हैं, तथा दूसरे हाथ में पूर्ण मोक्ष होता है । ऐसा साधक समस्त प्रकार के भोगों का उपभोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है । ऐसा भी कहा जा सकता है कि यह एकमात्र ऐसी साधना है जो एक साथ भोग तथा मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है ।

श्री विद्या की साधना करने के इच्छुक गृहस्थ साधकों के लिए 27-28 अक्तूबर 2023 को निखिलधाम, भोपाल मे श्री विद्या से संबन्धित शिविर का आयोजन गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी और गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य मे किया जा रहा है ।


आप 26 और 27 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी समस्याओं से संबन्धित दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।

28 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता के द्वारा श्री विद्या का विशेष पूजन सम्पन्न होगा जो रात 9 बजे तक चलेगा । इस दौरान लक्ष्मी के विशिष्ट स्वरूपों और श्री विद्या का विशेष पूजन संपन्न करवाया जाएगा जो आर्थिक अनुकूलता के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।


कई पाठकों ने आर्थिक तंगी, व्यापार न चलने जैसे विषयों पर साधनात्मक समाधान की आवश्यकता बताई थी । मेरा निजी अनुभव है कि श्री विद्या से संबन्धित दीक्षा और मंत्र जाप आर्थिक उन्नति प्रदान करता ही है, चाहे आप किसी भी क्षेत्र मे हों ।
शरद पूर्णिमा ऐसे भी लक्ष्मी और श्री साधनाओं का सिद्ध मुहूर्त है और इस बार तो चंद्रग्रहण से युक्त भी है इसलिए इसका प्रभाव हजार गुना बढ़ जाएगा ।
इस अवसर का आप भी लाभ उठा सकते हैं और आर्थिक अनुकूलता के लिए श्री विद्या की दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
संपर्क करें :-
साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय
जैस्मिन – 429,
न्यू मिनाल रेसिडेंसी,
जे.के.रोड, भोपाल,म.प्र.
फोन- 0755-4269368

आप महाविद्या साधक परिवार के वीडियो यूट्यूब पर देख कर साधनात्मक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ।
https://www.youtube.com/c/mahavidhyasadhakpariwar

किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें :-
http://namobaglamaa.org/


14 जुलाई 2023

तिरूपति बालाजी के अनसुने रहस्य : गुरुदेव सुदर्शन नाथ जी के श्री मुख से

तिरुपति बालाजी एक अद्भुत और रहस्यमय देवता हैं । 
आज चंद्रयान -3 की सफल लांचिंग हुई है । शायद आप भी जानते होंगे कि इसरो जब भी कोई रॉकेट प्रक्षेपित करता है तो उसकी एक प्रतिकृति भगवान तिरुपति बालाजी के श्री चरणों मे समर्पित की जाती है । अब आप ही देख लीजिये इसरो के आज के रॉकेट का सफल प्रक्षेपण का प्रतिशत 100 है ..... 
उनके रहस्यों के विषय मे बहुत कम सिद्ध योगी जानते हैं ।  
उनके विषय मे कई रहस्यमय और गोपनीय तथ्यों को गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने उजागर किया है । 

12 जुलाई 2023

गुरु पूर्णिमा पर गुरुपूजन की सरल विधि

  

गुरु पूर्णिमा पर गुरुपूजन की सरल विधि

 

गुरु पूजन की एक सरल विधि प्रस्तुत है ।

जिसका उपयोग आप दैनिक पूजन में भी कर सकते हैं ।

 

सबसे पहले अपने सदगुरुदेव को हाथ जोडकर प्रणाम करे

 

ॐ गुं गुरुभ्यो नम:

 

गणेश भगवान का स्मरण करें तथा उन्हें प्रणाम करें

 

ॐ श्री गणेशाय नम:

 

सृष्टि की संचालनि शक्ति भगवती जगदंबा के 10 स्वरूपों को महाविद्या कहा जाता है । उन को हृदय से प्रणाम करें तथा पूजन की पूर्णता की हेतु अनुमति मांगें ।

 

ॐ ह्रीं दशमहाविद्याभ्यो नम:

 

गुरुदेव का ध्यान करे

 

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।

गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: ॥

ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं ।

मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा ॥

 

गुरुकृपाहि केवलम ।

गुरुकृपाहि केवलम ।

गुरुकृपाहि केवलम ।

 

श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि ।

 

अब ऐसी भावना करें कि गुरुदेव (अंडरलाइन वाले जगह पर अपने गुरु का नाम लें ) आपके हृदय कमल के ऊपर विराजमान हो ।

 

श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम: ॥

 

 

 

सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे और पूजन के बाद गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का भी पाठ अवश्य करे ..

 

कई बार हमारे पास सामग्री उपलब्ध नहीं होती ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से पूजन संपन्न किया जा सकता है इसके लिए विभिन्न प्रकार की मुद्राएं उंगलियों के माध्यम से प्रस्तुत की जाती हैं जिसको उस सामग्री के अर्पण के समान ही माना जाता है ।

 

मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामग्री से पूजन करते समय उचित सामग्री का उपयोग करे

 

अंगूठे और छोटी उंगली को स्पर्श कराकर कहें

ॐ " लं " पृथ्वी तत्वात्मकं गंधं समर्पयामि ॥

 

अंगूठे और पहली उंगली को स्पर्श कराकर कहें

ॐ " हं " आकाश तत्वात्मकं पुष्पम समर्पयामि ॥

 

अंगूठे और पहली उंगली को स्पर्श कराकर धूप मुद्रा दिखाकर मानसिक रूप से समर्पित करें

ॐ " यं " वायु तत्वात्मकं धूपं समर्पयामि ॥

 

दीपक उपलब्ध हो तो दीपक दिखाएं और ना हो तो मानसिक रूप से अंगूठे और बीच वाली उंगली को स्पर्श करके दीपक मुद्रा का प्रदर्शन करते हुए ऐसा भाव रखें कि आप गुरुदेव को दीपक समर्पित कर रहे हैं ।

ॐ " रं " अग्नि तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि ॥

 

प्रसाद हो तो उसे अर्पित करें और ना हो तो मानसिक रूप से प्रसाद या नैवेद्य अर्पित करने के लिए अंगूठे और अनामिका अर्थात तीसरी उंगली या रिंग फिंगर को स्पर्श करके वह मुद्रा गुरुदेव को दिखाते हुए मानसिक रूप से प्रसाद अर्पित करें ।

ॐ " वं " जल तत्वात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:

 

अब सारी उंगलियों को जोड़कर गुरुदेव के चरणों में तांबूल या पान अर्पित करें ।

ॐ " सं " सर्व तत्वात्मकं तांबूलं समर्पयामि श्री गुरवे नम:

 

अब हाथ जोडकर गुरु पंक्ति का पूजन करे ।

इसमें नमः बोलकर आप सिर्फ हाथ जोड़कर नमस्कार कर सकते हैं....

या फिर चावल चढ़ा सकते हैं....

या पुष्प चढ़ा सकते हैं.....

या फिर जल चढ़ा सकते हैं ।

 

ॐ गुरुभ्यो नम: ।

ॐ परम गुरुभ्यो नम: ।

ॐ परात्पर गुरुभ्यो नम: ।

ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम: ।

ॐ दिव्यौघ गुरुपंक्तये नम: ।

ॐ सिद्धौघ गुरुपंक्तये नम: ।

ॐ मानवौघ गुरुपंक्तये नम: ।

 

अब गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का पाठ करे ..

गुरुपादुका पंचक स्तोत्र

ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां

नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां

आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां

नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! १ !!

 

ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त

श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या

ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां

नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! २ !!

 

होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ

होमादि सर्वाकृति भासमानं

यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां

नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ३ !!

 

अनंत संसार समुद्रतार

नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां

जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां

नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ४ !!

 

कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां

विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां

बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां

नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ५ !!

 

अब एक आचमनी जल मे चंदन मिलाकर अर्घ्य दे या मानसिक स्तर पर ऐसा भाव करें कि आपने जल में चंदन मिलाया है और उसे गुरु चरणों में समर्पित कर रहे हैं ..

 

ॐ गुरुदेवाय विदमहे परम गुरवे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ।

 

अब गुरुमंत्र का यथाशक्ती जाप करे

आप अपने गुरु के द्वारा प्राप्त मंत्र का जाप कर सकते हैं या फिर निम्नलिखित गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं ।

॥ ॐ गुरुभ्यो नमः ॥

 

अंत मे जप गुरुदेव को अर्पण करे

ॐ गुह्याति गुह्यगोप्तात्वं गृहाणास्मत कृतं जपं सिद्धिर्भवतु मे गुरुदेव त्वतप्रसादान्महेश्वर !!

 

अब एक आचमनी जल अर्पण करे मन में भाव रखें कि हे गुरुदेव मैं यह पूजन आपके चरणों में समर्पित कर रहा हूं और आप मुझ पर कृपालु होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करें ।

 

अनेन पूजनेन श्री गुरुदेव प्रीयंता मम !!

दोनों कान पकड़कर पूजन में हुई किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करते हुए कहे

 

क्षमस्व गुरुदेव ॥

क्षमस्व गुरुदेव ॥

क्षमस्व गुरुदेव ॥