27 अक्तूबर 2018

भगवती लक्ष्मी का बीज मन्त्र


भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....

इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है...............




॥  श्रीं ॥


  • भगवती लक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
  • गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.
  • न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
  • अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
  • विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
  •  
  • रात्रि ९ से ५ के बीच 108 माला या यथा शक्ति जाप करें.
  • क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।



26 अक्तूबर 2018

षोडशी त्रिपुर सुन्दरी महाविद्या


॥ ह्रीं क ए इ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॥



लाभ - सर्व ऐश्वर्य प्रदायक साधना है.

विधि ---
  • माघ मास/नवरात्रि में जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • गुलाबी रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.



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24 अक्तूबर 2018

भगवती लक्ष्मी


॥  ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा लक्ष्मै नमः ॥


  • भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
  • गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
  • अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
  • विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
  •  रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
  • क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।

भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....

इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...

23 अक्तूबर 2018

पद्मावती स्तोत्रं

पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है 
जैन संप्रदाय 
और उनकी अधिष्टात्री देवी है 
देवी पद्मावती 

दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धान्य सुतान्वदै  च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||

ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||

धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं, परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं  , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

सन्यस्त रूपमपरम पूर्णम गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमलत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||


विधि :-


  1. सबसे पहले  तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः "  मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  2. इस स्तोत्र को शरद पूर्णिमा या दीपावली  के दिन 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  3. या इसे किसी माह की पूर्णिमा से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें | नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  4. सात्विक आहार /विचार /व्यवहार  रखें |
  5. क्रोध ना करें |
  6. किसी स्त्री का अपमान ना करें |
  7. जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
  8. लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
  9. घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
  10. फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  11. घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
  12.  इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |

कनकधारा स्तोत्रम




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11 अक्तूबर 2018

तारा साधना


तारा साधना मंत्रम
तारा साधना जीवन का सौभाग्य है। 
यह साधना मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
शक्ति साधकों के लिए गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ने तारा शाक्त मन्त्र नवरात्री शिविर 1995 कराला में प्रदान किया था. यह साधना आर्थिक लाभ प्रदायक है .


·      यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.

·      भगवती तारा महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप करें। कम ज्यादा जाप ना करें  

  • ·      सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
  • ·      भगवती तारा अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने शिशु को ले जाती है.

|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तारायै नमः ||
·      इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
·      साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
·      रात्रिकालीन साधना है |
·      उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
·      एकांत कमरा होना चाहिए साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये |
·      दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप करते रहें .

·         



10 अक्तूबर 2018

तारा मंत्रम





  • तारा काली कुल की महविद्या है । 

  • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

  • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

  • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

  • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है । 

  • नवरात्रि तथा ज्येष्ठ मास तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।







तारा मंत्रम

 ॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥






  1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
  3. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  4. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  5. यथासंभव एकांत वास करें.
  6. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
  7. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  9. क्रोध और बकवास ना करें.
  10. साधना को गोपनीय रखें.


प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

9 अक्तूबर 2018

प्रत्यंगिरा साधना

मनुष्य का जीवन लगातार विविध संघर्षों के बीच बीतता है संघर्ष कई प्रकार के होते हैं और समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं । कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब व्यक्ति समस्याओं और बाधाओं के बीच बुरी तरह से घिर जाता है और उसे आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है ।




साधना के क्षेत्र में वह सर्वश्रेष्ठ साधना जो  ऐसी विपरीत परिस्थिति में साधक को चक्रव्यू से निकालकर विजयी बनाती है वह साधना है प्रत्यंगिरा साधना ।
प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना होती है और इस साधना की काट केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं प्रत्यंगिरा साधना कर रखी हो ।

प्रत्यंगिरा साधना करने की अनुमति साधक को अपने गुरु से लेनी चाहिए क्योंकि इस साधना में साधक को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिस में सफलता प्राप्त करने के लिए सतत गुरु का मार्गदर्शन वह भी सक्षम गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य होता है ।
प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है जिसमें से सबसे प्रमुख है 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा एक ऐसी साधना है जो हर प्रकार के तंत्र प्रयोग को वापस लौटाने में सक्षम है और विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा लौटाई गई तांत्रिक शक्तियां गलत कर्म करने वाले साधक को उचित दंड अवश्य देती है


शिव प्रत्यंगिरा
काली प्रत्यंगिरा

विष्णु प्रत्यंगिरा

गणेश प्रत्यंगिरा

नरसिंह प्रत्यंगिरा 

सहित विभिन्न दैवीय शक्तियों की प्रत्यंगिरा विद्याएं हैं  जो आप सक्षम गुरु से प्राप्त करके साधना को संपन्न कर सकते हैं  ।

यहां विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना में गिनी जाती है, इसलिए छोटे बच्चे , बालिकाएं , महिलाएं और कमजोर मानसिक स्थिति वाले पुरुष तथा साधक साधना को गुरु के सानिध्य में उनकी अनुमति से ही संपन्न  करें ।

8 अक्तूबर 2018

महाविद्या बगलामुखी दीक्षा


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

तथा

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


 तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से 


भगवती बगलामुखि दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
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न्यू मिनाल रेजीडेंसी
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भोपाल [म.प्र.] 462011
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विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें :-
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यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना  सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना,  अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
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7 अक्तूबर 2018

धूमावती महाविद्या

नवरात्रि में महाविद्यायें जागृत और चैतन्य हो जाती हैं.
महाविद्याओं में सबसे उग्रतम विद्या है धूमावती...
इनका स्वरूप बहुत ही उग्र तथा सब कुछ भक्षण कर लेने को आतुर है.. 
ये अपने साधक की सभी प्रकार की बाधायें चाहे वे किसी भी प्रकार की हों भक्षण कर जाती हैं.....





॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


नवरात्रि में जाप करें.


ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 


यथा संभव मौन रहें. 


अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 


किसी स्त्री का भूलकर भी अपमान ना करें.

सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 


बेसन के पकौडे का भोग लगायें. 


भोग पर्याप्त मात्रा में होना चाहिये. 

कम से कम एक पाव बेसन के पकौडे चढायें.

इसमें से आपको नही खाना है.

जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.


११००० जाप करें. 


नवमी को मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर ११०० मंत्रों से हवन करें.

हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.

जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

6 अक्तूबर 2018

महाकाली साधना

महाकाली साधना हर नियम हर तर्क और हर व्याख्या से परे है इसलिए निम्नलिखित मन्त्रों का जाप आप अपनी श्रद्धानुसार जैसा बन सके वैसा करें , श्रद्धानुसार आपको महामाया महाकाली की कृपा प्राप्त होगी.

|| क्रीं ||


|| ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ||


|| ॐ क्लीं क्लीं क्लीं कृष्णाये नमः ||



|| हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं कालिकाये ह्रीं ह्रीं हूँ हूँ नमः ||


5 अक्तूबर 2018

नवार्ण महामंत्र



नवार्ण महामंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महादुर्गे नवाक्षरी नवदुर्गे नवात्मिके नवचंडी महामाये महामोहे महायोगे निद्रे जये मधुकैटभ विद्राविणि महिषासुर मर्दिनी धूम्रलोचन संहंत्री चंड मुंड विनाशिनी रक्त बीजान्तके निशुम्भ ध्वंसिनी शुम्भ दर्पघ्नी देवि अष्टादश बाहुके कपाल खट्वांग शूल खड्ग खेटक धारिणी छिन्न मस्तक धारिणी रुधिर मांस भोजिनी समस्त भूत प्रेतादी योग ध्वंसिनी ब्रह्मेंद्रादी स्तुते देवि माम रक्ष रक्ष मम शत्रून नाशय ह्रीं फट ह्वुं फट ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे ||
  1. नवरात्री में १००८ पाठ करके सिद्ध कर लें |
  2. उसके बाद रक्षा सहित विभिन्न प्रयोगों में उपयोग कर सकते हैं |

4 अक्तूबर 2018

भगवती कामाख्या


भगवती कामाख्या 
मूल शक्ति हैं




 जो सभी साधनाओं का मूल हैं ।
 
॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥


विशिष्ट  निर्देश :-
1.        साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
2.        साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
3.        भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं । इस साधना को  कम से कम ५  वर्षों तक लगातार करते रहैं |
4.        यह साधना विवाहित साधकों को ही करनी चाहिए । 
5.        यह साधना पति पत्नी एक साथ करें तो ज्यादा लाभ होगा। 
6.        इस साधना में दिशा /आसन/वस्त्र /संख्या का महत्व नहीं है
7.        जाप गौरीशंकर रुद्राक्ष की माला से किया जाये तो सर्व श्रेष्ट है ना हो तो पञ्चमुखी रुद्राक्ष या किसी भी रुद्राक्ष की माला  स्वीकार्य  है |



  • यह साधना गुरु की अनुमति से ही करें। 
  • साधना नियमित रूप से करें। 
  • जाप के दौरान बकवास और बेवजह का प्रलाप चुगली आदि ना करें|
  • किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |           
  • साधना काल में किसी के बारे में बुरा न बोले। भविष्यवाणी न करें। 
.

3 अक्तूबर 2018

श्री सूक्तम




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2 अक्तूबर 2018

सरस्वती साधना




॥ ऎं श्रीं ऎं ॥ 


लाभ - विद्या तथा वाकपटुता 


विधि ---

पूणिमा से पूर्णिमा तक सवा लाख जाप करें |
रात्रि में जाप करें.
रात्रि काल में जाप होगा.
रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
किसी स्त्री का अपमान न करें.
किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
यथा संभव मौन रखें.
साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.