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11 अक्तूबर 2023

रोगनाशक महाकाली मंत्र

 

 

 

  

  


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

आप इसे अपने परिवार के किसी सदस्य के स्वस्थ्य लाभ के लिए भी कर सकते हैं । 
इसके लिए आप नवरात्रि / शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हाथ मे जल लेकर संकल्प कर लें :-

मैं (अपना नाम बोलें ), यथा शक्ति, यथा ज्ञान [यानि जितनी मेरी शक्ति है जितना मेरा ज्ञान है उतना ] अमुक (रोगी का नाम ) के स्वस्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए महाकाली रोग निवारण मंत्र के (जाप संख्या बोलें ) जाप का संकल्प लेता हूँ । महा माया महाकाली मेरी त्रुटियों को क्षमा करें और प्रसन्न होकर अमुक (रोगी का नाम ) को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । 

  1. इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें । 
  2. रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें । 
  3. जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं । 
  4. जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है । 
  5. ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
  6. आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।  
  7. रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें । 
  8. पूर्णिमा तक आपको जाप करना है । 
  9. पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें । 
  10. एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें । 
  11. अगली पूर्णिमा को उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें । 

30 जुलाई 2023

सर्वरोग निवारक गोपनीय महामृत्युंजय मंत्र

   ||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||


  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • क्षमतानुसार जाप करें.

18 जुलाई 2023

महामृत्युंजय स्तोत्र

महामृत्युंजय स्तोत्र

मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है । 

इसका आप नित्य पाठ कर सकते हैं । 


ॐ रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकंठमुमापतिम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १ ॥


नीलकंठं कालमूर्तिं कालज्ञं कालनाशनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ २ ॥


नीलकंठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ३ ॥


वामदॆवं महादॆवं लॊकनाथं जगद्गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ४ ॥


दॆवदॆवं जगन्नाथं दॆवॆशं वृषभध्वजम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ५ ॥

गंगाधरं महादॆवं सर्पाभरणभूषितम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ६ ॥


त्र्यक्षं चतुर्भुजं शांतं जटामुकुटधारणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ७ ॥


भस्मॊद्धूलितसर्वांगं नागाभरणभूषितम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ८ ॥


अनंतमव्ययं शांतं अक्षमालाधरं हरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ९ ॥


आनंदं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १० ॥


अर्धनारीश्वरं दॆवं पार्वतीप्राणनायकम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ११ ॥


प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १२ ॥


व्यॊमकॆशं विरूपाक्षं चंद्रार्द्ध कृतशॆखरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १३ ॥


गंगाधरं शशिधरं शंकरं शूलपाणिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १४ ॥


अनाथं परमानंदं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १५ ॥


स्वर्गापवर्ग दातारं सृष्टिस्थित्यांतकारिणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १६ ॥


कल्पायुर्द्दॆहि मॆ पुण्यं यावदायुररॊगताम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १७ ॥


शिवॆशानां महादॆवं वामदॆवं सदाशिवम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १८ ॥


उत्पत्ति स्थितिसंहार कर्तारमीश्वरं गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १९ ॥


फलश्रुति

मार्कंडॆय कृतं स्तॊत्रं य: पठॆत्‌ शिवसन्निधौ । 

तस्य मृत्युभयं नास्ति न अग्निचॊरभयं क्वचित्‌ ॥ २० ॥


शतावृतं प्रकर्तव्यं संकटॆ कष्टनाशनम्‌ । 

शुचिर्भूत्वा पठॆत्‌ स्तॊत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्‌ ॥ २१ ॥


मृत्युंजय महादॆव त्राहि मां शरणागतम्‌ । 

जन्ममृत्यु जरारॊगै: पीडितं कर्मबंधनै: ॥ २२ ॥


तावकस्त्वद्गतप्राणस्त्व च्चित्तॊऽहं सदा मृड । 

इति विज्ञाप्य दॆवॆशं त्र्यंबकाख्यममं जपॆत्‌ ॥ २३ ॥


नम: शिवाय सांबाय हरयॆ परमात्मनॆ । 

प्रणतक्लॆशनाशाय यॊगिनां पतयॆ नम: ॥ २४ ॥



॥ इति श्री मार्कंडॆयपुराणॆ महा मृत्युंजय स्तॊत्रं संपूर्णम्‌ ॥


9 जुलाई 2023

गुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी की आवाज मे अकाल मृत्यु निवारक मंत्र ।

  गुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी की आवाज मे अकाल मृत्यु निवारक मंत्र ।

इस मंत्र को निरंतर सुनते रहने से अकाल मृत्यु तथा रोग निवारण मे लाभदायक है ।



26 अप्रैल 2023

महाकाली का रोगनाशक मंत्र

 

 

  

  


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

आप इसे अपने परिवार के किसी सदस्य के स्वस्थ्य लाभ के लिए भी कर सकते हैं । 
इसके लिए आप नवरात्रि / शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हाथ मे जल लेकर संकल्प कर लें :-

मैं (अपना नाम बोलें ), यथा शक्ति, यथा ज्ञान [यानि जितनी मेरी शक्ति है जितना मेरा ज्ञान है उतना ] अमुक (रोगी का नाम ) के स्वस्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए महाकाली रोग निवारण मंत्र के (जाप संख्या बोलें ) जाप का संकल्प लेता हूँ । महा माया महाकाली मेरी त्रुटियों को क्षमा करें और प्रसन्न होकर अमुक (रोगी का नाम ) को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । 

  1. इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें । 
  2. रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें । 
  3. जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं । 
  4. जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है । 
  5. ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
  6. आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।  
  7. रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें । 
  8. पूर्णिमा तक आपको जाप करना है । 
  9. पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें । 
  10. एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें । 
  11. अगली पूर्णिमा को उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें । 

13 फ़रवरी 2023

महा मृत्युंजय स्तॊत्रं

  महामृत्युंजय स्तोत्र

मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है । 

इसका आप नित्य पाठ कर सकते हैं । 


ॐ रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकंठमुमापतिम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १ ॥


नीलकंठं कालमूर्तिं कालज्ञं कालनाशनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ २ ॥


नीलकंठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ३ ॥


वामदॆवं महादॆवं लॊकनाथं जगद्गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ४ ॥


दॆवदॆवं जगन्नाथं दॆवॆशं वृषभध्वजम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ५ ॥

गंगाधरं महादॆवं सर्पाभरणभूषितम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ६ ॥


त्र्यक्षं चतुर्भुजं शांतं जटामुकुटधारणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ७ ॥


भस्मॊद्धूलितसर्वांगं नागाभरणभूषितम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ८ ॥


अनंतमव्ययं शांतं अक्षमालाधरं हरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ९ ॥


आनंदं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १० ॥


अर्धनारीश्वरं दॆवं पार्वतीप्राणनायकम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ११ ॥


प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १२ ॥


व्यॊमकॆशं विरूपाक्षं चंद्रार्द्ध कृतशॆखरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १३ ॥


गंगाधरं शशिधरं शंकरं शूलपाणिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १४ ॥


अनाथं परमानंदं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १५ ॥


स्वर्गापवर्ग दातारं सृष्टिस्थित्यांतकारिणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १६ ॥


कल्पायुर्द्दॆहि मॆ पुण्यं यावदायुररॊगताम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १७ ॥


शिवॆशानां महादॆवं वामदॆवं सदाशिवम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १८ ॥


उत्पत्ति स्थितिसंहार कर्तारमीश्वरं गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १९ ॥


फलश्रुति

मार्कंडॆय कृतं स्तॊत्रं य: पठॆत्‌ शिवसन्निधौ । 

तस्य मृत्युभयं नास्ति न अग्निचॊरभयं क्वचित्‌ ॥ २० ॥


शतावृतं प्रकर्तव्यं संकटॆ कष्टनाशनम्‌ । 

शुचिर्भूत्वा पठॆत्‌ स्तॊत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्‌ ॥ २१ ॥


मृत्युंजय महादॆव त्राहि मां शरणागतम्‌ । 

जन्ममृत्यु जरारॊगै: पीडितं कर्मबंधनै: ॥ २२ ॥


तावकस्त्वद्गतप्राणस्त्व च्चित्तॊऽहं सदा मृड । 

इति विज्ञाप्य दॆवॆशं त्र्यंबकाख्यममं जपॆत्‌ ॥ २३ ॥


नम: शिवाय सांबाय हरयॆ परमात्मनॆ । 

प्रणतक्लॆशनाशाय यॊगिनां पतयॆ नम: ॥ २४ ॥



॥ इति श्री मार्कंडॆयपुराणॆ महा मृत्युंजय स्तॊत्रं संपूर्णम्‌ ॥


2 फ़रवरी 2023

सर्वरोग निवारक गोपनीय महामृत्युंजय मंत्र

  ||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||


  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • क्षमतानुसार जाप करें.

4 अगस्त 2021

रोग निवारक पाशुपत मंत्र

 रोग निवारक पाशुपत मंत्र


मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी के द्वारा प्रदान किए गए पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं ।  यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप आदि शंकराचार्य के द्वारा भगवान पशुपति की आराधना के लिए प्रयुक्त हुआ था .... इसलिए यह बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है । 

यह शिव के अवतार द्वारा अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥ 


यह एक ऐसा अचूक मंत्र है जो सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने में सहायक है.... 


इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं । आपकी पत्नी कर सकती है, आपके बच्चे कर सकते हैं । आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं जो भगवान शिव पर और सनातन धर्म में आस्था रखते हो.... 


पाशुपत मंत्र :- 


॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥ 



विधि :-

मंत्र जाप से पहले 3 ,11, 21,51 या 108 बार गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले । 






॥ ॐ गुरु मंडलाय नमः ॥ 


इसके बाद आप पशुपत मंत्र का जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।


पशुपति मंत्र के जाप के लिए किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।


भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का बंधन भी नहीं है । अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं । 


इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं । नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं । इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं । इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में, अपने ऑफिस में ,अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं, 


शर्त यही है कि

आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो, बाकी वह देख लेंगे।


29 जुलाई 2021

महामृत्युंजय स्तोत्र

 महामृत्युंजय स्तोत्र

मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है । 

इसका आप नित्य पाठ कर सकते हैं । 


ॐ रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकंठमुमापतिम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १ ॥


नीलकंठं कालमूर्तिं कालज्ञं कालनाशनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ २ ॥


नीलकंठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ३ ॥


वामदॆवं महादॆवं लॊकनाथं जगद्गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ४ ॥


दॆवदॆवं जगन्नाथं दॆवॆशं वृषभध्वजम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ५ ॥

गंगाधरं महादॆवं सर्पाभरणभूषितम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ६ ॥


त्र्यक्षं चतुर्भुजं शांतं जटामुकुटधारणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ७ ॥


भस्मॊद्धूलितसर्वांगं नागाभरणभूषितम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ८ ॥


अनंतमव्ययं शांतं अक्षमालाधरं हरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ९ ॥


आनंदं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १० ॥


अर्धनारीश्वरं दॆवं पार्वतीप्राणनायकम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ११ ॥


प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १२ ॥


व्यॊमकॆशं विरूपाक्षं चंद्रार्द्ध कृतशॆखरम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १३ ॥


गंगाधरं शशिधरं शंकरं शूलपाणिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १४ ॥


अनाथं परमानंदं कैवल्यपददायिनम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १५ ॥


स्वर्गापवर्ग दातारं सृष्टिस्थित्यांतकारिणम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १६ ॥


कल्पायुर्द्दॆहि मॆ पुण्यं यावदायुररॊगताम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १७ ॥


शिवॆशानां महादॆवं वामदॆवं सदाशिवम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १८ ॥


उत्पत्ति स्थितिसंहार कर्तारमीश्वरं गुरुम्‌ । 

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १९ ॥


फलश्रुति

मार्कंडॆय कृतं स्तॊत्रं य: पठॆत्‌ शिवसन्निधौ । 

तस्य मृत्युभयं नास्ति न अग्निचॊरभयं क्वचित्‌ ॥ २० ॥


शतावृतं प्रकर्तव्यं संकटॆ कष्टनाशनम्‌ । 

शुचिर्भूत्वा पठॆत्‌ स्तॊत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्‌ ॥ २१ ॥


मृत्युंजय महादॆव त्राहि मां शरणागतम्‌ । 

जन्ममृत्यु जरारॊगै: पीडितं कर्मबंधनै: ॥ २२ ॥


तावकस्त्वद्गतप्राणस्त्व च्चित्तॊऽहं सदा मृड । 

इति विज्ञाप्य दॆवॆशं त्र्यंबकाख्यममं जपॆत्‌ ॥ २३ ॥


नम: शिवाय सांबाय हरयॆ परमात्मनॆ । 

प्रणतक्लॆशनाशाय यॊगिनां पतयॆ नम: ॥ २४ ॥



॥ इति श्री मार्कंडॆयपुराणॆ महा मृत्युंजय स्तॊत्रं संपूर्णम्‌ ॥


26 जुलाई 2021

सर्व रोग हर मृत्युंजय मन्त्र

  ||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||


  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • श्रावण मास मे क्षमतानुसार जाप करें.

28 फ़रवरी 2021

सर्व रोग हर मृत्युंजय मन्त्र

 ||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||


  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • शिवरात्रि तक क्षमतानुसार जाप करें.

25 जनवरी 2021

अकाल मृत्यु टालने वाला दुर्लभ मंत्र

 गुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी की आवाज मे अकाल मृत्यु निवारक मंत्र ।

इस मंत्र को निरंतर सुनते रहने से अकाल मृत्यु तथा रोग निवारण मे लाभदायक है । 



3 अगस्त 2020

रोग नाशक महाकाली मन्त्रं


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

14 जुलाई 2020

शिवषडक्षरस्तोत्र साधना





शिवषडक्षरस्तोत्र साधना
***************************************************
ऊँकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:।।
नमंति ऋषयो देवा नमंत्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।
महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नम:।।
शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकनुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नम:।।
यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।

***************************************************
सामान्य निर्देश :-
·    स्तोत्रसाधना के मार्ग में प्रवेश करने का सबसे उत्तम मार्ग है |
·    स्तोत्र साधना के लिए गुरु अनिवार्य नहीं है |
·    आप अपनी क्षमतानुसार नित्य पाठ करें |
·    पाठ संख्या 21,51,108 तक हो सकती हैं | गिनती के लिए आप अपनी सुविधानुसार कापी पेन या किसी अन्य वस्तु का प्रयोग कर सकते हैं |
·    जैसे जैसे पाठ की संख्या बढती जायेगी स्तोत्र उतना बलवान होगा और आपको कार्य में अनुकूलता प्रदान करेगा |
·    साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
·    इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
·    साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
-------------------------------------
विधि :-

पाठ प्रारम्भ के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले)आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह स्तोत्र पाठ  कर रहा/ रही हूँ मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
1. इशान (उत्तर पूर्व के बीच ) दिशा की और देखते हुए बैठें |
2. आसन सफ़ेद /पीले रंग का रखें|
3. स्त्रोत का पाठ ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4 से सुबह 6 के बीच करें | संभव ना हो तो दिन में भी कर सकते हैं |
4. पाठ के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें |
5. साधना काल में किसी को आशीर्वाद या श्राप ना दें | इससे आपकी साधनात्मक शक्ति का ह्रास होगा |
6. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें यथा संभव हर स्त्री को देवी के रूप में देखें |
7. सात्विक आहार/ आचार/ विचार/व्यवहार रखें |
8. ब्रह्मचर्य का पालन करें | विवाहित पुरुष अपनी विवाहिता स्त्री के साथ सम्बन्ध रख सकते हैं |
9. व्यर्थ के प्रलाप और अपनी साधना का ढिंढोरा पीटने से बचें | इससे आपकी शक्ति कम होती जाती है | साधना को यथा संभव गोपनीय रखें |
10.   साधना का प्रयोग यदि लोगों की समस्या के समाधान के लिए कर रहे हों तो नित्य साधना अवश्य करें |


11.   यदि नित्य साधना नहीं करेंगे और समस्या समाधान करेंगे तो धीरे धीरे आपकी शक्ति क्षीण होती जायेगी और काम होने बंद हो जायेंगे |

12 अप्रैल 2020

विश्व कल्याण हेतु समूहिक मंत्र जाप मे शामिल हो,



गुरुदेव प.पू. श्री सुदर्शननाथ जी ने आज के इस महामारी के भयावह वातावरण मे साधकों को आध्यात्मिक कवच प्राप्ति हेतु पाशुपत मंत्र की साधना करने के लिये कहा था .. 

और उनके आदेश अनुसार सभी साधक व्यक्तिगत स्तर पर पाशुपत मंत्र साधना कर रहे हे .. 

हम कुछ साधक मिलकर संकल्प लेकर सामुहिक स्तर पर अपने अपने घर मे बैठकर सोमवार 6 एप्रिल से सोमवार 13 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 की बीच कम से कम 11 माला पाशुपत मंत्र का जाप कर रहे है .. 

कल सोमवार दि.13 एप्रिल को वह सामूहिक अनुष्ठान समाप्त होगा ॥ 

जिसमे लगबग 400 लोगोका मिलकर करीब 40 लाख की संख्या मे पाशुपत मंत्र जाप पूरा होगा ..

Lock down अब 30 एप्रिल तक बढाया गया है .... 

इसलिए हम लोगो ने अब 14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक एक साधना और 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक एक और साधना करने का संकल्प लिया है .. 

आप चाहे तो आप भी इसमे शामिल हो सकते है .. 

अपने घर मे ही बैठकर साधना कर सकते है .. 

एक ही समय ज्यादा संख्या मे साधक एक ही मंत्र का जाप करते है तो निश्चित तौर पर एक बहुत बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होता है और कई साधकों ने अभी इसका अनुभव भी किया है .. 

इस साधना के दौरान कई साधकों को आध्यात्मिक अनुभूती हुयी है .सामुहिक संकल्प शक्ति मे उर्जा का निर्माण ज्यादा मात्रा मे होता है ..


गुरु मंत्र का सामूहिक जाप :-

14 एप्रिल से 21 एप्रिल तक हमे ब्रह्मांडीय गुरु मंडल की कृपा प्राप्ती हेतु

" ॐ परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम: "

इस मंत्र का जाप करना है . 

इसे आपको मंगलवार 14 एप्रिल से मंगलवार 21 एप्रिल तक रोज शाम को 7 से 8 के बीच अपने घर मे बैठकर करना होगा .

अपने परिवार पर गुरुमंडल की कृपा प्राप्ति हेतु इस मंत्र का जाप अवश्य करे .. 

गुरुकृपा से बडे से बडे संकट टल जाते है और दुर्भाग्य सौभाग्य मे परिवर्तित होता है .. .. 

आज के इस माहोल मे गुरुओं की कृपा निश्चित तौर पर जरुरी है .. 

गुरुमंडल की कृपा से आप और आपका परिवार किसी भी प्रकार की बाधा से सदैव सुरक्षित रहेगा .. 

आप या तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप कर सकते है या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप कर सकते है या पुरे 7 से 8 के बीच जाप कर सकते है .. 

मंत्र जाप के लिये किसी भी माला का उपयोग कर सकते है चाहे वो स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला हो या और कोई माला हो .. 

माला अगर नही है तो बिना माला के भी जाप कर सकते है . 

आप कितनी भी संख्या मे इस मंत्र का जाप कर सकते है ..

21 एप्रिल को सिद्धाश्रम के महान योगी सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराजजी की जयंती है .

21 एप्रिल को यह साधना उन्हे समर्पित होगी और निश्चित ही साधना करनेवाले सभी को उनका अनमोल आशिर्वाद प्राप्त होगा ..


महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक जाप :- 


22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक हम गुरुमुख से प्राप्त तांत्रोक्त महामृत्युंजय मंत्र 

" ॐ ह्रौं जुं स: ॐ " 
( उच्चारण ॥  ॐ ह्रौम जुम स: ॐ ॥ ऐसा होगा ) 

इस मंत्र का जाप कमसेकम 11 माला जाप करेंगे .. 

यह मंत्र गुरुमाता डॉ. साधना जी ने सभी लोगों के लिये प्रदान किया है उत्तम स्वास्थ्य हेतु , समस्त रोग बाधा निवारण हेतु , अकाल मृत्यु एवं अपमृत्य निवारण हेतु ..
इस साधना को सभी को करना चाहिये .. 
यह एक बहुत भी चमत्कारिक और प्रभावशाली मंत्र है .. 

अपने जीवन मे मैने इस मंत्र की साधना से कई लोगों को लाभ प्राप्त हुआ देखा है .. 

गुरुकृपा से यह मंत्र प्राप्त हुवा है तो इसे अवश्य करे और अपनी नित्य साधना मे सदैव इस मंत्र का कमसेकम एक माला मंत्र जाप अवश्य करते रहे ..

आप कोई भी व्यक्ति अपने और अपने समस्त परिवार के उत्तम स्वास्थ हेतु इस मंत्र का जाप कर सकते है . 

जैसा उपर बताया गया है की आप 22 एप्रिल से 29 एप्रिल तक रोज शाम 7 से 8 के बीच इस मंत्र का जाप करे 

आप चाहे तो शाम 7 से 7.30 के बीच जाप करे या शाम 7.30 से 8 के बीच जाप करे या फिर शाम को 7 से 8 के बीच जाप करे .. 

आपको कमसेकम 11 माला मंत्र जाप करना है .. 
ज्यादा संख्या मे कर सकते है तो अतिउत्तम ..

आप अपने परिवार के अन्य सदस्य या मित्र परिवार या परिचित के लोगों को भी इस साधना मे शामिल होने के लिये कह सकते है .. 

कोई भी श्रद्धालू व्यक्ति इन साधनाओं को संपन्न कर सकता है .. 

वैसे भी आनेवाले कुछ दिन और lock down हर जगह होगा तो हमे साधना के लिये समय भी मिल रहा है और समय का सदुपयोग अवश्य करना चाहिये .. 

इतने लोग एक साथ एक समय अपने अपने घर मे बैठकर साधना करते है तो निश्चित ही बडे स्तर पर आध्यात्मिक उर्जा का निर्माण होगा .... 

जो एक साधक को और पुरे समाज को आध्यात्मिक शक्तियों की कृपा से किसी भी आपदा से सुरक्षित रखेगा ..