25 मई 2023

पंचमुखी रुद्राक्ष से बनाएँ रक्षा कवच

  




[प्रातः स्मरणीय परम श्रद्धेय सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी]

ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्वात्मकाय सर्वमन्त्रस्वरूपाय सर्वयन्त्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्वतत्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणि मुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकाल- रौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलधारैकनिलयाय तत्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनाय अनन्तकोटिब्रह्माण्डनायकाय अनन्त वासुकि तक्षक- कर्कोटक शङ्ख कुलिक- पद्म महापद्मेति- अष्टमहानागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाश दिक् स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्करहिताय सकललोकैककर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकललोकैकशङ्कराय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय सकलजगदभयङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजवासाय निराकाराय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहङ्काराय निरङ्कुशाय निष्कलङ्काय निर्गुणाय  निष्कामाय निरूपप्लवाय निरुपद्रवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातङ्काय निष्प्रपञ्चाय निस्सङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्लोपाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निःसंशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय नित्यशुद्धबुद्धमुक्तपरिपूर्ण- सच्चिदानन्दाद्वयाय परमशान्तस्वरूपाय परमशान्तप्रकाशाय तेजोरूपाय तेजोमयाय तेजो‌sधिपतये जय जय रुद्र महारुद्र महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग चर्मखड्गधर पाशाङ्कुश- डमरूशूल चापबाणगदाशक्तिभिन्दिपाल- तोमर मुसल मुद्गर पाश परिघ- भुशुण्डी शतघ्नी चक्राद्यायुधभीषणाकार- सहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदन विकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्डमण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर नागेन्द्रनिकेतन मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वतोमुख सर्वतोमुख माम# रक्ष रक्ष ज्वलज्वल प्रज्वल प्रज्वल महामृत्युभयं शमय शमय अपमृत्युभयं नाशय नाशय रोगभयम् उत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान् मारय मारय मम# शत्रून् उच्चाटयोच्चाटय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खड्गेन छिन्द्दि छिन्द्दि खट्वाङ्गेन विपोधय विपोधय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणैः सन्ताडय सन्ताडय यक्ष रक्षांसि भीषय भीषय अशेष भूतान् विद्रावय विद्रावय कूष्माण्डभूतवेतालमारीगण- ब्रह्मराक्षसगणान् सन्त्रासय सन्त्रासय मम# अभयं कुरु कुरु मम# पापं शोधय शोधय वित्रस्तं माम्# आश्वासय आश्वासय नरकमहाभयान् माम्# उद्धर उद्धर अमृतकटाक्षवीक्षणेन माम# आलोकय आलोकय सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुत्तृष्णार्तं माम्# आप्यायय आप्यायय दुःखातुरं माम्# आनन्दय आनन्दय शिवकवचेन माम्# आच्छादय आच्छादय हर हर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव परमशिव नमस्ते नमस्ते नमः ॥
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विधि :-
  1. भस्म से  माथे पर  तीन लाइन वाला तिलक त्रिपुंड बनायें.
  2. हाथ में पानी लेकर भगवान  शिव से रक्षा की प्रार्थना करें , जल छोड़ दें.
  3. एक माला गुरुमंत्र की करें . अगर गुरु न बनाया हो तो भगवान् शिव को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का जाप कर लें.
  4. यदि अपने लिए पाठ नहीं कर रहे हैं तो # वाले जगह पर उसका नाम लें जिसके लिए पाठ कर रहे हैं |
  5. रोगमुक्ति, बधामुक्ति, मनोकामना के लिए ११ पाठ ११ दिनों तक करें . अनुकूलता प्राप्त होगी.
  6. रक्षा कवच बनाने के लिए एक पंचमुखी रुद्राक्ष ले लें. उसको दूध,दही,घी,शक्कर,शहद,से स्नान करा लें |अब इसे गंगाजल से स्नान कराकर बेलपत्र चढ़ाएं | ५१ पाठ शिवरात्रि/होली/अष्टमी/अमावस्या/नवरात्री/दीपावली/दशहरा/ग्रहण कि रात्रि करें पाठ के बाद इसे धारण कर लें |


21 मई 2023

क्या आप साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?

 



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देवी देवताओं की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ?
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सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच

 सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच 



कई पाठक पाठिकाओं ने अपने जीवन की कई समस्याओं के विषय मे मुझसे जानकारी और उपाय के विषय मे पूछा है ।

जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान पाने का सहयोगात्मक उपाय उससे संबन्धित साधनाओं से किया जा सकता है जो कि सदगुरु के पास से प्राप्त होता और सर्वश्रेष्ठ होता है ।

गृहस्थ व्यक्ति के लिए साधना करना कई बार संभव नहीं होता ऐसी स्थिति मे जब गुरु प्रसन्न होते हैं तो वे ऐसे दुर्लभ और विशिष्ट उपाय की सृष्टि भी कर देते हैं जो हर समस्या मे काम करता है ।

ऐसा ही एक उपाय है दस महाविद्या कवच !

यह एक अत्यंत छोटा सा और प्रभावशाली कवच है जो चाँदी मे बना हुआ है । इसे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने श्री महाकाल चक्र मण्डल के मंत्रों से इस प्रकार संगुफित किया है कि यह कम से कम गुरु की एक महादशा अर्थात लगभग 15-16 वर्ष तक प्रभावी रहेगा.....



तंत्र के क्षेत्र मे दस महाविद्याओं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । किसी एक महाविद्या के मंत्रों से सिद्ध किया गया कवच अद्भुत और शक्तिशाली बन जाता है ।


आप स्वयं कल्पना करें कि यदि कोई ऐसा कवच बनाया जाये, जिसे दसों महाविद्याओं से संबन्धित मंत्रों के द्वारा सिद्ध किया गया हो तो उसकी शक्ति कितनी प्रचंड होगी । वह भी एक ऐसे प्रचंड गुरु के द्वारा जिसने स्वयं दस महाविद्याओं की साधना की हुई हो ..... 


पूज्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने हिमालय की तराई मे पाई जाने वाली दस महाविद्याओं से संबन्धित गोपनीय तांत्रिक औषधियों के माध्यम से अभिमंत्रित करके दस महाविद्या कवच का निर्माण किया है ।  


आप चाहें तो इस अतिविशिष्ट कवच के विषय मे जानकारी/प्राप्त करने के लिए गुरुदेव के प्रिय शिष्य श्री प्रशांत पांडे जी से निम्नलिखित नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । 


श्री प्रशांत पांडे [दिल्ली] 

मोबाइल - 8800458271


आपकी जानकारी के लिए दस महाविद्याये और उनकी साधना से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं :-




1 - महाकाली महाविद्या = शत्रुबाधा , मानसिक शांति, अभय !


2 - तारा महाविद्या = सर्व संकट निवारण, आर्थिक उन्नति, विद्या प्राप्ति !



3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या =  सौन्दर्य , सुखद वैवाहिक जीवन, भोग और मोक्ष की प्राप्ति !




4. भुवनेश्वरी महाविद्या = आत्म ज्ञान, स्वस्थ्य और ऊर्जा , संतान प्राप्ति !



5. त्रिपुर भैरवी महाविद्या = इतर योनि बाधा , डर व भय से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति !



6. छिन्नमस्ता मंत्र = शत्रु विनाश, अभय, सर्वबाधा शमन , तंत्रबाधा नाशक !



7. धूमावती महाविद्या = गूढ रहस्यों का ज्ञान, संकट और न्यूनताओं का निवारण । 



8. बगलामुखी महाविद्या = शत्रुओं का स्तंभन और समूल नाश, वाक्पटुता, उत्तम स्वस्थ्य !





9. मातंगी महाविद्या = विद्या, बुद्धि, संगीत व कला का विकास । 


10. कमला महाविद्या = आर्थिक लाभ , ऋण मुक्ति, व्यापार वृद्धि, नौकरी में उन्नति, ऐश्वर्य और समृद्धि !


 


20 मई 2023

चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष

 चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष



गौरीशंकर रुद्राक्ष मे रुद्राक्ष के दो दाने प्रकृतिक रूप से जुड़े हुये होते हैं । यह सामान्य रुद्राक्ष से महंगा होता है और आंवले के बराबर के दाने लगभग ग्यारह बारह हजार रुपए के आसपास मिलते हैं । इसके छोटे दाने कम कीमत मे भी उपलब्ध होते हैं । आप अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार इसे पहन सकते हैं । 

  


गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने के लाभ :-

अकाल मृत्यु नहीं होती है । 

आरोग्य प्रदान करता है । 

उच्च श्रेणी की परीक्षा के स्टूडेंट के लिए बहुत कारगर होता है । जो नौकरी के लिए विशेष एग्जाम मे बैठते हैं उनके लिए भी गौरीशंकर रुद्राक्ष बहुत अच्छा काम करता है । 

वैवाहिक जीवन मे जो पति-पत्नी के बीच की प्रॉब्लम होती है या पुरुषों में जो कमजोरी आती है उसके लिए भी सिद्ध गौरी शंकर रुद्राक्ष काम करता है ।  अगर पति पत्नी दोनों गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करते हैं तो पति पत्नी के संबंध बहुत मधुर रहते है । 

गौरी शंकर रुद्राक्ष, पहने वाले व्यक्ति को सदा मुकदमों,कोर्ट कचहरी से, विवादों से बचा लेता है । 


मानसिक रोग, मिर्गी के दौरे पड़ना, बुरे स्वप्न देखना, बेवजह गुस्सा आना, स्त्रियों में अजीब सा व्यवहार, हर वक्त एक अंजाना डर बैठा रहना, बहुत ज्यादा सोचते रहना आदि समस्याओं मे गौरी शंकर रुद्राक्ष जबर्दस्त अनुकूलता प्रदान करता है । 


आध्यात्मिक साधकों के लिए यह साधना की सफलता मे सहायक होता है । साधना और साधक के बीच में सेतु के रूप मे गौरी शंकर रुद्राक्ष बहुत काम आता है । गौरीशंकर रुद्राक्ष पहनकर मंत्र जाप करने से जल्दी अनुभव और अनुकूलता मिलती है । 





यदि आप मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा विशेष रूप से अभिमंत्रित किए गए गौरीशंकर रुद्राक्ष प्राप्त करना चाहते हों तो आप नीचे लिखे नंबर पर उनके शिष्य मुकेश जी से संपर्क कर सकते हैं :-




श्री मुकेश, 

निखिलधाम,भोपाल 

99266-70726


19 मई 2023

श्री शनि सहस्रनाम

 श्री शनि सहस्रनाम 


भगवान शनिदेव के हजार नामों से आप फूल/कुमकुम/चावल/तिल नमः के साथ अर्पित करके पूजन सम्पन्न करके उनकी कृपा प्राप्ति का प्रयास कर सकते हैं । 




ॐ अश्वत्थामासुपूजिताय नमः ।

ॐ अष्टमस्थाय नमः ।

ॐ असाध्ययोगाय नमः ।

ॐ आकर्णपूर्णचापाय नमः ।

ॐ आत्मचक्राधिकारिणे नमः ।

ॐ आत्मनामजपप्रीताय नमः ।

ॐ आत्मरक्षकाय नमः ।

ॐ आत्मरूपप्रतिमादानसुप्रियाय नमः ।

ॐ आत्मस्तुत्यपरायणाय नमः ।

ॐ आत्माधिकफलप्रदाय नमः ।

ॐ आत्मायत्तजगत्त्रयाय नमः ।

ॐ आत्मारामाय नमः ।

ॐ आत्मोद्दिष्टद्विजप्रदाय नमः ।

ॐ आदित्यसंभवाय नमः ।

ॐ आदिदेवाय नमः ।

ॐ आधिव्याधिहराय नमः ।

ॐ आनन्दकराय नमः ।

ॐ आनन्दपरिपूर्णाय नमः ।

ॐ आनन्दमयाय नमः ।

ॐ आनन्दरूपाय नमः ।

ॐ आनुकूल्याय नमः ।

ॐ आनुपूर्व्याय नमः ।

ॐ आपद्बान्धवाय नमः ।

ॐ आपन्नार्तिविनाशनाय नमः ।

ॐ आयुःप्रदाय नमः ।

ॐ आयुधधारकाय नमः ।

ॐ आयुष्कराय नमः ।

ॐ आयुष्कारकाय नमः ।

ॐ आर्तिभञ्जनाय नमः ।

ॐ आश्रितेष्टार्थवरदाय नमः ।

ॐ इन्दिरारमणप्रीताय नमः ।

ॐ इन्दिरारमणार्चिताय नमः ।

ॐ इन्दिरार्चितपादाय नमः ।

ॐ इन्दुमतीष्टवरदायकाय नमः ।

ॐ इन्द्रदेवस्वरूपाय नमः ।

ॐ इन्द्रभोगफलप्रदाय नमः ।

ॐ इन्द्रवंशनृपार्चिताय नमः ।

ॐ इष्टापूर्तिप्रदाय नमः ।

ॐ इष्टवरदायकाय नमः ।

ॐ इहामुत्रेष्टफलदाय नमः ।

ॐ ईंद्रियाय नमः ।

ॐ ईश्वरप्रीताय नमः ।

ॐ ईषणात्रयवर्जिताय नमः ।

ॐ उच्चस्थयोगदाय नमः ।

ॐ उच्चस्थोच्चफलप्रदाय नमः ।

ॐ उत्सवप्रियाय नमः ।

ॐ उद्बोध्याय नमः ।

ॐ उमादेव्यर्चनप्रीताय नमः ।

ॐ उमास्वरूपाय नमः ।

ॐ उरुपराक्रमाय नमः ।

ॐ उरुप्रकाशाय नमः ।

ॐ उशनाय नमः ।

ॐ ऊनपादाय नमः ।

ॐ ऊर्जस्विने नमः ।

ॐ ऊर्ध्वलोकादिनायकाय नमः ।

ॐ ऊर्ध्वलोकादिसञ्चारिणे नमः ।

ॐ ऋकाराक्षरपूजिताय नमः ।

ॐ ऋग्रूपिणे नमः ।

ॐ ऋग्वेदवन्द्याय नमः ।

ॐ ऋजुमार्गप्रवर्तकाय नमः ।

ॐ ऋषिप्रोक्तपुराणज्ञाय नमः ।

ॐ ऋषिभिः परिपूजिताय नमः ।

ॐ एकपादे नमः ।

ॐ एकस्मै नमः ।

ॐ एकाधिपत्यसाम्राज्यप्रदाय नमः ।

ॐ एकोनविंशतिमासभुक्तिदाय नमः ।

ॐ एकोनविंशतिवर्षदशाय नमः ।

ॐ एणाङ्कपूजिताय नमः ।

ॐ एनौघनाशनाय नमः ।

ॐ ऐन्द्राय नमः ।

ॐ ऐरावतसुपूजिताय नमः ।

ॐ ऐश्वर्यफलदाय नमः ।

ॐ ओंकारजपसुप्रीताय नमः ।

ॐ ओंकारपरिपूजिताय नमः ।

ॐ ओंकारबीजाय नमः ।

ॐ औदार्यगुणाय नमः ।

ॐ औदार्यशीलाय नमः ।

ॐ औदार्यहस्ताय नमः ।

ॐ औन्नत्यदायकाय नमः ।

ॐ औषधकारकाय नमः ।

ॐ कठिनचित्ताय नमः ।

ॐ कपिलाक्षीरपानस्य सोमपानफलप्रदाय नमः ।

ॐ कपिलाज्यहुतप्रियाय नमः ।

ॐ कपिलादानसुप्रीताय नमः ।

ॐ कपिलापशुषुप्रियाय नमः ।

ॐ कमलापति संसेव्याय नमः ।

ॐ कमलोद्भवपूजिताय नमः ।

ॐ करपङ्कजसन्नद्धधनुषे नमः ।

ॐ कराळिने नमः ।

ॐ करुणानिधये नमः ।

ॐ कर्मकृते नमः ।

ॐ कर्मठाय नमः ।

ॐ काकवाहाय नमः ।

ॐ काञ्चनाभरणान्विताय नमः ।

ॐ कामदोग्ध्रे नमः ।

ॐ कामधेनु पूजनसुप्रियाय नमः ।

ॐ कामधेनुसमाराध्याय नमः ।

ॐ कामधेन्वैकचित्ताय नमः ।

ॐ कामपूजिताय नमः ।

ॐ कामितार्थप्रदाय नमः ।

ॐ कारणाय नमः ।

ॐ कारयित्रे नमः ।

ॐ कार्यमूर्तये नमः ।

ॐ कार्यकारणकालज्ञाय नमः ।

ॐ कालकर्त्रे नमः ।

ॐ कालचक्रप्रभेदिने नमः ।

ॐ कालदंष्ट्राय नमः ।

ॐ कालभर्त्रे नमः ।

ॐ कालमेघसमप्रभाय नमः ।

ॐ कालरूपिणे नमः ।

ॐ कालसहोदराय नमः ।

ॐ कालाग्निरुद्ररूपाय नमः ।

ॐ कालात्मने नमः ।

ॐ कालाम्बराय नमः ।

ॐ कालाय नमः ।

ॐ काश्यपात्मजसम्भवाय नमः ।

ॐ काश्यपान्वयाय नमः ।

ॐ किरीटमकुटोज्ज्वलाय नमः ।

ॐ किरीटिने नमः ।

ॐ कुरुवंशसुपूजिताय नमः ।

ॐ कुरूपिणे नमः ।

ॐ कृतान्ताय नमः ।

ॐ कृत्तिकान्तस्थाय नमः ।

ॐ कृपराज सुपूजिताय नमः ।

ॐ कृपायुषविवर्धनाय नमः ।

ॐ कृशकृष्णदेहाय नमः ।

ॐ कृष्णकेतनाय नमः ।

ॐ कृष्णकेतवे नमः ।

ॐ कृष्णगावप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगावैकचित्ताय नमः ।

ॐ कृष्णगोक्षीरसुप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोग्रासचित्तस्य सर्वपीडानिवारकाय नमः ।

ॐ कृष्णगोघृतसुप्रीताय नमः ।

ॐ कृष्णगोदत्तहृदयाय नमः ।

ॐ कृष्णगोदधिषुप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोदान शान्तस्य सर्वशान्ति फलप्रदाय नमः ।

ॐ कृष्णगोदानसुप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोरक्षणप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोरक्षणस्याशु सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः ।

ॐ कृष्णगोवत्ससुप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णगोस्नान कामस्य गङ्गास्नान फलप्रदाय नमः ।

ॐ कृष्णमाल्याम्बरधराय नमः ।

ॐ कृष्णवर्णतनूरुहाय नमः ।

ॐ कृष्णवर्णहयाय नमः ।

ॐ कृष्णाङ्गदप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदानप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदानलोलुपाय नमः ।

ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदोग्ध्रे नमः ।

ॐ कृष्णाम्बरप्रियाय नमः ।

ॐ कृष्णाय नमः ।

ॐ कृष्णेन कृतपूजनाय नमः ।

ॐ कोणस्थाय नमः ।

ॐ क्रुद्धाय नमः ।

ॐ क्रूरचेष्टाय नमः ।

ॐ क्रूरदंष्ट्राय नमः ।

ॐ क्रूरभावाय नमः ।

ॐ क्रूरावलोकनात्सर्वनाशाय नमः ।

ॐ क्रोधरूपाय नमः ।

ॐ क्षमाधराय नमः ।

ॐ क्षमाश्रयाय नमः ।

ॐ क्षयद्वाराय नमः ।

ॐ क्षान्तिदाय नमः ।

ॐ क्षामवर्जिताय नमः ।

ॐ क्षितिभूषाय नमः ।

ॐ क्षुद्रघ्नाय नमः ।

ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः ।

ॐ क्षेमकृते नमः ।

ॐ क्षेमदाय नमः ।

ॐ क्षेमाय नमः ।

ॐ क्षेम्याय नमः ।

ॐ खगानां पतिवाहनाय नमः ।

ॐ खड्गधराय नमः ।

ॐ खण्डनाय नमः ।

ॐ खद्योताय नमः ।

ॐ खरांशुतनयाय नमः ।

ॐ खेचरपूजिताय नमः ।

ॐ गानलोलुपाय नमः ।

ॐ गृध्रवाहाय नमः ।

ॐ गृहपतये नमः ।

ॐ गृहराजमहाबलाय नमः ।

ॐ गृहराश्याधिपाय नमः ।

ॐ गोचरस्थानदोषहृते नमः ।

ॐ गोचराय नमः ।

ॐ गोसेवासक्तहृदयाय नमः ।

ॐ घनकृपान्विताय नमः ।

ॐ घनतमसे नमः ।

ॐ घननीलाम्बरधराय नमः ।

ॐ घर्माय नमः ।

ॐ घर्मिणे नमः ।

ॐ घोराय नमः ।

ॐ ङादिवर्ण सुसंज्ञिताय नमः ।

ॐ चक्रवर्तिसमाराध्याय नमः ।

ॐ चतुर्भुजाय नमः ।

ॐ चन्द्रमत्यसमर्चिताय नमः ।

ॐ चन्द्रमत्यार्तिहारिणे नमः ।

ॐ चराचरसुखप्रदाय नमः ।

ॐ चराचरहितप्रदाय नमः ।

ॐ चापहस्ताय नमः ।

ॐ छत्रधराय नमः ।

ॐ छायादेवीसुताय नमः ।

ॐ छायापुत्राय नमः ।

ॐ जगज्जनमनोहराय नमः ।

ॐ जगत्त्रयप्रकुपिताय नमः ।

ॐ जगत्त्राणपरायणाय नमः ।

ॐ जगदानन्दकारकाय नमः ।

ॐ जगन्नीलाय नमः ।

ॐ जपतां सर्वसिद्धिदाय नमः ।

ॐ जपविध्वस्तविमुखाय नमः ।

ॐ जम्भारिपरिपूजिताय नमः ।

ॐ जम्भारिवन्द्याय नमः ।

ॐ जयदाय नमः ।

ॐ जयप्रदाय नमः ।

ॐ जयाय नमः ।

ॐ ज्ञानगम्याय नमः ।

ॐ ज्ञानदृष्ट्यावलोकिताय नमः ।

ॐ ज्ञानप्रबोधकाय नमः ।

ॐ ज्ञानमहानिधये नमः ।

ॐ ज्ञानमूर्तिये नमः ।

ॐ ज्ञानिने नमः ।

ॐ ज्योतिःशास्त्र प्रवर्तकाय नमः ।

ॐ ज्योतिषां श्रेष्ठाय नमः ।

ॐ ज्योतिषे नमः ।

ॐ झर्झरीकृतदेहाय नमः ।

ॐ झल्लरीवाद्यसुप्रियाय नमः ।

ॐ टङ्कारकारकाय नमः ।

ॐ टङ्किताखिललोकाय नमः ।

ॐ टङ्कितैनस्तमोरवये नमः ।

ॐ टङ्कृताय नमः ।

ॐ टाम्भदप्रियाय नमः ।

ॐ ठकारकृतपूजिताय नमः ।

ॐ ठकारमय सर्वस्वाय नमः ।

ॐ डमड्डमरुकप्रियाय नमः ।

ॐ डम्बरप्रभवाय नमः ।

ॐ डम्भाय नमः ।

ॐ डाकिनी शाकिनी भूत सर्वोपद्रवकारकाय नमः ।

ॐ डाकिनी शाकिनी भूत सर्वोपद्रवनाशकाय नमः ।

ॐ ढकाररूपाय नमः ।

ॐ ढक्कानादप्रियङ्कराय नमः ।

ॐ ढक्कावाद्यप्रीतिकराय नमः ।

ॐ ढाम्भीकाय नमः ।

ॐ णकारकरुणामयाय नमः ।

ॐ णकारजपसुप्रियाय नमः ।

ॐ णकारमय सर्वस्वाय नमः ।

ॐ णकारमयमन्त्रार्थाय नमः ।

ॐ णकारवचनानन्दाय नमः ।

ॐ णकारैकपरायणाय नमः ।

ॐ णकारैकशिरोमणये नमः ।

ॐ तत्त्वगाय नमः ।

ॐ तत्त्वज्ञाय नमः ।

ॐ तपसा दग्धदेहाय नमः ।

ॐ तपसां फलदायकाय नमः ।

ॐ तपस्विने नमः ।

ॐ तपोमयाय नमः ।

ॐ तपोरूपाय नमः ।

ॐ तर्जनीधृतमुद्राय नमः ।

ॐ तस्यपीडानिवारकाय नमः ।

ॐ तापत्रयनिवारकाय नमः ।

ॐ ताम्राधराय नमः ।

ॐ तिलखण्डप्रियाय नमः ।

ॐ तिलचूर्णप्रियाय नमः ।

ॐ तिलतर्पणसन्तुष्टाय नमः ।

ॐ तिलतैलप्रियाय नमः ।

ॐ तिलतैलान्नतोषिताय नमः ।

ॐ तिलदानप्रियाय नमः ।

ॐ तिलदीपप्रियाय नमः ।

ॐ तिलभक्ष्यप्रियाय नमः ।

ॐ तिलहोमप्रियाय नमः ।

ॐ तिलान्न सन्तुष्टमनसे नमः ।

ॐ तिलापूपप्रियाय नमः ।

ॐ तिलैकदत्तहृदयाय नमः ।

ॐ तिलोत्तमामेनकादिनर्तनप्रियाय नमः ।

ॐ तीक्ष्णाय नमः ।

ॐ तीव्राय नमः ।

ॐ तुलोच्चयाय नमः ।

ॐ तुष्टिकृते नमः ।

ॐ तुष्टिदाय नमः ।

ॐ तेजसादित्यसङ्काशाय नमः ।

ॐ तेजसान्निधये नमः ।

ॐ तेजस्विने नमः ।

ॐ तेजोमयवपुर्धराय नमः ।

ॐ त्रयीमयवपुर्धराय नमः ।

ॐ त्रासकराय नमः ।

ॐ त्रिकालमतितोषिताय नमः ।

ॐ त्रिकालवेदितव्याय नमः ।

ॐ त्रिगुणात्मकाय नमः ।

ॐ त्रिभागमष्टवर्गाय नमः ।

ॐ त्रिमूर्तये नमः ।

ॐ त्रिविक्रमनुताय नमः ।

ॐ दमयन्तीवरप्रदाय नमः ।

ॐ दमयन्त्याःशिवप्रदाय नमः ।

ॐ दमयन्त्यासुपूजिताय नमः ।

ॐ दशरथप्रार्थनाकॢप्तदुर्भिक्षविनिवारकाय नमः ।

ॐ दशरथप्रार्थनाकॢप्तवरद्वयप्रदायकाय नमः ।

ॐ दशरथस्तोत्रतोषिताय नमः ।

ॐ दशरथस्तोत्रवरदाय नमः ।

ॐ दशरथस्तोत्रसन्तुष्टाय नमः ।

ॐ दशरथस्वात्मदर्शिने नमः ।

ॐ दशरथाभीप्सितप्रदाय नमः ।

ॐ दशरथाभीष्टदायकाय नमः ।

ॐ दशरथार्चितपादाय नमः ।

ॐ दशरथेन सुपूजिताय नमः ।

ॐ दिनं प्रतिमुनिस्तुताय नमः ।

ॐ दिव्यतनवे नमः ।

ॐ दीप्तरञ्जितदिङ्मुखाय नमः ।

ॐ दीप्यमान मुखाम्भोजाय नमः ।

ॐ दीर्घश्मश्रुजटाधराय नमः ।

ॐ दुःखप्रदाय नमः ।

ॐ दुःखहन्त्रे नमः ।

ॐ दुःसहाय नमः ।

ॐ दुःस्वप्ननाशनाय नमः ।

ॐ दुराचारशमनाय नमः ।

ॐ दुराधर्षाय नमः ।

ॐ दुराराध्याय नमः ।

ॐ दुर्गमाय नमः ।

ॐ दुर्निरीक्ष्याय नमः ।

ॐ दुर्लभाय नमः ।

ॐ दुष्टदूराय नमः ।

ॐ दृष्टमात्रदैत्यमण्डलनाशकाय नमः ।

ॐ देवगानप्रियाय नमः ।

ॐ देवदानवदर्पघ्नाय नमः ।

ॐ देवदेशिकपुङ्गवाय नमः ।

ॐ देवपुङ्गवपूजिताय नमः ।

ॐ देवराज प्रियङ्कराय नमः ।

ॐ देवराज सुपूजिताय नमः ।

ॐ देवराजेष्टवरदाय नमः ।

ॐ देवशिखामणये नमः ।

ॐ देवादिदेवाय नमः ।

ॐ देवादिवन्दिताय नमः ।

ॐ देवेशाय नमः ।

ॐ दैवज्ञचित्तवासिने नमः ।

ॐ दैवज्ञपूजिताय नमः ।

ॐ दोर्भिर्धनुर्धराय नमः ।

ॐ दोषदाय नमः ।

ॐ दोषवर्जिताय नमः ।

ॐ दोषहन्त्रे नमः ।

ॐ द्वादशनामभृते नमः ।

ॐ द्वादशस्थाय नमः ।

ॐ द्वादशात्मसुताय नमः ।

ॐ द्वादशाब्दंतु दुर्भिक्षकारिणे नमः ।

ॐ द्वादशार्कसूनवे नमः ।

ॐ द्वादशाष्टमजन्मस्थाय नमः ।

ॐ द्विजदानैकचित्ताय नमः ।

ॐ द्विजदानैकनिरताय नमः ।

ॐ द्विजप्रियाय नमः ।

ॐ द्विजराज प्रियङ्कराय नमः ।

ॐ द्विजराज समर्चिताय नमः ।

ॐ द्विजराजेष्टदायकाय नमः ।

ॐ द्विजरूपाय नमः ।

ॐ द्विजश्रेष्ठाय नमः ।

ॐ द्विजसर्वार्तिहारिणे नमः ।

ॐ द्विजात्मजासमाराध्याय नमः ।

ॐ द्विजाय नमः ।

ॐ द्विजाराधनतत्पराय नमः ।

ॐ द्वितीयस्थाय नमः ।

ॐ धनदात्रे नमः ।

ॐ धनुर्दिव्याय नमः ।

ॐ धनुर्धराय नमः ।

ॐ धनुष्मते नमः ।

ॐ धर्मराज प्रियकराय नमः ।

ॐ धर्मराज सुपूजिताय नमः ।

ॐ धर्मराजेष्टवरदाय नमः ।

ॐ धर्मरूपाय नमः ।

ॐ धर्मशास्त्रात्मचेतनाय नमः ।

ॐ धर्माधर्मविवर्जिताय नमः ।

ॐ धर्माभीष्टफलप्रदाय नमः ।

ॐ धर्मिणे नमः ।

ॐ ध्येयाय नमः ।

ॐ नक्षत्रत्रयसंयुताय नमः ।

ॐ नक्षत्रमण्डलगताय नमः ।

ॐ नक्षत्रराश्यधिपाय नमः ।

ॐ नभादिलोकसम्भूताय नमः ।

ॐ नमतांप्रियकारकाय नमः ।

ॐ नळकरार्चिताय नमः ।

ॐ नळक्षेत्रनिवासकाय नमः ।

ॐ नळतीर्थसकृत् स्नान सर्वपीडानिवारकाय नमः ।

ॐ नळपद्भञ्जनक्षमाय नमः ।

ॐ नळपाकप्रियाय नमः ।

ॐ नळप्रियानन्दिताय नमः ।

ॐ नळराजसुपूजिताय नमः ।

ॐ नळसर्वार्तिहारिणे नमः ।

ॐ नळस्तोत्रप्रियाय नमः ।

ॐ नळाभीष्टवरप्रदाय नमः ।

ॐ नळेनात्मार्थपूजिताय नमः ।

ॐ नळेशदर्शनस्याशु साम्राज्यपदवीप्रदाय नमः ।

ॐ नवग्रह सुपीडिताय नमः ।

ॐ नवग्रहजपप्रियाय नमः ।

ॐ नवग्रहभयापहाय नमः ।

ॐ नवग्रहमयज्योतिषे नमः ।

ॐ नवग्रहवरप्रदाय नमः ।

ॐ नवग्रहवराय नमः ।

ॐ नवग्रहसमाराध्याय नमः ।

ॐ नवग्रहसुसम्पूज्याय नमः ।

ॐ नवग्रहाणामधिपतये नमः ।

ॐ नवग्रहाधिपाय नमः ।

ॐ नवग्रहाधिराजाय नमः ।

ॐ नवग्रहाधीश्वराय नमः ।

ॐ नवचक्रात्मने नमः ।

ॐ नवतत्त्वाधिपाय नमः ।

ॐ नवधान्यप्रियाय नमः ।

ॐ नवधाभज्यदेहाय नमः ।

ॐ नवमाणिक्यशोभिताय नमः ।

ॐ नवमित्रस्वरूपाय नमः ।

ॐ नवरत्नप्रियाय नमः ।

ॐ नवरत्नविभूषिताय नमः ।

ॐ नवाक्षरजपप्रियाय नमः ।

ॐ नवात्मने नमः ।

ॐ नवीकृतजगत्त्रयाय नमः ।

ॐ नवोदन प्रियाय नमः ।

ॐ नागराजप्रियङ्कराय नमः ।

ॐ नागराजार्चितपदाय नमः ।

ॐ नागराजेष्टवरदाय नमः ।

ॐ नागलोकान्तवासिने नमः ।

ॐ नागाभरणभूषिताय नमः ।

ॐ नागेन्द्रगान निरताय नमः ।

ॐ नानागम विधानज्ञाय नमः ।

ॐ नानाचित्रविधायकाय नमः ।

ॐ नानाद्वीपाधिकर्त्रे नमः ।

ॐ नानानृपसमावृताय नमः ।

ॐ नानाभरणभूषिताय नमः ।

ॐ नानाभाषाप्रियाय नमः ।

ॐ नानारूपजगत्स्रष्ट्रे नमः ।

ॐ नानारूपजनाश्रयाय नमः ।

ॐ नानारूपाधिकारिणे नमः ।

ॐ नानारोगार्तिभञ्जनाय नमः ।

ॐ नानालिपिसमावृताय नमः ।

ॐ नानालोकाधिपाय नमः ।

ॐ नानावर्णस्वरार्तवाय नमः ।

ॐ नानावर्णाकृतये नमः ।

ॐ नानाविचित्रवेषाढ्याय नमः ।

ॐ नानावेदसुरक्षकाय नमः ।

ॐ नानाश्चर्यविधायकाय नमः ।

ॐ नामपारायणप्रीताय नमः ।

ॐ नामस्तोत्रबहुप्रियाय नमः ।

ॐ नामस्तोत्रैकचित्ताय नमः ।

ॐ नामार्चनवरप्रदाय नमः ।

ॐ निजपीडार्तिहारिणे नमः ।

ॐ निजभक्तेष्टदायकाय नमः ।

ॐ निजस्तोत्रबहुप्रियाय नमः ।

ॐ निजाज्ञापरिपालकाय नमः ।

ॐ नित्यकर्मरताय नमः ।

ॐ नित्यतृप्तस्वभावाय नमः ।

ॐ नित्ययोगरताय नमः ।

ॐ नित्यार्चितपदाम्भोजाय नमः ।

ॐ निपाटवीनिवासाय नमः ।

ॐ निरपेक्षाय नमः ।

ॐ निरामयाय नमः ।

ॐ निर्मासदेहाय नमः ।

ॐ निष्कण्टकाय नमः ।

ॐ निस्पृहाय नमः ।

ॐ नीचभाषाप्रचारज्ञाय नमः ।

ॐ नीचे स्वल्पफलप्रदाय नमः ।

ॐ नीलजीमूतसङ्काशाय नमः ।

ॐ नीलध्वजविराजिताय नमः ।

ॐ नीलमेघसमप्रभाय नमः ।

ॐ नीलवपुषे नमः ।

ॐ नीलवस्त्रधरप्रियाय नमः ।

ॐ नीलाञ्जनचयप्रख्याय नमः ।

ॐ नीलाय नमः ।

ॐ पङ्गुपादाय नमः ।

ॐ पञ्चनक्षत्रसेविताय नमः ।

ॐ पञ्चनक्षत्राधिपाय नमः ।

ॐ पञ्चपाण्डवपुत्राणां सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः ।

ॐ पञ्चपाण्डवपुत्राणां सर्वारिष्ट निवारकाय नमः ।

ॐ पयोदसमवर्णाय नमः ।

ॐ परचक्रप्रभेदिने नमः ।

ॐ परब्रह्मणे नमः ।

ॐ परब्रह्ममयाय नमः ।

ॐ परब्रह्मस्वरूपाय नमः ।

ॐ परमकारुण्याय नमः ।

ॐ परमपावनाय नमः ।

ॐ परमहंससुपूजिताय नमः ।

ॐ परमहंसस्वरूपाय नमः ।

ॐ परमाणवे नमः ।

ॐ परमात्मने नमः ।

ॐ परमैश्वर्यकारणाय नमः ।

ॐ परमोदाराय नमः ।

ॐ परशम्भुसमुद्भवाय नमः ।

ॐ परशुराम चिरञ्जीविप्रदाय नमः ।

ॐ परशुराम समाराध्याय नमः ।

ॐ परशुरामवरप्रदाय नमः ।

ॐ पराज्ञापरिवर्जिताय नमः ।

ॐ परात्पराय नमः ।

ॐ पराय नमः ।

ॐ पराशक्ति समुद्भवाय नमः ।

ॐ पराहङ्कारभञ्जनाय नमः ।

ॐ परिशुद्धात्मने नमः ।

ॐ पाण्डवादि सुसंसेव्याय नमः ।

ॐ पाण्डवानां हितङ्कराय नमः ।

ॐ पाण्डवेषु वरप्रदाय नमः ।

ॐ पाण्डुपुत्राद्यर्चिताय नमः ।

ॐ पाण्डुपुत्रार्तिभञ्जनाय नमः ।

ॐ पाण्डुपुत्रेष्टदात्रे नमः ।

ॐ पातङ्गिने नमः ।

ॐ पावनाय नमः ।

ॐ पाशहन्त्रे नमः ।

ॐ पिङ्गळाक्षाय नमः ।

ॐ पुण्याय नमः ।

ॐ पुत्रपौत्रप्रवर्धनाय नमः ।

ॐ पुराणपुरुषाय नमः ।

ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः ।

ॐ पुरुषाकाराय नमः ।

ॐ पुरुषार्थदाय नमः ।

ॐ पुरुषार्थैकसाधनाय नमः ।

ॐ पुरुहूत समर्चिताय नमः ।

ॐ पुरुहूताय नमः ।

ॐ पुरूरवसमर्चिताय नमः ।

ॐ पूर्वजाय नमः ।

ॐ पृथिवीपतये नमः ।

ॐ प्रकाशात्मने नमः ।

ॐ प्रजाकराय नमः ।

ॐ प्रजानां जीवहेतवे नमः ।

ॐ प्रजानां हितकारकाय नमः ।

ॐ प्रजापत्याय नमः ।

ॐ प्रजारक्षणदीक्षिताय नमः ।

ॐ प्रज्ञानिवासहेतवे नमः ।

ॐ प्रज्ञावते नमः ।

ॐ प्रणतार्तिहराय नमः ।

ॐ प्रणतेप्सितराज्यदाय नमः ।

ॐ प्रणवाय नमः ।

ॐ प्रतापवते नमः ।

ॐ प्रतिष्ठिताय नमः ।

ॐ प्रदानपावनाय नमः ।

ॐ प्रपञ्चकारिणे नमः ।

ॐ प्रपञ्चकृते नमः ।

ॐ प्रपञ्चधृते नमः ।

ॐ प्रपञ्चभृते नमः ।

ॐ प्रपञ्चरक्षित्रे नमः ।

ॐ प्रपञ्चस्यभयङ्कराय नमः ।

ॐ प्रपञ्चात्मने नमः ।

ॐ प्रपञ्च स्वरूपाय नमः ।

ॐ प्रपञ्चाय नमः ।

ॐ प्रपञ्चोद्भवसम्भवाय नमः ।

ॐ प्रपञ्चोपशमनाय नमः ।

ॐ प्रपन्नभयकारिणे नमः ।

ॐ प्रपन्नभयहारिणे नमः ।

ॐ प्रभाकराय नमः ।

ॐ प्रमत्तासुरशिक्षकाय नमः ।

ॐ प्रयोजनाय नमः ।

ॐ प्रवरस्तुत्याय नमः ।

ॐ प्रशान्तात्मने नमः ।

ॐ प्रशान्ताय नमः ।

ॐ प्रसन्नधिये नमः ।

ॐ प्रसन्नात्सर्ववरदाय नमः ।

ॐ प्रसन्नात्सर्वसुखदाय नमः ।

ॐ प्रसन्नाय नमः ।

ॐ प्रसन्नेक्षणाय नमः ।

ॐ प्रसन्नोत्सववन्दिताय नमः ।

ॐ प्रसवित्रे नमः ।

ॐ प्रसादकृते नमः ।

ॐ प्राज्ञाय नमः ।

ॐ प्राणकारिणे नमः ।

ॐ प्राणधारिणे नमः ।

ॐ प्राणरूपिणे नमः ।

ॐ प्राणिनां परिपालकाय नमः ।

ॐ प्रातिकूल्याय नमः ।

ॐ प्रावृषेण्याय नमः ।

ॐ प्रासहस्ताय नमः ।

ॐ प्रियकराय नमः ।

ॐ प्रियकारिणे नमः ।

ॐ प्रीतिकराय नमः ।

ॐ प्रीतिमते नमः ।

ॐ फणिराजप्रियाय नमः ।

ॐ फलदानप्रियाय नमः ।

ॐ फलप्रदाय नमः ।

ॐ फलहस्ताय नमः ।

ॐ फलाभिषेकप्रियाय नमः ।

ॐ फल्गुनस्य वरप्रदाय नमः ।

ॐ फल्गुनेन प्रपूजिताय नमः ।

ॐ फुटच्छमितपापौघाय नमः ।

ॐ फुल्लाम्बुज विलोचनाय नमः ।

ॐ बभ्रुवे नमः ।

ॐ बलप्रमथनाय नमः ।

ॐ बलिने नमः ।

ॐ बलिप्रियाय नमः ।

ॐ बहुप्रदाय नमः ।

ॐ बहुमतये नमः ।

ॐ बहुरूपाय नमः ।

ॐ बहुश्रुताय नमः ।

ॐ बालाय नमः ।

ॐ बालार्कद्युतिमते नमः ।

ॐ बासदर्ष्ट्या प्रमेयाङ्गाय नमः ।

ॐ बिभ्रत्कवचकुण्डलाय नमः ।

ॐ बृहत्तनवे नमः ।

ॐ बृहद्वक्षसे नमः ।

ॐ ब्रह्मणे नमः ।

ॐ ब्रह्मण्याय नमः ।

ॐ ब्रह्मविष्ण्वीशक्लेशकृते नमः ।

ॐ ब्रह्मविष्ण्वीशरूपाय नमः ।

ॐ ब्रह्मशक्रादिदुर्लभाय नमः ।

ॐ ब्रह्माण्डभेदकृते नमः ।

ॐ ब्राह्मणप्रियाय नमः ।

ॐ भक्तसर्वार्थसाधकाय नमः ।

ॐ भक्तसुप्रियाय नमः ।

ॐ भक्तानां चित्तशोधनाय नमः ।

ॐ भक्तानुग्रहकारकाय नमः ।

ॐ भक्ताभीष्टवरप्रदाय नमः ।

ॐ भक्तिगम्याय नमः ।

ॐ भक्तिगीतस्तवोन्मुखाय नमः ।

ॐ भक्तिमतां सुलभाय नमः ।

ॐ भगवते नमः ।

ॐ भयहराय नमः ।

ॐ भयानकाय नमः ।

ॐ भवभक्तैकचित्ताय नमः ।

ॐ भवभूतगणैःस्तुत्याय नमः ।

ॐ भव्याय नमः ।

ॐ भस्मीकृतजगत्त्रयाय नमः ।

ॐ भानुसूनवे नमः ।

ॐ भावज्ञाय नमः ।

ॐ भास्वद्रताय नमः ।

ॐ भीतिकृते नमः ।

ॐ भीमाय नमः ।

ॐ भीषणाय नमः ।

ॐ भुवनेश्वराय नमः ।

ॐ भूतसंघसमावृताय नमः ।

ॐ भूतसन्तोषकारिणे नमः ।

ॐ भूतात्मने नमः ।

ॐ भूतिकृते नमः ।

ॐ भूतिदाय नमः ।

ॐ भूतिभूषितविग्रहाय नमः ।

ॐ भूसुरादि सुपूजिताय नमः ।

ॐ भैक्षकारिणे नमः ।

ॐ भोक्त्रे नमः ।

ॐ भोगभाग्यप्रदाय नमः ।

ॐ भोज्याय नमः ।

ॐ भ्राजिष्णवे नमः ।

ॐ भ्रुकुटीमुखाय नमः ।

ॐ मकरकुम्भाधिपाय नमः ।

ॐ मणिरत्नविभूषिताय नमः ।

ॐ मण्डलस्थाय नमः ।

ॐ मनुप्रियाय नमः ।

ॐ मन्त्राधिष्ठानरूपाय नमः ।

ॐ मन्दगतये नमः ।

ॐ मन्दचारिणे नमः ।

ॐ मन्दाय नमः ।

ॐ मन्दारकुसुमप्रियाय नमः ।

ॐ मरामरहराराध्याय नमः ।

ॐ मल्लिकाकुसुमप्रियाय नमः ।

ॐ महदैश्वर्यदायकाय नमः ।

ॐ महदैश्वर्याय नमः ।

ॐ महनीयाय नमः ।

ॐ महर्षिगणपूजिताय नमः ।

ॐ महाकायाय नमः ।

ॐ महाक्रतवे नमः ।

ॐ महागुणाय नमः ।

ॐ महाग्रासाय नमः ।

ॐ महाघोराय नमः ।

ॐ महाजयाय नमः ।

ॐ महादीर्घाय नमः ।

ॐ महादेवप्रियाय नमः ।

ॐ महाद्युतये नमः ।

ॐ महाधीराय नमः ।

ॐ महाप्रकाशदिव्यात्मने नमः ।

ॐ महाप्रभवे नमः ।

ॐ महाबलि समाराध्याय नमः ।

ॐ महाभोगिने नमः ।

ॐ महामन्त्रस्वरूपाय नमः ।

ॐ महामानिने नमः ।

ॐ महामायिने नमः ।

ॐ महायन्त्रस्थिताय नमः ।

ॐ महायशसे नमः ।

ॐ महायोगिने नमः ।

ॐ महारथाय नमः ।

ॐ महारूपाय नमः ।

ॐ महारौद्राय नमः ।

ॐ महावीराय नमः ।

ॐ महावेगाय नमः ।

ॐ महाशक्तये नमः ।

ॐ महाशान्ताय नमः ।

ॐ महाशुष्काय नमः ।

ॐ महासुताय नमः ।

ॐ महासौरये नमः ।

ॐ महेन्द्रादि सुरार्चिताय नमः ।

ॐ महेशाय नमः ।

ॐ महोदयाय नमः ।

ॐ महोदाराय नमः ।

ॐ मार्ताण्डस्यद्वितीयजाय नमः ।

ॐ माषदानप्रियाय नमः ।

ॐ माषोदन प्रीतचित्ताय नमः ।

ॐ मासमेवप्रपूजिताय नमः ।

ॐ मुक्तिमार्गप्रदर्शकाय नमः ।

ॐ मुचुकुन्दवरप्रदाय नमः ।

ॐ मुचुकुन्दसमाराध्याय नमः ।

ॐ मुचुकुन्दार्चितपदाय नमः ।

ॐ मृकण्डुतनयार्चिताय नमः ।

ॐ मेषनीचाय नमः ।

ॐ मैथिलीप्रार्थनाकॢप्तदशकण्ठशिरोपहृते नमः ।

ॐ मैथिलीवरदायिने नमः ।

ॐ यक्षराक्षसवेताळकूष्माण्डादिप्रपूजिताय नमः ।

ॐ यजमानाय नमः ।

ॐ यज्ञभृते नमः ।

ॐ यज्ञरूपाय नमः ।

ॐ यज्ञाङ्गाय नमः ।

ॐ यमप्रत्यधिदेवाय नमः ।

ॐ यशस्कराय नमः ।

ॐ याम्याय नमः ।

ॐ युगन्धराय नमः ।

ॐ युगपद्भोगदायकाय नमः ।

ॐ युगाधिपाय नमः ।

ॐ युगान्तकृते नमः ।

ॐ योगदात्रे नमः ।

ॐ योगप्रियाय नमः ।

ॐ योगयुक्ताय नमः ।

ॐ योगरूपिणे नमः ।

ॐ योगविदां वराय नमः ।

ॐ योगाय नमः ।

ॐ योगिने नमः ।

ॐ योग्याय नमः ।

ॐ रघुनन्दन सल्लापाय नमः ।

ॐ रघुपौरुषसन्तुष्टाय नमः ।

ॐ रघुप्रोक्त जपप्रियाय नमः ।

ॐ रघुभिः परिपूजिताय नमः ।

ॐ रघुवंशनृपैःपूज्याय नमः ।

ॐ रघुवंशप्रियाय नमः ।

ॐ रघुवंशसमाराध्याय नमः ।

ॐ रघुस्तोत्रबहुप्रियाय नमः ।

ॐ रणन्मञ्जीरनूपुराय नमः ।

ॐ रत्नकेयूरभूषाढ्याय नमः ।

ॐ रथारूढाय नमः ।

ॐ रथिने नमः ।

ॐ रमानन्दनवन्दिताय नमः ।

ॐ रविनन्दनाय नमः ।

ॐ राघवेण समर्चिताय नमः ।

ॐ राघवेण सुपूजिताय नमः ।

ॐ राघवेष्ट वरप्रदाय नमः ।

ॐ राजराजेन्द्रवन्दिताय नमः ।

ॐ राजेन्द्राय नमः ।

ॐ राज्यभूपाकराय नमः ।

ॐ राशिद्वयाधिपाय नमः ।

ॐ रोषात्सर्वस्वहारिणे नमः ।

ॐ रौद्ररूपिणे नमः ।

ॐ रौद्राकृतये नमः ।

ॐ रौद्राधिकारिणे नमः ।

ॐ रौद्राय नमः ।

ॐ लक्ष्मणाग्रजपूजिताय नमः ।

ॐ लक्ष्मीवाणीस्तुतिप्रियाय नमः ।

ॐ लब्धधर्ममार्गप्रवर्तकाय नमः ।

ॐ लावण्यविग्रहाय नमः ।

ॐ लुळितोद्धारकाय नमः ।

ॐ लूकाररूपकाय नमः ।

ॐ लूतभवपाश प्रभञ्जनाय नमः ।

ॐ लोकचूडामणये नमः ।

ॐ लोकरक्षाय नमः ।

ॐ लोकलोचनरञ्जिताय नमः ।

ॐ लोकवन्द्याय नमः ।

ॐ लोकशिक्षाय नमः ।

ॐ लोकाध्यक्षाय नमः ।

ॐ लोहजप्रतिमादानप्रियाय नमः ।

ॐ वक्रक्रूरविवर्जिताय नमः ।

ॐ वज्रदेहाय नमः ।

ॐ वज्राङ्कुशधराय नमः ।

ॐ वन्द्याय नमः ।

ॐ वरदाय नमः ।

ॐ वरिष्ठाय नमः ।

ॐ वलीमुखसुखप्रदाय नमः ।

ॐ वसुदाय नमः ।

ॐ वाङ्मनोतीतविग्रहाय नमः ।

ॐ वाञ्छितार्थप्रदायकाय नमः ।

ॐ वायसारूढाय नमः ।

ॐ वासवात्मजसुप्रीताय नमः ।

ॐ वासवार्चिताय नमः ।

ॐ विकल्पपरिवर्जिताय नमः ।

ॐ विगतातङ्काय नमः ।

ॐ विचित्राङ्गाय नमः ।

ॐ विपाशाय नमः ।

ॐ विप्रदानबहुप्रियाय नमः ।

ॐ विप्रप्रियाय नमः ।

ॐ विप्ररूपाय नमः ।

ॐ विप्राराधन तत्पराय नमः ।

ॐ विभावसु सुताय नमः ।

ॐ विभीषणसमाराध्याय नमः ।

ॐ विभीषणेष्टवरदाय नमः ।

ॐ विमलाङ्गविराजिताय नमः ।

ॐ विराडाधारचक्रस्थाय नमः ।

ॐ विराण्मन्दिरमूलस्थाय नमः ।

ॐ विरिञ्चये नमः ।

ॐ विरूपाक्षाय नमः ।

ॐ विरोचनाय नमः ।

ॐ विशाम्पतये नमः ।

ॐ विशालनेत्राय नमः ।

ॐ विशिखाय नमः ।

ॐ विशेषसुखकारकाय नमः ।

ॐ विशेषसुखदायकाय नमः ।

ॐ विश्वकर्त्रे नमः ।

ॐ विश्वकर्मणे नमः ।

ॐ विश्वगोप्त्रे नमः ।

ॐ विश्वचित्रविधायकाय नमः ।

ॐ विश्वत्राणैकनिरताय नमः ।

ॐ विश्वभावनाय नमः ।

ॐ विश्वभुजे नमः ।

ॐ विश्वमूलनिवासिने नमः ।

ॐ विश्वरूपिणे नमः ।

ॐ विश्ववन्द्याय नमः ।

ॐ विश्वव्यापारहेतवे नमः ।

ॐ विश्वसृष्टि विनायकाय नमः ।

ॐ विश्वसृष्टि समुद्भूताय नमः ।

ॐ विश्वस्थाय नमः ।

ॐ विश्वाधारविलासिने नमः ।

ॐ विश्वेशाय नमः ।

ॐ विश्वोद्भवाय नमः ।

ॐ विषमव्ययाष्टजन्मस्थोऽप्येकादशफलप्रदाय नमः ।

ॐ विष्णवे नमः ।

ॐ वेदवेद्याय नमः ।

ॐ वैश्वानरसमद्युतये नमः ।

ॐ व्यासेन कृतपूजिताय नमः ।

ॐ शक्तिधराय नमः ।

ॐ शङ्खवाद्यप्रियाय नमः ।

ॐ शतोपनिषदस्तुत्याय नमः ।

ॐ शनैश्चराय नमः ।

ॐ शमीकृतफलप्रदाय नमः ।

ॐ शमीकृतमहाघोराय नमः ।

ॐ शमीतरुस्वरूपाय नमः ।

ॐ शमीपत्रप्रियाय नमः ।

ॐ शमीपर्णसमर्चिताय नमः ।

ॐ शमीमूलनिवासिने नमः ।

ॐ शरणागतवत्सलाय नमः ।

ॐ शरण्याय नमः ।

ॐ शान्तमूर्तये नमः ।

ॐ शान्तरूपिणे नमः ।

ॐ शान्ताय नमः ।

ॐ शान्त्यादिगुणभूषिताय नमः ।

ॐ शान्त्यादिषड्गुणोपेताय नमः ।

ॐ शिवभक्तिमतां श्रेष्ठाय नमः ।

ॐ शिवमन्त्रजपप्रियाय नमः ।

ॐ शिवमन्त्रज्ञमुक्तिदाय नमः ।

ॐ शिवागमैकनिलयाय नमः ।

ॐ शिवायामप्रियङ्कराय नमः ।

ॐ शुक्लवपुषे नमः ।

ॐ शुचिप्रियाय नमः ।

ॐ शुचिश्रुताय नमः ।

ॐ शुद्धपञ्चाक्षरप्रियाय नमः ।

ॐ शुष्कोदराय नमः ।

ॐ शूलपाणये नमः ।

ॐ शूलिने नमः ।

ॐ श्यामरक्तसितज्योतिषे नमः ।

ॐ श्रीमते नमः ।

ॐ श्रीहालास्यक्षेत्रवासिने नमः ।

ॐ श्रुतिजालप्रबोधकाय नमः ।

ॐ श्रुतिपारगसम्पूज्याय नमः ।

ॐ श्रुतिप्रीताय नमः ।

ॐ श्रुतिरूपाय नमः ।

ॐ श्रुतिश्रवणकीर्तनाय नमः ।

ॐ श्रुतिश्रवणलोलुपाय नमः ।

ॐ श्रुतिस्मृतिपुराणज्ञाय नमः ।

ॐ श्रुतीप्सितफलप्रदाय नमः ।

ॐ श्रुत्यन्तर्गतमर्मज्ञाय नमः ।

ॐ श्रुत्येष्टवरदायकाय नमः ।

ॐ षट्कोणमध्यनिलयाय नमः ।

ॐ षट्चक्रोपरि संस्थिताय नमः ।

ॐ षट्शक्तिव्यक्तमूर्तिमते नमः ।

ॐ षट्शास्त्रस्मृतिपारगाय नमः ।

ॐ षडक्षरस्वरूपाय नमः ।

ॐ षडङ्गश्रुतिपारगाय नमः ।

ॐ षडङ्गावरणोज्ज्वलाय नमः ।

ॐ षड्गुणैश्वर्यसंयुक्ताय नमः ।

ॐ षड्भावरहिताय नमः ।

ॐ षण्मुखप्रियाय नमः ।

ॐ षोडशद्वयसम्पूर्णलक्षणाय नमः ।

ॐ षोडशान्ताय नमः ।

ॐ षोडशिने नमः ।

ॐ संहारास्त्रनियोजिताय नमः ।

ॐ संहारास्त्रप्रदर्शिताय नमः ।

ॐ सच्चिदानन्दाय नमः ।

ॐ सदातुष्टाय नमः ।

ॐ सद्यःपीडानिवारकाय नमः ।

ॐ सन्तोषात्सकलेष्टदाय नमः ।

ॐ सप्तद्वीपाधिपाय नमः ।

ॐ समस्तऋषिभिःस्तुत्याय नमः ।

ॐ समस्तगणपावृताय नमः ।

ॐ समस्तगणसंसेव्याय नमः ।

ॐ समस्तभक्तसुखदाय नमः ।

ॐ समस्तलोकाभयदाय नमः ।

ॐ सर्वकर्मणे नमः ।

ॐ सर्वकारकाय नमः ।

ॐ सर्वक्लेशनिवारकाय नमः ।

ॐ सर्वगर्वप्रभञ्जनाय नमः ।

ॐ सर्वज्ञाय नमः ।

ॐ सर्वकराय नमः ।

ॐ सर्वदातुष्टाय नमः ।

ॐ सर्वदाय नमः ।

ॐ सर्वदोषघ्नाय नमः ।

ॐ सर्वदोषनिवर्तकाय नमः ।

ॐ सर्वदोषाङ्गनाशकाय नमः ।

ॐ सर्वनाशक्षमाय नमः ।

ॐ सर्वपीडानिवारकाय नमः ।

ॐ सर्वमृत्युनिवारकाय नमः ।

ॐ सर्वरूपिणे नमः ।

ॐ सर्वलोकक्षयकराय नमः ।

ॐ सर्वलोकहितङ्कराय नमः ।

ॐ सर्वव्याकुलकारिणे नमः ।

ॐ सर्वव्याकुलनाशनाय नमः ।

ॐ सर्वव्याधिप्रशमनाय नमः ।

ॐ सर्वसंक्षोभकारिणे नमः ।

ॐ सर्वसंक्षोभहारिणे नमः ।

ॐ सर्वसौख्यप्रदात्रे नमः ।

ॐ सर्वात्मरूपिणे नमः ।

ॐ सर्वात्मने नमः ।

ॐ सर्वानुकूलकारिणे नमः ।

ॐ सर्वानुल्लङ्घ्यशासनाय नमः ।

ॐ सर्वाभीष्टप्रदायकाय नमः ।

ॐ सर्वाभीष्टवरप्रदाय नमः ।

ॐ सर्वारिष्टफलप्रदाय नमः ।

ॐ सर्वारिष्टविधायकाय नमः ।

ॐ सर्वारिष्टविनाशनाय नमः ।

ॐ सर्वालङ्कारसंयुक्तकृष्णगोदानसुप्रियाय नमः ।

ॐ सर्वौदार्यस्वभावाय नमः ।

ॐ सहस्रजपसुप्रियाय नमः ।

ॐ साराय नमः ।

ॐ सिद्धसङ्कल्पाय नमः ।

ॐ सिद्धार्थाय नमः ।

ॐ सीताभीष्टवरप्रदाय नमः ।

ॐ सुकुमाराय नमः ।

ॐ सुकृते नमः ।

ॐ सुखदाय नमः ।

ॐ सुखासन स्थिताय नमः ।

ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः ।

ॐ सुखिने नमः ।

ॐ सुग्रीवाय नमः ।

ॐ सुघोषाय नमः ।

ॐ सुजनाश्रयाय नमः ।

ॐ सुधृतये नमः ।

ॐ सुप्रसन्नाय नमः ।

ॐ सुरश्रेष्ठाय नमः ।

ॐ सुरासुरभयङ्कराय नमः ।

ॐ सुलभाय नमः ।

ॐ सुलोचनाय नमः ।

ॐ सुवीराय नमः ।

ॐ सुव्यक्ताय नमः ।

ॐ सुहृदे नमः ।

ॐ सूर्यमण्डलसञ्चारिणे नमः ।

ॐ सूर्यवंशप्रदीपनाय नमः ।

ॐ सूर्यात्मजाय नमः ।

ॐ सोमयाजि समाराध्याय नमः ।

ॐ सौदामनीसन्निभाय नमः ।

ॐ सौन्दर्यमृदुभाषिताय नमः ।

ॐ सौम्याय नमः ।

ॐ सौराष्ट्रदेशोद्भवाय नमः ।

ॐ स्थापकाय नमः ।

ॐ स्थायिने नमः ।

ॐ स्थिताय नमः ।

ॐ स्थिराय नमः ।

ॐ स्थूलरोम्णे नमः ।

ॐ स्थूलसूक्ष्मप्रदर्शकाय नमः ।

ॐ स्वक्षेत्रेष्टवरप्रदाय नमः ।

ॐ स्वर्णेन्द्रनीलमकुटाय नमः ।

ॐ हंसवेगाय नमः ।

ॐ हंसगतये नमः ।

ॐ हंसमन्त्रादि संस्तुताय नमः ।

ॐ हंसमन्त्रादिसंतुष्टाय नमः ।

ॐ हंसवाह समाराध्याय नमः ।

ॐ हंसवाहवरप्रदाय नमः ।

ॐ हंसाय नमः ।

ॐ हनूमदर्चितपदाय नमः ।

ॐ हरिश्चन्द्रसमाराध्याय नमः ।

ॐ हरिश्चन्द्रेष्टवरदाय नमः ।

ॐ हरिसखाय नमः ।

ॐ हर्षदाय नमः ।

ॐ हलधृत्पूजिताय नमः ।

ॐ हविर्होत्रे नमः ।

ॐ हविषे नमः ।

ॐ हितकृते नमः ।

ॐ हिरण्यवर्णाय नमः ।

ॐ हृद्याय नमः ।

ॐ हृष्टाय नमः ।

ॐ हेमभूषणाय नमः ।

ॐ हेयोपादेयवर्जिताय नमः ।

इति शनैश्चर सहस्रनामार्चनम