31 जनवरी 2021

नील सरस्वती बीज मंत्र साधना

  



तंत्र में दस महाविद्याओं को शक्ति के दस प्रधान स्वरूपों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैये दस महाविद्यायें हैं
कालीताराषोडशीछिन्नमस्ताबगलामुखीत्रिपुरभैरवीमातंगीधूमावतीभुवनेश्वरी तथा कमला.
इनको दो कुलों में बांटा गया हैपहला काली कुल तथा दूसरा श्री कुल
काली कुल की प्रमुख महाविद्या है तारा
इस साधना से जहां एक ओर आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है वहीं ज्ञान तथा विद्या का विकास भी होता हैइस महाविद्या के साधकों में जहां महर्षि विश्वामित्र जैसे प्राचीन साधक रहे हैं वहीं वामा खेपा जैसे साधक वर्तमान युग में बंगाल प्रांत में हो चुके हैंविश्वप्रसिद्ध तांत्रिक तथा लेखक गोपीनाथ कविराज के आदरणीय गुरूदेव स्वामी विशुद्धानंद जी तारा साधक थेइस साधना के बल पर उन्होने अपनी नाभि से कमल की उत्पत्ति करके दिखाया था.
तिब्बत को साधनाओं का गढ माना जाता हैतिब्बती लामाओं या गुरूओं के पास साधनाओं की अतिविशिष्ठ तथा दुर्लभ विधियां आज भी मौजूद हैंतिब्बती साधनाओं के सर्वश्रेष्ठ होने के पीछे भी उनकी आराध्या देवी मणिपद्मा का ही आशीर्वाद हैमणिपद्मा तारा का ही तिब्बती नाम हैइसी साधना के बल पर वे असामान्य तथा असंभव लगने वाली क्रियाओं को भी करने में सफल हो पाते हैंतारा महाविद्या साधना सवसे कठोर साधनाओं में से एक हैइस साधना में किसी प्रकार की नियमों में शिथिलता स्वीकार्य नही होतीइस विद्या के तीन रूप माने गये हैं :-

1.       नील सरस्वती.
2.     एक जटा.
3.     उग्रतारा.
नील सरस्वती तारा साधना

तारा के नील सरस्वती स्वरूप की साधना विद्या प्राप्ति तथा ज्ञान की पूर्णता के लिये सर्वश्रेष्ठ हैइस साधना की पूर्णता साधक को जहां ज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय बनाती है वहीं साधक को स्वयं में कवित्व शक्ति भी प्रदान कर देती हैअर्थात वह कविता या लेखन की क्षमता भी प्राप्त कर लेता है.

नील सरस्वती साधना की एक गोपनीय विधि मुझे स्वामी आदित्यानंदजी से प्राप्त हुयी थी जो कि अत्यंत ही प्रभावशाली हैइस साधना से निश्चित रूप से मानसिक क्षमता का विकास होता ही हैयदि इसे नियमित रूप से किया जाये तो विद्यार्थियों के लिये अत्यंत लाभप्रद होता है.

नील सरस्वती बीज मंत्रः-

॥ ऐं ॥

यह बीज मंत्र छोटा है इसलिये करने में आसान होता हैजिस प्रकार एक छोटा सा बीज अपने आप में संपूर्ण वृक्ष समेटे हुये होता है ठीक उसी प्रकार यह छोटा सा बीज मंत्र तारा के पूरे स्वरूप को समेटे हुए है.
साधना विधिः-
1.       इस मंत्र का जाप अमावस्या से प्रारंभ करके पूर्णिमा तक या नवरात्रि में करना सर्वश्रेष्ठ होता हैअपनी सामर्थ्य के अनुसार १०८ बार कम से कम तथा अधिकतम तीन घंटे तक नित्य करें.
2.     कांसे की थाली में केसर से उपरोक्त बीजमंत्र को लिखेंअब इस मंत्र के चारों ओर चार चावल के आटे से बने दीपक घी से जलाकर रखेंचारों दीयों की लौ ऐं बीज की तरफ होनी चाहियेकुंकुम या केसर से चारों दीपकों तथा बीज मंत्र को घेरते हुये एक गोला थाली के अंदर बना लेंयह लिखा हुआ साधना के आखिरी दिन तक काम आयेगादीपक रोज नया बनाकर लगाना होगा.
3.     सर्वप्रथम हाथ जोडकर ध्यान करें :-
नील वर्णाम त्रिनयनाम ब्रह्‌म शक्ति समन्विताम
कवित्व बुद्धि प्रदायिनीम नील सरस्वतीं प्रणमाम्यहम.
4.    हाथ मे जल लेकर संकल्प करें कि मां आपको बुद्धि प्रदान करें.
5.     ऐं बीज को देखते हुये जाप करेंपूरा जाप हो जाने के बाद त्रुटियों के लिये क्षमा मांगें.
6.     साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
7.      कम से कम बातचीत करेंकिसी पर क्रोध न करें.
8.     किसी स्त्री का अपमान न करें.
9.     वस्त्र सफेद रंग के धारण करें.

बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की यह तांत्रिक साधना हैपूरे विश्वास तथा श्रद्धा से करने पर तारा निश्चित रूप से अभीष्ठ सिद्धि प्रदान करती है.


30 जनवरी 2021

पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ

 









अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.






28 जनवरी 2021

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

 पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना



तन्त्रोक्त  निखिलेश्वरानंद सिद्धि मन्त्र


|| ॐ निं निखिलेश्वराय सं संमोहनाय निं नमः  ||

वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
आसन - सफ़ेद होगा.
समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए

तो कभी भी कर सकते हैं.
दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें

पुरश्चरण - तीन  लाख मंत्र जाप का होगा
हवन - ३०,००० मंत्रों से
हवन सामग्री - दशांग या घी


विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस

स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह

साधना  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के

मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी नीचे छोड़ दें.

लाभ :-
वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ट तंत्र मर्मज्ञ , योगिराज प्रातः स्मरणीय

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त

होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

25 जनवरी 2021

अकाल मृत्यु टालने वाला दुर्लभ मंत्र

 गुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी की आवाज मे अकाल मृत्यु निवारक मंत्र ।

इस मंत्र को निरंतर सुनते रहने से अकाल मृत्यु तथा रोग निवारण मे लाभदायक है । 



24 जनवरी 2021

नवार्ण महामंत्र


नवार्ण महामंत्र 

नवार्ण महामंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महादुर्गे नवाक्षरी नवदुर्गे नवात्मिके नवचंडी महामाये महामोहे महायोगे निद्रे जये मधुकैटभ विद्राविणि महिषासुर मर्दिनी धूम्रलोचन संहंत्री चंड मुंड विनाशिनी रक्त बीजान्तके निशुम्भ ध्वंसिनी शुम्भ दर्पघ्नी देवि अष्टादश बाहुके कपाल खट्वांग शूल खड्ग खेटक धारिणी छिन्न मस्तक धारिणी रुधिर मांस भोजिनी समस्त भूत प्रेतादी योग ध्वंसिनी ब्रह्मेंद्रादी स्तुते देवि माम रक्ष रक्ष मम शत्रून नाशय ह्रीं फट ह्वुं फट ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे ||
  • यथाशक्ति जाप नित्य करें |
  • सर्वमनोकामना पूरक मन्त्र है |

23 जनवरी 2021

गुरु के अभाव मे साधना कैसे करें

 कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।

ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-

आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।

लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
  1. छिन्नमस्ता साधना ।
  2. शरभेश्वर साधना ।
  3. अघोर साधनाएं ।
  4. श्मशान साधना ।
  5. वाममार्गी साधनाएँ.
  6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/अप्सरा/यक्षिणी/पिशाचिनी साधनाएँ.
  ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

22 जनवरी 2021

अष्टकाली मन्त्रम

 



॥  ऊं अष्टकाल्यै क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं सिद्धिं मे देहि दापय नमः ॥


  1.  
कमजोर मनस्थिति वाले पुरुष/महिलाएं/बच्चे इस साधना को ना करें |
  1. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
  2. दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
  3. रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
  4. पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.
  5. रात्रिकाल में जाप करें.
  6. दशमी के दिन काली मिर्च/ तिल/दशांग/घी/ चमेली के तेल  से दशांश  हवन  करें |
हवन होने के बाद किसी बालिका को यथाशक्ति दान दें |

20 जनवरी 2021

रोग नाशक महाकाली मन्त्रं

 


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

18 जनवरी 2021

साम्ब सदाशिवाय नम:

 


भगवान सदाशिव तथा जगदम्बा की कृपा प्राप्ति के लिये मन्त्र :-  

॥ ओम साम्ब सदाशिवाय नम: ॥ 

  1. सवा लाख मन्त्र का एक पुरस्चरण होगा.
  2. शिवलिंग सामने रखकर साधना करें.
  3. समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ती के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
  4. किसी अनुचित अनैतिक इच्छा से न करें गंभीर  नुक्सान हो सकता है. 
  5.  

13 जनवरी 2021

मकर संक्रांति विशेष : एकाक्षी नारियल

 एकाक्षी नारियल 


हर गृहस्थ व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसके पास धन का अभाव न रहे ।  धन की प्राप्ति के लिए प्रयास आवश्यक है ।  उसके साथ साथ यदि आप देवी लक्ष्मी की साधना या कुबेर की साधना जैसे उपाय करें तब भी आपके प्रयासों को जल्दी सफलता मिलती है । 


इसके अलावा कुछ तांत्रिक वस्तुएं भी ऐसी हैं जो मुश्किल से मिलती है । लेकिन उनको घर में रखने मात्र से ही लक्ष्मी प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती है । 


इनमें से कई चीजें बेहद दुर्लभ है और कुछ चीजें कठिन है मगर मिल जाती है वैसी ही एक वस्तु है एकाक्षी नारियल । 


सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुह होता है अर्थात कुल मिलाकर तीन काले बिंदु होते हैं ।  



एकाक्षी नारियल में एक ही आंख होती है अर्थात उसमें कुल मिला कर दो काले बिंदु होते हैं ।  




यह नारियल मुश्किल से मिलता है मगर मिलता है ।  ऐसा नारियल अगर आपको प्राप्त हो जाए तो उसे लाल कपड़े पर रखकर से धूप दीप दिखाएँ और उसी लाल कपड़े में बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां पर आप पैसे रखते हैं । 

जैसे तिजोरी या लॉकर ।  इससे लक्ष्मी प्राप्ति में सहयोग मिलता है । 


लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन के आगमन को ही माना जाता है । आप ध्यान दें तो यदि धन का जाना भी कम हो जाए अर्थात आप का खर्च कम हो जाए तो वह भी एक प्रकार से लक्ष्मी का आगमन ही है । 


कई परिवारों में अनावश्यक रूप से बीमारियों या इसी प्रकार की किसी अवांछित घटना के चलते धन का लगातार खर्च बढ़ता रहता है । ऐसी परिस्थितियों में भी एकाक्षी नारियल रखने या लक्ष्मी साधना करने से अनुकूलता मिल सकती है और बेवजह के खर्चों में कमी आने से आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है ...... 


सिद्ध मुहूर्त :-

  1. अक्षय तृतीया

  2. शरद पूर्णिमा 

  3. मकर संक्रांति 


अक्षय तृतीया का पर्व पूरे वर्ष में एक बार आता है ।  ज्योतिषीय व्याख्या के अनुसार यह पूरे वर्ष का ऐसा दिन होता है जिसमें किसी क्षण का भी क्षय या कमी नहीं होती है अर्थात यह पूर्णता का प्रतीक है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है जिसमें कमी की गुंजाइश नहीं रहती है । 


दीपावली के अलावा लक्ष्मी साधना के लिए यह तीनों दिन अत्यंत ही सिद्ध मुहूर्त है ।  

इस दिन लक्ष्मी साधना करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है .. 



अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग

अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग





गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी द्वारा प्रदत्त 108 महालक्ष्मी यंत्र
आवश्यक सामग्री.
  1. भोजपत्र 
  2. अष्टगंध
  3. कुमकुम.
  4. चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
  5. उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
  6. दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.

विधि विधान :-

  • धुप अगर बत्ती जला दें.
  • संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
  • स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
  • मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.

  • 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें यदि आपके गुरु नहीं हैं तो " ॐ गूँ  गुरुभ्यो नमः ". का जाप करें 
  • उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
  • इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
  • इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
  • हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
  • यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
  • एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
  • इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं"  पर बिंदी लग जाएगी. 
  • पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
  • जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
  • कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
  • उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
आर्थिक अनुकूलता प्रदान करता है.धनागमन का रास्ता खुलता है.महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक है.

11 जनवरी 2021

मकर संक्रांति लक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त

 


मकर संक्रांति लक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त है । 
यह पूजन आप श्रीयंत्र,दस महाविद्या यन्त्र ,या कोइ भी रत्न या
रुद्राक्ष पर या कुछ नही तो सुपारी पर कर सकते है .. उस सुपारी को अपनी तिजोरी मे रखे .. अगले साल उसे विसर्जित कर नइ सुपारी पर पुजन करे ..
महालक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर का पूजन भी करे 
पूजन सामुग्री सामान्य यानी हल्दी,कुमकुम ,चन्दन ,अष्टगंध ,
अक्षत ,इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि
रखे ..महालक्ष्मी पूजन में कभी भी कोई कंजूसी न करे ..यथाशक्ति अच्छी से अच्छी सामुग्री रखे ..जैसे मिठाई ,अगरबत्ती ,फुल अच्छी क्वालिटी के रखे ..वातावरण प्रसन्न रखे .घर को सजाये .महालक्ष्मी जी को सजावट और प्रसन्न वातावरण और सफाई पसंद है ..
सबसे पहले आपके सामने गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र या महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी साधन सामुग्री हो उसे रखे ..दीपक और अगरबत्ती जलाए ..
पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करे ..
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
अब आप 4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )
श्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं विद्या तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
अब आप घंटा नाद करे और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे
घंटा देवताभ्यो नमः
अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
आसन देवताभ्यो नमः
अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे
दीप देवताभ्यो नमः
अब आप कलश का पूजन करे ..उसमेगंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..उसे तिलक करे .
कलश देवताभ्यो नमः
अब आप अपने आप को तिलक करे
और दाहिने हाथ में जल,पुष्प,अक्षत
लेकर संकल्प करे की आप अपना नाम गोत्र बोलकर आज मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त पर यथा शक्ति महालक्ष्मी पूजन कर रहे है और वे आपका पूजन ग्रहण करे और आप पर हमेश कृपा दृष्टी रखे या आपकी जो मनोकामना है उसे पुरी करे और जल को पुजन स्थान पर छोडे ..
अब आप गणेशजी का स्मरण करे ..गणेशजी महालक्ष्मी के मानस पुत्र है ..इसीलिए उनका पूजन इस महालक्ष्मी पूजन में महत्त्व पूर्ण है ....
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा
श्री महागणपति आवाहयामि
मम पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि
अब नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे
गं सुमुखाय नम:
गं एकदंताय नम:
गं कपिलाय नम:
गं गजकर्णकाय नम:
गं लंबोदराय नम:
गं विकटाय नम:
गं विघ्नराजाय नम:
गं गणाधिपाय नम:
गं धूम्रकेतवे नम:
गं गणाध्यक्षाय नम:
गं भालचंद्राय नम:
गं गजाननाय नम:
गं वक्रतुंडाय नम:
गं शूर्पकर्णाय नम:
गं हेरंबाय नम:
गं स्कंदपूर्वजाय नम:
अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे
एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात
आप चाहे तो यहाँ गणपती अथर्वशीर्ष का अन्य किसी गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते है ..
अनेन पूजनेन श्री महागणपति देवता प्रीयन्तां न मम
अब भगवान विष्णु का पूजन करे। महालक्ष्मी विष्णु पत्नी है।
जहां विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है
विष्णु ध्यान :-
शान्ताकारं भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्
ॐ श्री विष्णवे नमः
श्री महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः
ॐ श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः नैवेद्यं समर्पयामि
आप चाहे तो यहाँ पुरुषसूक्त , विष्णुसूक्त का पाठ कर सकते है ..
अब भगवान विष्णु के 24 नामोंसे तुलसी या पुष्प अर्पण करे
१. ॐ केशवाय नमः
२. ॐ नारायणाय नमः
३. ॐ माधवाय नमः
४. ॐ गोविन्दाय नमः
५. ॐ विष्णवे नमः
६. ॐ मधुसूदनाय नमः
७. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
८. ॐ वामनाय नमः
९. ॐ श्रीधराय नमः
१०. ॐ ऋषिकेशाय नमः
११. ॐ पद्मनाभाय नमः
१२. ॐ दामोदराय नमः
१३. ॐ संकर्षणाय नमः
१४. ॐ वासुदेवाय नमः
१५. ॐ प्रद्युम्नाय नमः
१६. ॐ अनिरुद्धाय नमः
१७. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
१८. ॐ अधोक्षजाय नमः
१९. ॐ नारसिंहाय नमः
२०. ॐ अच्युताय नमः
२१. ॐ जनार्दनाय नमः
२२. ॐ उपेन्द्राय नमः
२३. ॐ हरये नमः
२४. ॐ श्रीकृष्णाय नमः
अब भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करे
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात
अनेन पूजनेन श्री महाविष्णु देवता प्रियन्ताम् न मम
अब आप महालक्ष्मी का ध्यान करे ..
फिर चाहे तो महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र से आवाहन करे ..वैसे तो यह स्तोत्र बहुत बडा है लेकिन इसका संक्षिप्त रुप दुसरी पोस्ट मे प्रस्तुत करुंगा ..
महालक्ष्मी का आवाहन करे ..आवाहन के लिये संक्षिप्त हृदय स्तोत्र का
या ध्यान मंत्र का पाठ करे ..
ध्यान मंत्र
------------
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता
श्री महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः
(अगर आपको मुद्रा का ज्ञान हो तो भगवती महालक्ष्मी के लिए पद्ममुद्रा दिखाए )
फिर पुष्प अक्षत अर्पण करे ..और उनका पंचोपचार या षोडश उपचार पूजन करे
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आवाहनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर दो आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर जल में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर स्नान के लिए जल अर्पण करे यहाँ आप चाहे तो श्रीसूक्त या अन्य किसी महालक्ष्मी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते है .. )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर मौली लाल धागा या अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर मौली या अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः उप वस्त्रं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि'
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती समर्पयामि
अब आप अष्ट सिद्धियों का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे
ॐ अणिम्ने नमः
ॐ महिम्ने नमः
ॐ गरिम्ने नमः
ॐ लघिम्ने नमः
ॐ प्राप्त्यै नमः
ॐ प्राकाम्यै नमः
ॐ इशितायै नमः
ॐ वशितायै नमः
अब आप अष्टलक्ष्मी का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे
ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धन लक्ष्म्यै नमः
ॐ धान्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धैर्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ गज लक्ष्म्यै नमः
ॐ संतान लक्ष्म्यै नमः
ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः
ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः
(यहाँ पर भगवती महालक्ष्मी की 32 नामावली अलग दी है उससे पूजन करे .अगर समय नहि है तो इसको छोडकर आगे का पुजन कर सकते है )
साधक एकेक नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए।
1. ॐ श्रियै नमः।
2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
3. ॐ वरदायै नमः।
4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
5. ॐ वसुप्रदायै नमः।
6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।
7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।
8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।
9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।
10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।
11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
12. ॐ पद्महस्तायै नमः।
13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।
14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।
15. ॐ सूर्यायै नमः।
16. ॐ चंद्रायै नमः।
17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।
18. ॐ ईश्वर्यै नमः।
19. ॐ भुक्त्यै नमः।
20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।
21. ॐ विभूत्यै नमः।
22. ॐ ऋद्धयै नमः।
23. ॐ समृद्ध्यै नमः।
24. ॐ तुष्टयै नमः।
25. ॐ पुष्टयै नमः।
26. ॐ धनदायै नमः।
27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।
28. ॐ श्रद्धायै नमः।
29. ॐ भोगिन्यै नमः।
30. ॐ भोगदायै नमः।
31. ॐ धात्र्यै नमः।
32. ॐ विधात्र्यै नमः।
अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े
अनेन महालक्ष्मी द्वात्रिंश नाम पूजनेन श्री भगवती महालक्ष्मी देवता प्रीयन्तां मम .
अब महालक्ष्मी के पुत्रों का पूजन करे
(अगर समय है तो करे )
१. ॐ देवसखाय नमः
२. ॐ चिक्लीताय नमः
३. ॐ आनंदाय नमः
४. ॐ कर्दमाय नमः
५. ॐ श्रीप्रदाय नमः
६. ॐ जातवेदाय नमः
७. ॐ अनुरागाय नमः
८. ॐ संवादाय नमः
९. ॐ विजयाय नमः
१०. ॐ वल्लभाय नमः
११. ॐ मदाय नमः
१२. ॐ हर्षाय नमः
१३. ॐ बलाय नमः
१४. ॐ तेजसे नमः
१५. ॐ दमकाय नमः
१६. ॐ सलिलाय नमः
१७. ॐ गुग्गुलाय नमः
१८ . ॐ कुरूण्टकाय नमः
अनेन पूजनेन श्री महालक्ष्मी पुत्र सहित श्री महालक्ष्मी प्रियन्ताम् न मम
हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करे
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा इश्वरी कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया पद्मा पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्माधारिणी
द्वादशैतानी नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह
अब आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे सकते है ..
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
हाथ जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे
त्राहि त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात त्राही वेगत :
त्वमेव जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी त्वमेव च
रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे
दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी कृपां कुरु ममोपरी
माँ महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये
सदा स्थिरो भव प्रसन्नो भव वरदो भव
अब आप प्रार्थना करे की आपका महालक्ष्मी पूजन पूर्ण रूप से फले ..
जय श्री गुरुदेव ..ॐ माँ ..





7 जनवरी 2021

श्री यंत्र -लक्ष्मी सिक्का

मकर संक्रांति महालक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त होता है उस दिन आप विभिन्न प्रकार के पूजन संपन्न कर सकते हैं आगे की पंक्तियों में एक छोटा सा पूजन प्रस्तुत है जिसे आप श्री यंत्र के ऊपर या लक्ष्मी के सिक्के पर कर सकते हैं । 








आगे 32 प्रकार की लक्ष्मीयों के नाम दिए गए हैं जिनके नाम का उच्चारण करके हर बार नमः बोलने के साथ आप कुमकुम या केसर से सिक्के या श्री यंत्र पर बिंदी लगा सकते हैं या पुष्प और चावल छोड़ सकते हैं । 

इस प्रकार से पूजन करने के बाद आप उस सिक्के या यंत्र को तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख सकते हैं और अगर इच्छा हो तो उसे अपनी जेब में या पर्स में भी रख सकते हैं । 


श्री गुरुवे नमः 

ॐ गं गणपतये नमः 

ॐ भ्रम भैरवाये नमः 



1. ॐ श्रियै नमः।

2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।

3. ॐ वरदायै नमः।

4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।

5. ॐ वसुप्रदायै नमः।

6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।

7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।

8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।

9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।

10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।

11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।

12. ॐ पद्महस्तायै नमः।

13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।

14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।

15. ॐ सूर्यायै नमः।

16. ॐ चंद्रायै नमः।

17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।

18. ॐ ईश्वर्यै नमः।

19. ॐ भुक्त्यै नमः।

20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।

21. ॐ विभूत्यै नमः।

22. ॐ ऋद्धयै नमः।

23. ॐ समृद्ध्यै नमः।

24. ॐ तुष्टयै नमः।

25. ॐ पुष्टयै नमः।

26. ॐ धनदायै नमः।

27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।

28. ॐ श्रद्धायै नमः।

29. ॐ भोगिन्यै नमः।

30. ॐ भोगदायै नमः।

31. ॐ धात्र्यै नमः।

32. ॐ विधात्र्यै नमः।




1 जनवरी 2021

श्री गणेश अष्टोत्तर शतनाम

 

श्री गणेश अष्टोत्तर शत नामावली 

1) गं विनायकाय नम:
2) गं विघ्नराजाय नम:
3) गं गौरीपुत्राय नम:
4) गं गणेश्वराय नम:
5) गं स्कंदाग्रजाय नम:
6) गं अव्ययाय नम:
7) गं भूताय नम:
8) गं दक्षाय नम:
9) गं अध्यक्षाय नम:
10) गं द्विजप्रियाय नम:
11) गं अग्निगर्भच्छिदे नम:
12) गं इंद्रश्रीप्रदाय नम:
13) गं वाणीप्रदाय नम:
14) गं अव्ययाय नम:
15) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
16) गं शर्वतनयाय नम:
17) गं शर्वरीप्रियाय नम:
18) गं सर्वात्मकाय नम:
19) गं सृष्टिकत्रै नम:
20) गं देवाय नम:
21) गं अनेकार्चिताय नम:
22) गं शिवाय नम:
23) गं शुद्धाय नम:
24) गं बुद्धिप्रियाय नम:
25) गं शांताय नम:
26) गं ब्रह्मचारिणे नम:
27) गं गजाननाय नम:
28) गं द्वैमातुराय नम:
29) गं मुनिस्तुत्याय नम:
30) गं भक्तविघ्नविनाशनाय नम:
31) गं एकदंताय नम:
32) गं चतुर्बाहवे नम:
33)गं चतुराय नम:
34) गं शक्तिसंयुताय नम:
35) गं लंबोदराय नम:
36) गं शूर्पकर्णाय नम:
37) गं हरये नम:
38) गं ब्रह्मविदुत्तमाय नम:
39) गं कालाय नम:
40) गं ग्रहपतये नम:
41) गं कामिने नम:
42) गं सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
43) गं पाशांकुशधराय नम:
44) गं चण्डाय नम:
45) गं गुणातीताय नम:
46) गं निरंजनाय नम:
47) गं अकल्मषाय नम:
48) गं स्वयंसिद्धाय नम:
49) गं सिद्धार्चितपदांबुजाय नम:
50) गं बीजापूरफलासक्ताय नम:
51) गं वरदाय नम:
52) गं शाश्वताय नम:
53) गं कृतिने नम:
54) गं द्विजप्रियाय नम:
55) गं वीतभयाय नम:
56) गं गतिने नम:
57) गं चक्रिणे नम:
58) गं इक्षुचापधृते नम:
59) गं श्रीदाय नम:
60) गं अजाय नम:
61) गं उत्पलकराय नम:
62) गं श्रीपतये नम:
63) गं स्तुतिहर्षिताय नम:
64) गं कुलाद्रिभेत्रे नम:
65) गं जटिलाय नम:
66) गं कलिकल्मषनाशनाय नम:
67) गं चंद्रचूडामणये नम:
68) गं कांताय नम:
69) गं पापहारिणे नम:
70) गं समाहिताय नम:
71) गं आश्रिताय नम:
72) गं श्रीकराय नम:
73) गं सौम्याय नम:
74) गं भक्तवांछितदायकाय नम:
75) गं शांताय नम:
76) गं कैवल्यसुखदाय नम:
77) गं सच्चिदानंदविग्रहाय नम:
78) गं ज्ञानिने नम:
79) गं दयायुताय नम:
80) गं दांताय नम:
81) गं ब्रह्मद्वेषविवर्जिताय नम:
82) गं प्रमत्तदैत्यभयदाय नम:
83) गं श्रीकण्ठाय नम:
84) गं विबुधेश्वराय नम:
85) गं रामार्चिताय नम:
86) गं विधये नम:
87) गं नागराजयज्ञोपवितवते नम:
88) गं स्थूलकण्ठाय नम:
89) गं स्वयंकर्त्रे नम:
90) गं सामघोषप्रियाय नम:
91) गं परस्मै नम:
92) गं स्थूलतुंडाय नम:
93) गं अग्रण्यै नम:
94) गं धीराय नम:
95) गं वागीशाय नम:
96) गं सिद्धिदायकाय नम:
97) गं दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:
98) गं अव्यक्तमूर्तये नम:
99) गं अद्भुतमूर्तिमते नम:
100) गं शैलेंद्रतनुजोत्संगखेलनोत्सुकमानसाय नम:
101) गं स्वलावण्यसुधासारजितमन्मथविग्रहाय नम:
102) गं समस्तजगदाधाराय नम:
103) गं मायिने नम:
104) गं मूषकवाहनाय नम:
105) गं हृष्टाय नम:
106) गं तुष्टाय नम:
107) गं प्रसन्नात्मने नम:
108) गं सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम:

नववर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनायें

 सभी पाठकों को 

नववर्ष
2021
की शुभकामनायें 




वर्ष 2020 ढेर सारी समस्याओं के साथ हमारे सामने आया । हम में से सभी लोगों ने अपने अपने स्तर पर उसका मुकाबला करने की कोशिश भी की और सफल भी हुए । 


कोरोना जैसी महामारी ने सब कुछ हिला कर रख दिया है । अब भी समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है ऐसी स्थिति में महामाया की शक्ति पर विश्वास और गुरु की कृपा से यह वर्ष भी बेहतर ढंग से आगे की ओर बढ़े और सभी के जीवन में सुख समृद्धि और अनुकूलता प्रदान करें ऐसी ही शुभकामनाएं आप सभी को !





विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥

चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥

ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥

दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥

ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥

शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥

इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर  सर्व विध शांति हो.

श्री गणेश अष्टोत्तर शत नाम

  


श्री गणेश अष्टोत्तर शत नाम
-----------------------------------------
"गं" गणेश भगवान का बीज मंत्र है । 
गणेश भगवान की मूर्ति या यंत्र को सामने रख लें ।
अगर मूर्ति मिट्टी की है तो उसपर जल न चढ़ाएँ , सामने एक बर्तन रखके उसमे चढ़ाएँ , वरना आपकी मूर्ति गीली हो जाएगी ।  

1) गं विनायकाय नम: 
2) गं विघ्नराजाय नम:
3) गं गौरीपुत्राय नम:
4) गं गणेश्वराय नम:
5) गं स्कंदाग्रजाय नम:
6) गं अव्ययाय नम:
7) गं भूताय नम:
8) गं दक्षाय नम:
9) गं अध्यक्षाय नम:
10) गं द्विजप्रियाय नम:
11) गं अग्निगर्भच्छिदे नम:
12) गं इंद्रश्रीप्रदाय नम:
13) गं वाणीप्रदाय नम:
14) गं अव्ययाय नम:
15) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
16) गं शर्वतनयाय नम:
17) गं शर्वरीप्रियाय नम:
18) गं सर्वात्मकाय नम:
19) गं सृष्टिकत्रै नम:
20) गं देवाय नम:
21) गं अनेकार्चिताय नम:
22) गं शिवाय नम:
23) गं शुद्धाय नम:
24) गं बुद्धिप्रियाय नम:
25) गं शांताय नम:
26) गं ब्रह्मचारिणे नम:
27) गं गजाननाय नम:
28) गं द्वैमातुराय नम:
29) गं मुनिस्तुत्याय नम:
30) गं भक्तविघ्नविनाशनाय नम:
31) गं एकदंताय नम:
32) गं चतुर्बाहवे नम:
33)गं चतुराय नम:
34) गं शक्तिसंयुताय नम:
35) गं लंबोदराय नम:
36) गं शूर्पकर्णाय नम:
37) गं हरये नम:
38) गं ब्रह्मविदुत्तमाय नम:
39) गं कालाय नम:
40) गं ग्रहपतये नम:
41) गं कामिने नम:
42) गं सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
43) गं पाशांकुशधराय नम:
44) गं चण्डाय नम:
45) गं गुणातीताय नम:
46) गं निरंजनाय नम:
47) गं अकल्मषाय नम:
48) गं स्वयंसिद्धाय नम:
49) गं सिद्धार्चितपदांबुजाय नम:
50) गं बीजापूरफलासक्ताय नम:
51) गं वरदाय नम:
52) गं शाश्वताय नम:
53) गं कृतिने नम:
54) गं द्विजप्रियाय नम:
55) गं वीतभयाय नम:
56) गं गतिने नम:
57) गं चक्रिणे नम:
58) गं इक्षुचापधृते नम:
59) गं श्रीदाय नम:
60) गं अजाय नम:
61) गं उत्पलकराय नम:
62) गं श्रीपतये नम:
63) गं स्तुतिहर्षिताय नम:
64) गं कुलाद्रिभेत्रे नम:
65) गं जटिलाय नम:
66) गं कलिकल्मषनाशनाय नम:
67) गं चंद्रचूडामणये नम:
68) गं कांताय नम:
69) गं पापहारिणे नम:
70) गं समाहिताय नम:
71) गं आश्रिताय नम:
72) गं श्रीकराय नम:
73) गं सौम्याय नम:
74) गं भक्तवांछितदायकाय नम:
75) गं शांताय नम:
76) गं कैवल्यसुखदाय नम:
77) गं सच्चिदानंदविग्रहाय नम:
78) गं ज्ञानिने नम:
79) गं दयायुताय नम:
80) गं दांताय नम:
81) गं ब्रह्मद्वेषविवर्जिताय नम:
82) गं प्रमत्तदैत्यभयदाय नम:
83) गं श्रीकण्ठाय नम:
84) गं विबुधेश्वराय नम:
85) गं रामार्चिताय नम:
86) गं विधये नम:
87) गं नागराजयज्ञोपवितवते नम:
88) गं स्थूलकण्ठाय नम:
89) गं स्वयंकर्त्रे नम:
90) गं सामघोषप्रियाय नम:
91) गं परस्मै नम:
92) गं स्थूलतुंडाय नम:
93) गं अग्रण्यै नम:
94) गं धीराय नम:
95) गं वागीशाय नम:
96) गं सिद्धिदायकाय नम:
97) गं दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:
98) गं अव्यक्तमूर्तये नम:
99) गं अद्भुतमूर्तिमते नम:
100) गं शैलेंद्रतनुजोत्संगखेलनोत्सुकमानसाय नम:
101) गं स्वलावण्यसुधासारजितमन्मथविग्रहाय नम:
102) गं समस्तजगदाधाराय नम:
103) गं मायिने नम:
104) गं मूषकवाहनाय नम:
105) गं हृष्टाय नम:
106) गं तुष्टाय नम:
107) गं प्रसन्नात्मने नम:
108) गं सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम:
हर  नमः पर एक आचमनी जल अर्पण करे 
अंत मे श्री गणेश भगवान से गलतियों के लिए क्षमा मांगे ।  

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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