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19 नवंबर 2024

त्रिपुरभैरवी साधना मंत्रम

 



॥ हसै हसकरी हसै ॥


लाभ - शत्रुबाधा, तन्त्रबाधा निवारण.


विधि ---


  • दिये हुए चित्र को फ़्रम करवा लें.
  • यन्त्र के बीच में देखते हुए जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • काला रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधना काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • उपवास न कर सकें तो साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.

26 जुलाई 2024

रोग निवारण मे सहायक : भगवान शिव के मंत्रों से अभिमंत्रित रुद्राक्ष की माला

 रोग निवारण मे सहायक : भगवान शिव के मंत्रों से अभिमंत्रित रुद्राक्ष की माला


आप किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित हो और स्वास्थ्य लाभ के लिए दवाओं के साथ देवीय कृपा भी चाहते हों ।
आप या आपके परिवार के सदस्य अक्सर किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहते हो ।
आपको अनावश्यक रूप से मानसिक तनाव या चिंता आशंका बनी रहती हो, डिप्रेशन होता हो ।

यदि आप उपरोक्त स्थितियों से ग्रसित है तो आपको भगवान शिव के विशिष्ठ मास सावन मे किसी भी दिन यह प्रयोग अवश्य संपन्न करना चाहिए । इससे आपको काफी अनुकूलता मिलेगी ।

आइये जानते हैं कि रुद्राक्ष क्या है ?

यह दो शब्दों से मिलकर बना है रूद्र और अक्ष ।

रुद्र = शिव, अक्ष = आँख

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के आंखों से गिरे हुए आनंद के आंसुओं से रुद्राक्ष के फल की उत्पत्ति हुई थी ।

रुद्राक्ष पर बनी लाइनों को मुख कहा जाता है । रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं । मंत्र जाप के निमित्त सभी साधनाओं में रुद्राक्ष की माला को सर्वसिद्धिदायक मानकर स्वीकार किया जाता है ।

आपको अगर सरल शब्दों मे समझाऊँ तो रुद्राक्ष एक तरह की आध्यात्मिक बैटरी है, जो आपके मंत्र जाप और साधना के द्वारा चार्ज होती रहती है । वह आपके इर्द-गिर्द एक आध्यात्मिक सुरक्षा घेरा बनाकर रखती है । जो आपकी रक्षा तब भी करती है जब आप साधना से उठ जाते हैं । यह रक्षा मंडल आपके चारों तरफ दिनभर बना रहता है । यह नकारात्मक ऊर्जा यानि निगेटिव एनर्जी से आपकी रक्षा करता रहता है ।
रोग निवारक शक्ति भी रुद्राक्ष मे होती है । आपने देखा होगा कि भूतपूर्व प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी भी रुद्राक्ष की माला धारण करती थीं । वर्तमान प्रधान मंत्री मोदी जी तो फिर एक आध्यात्मिक साधक हैं ही..... इसलिए वे कई अवसरों पर रुद्राक्ष की माला धारण किए हुये या उससे जाप करते हुये देखे जा सकते हैं ....

रुद्राक्ष के ऊपर कई प्रकार के शास्त्रोक्त या किसी ग्रंथ से संबन्धित नियम कानून बताए जाते हैं । इसलिए रुद्राक्ष पहनने के मामले में सबसे ज्यादा लोग नियमों की चिंता करते हैं ।
मुझे गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के दिव्य सानिध्य में गुजरे अपने पिछले तीस पैंतीस साल के अनुभव से ऐसा लगता है कि, जैसे भगवान शिव, किसी नियम, किसी सीमा, के अधीन नहीं है, उसी प्रकार से उनका अंश रुद्राक्ष भी परा स्वतंत्र हैं । उनके लिए किसी प्रकार के नियमों की सीमा का बांधा जाना उचित नहीं है....
मेरा व्यक्तिगत विचार है कि कोई भी गृहस्थ व्यक्ति , पुरुष या स्त्री , बालक-बालिका, वृद्ध-वृद्धा रुद्राक्ष की माला धारण कर सकते हैं । अगर एक या अधिक दाना धारण करना चाहे तो भी धारण कर सकते हैं ।
अस्तु....

भगवान् शिव को महामृत्युंजय कहा जाता है अर्थात जिसने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली हो । इसलिए उनके मन्त्रों का अकाल मृत्यु निवारण के लिए अनुष्ठान करने का विधान है । उन्हें वैद्यनाथ भी कहा जाता है अर्थात जो रोग निवारण करने वाले वैद्यों के भी नाथ हैं । इसलिए उनके मंत्र रोग निवारक माने जाते हैं ।


रुद्राक्ष माला प्रयोग विधि :-

एक रुद्राक्ष की माला ले लें जिसमे 33, 54 या 108 दाने हों । वह माला उतनी लंबी होनी चाहिए जिसे आप गले मे पहन सकें ।

माला का चैतन्यीकरण :-

माला को गंगा जल में २४ घंटे के लिए डूबाकर रख लें । बाहर निकालने के बाद उस माला से 111 माला निम्नलिखित मंत्र का जाप किसी शिव मंदिर मे या शिवलिंग या शिव चित्र/यंत्र के सामने बैठकर कर लें । इस प्रकार से वह माला चैतन्य हो जाएगी ।
इसके बाद आप उसे रोगी को दे सकते हैं ।


विशिष्ट महामृत्युंजय मंत्र :-
||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं ||

॥ om trayambakam yajamahe urva rukamiv stuta varda prachodayantaam ayuh pranam praj am pashum brahmavarchasam mahyam datvaa vrajam brahmalokam ॥

रोगी या माला धारण कर्ता के लिए विधान :-
आप इस रुद्राक्ष की माला से नित्य कम से कम एक माला इसी मंत्र का जाप करें ।
अगर आप बीमार हैं तो बिस्तर पर लेटे लेटे भी इसका जाप कर सकते हैं । इसमे शुद्धि अशुद्धि की चिंता की आवश्यकता नहीं है ।
इसे रोगी को स्वयं करना है । एकदम अवश हो तो परिवार का कोई सदस्य या कोई साधक रोगी के लिए जाप कर सकता है ।
आप अपनी क्षमता के अनुसार एक से ज्यादा मालाएँ भी कर सकते हैं । कम से कम एक माला तो अवश्य करें ।

जाप कर लेने के बाद उस माला को कम से कम एक घंटे पहन लें । आप माला को चौबीस घंटे भी पहन सकते हैं ।

पूरे एक सौ ग्यारह दिनों तक आप नित्य ऐसा करें । उसके बाद उस माला को नदी या तालाब मे विसर्जित करें । यदि ऐसा संभव ना हो तो गंगाजल मे धोकर किसी शिवालय मे छोड़ दें या छुडवा दें और भगवान शिव से रोगी के स्वास्थ्य लाभ की कामना करें ।
ऐसा करने से रोगी की नकारात्मक ऊर्जा विसर्जित होगी ।
माला पानी मे कैसे बहा दूँ ?
क्यों बहा दूँ ?
बहाना जरूरी है क्या ? ऐसा नहीं सोचेंगे ।

इस मंत्र का उच्चारण आप यू ट्यूब तथा प्रतिलिपि एफ़एम पर मेरे चेनल मंत्र उच्चारण by Anil Shekhar सर्च करके सुन सकते हैं

उच्चारण मे होने वाली त्रुटियाँ धीरे धीरे ठीक हो जाती हैं , उसकी चिंता नहीं करेंगे । यथासंभव स्पष्ट उच्चारण करने की कोशिश करेंगे । मन मे यह भाव रखेंगे कि भगवान शिव की कृपा से आप स्वस्थ हों ।

इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बीमारियों में लाभ होता है । यह सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा प्रदत्त विशिष्ट महामृत्युंजय मंत्र है ।

अगर आप चाहें तो सावन माह मे आपके नाम से भगवान शिव के विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित करके रुद्राक्ष माला आपको स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजी जा सकती है ।
इसके लिए निर्धारित शुल्क एक हजार एक सौ ग्यारह रुपये [जिसमे रुद्राक्ष की 108 छोटे दानों वाली माला का मूल्य, पूजन सामग्री का व्यय, पूजन शुल्क, पेकेजिंग तथा पोस्टेज व्यय शामिल है ] भेजकर आप इसे प्राप्त कर सकते हैं ।
शुल्क आप फोन पे, पे टी एम, गूगल पे, भीम पे से मेरे मोबाइल नंबर पर भेज सकते हैं :-
मेरा मोबाइल नंबर - 7000630499

इस क्यूआर कोड से भी भेज सकते हैं 



माला प्राप्त करने के लिए मुझे निम्नलिखित चीजें इस नंबर पर व्हाट्सप्प कर देंगे :-

१) निर्धारित शुल्क के ऑनलाइन पेमेंट की रसीद ।
२) आपका नाम , जन्म तिथि,स्थान,समय ।[ यदि मालूम हो ]
३) गोत्र (यदि मालूम हो )
४) अपनी ताजा फोटो जिसमे आपका चेहरा और आँखें स्पष्ट दिखती हों । चश्मा लगाते हों तो बिना चश्मे के फोटो भेजेंगे । यह फोटो आपके प्रतीक रूप में माला के पूजन के समय रखी जाएगी . 
५) आपका पूरा पोस्टल एड्रेस पिन कोड सहित भेजेंगे । साथ मे वह मोबाइल नंबर भी भेजेंगे जिसपर पोस्टमेन आवश्यकता पड़ने पर आपसे पार्सल की डिलिवरी के समय संपर्क कर सके ।

13 जुलाई 2023

तांत्रोक्त गुरु पूजन

     

तांत्रोक्त गुरु पूजन

तंत्रोक्त गुरु पूजन की विधि प्रस्तुत है । 

जिसके माध्यम से आप अपने सदगुरुदेव का पूजन कर सकते हैं क्योंकि मेरे गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ( डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) हैं इसलिए गुरुदेव जी के स्थान पर में उनका नाम ले रहा हूं आप अपने गुरु का नाम उनकी जगह पर ले सकते हैं ।  

इस पूजन के लिए स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें । लकड़ी की चौकी या बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर पंचामृत या जल से स्नान कराके गुरु चित्र यंत्र या शिवलिंग जो भी आपके पास उपलब्ध हो उसे रख लें । अब पूजन प्रारंभ करें। 

 

पवित्रीकरण

किसी भी कार्य को करने के पहले हम अपने आप को साफ सुथरा करते हैं ठीक वैसे ही पूजन करने से पहले भी अपने आप को पवित्र किया जाता है इसे पवित्रीकरण कहते हैं इसमें अपने ऊपर बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से  छिड़कें  या फूल या चम्मच जो भी आप इस्तेमाल करना चाहते हो उसके द्वारा अपने ऊपर थोड़ा  सा जल छिड़क लें । 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।

आचमन 

आंतरिक शुद्धि के लिए निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -

ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

 

सूर्य पूजन

भगवान सूर्य इस सृष्टि के संचालन करता है और उन्हीं के माध्यम से हम सभी का जीवन गतिशील होता है इसलिए उनकी पूजा अनिवार्य है । 

कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -

ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।

हिरण्येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं ।जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ।।

 

ध्यान

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: । 

गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ॥ 

ध्यान मूलं गुरु: मूर्ति पूजा मूलं गुरो पदं । 

मंत्र मूलं गुरुर्वाक्य मोक्ष मूलं गुरुकृपा ॥ 

 आवाहन 

ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

षट चक्र स्थापन --

गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -

श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री विष्णुदेवानन्दनाथ ज्ञान शक्त्यम्बा विशुद्ध चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ब्रह्मदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः ।

ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – गंगाजल स्नानं समर्पयामि ।

ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि ।

ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि ।

ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतं समर्पयामि ।

ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारम समर्पयामि ।

दीपम 

सिद्ध शक्तियों को दीप दिखाएँ 

 

श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि ।

श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि ।

श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि ।

श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि ।

श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि ।

श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि ।

 

नीराजन --

पात्र में जल, कुंकुम, अक्षत और पुष्प लेकर गुरु चरणों मे समर्पित करें -

श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

पञ्च पंचिका 

अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर , दोनों हाथों को भिक्षापात्र के समान जोड़कर, निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें -

श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि । 

श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

 

श्री मन्मालिनी मंत्र 

अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके । इसके द्वारा सभी अक्षरों अर्थात स्वर व्यंजनों का पूजन हो जाता है जिससे मंत्र बनते हैं :- 

 

ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः ।

कं खं गं घं ङं ।

चं छं जं झं ञं ।

टं ठं डं ढं णं ।

तं थं दं धं नं ।

पं फं बं भं मं ।

यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः ।

गुरु मंत्र जाप 

इसके बाद गुरु मंत्र का यथा शक्ति जाप करें ।  

प्रार्थना --

लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् ।

शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं ।

क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं ।

सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं ।

अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः ।

तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ।।

 

समर्पण --

सम्पूर्ण पूजन गुरु के चरणों मे समर्पित करें :-

देवनाथ गुरौ स्वामिन देशिक स्वात्म नायक: । 

त्राहि त्राहि कृपा सिंधों , पूजा पूर्णताम कुरु ....

अनया पूजया श्री गुरु प्रीयंताम तदसद श्री सद्गुरु चरणार्पणमस्तु ॥ 

इतना कहकर गुरु चरणों मे जल छोड़ें । 

शांति 

 

तीन बार जल छिडके...    

ॐ शान्तिः । शान्तिः ।। शान्तिः ।।।


आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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6 जुलाई 2023

क्या आप साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?

क्या आप :-

साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?
देवी देवताओं की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ?
विविध बाधाओं का समाधान चाहते हैं ?
देवी देवताओं के प्रामाणिक पूजन पद्धति का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं ? 
???????
तो आप 
पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २5०=०० रुपये] लें.   


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[Tantra,Mantra Sadhana,Deeksha]

साधना सिद्धि विज्ञान 
जास्मीन - 429
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12 जून 2023

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि - 19 से 28 जून 2023

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 



इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून 28 जून तक है ।.


कुछ मंत्र तथा विधियाँ जो गृहस्थ आसानी से कर सकें वह आगे प्रस्तुत की गई है ।जिन्हे आप कर सकते हैं । 

यथासंभव विधियों को सरल रखा गया है ताकि आप उसे कर सकें ।

शास्त्रीय विधि विधान से करने के इच्छुक साधक/ पाठक अपने गुरुदेव से प्राप्त करें या किसी प्रामाणिक ग्रंथ से विधि देख लें ।.

21 मई 2023

क्या आप साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?

 



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देवी देवताओं की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ?
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30 अप्रैल 2023

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह : एक सिद्ध तंत्र गुरु

 गुरुमाता डॉ. साधना सिंह : एक सिद्ध तंत्र गुरु




वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधिका हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.

तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
माँ अपने शिशु को स्नेह और वात्सल्य के साथ जो कुछ भी देती है वह उसके लिए अनुकूल हो जाता है . 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.

वे एक  योगाचार्य और विश्वविख्यात होम्यो पैथ भी हैं । उनके लेख वर्षों तक प्रतिष्ठित पत्रिका निरोगधाम में प्रकाशित होते रहे हैं । आप उनसे अपनी असाध्य बीमारियों पर भी सलाह एप्वाइंटमेंट लेकर ले सकते हैं।

मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ] तथा उनके बाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है ।

आप भी उनसे मिलकर प्रत्यक्ष मार्गदर्शन ले सकते हैं :-


जास्मीन - 429
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जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar

24 अप्रैल 2023

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

 गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

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16 फ़रवरी 2023

काल भैरव अष्टकम

 


काल भैरव अष्टकम


देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥


विधि :-

सूर्यग्रहण के अवसर पर 108 पाठ करें ।

यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।

विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे किया जा सकता है । 

21 जनवरी 2023

तारा महाविद्या की साधना : जीवन का सौभाग्य

 




  1. तारा काली कुल की महविद्या है ।
  2. तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
  3. यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
  4. गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
  5. साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।

तारा मंत्रम
 
॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
  • मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के
  • बीच करना चाहिये.
  • यह रात्रिकालीन साधना है.
  • गुरुवार से प्रारंभ करें.
  • गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  • उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  • यथासंभव एकांत वास करें.
  • सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
  • ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  • क्रोध और बकवास ना करें.
  • साधना को गोपनीय रखें.
  • प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका ।    
तारा स्तव मंजरी । 

19 जनवरी 2023

एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

  एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

यह सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा दिया गया एक अद्भुत मंत्र है .....


ॐ रक्षो रक्ष महावीर !

काला गोरा भेरूँ! बल वहन करे !

वज्र सी देह रक्षा करे ! एडी सू चोटी चोटी सू एडी !

तणो वज्र निरधार झरे ! ठम ठम ठम !!!


सद्गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमली जी के इस स्वरूप को प्रणाम करें और रक्षा की प्रार्थना करें उसके बाद इसे आप नवरात्रि मे रोज 108 बार जपकर सिद्ध कर लें ।.

बिस्तर से उठते समय यदि आप इसका नित्य 1 या 3 बार जाप करते रहें तो आपके ऊपर किसी प्रकार का तंत्र प्रयोग आदि होने पर उससे रक्षा होगी ।.