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16 अप्रैल 2024

दुर्घटना में रक्षा प्रदायक हनुमान /मारुति यंत्र

 दुर्घटना से बचाव के लिए : हनुमान मारुति यंत्र


 


वाहन यानि मोटर साइकल, स्कूटर, कार, आदि आज हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं । जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । उसके साथ साथ दुर्घटनाओं की संख्या और संभावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं । वाहन दुर्घटनाओं का होना जीवन में कई प्रकार के संकट और दुखद परिस्थितियों को निर्मित कर सकता है। इस प्रकार की दुर्घटनाएं आकस्मिक होती हैं और कई बार घातक भी हो सकती हैं ।

हम सावधानी से गाड़ी चलाएं, हेलमेट सीट बेल्ट का उपयोग करें , एयर बैग वाली गाड़ियों मे सफर करें तो नुकसान की संभावना कम होती जाती है । ये सारे रक्षा कारक उपाय हैं । जो आपके बड़े नुकसान को छोटा कर देता है , आपके प्राण बचा लेता है । 

कुछ आध्यात्मिक उपाय भी ऐसे हैं जो दुर्घटनाओं मे आपको सुरक्षा देने के लिए प्रयुक्त होते हैं ।

इसमे से एक सरल और सस्ता उपाय है श्री हनुमान/मारुति यंत्र ।

हनुमान जी को संकट मोचक कहा जाता है । उनका यंत्र आप अपने वाहन मे रखें या फिर अपने साथ जेब मे रखें तो यह हनुमान जी की कृपा से रक्षा प्रदायक माना गया है । 

श्री हनुमान/मारुति यंत्र आप चाहे तो दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं और उस पर पूजन करके अपनी जेब में या अपनी गाड़ी में रख सकते हैं । इसके लिए आप उसे सामने रखकर ११ बार हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं 

यदि आप चाहें तो हनुमान/मारुति यंत्र इस हनुमान जन्मोत्सव (23 अप्रैल 2024) के अवसर पर आपके नाम से अभिमंत्रित करके मेरे पास से भी प्राप्त कर सकते हैं । यंत्र उसे धारण करने/रखने के निर्देशों तथा विधि के साथ , हनुमान जयंती के एक या दो दिन के बाद आपको स्पीड पोस्ट से भेज दिया जाएगा । जो समान्यतः एक हफ्ते मे आपके पास पोस्टमेन द्वारा पहुंचा दिया जाएगा । इसके लिए अपना पूरा पता पिन कोड और फोन नंबर जिसपर पोस्टमेन संपर्क कर सके अवश्य भेजें । 

दुर्घटना में रक्षा प्रदायक हनुमान /मारुति यंत्र प्राप्त करने के लिए आप अपना नाम, [जन्म तिथि, जन्म समय, जन्म स्थान, गोत्र ( यदि मालूम हो तो )],  अपनी एक ताजा फोटो के साथ मेरे नंबर 7000630499 पर हनुमान जन्मोत्सव यानी 23 अप्रैल से पहले व्हाट्सएप्प कर दें ।

डाक व्यय सहित,यंत्र का पूजन शुल्क (₹ 251)दो सौ इक्यावन रुपए फोन पे, पेटीएम या गूगल पे से मेरे नंबर 7000630499 पर भेजकर उसकी रसीद भी उस के साथ व्हाट्सएप्प कर दें ।    

4 दिसंबर 2023

उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री

 उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री 



हवन सामग्री या हविष्य को देवताओं का भोजन माना गया है । हविष्य की उच्च गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखते हुये ,सफेद चंदन, काली तिल , इलायची, आंवला,सुगंध कोकिला,सफेद चिरमटी,जटामासी,जायफल, नागरमोथा, राल, शिलाजीत, गुग्गल,जैसी तमाम औषधियों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से हवन सामग्री तयार करने का विधान सनातन धर्म मे है ।

आजकल रेट कम रखने के चक्कर मे इनमे से अधिकांश चीजें हवन सामग्री मे से गायब हो गयी हैं । अब उसमे लकड़ी का बुरादा ज्यादा हो गया है । जिनकी वजह से हवन का पूरा लाभ नहीं मिल पाता ।


इस दिशा मे "वेद समृति" के द्वारा "हवन प्री मिक्स" के नाम से हवन सामाग्री प्रस्तुत की गयी है जिसमे दुर्लभ जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है ।
"हवन प्रीमिक्स" में जटामांसी, अश्वगंधा, तेजपत्ता, इंद्राज, अगर तगर, लाल गुंजा, सफेद गुंजा, केसर,  भीमसेनी कपूर, नागर मोथा, नागकेसर, कपूर, हरी इलायची, शतावरी जैसी विशिष्ट औषधियों के अलावा जावित्री, सफेद चंदन, पाउडर, अक्षत, राल, गूगल, लोबान, सहित तमाम औषधियों का मिश्रण उचित अनुपात में किया जाता है । इस विधि से तैयार हविष्य या हवन सामग्री से हवन करने से साधक या यज्ञ करने वाले को इष्ट की कृपा से मनोकामना की पूर्ति मे सहायता मिलती है ।
विशिष्ट देवियों जैसे महाविद्या बगलामुखी और महालक्ष्मी के विशेष हवन की सामग्री भी आप ऑनलाइन मंगा सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 7404561986

21 जुलाई 2023

चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष

  चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष



गौरीशंकर रुद्राक्ष मे रुद्राक्ष के दो दाने प्रकृतिक रूप से जुड़े हुये होते हैं । यह सामान्य रुद्राक्ष से महंगा होता है और आंवले के बराबर के दाने लगभग ग्यारह बारह हजार रुपए के आसपास मिलते हैं । इसके छोटे दाने कम कीमत मे भी उपलब्ध होते हैं । आप अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार इसे पहन सकते हैं । 

  


गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने के लाभ :-

अकाल मृत्यु नहीं होती है । 

आरोग्य प्रदान करता है । 

उच्च श्रेणी की परीक्षा के स्टूडेंट के लिए बहुत कारगर होता है । जो नौकरी के लिए विशेष एग्जाम मे बैठते हैं उनके लिए भी गौरीशंकर रुद्राक्ष बहुत अच्छा काम करता है । 

वैवाहिक जीवन मे जो पति-पत्नी के बीच की प्रॉब्लम होती है या पुरुषों में जो कमजोरी आती है उसके लिए भी सिद्ध गौरी शंकर रुद्राक्ष काम करता है ।  अगर पति पत्नी दोनों गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करते हैं तो पति पत्नी के संबंध बहुत मधुर रहते है । 

गौरी शंकर रुद्राक्ष, पहने वाले व्यक्ति को सदा मुकदमों,कोर्ट कचहरी से, विवादों से बचा लेता है । 


मानसिक रोग, मिर्गी के दौरे पड़ना, बुरे स्वप्न देखना, बेवजह गुस्सा आना, स्त्रियों में अजीब सा व्यवहार, हर वक्त एक अंजाना डर बैठा रहना, बहुत ज्यादा सोचते रहना आदि समस्याओं मे गौरी शंकर रुद्राक्ष जबर्दस्त अनुकूलता प्रदान करता है । 


आध्यात्मिक साधकों के लिए यह साधना की सफलता मे सहायक होता है । साधना और साधक के बीच में सेतु के रूप मे गौरी शंकर रुद्राक्ष बहुत काम आता है । गौरीशंकर रुद्राक्ष पहनकर मंत्र जाप करने से जल्दी अनुभव और अनुकूलता मिलती है । 





यदि आप मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा विशेष रूप से अभिमंत्रित किए गए गौरीशंकर रुद्राक्ष प्राप्त करना चाहते हों तो आप नीचे लिखे नंबर पर उनके शिष्य मुकेश जी से संपर्क कर सकते हैं :-




श्री मुकेश, 

निखिलधाम,भोपाल 

99266-70726


8 जुलाई 2023

सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच

  सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच 



कई पाठक पाठिकाओं ने अपने जीवन की कई समस्याओं के विषय मे मुझसे जानकारी और उपाय के विषय मे पूछा है ।

जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान पाने का सहयोगात्मक उपाय उससे संबन्धित साधनाओं से किया जा सकता है जो कि सदगुरु के पास से प्राप्त होता और सर्वश्रेष्ठ होता है ।

गृहस्थ व्यक्ति के लिए साधना करना कई बार संभव नहीं होता ऐसी स्थिति मे जब गुरु प्रसन्न होते हैं तो वे ऐसे दुर्लभ और विशिष्ट उपाय की सृष्टि भी कर देते हैं जो हर समस्या मे काम करता है ।

ऐसा ही एक उपाय है दस महाविद्या कवच !

यह एक अत्यंत छोटा सा और प्रभावशाली कवच है जो चाँदी मे बना हुआ है । इसे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने श्री महाकाल चक्र मण्डल के मंत्रों से इस प्रकार संगुफित किया है कि यह कम से कम गुरु की एक महादशा अर्थात लगभग 15-16 वर्ष तक प्रभावी रहेगा.....



तंत्र के क्षेत्र मे दस महाविद्याओं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । किसी एक महाविद्या के मंत्रों से सिद्ध किया गया कवच अद्भुत और शक्तिशाली बन जाता है ।


आप स्वयं कल्पना करें कि यदि कोई ऐसा कवच बनाया जाये, जिसे दसों महाविद्याओं से संबन्धित मंत्रों के द्वारा सिद्ध किया गया हो तो उसकी शक्ति कितनी प्रचंड होगी । वह भी एक ऐसे प्रचंड गुरु के द्वारा जिसने स्वयं दस महाविद्याओं की साधना की हुई हो ..... 


पूज्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने हिमालय की तराई मे पाई जाने वाली दस महाविद्याओं से संबन्धित गोपनीय तांत्रिक औषधियों के माध्यम से अभिमंत्रित करके दस महाविद्या कवच का निर्माण किया है ।  


आप चाहें तो इस अतिविशिष्ट कवच के विषय मे जानकारी/प्राप्त करने के लिए गुरुदेव के प्रिय शिष्य श्री प्रशांत पांडे जी से निम्नलिखित नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । 


श्री प्रशांत पांडे [दिल्ली] 

मोबाइल - 8800458271


आपकी जानकारी के लिए दस महाविद्याये और उनकी साधना से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं :-




1 - महाकाली महाविद्या = शत्रुबाधा , मानसिक शांति, अभय !


2 - तारा महाविद्या = सर्व संकट निवारण, आर्थिक उन्नति, विद्या प्राप्ति !



3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या =  सौन्दर्य , सुखद वैवाहिक जीवन, भोग और मोक्ष की प्राप्ति !




4. भुवनेश्वरी महाविद्या = आत्म ज्ञान, स्वस्थ्य और ऊर्जा , संतान प्राप्ति !



5. त्रिपुर भैरवी महाविद्या = इतर योनि बाधा , डर व भय से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति !



6. छिन्नमस्ता मंत्र = शत्रु विनाश, अभय, सर्वबाधा शमन , तंत्रबाधा नाशक !



7. धूमावती महाविद्या = गूढ रहस्यों का ज्ञान, संकट और न्यूनताओं का निवारण । 



8. बगलामुखी महाविद्या = शत्रुओं का स्तंभन और समूल नाश, वाक्पटुता, उत्तम स्वस्थ्य !





9. मातंगी महाविद्या = विद्या, बुद्धि, संगीत व कला का विकास । 


10. कमला महाविद्या = आर्थिक लाभ , ऋण मुक्ति, व्यापार वृद्धि, नौकरी में उन्नति, ऐश्वर्य और समृद्धि !


 


7 फ़रवरी 2023

शिवलिंगम

शिवलिंगम 


भगवान शिव के पूजन मे शिवलिंग का प्रयोग होता है। शिवलिंग के निर्माण के लिये स्वर्णादि विविध धातुओं, मणियों, रत्नों, तथा पत्थरों से लेकर मिटृी तक का उपयोग होता है।


मिट्टी से बनाए जाने वाले शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है और सामान्यतः इसका निर्माण करने के कुछ समय के बाद इसे विसर्जित कर दिया जाता है क्योंकि मिट्टी से बना होने के कारण यह जल्दी टूट जाता है । सामान्यतः श्रावण मास में या शिवरात्रि के अवसर पर पार्थिव शिवलिंग के पूजन का विधान रखा जाता है । इसके दौरान भक्त अपनी क्षमता के अनुसार एक सौ आठ, एक हजार आठ जैसी संख्या में शिवलिंग का निर्माण करते हैं । कई बार सामूहिक रूप से भी ऐसे आयोजन किए जाते हैं । पार्थिव शिवलिंग को बनाकर उसका पूजन करने और जल में विसर्जित कर देने से मनोकामना की पूर्ति होती है ऐसा माना जाता है ।


इसके अलावा रस अर्थात पारे को विविध क्रियाओं से ठोस बनाकर भी लिंग निर्माण किया जाता है,


इसके बारे में कहा गया है कि,


मृदः कोटि गुणं स्वर्णम, स्वर्णात्कोटि गुणं मणिः,

मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः

रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥


अर्थात मिटृी से बने शिवलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल सोने से बने शिवलिंग के पूजन से,

स्वर्ण से करोड गुणा ज्यादा फल मणि से बने शिवलिंग के पूजन से,

मणि से करोड गुणा ज्यादा फल बाणलिंग के पूजन से

तथा

बाणलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल

रस अर्थात पारे से बने शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है।

आज तक पारे से बने शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो बना है और न ही बन सकता है।



शिवलिंगों में नर्मदा नदी से प्राप्त होने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग जिन्हें बाणलिंग भी कहते हैं । अत्यंत लाभप्रद तथा शिवकृपा प्रदान करने वाले माने गये हैं।


यदि आपके पास शिवलिंग न हो तो अपने बांये हाथ के अंगूठे को शिवलिंग मानकर भी पूजन कर सकते हैं ।


शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त की भावना का संयोजन नही होता तब तक शिवकृपा नही मिल सकती।

3 फ़रवरी 2023

रुद्राक्ष : एक अद्भुत आध्यात्मिक फल

रुद्राक्ष : एक अद्भुत आध्यात्मिक फल 


रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है रूद्र और अक्ष । 

रुद्र = शिव, अक्ष = आँख 

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के आंखों से गिरे हुए आनंद के आंसुओं से रुद्राक्ष के फल की उत्पत्ति हुई थी । 

रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं । 

रुद्राक्ष साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण चीज है लगभग सभी साधनाओं में रुद्राक्ष की माला को स्वीकार किया जाता है एक तरह से आप इसे माला के मामले में ऑल इन वन कह सकते हैं 


अगर आप तंत्र साधनाएं करते हैं या किसी की समस्या का समाधान करते हैं तो आपको रुद्राक्ष की माला अवश्य पहननी चाहिए ।


यह एक तरह की आध्यात्मिक बैटरी है जो आपके मंत्र जाप और साधना के द्वारा चार्ज होती रहती है और वह आपके इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बनाकर रखती है जो आपकी रक्षा तब भी करती है जब आप साधना से उठ जाते हैं और यह रक्षा मंडल आपके चारों तरफ दिनभर बना रहता है ।

पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुलभ और सस्ते होते हैं । जैसे जैसे मुख की संख्या कम होती जाती है उसकी कीमत बढ़ती जाती है । एक मुखी रुद्राक्ष सबसे दुर्लभ और सबसे महंगे रुद्राक्ष है । इसी प्रकार से पांच मुखी रुद्राक्ष के ऊपर मुख वाले रुद्राक्ष की मुख की संख्या के हिसाब से उसकी कीमत बढ़ती जाती है । 21 मुखी रुद्राक्ष भी बेहद दुर्लभ और महंगे होते हैं ।

पांच मुखी रुद्राक्ष सामान्यतः हर जगह उपलब्ध हो जाता है और आम आदमी उसे खरीद भी सकता है पहन भी सकता है । पाँच मुखी रुद्राक्ष के अंदर भी आध्यात्मिक शक्तियों को समाहित करने के गुण होते हैं ।


गृहस्थ व्यक्ति , पुरुष या स्त्री , पांच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण कर सकते हैं और अगर एक दाना धारण करना चाहे तो भी धारण कर सकते हैं ।

रुद्राक्ष की माला से बीपी में भी अनुकूलता प्राप्त होती है


रुद्राक्ष पहनने के मामले में सबसे ज्यादा लोग नियमों की चिंता करते हैं ।

मुझे ऐसा लगता है कि जैसे भगवान शिव किसी नियम किसी सीमा के अधीन नहीं है, उसी प्रकार से उनका अंश रुद्राक्ष भी परा स्वतंत्र हैं । उनके लिए किसी प्रकार के नियमों की सीमा का बांधा जाना उचित नहीं है


रुद्राक्ष हर किसी को सूट नहीं करता यह भी एक सच्चाई है और इसका पता आपको रुद्राक्ष की माला पहनने के महीने भर के अंदर चल जाएगा । अगर रुद्राक्ष आपको स्वीकार करता है तो वह आपको अनुकूलता देगा ।

आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा आपको अपने शरीर में ज्यादा चेतना में महसूस होगी......

आप जो भी काम करने जाएंगे उसमें आपको अनुकूलता महसूस होगी ....

ऐसी स्थिति में आप रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं वह आपके लिए अनुकूल है !!!


इसके विपरीत स्थितियाँ होने से आप समझ जाइए कि आपको रुद्राक्ष की माला नहीं पहननी है ।


इसके बाद सबसे ज्यादा संशय की बात होती है कि रुद्राक्ष असली है या नहीं है । आज के युग में 100% शुद्धता की बात करना बेमानी है । ऑनलाइन में कई प्रकार के सर्टिफाइड रुद्राक्ष भी उपलब्ध है । उनमें से भी कई नकली हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में मेरे विचार से आप किसी प्रामाणिक गुरु से या आध्यात्मिक संस्थान से रुद्राक्ष प्राप्त करें तो ज्यादा बेहतर होगा ।




तमिलनाडु में कोयंबटूर नामक स्थान पर सद्गुरु के नाम से लोकप्रिय आध्यात्मिक संत जग्गी वासुदेव जी के द्वारा ईशा फाउंडेशन नामक एक संस्था की स्थापना की गई है । जो आदियोगी अर्थात भगवान शिव के गूढ़ रहस्यों को जन जन तक पहुंचाने के लिए निरंतर गतिशील है । उनके द्वारा एक अद्भुत और संभवतः विश्व के सबसे बड़े पारद शिवलिंग की स्थापना भी की गई है । यही नहीं एक विशालकाय आदियोगी भगवान शिव की प्रतिमा का भी निर्माण किया गया है , जिसके प्रारंभ के उत्सव में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी उपस्थित थे ।


ईशा फाउंडेशन के द्वारा कुछ विशेष अवसरों पर निशुल्क प्राण प्रतिष्ठित रुद्राक्ष भी उपलब्ध कराए जाते हैं जैसा कि शिवरात्रि के अवसर पर इस वर्ष किया गया था ।


इसके अलावा रुद्राक्ष की छोटे मनको वाली और बड़े मनको वाली माला जोकि सदगुरुदेव द्वारा प्राण प्रतिष्ठित होती है, वह आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं । ज्यादा जानकारी के लिए आप ईशा फाउंडेशन गूगल में सर्च करके देख सकते हैं ।

उनकी वेबसाइट का एड्रेस है . 

https://www.ishalife.com/in/


30 अप्रैल 2022

अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

 


अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना के लिए और उनके पूजन के लिए एक अति विशिष्ट मुहूर्त माना गया है । गृहस्थ के लिए लक्ष्मी अर्थात धन धान्य का महत्व अलग से बताने की शायद आवश्यकता नहीं है  । इस दिन महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करना चाहिए । अगर संभव हो तो उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना भी लाभदायक रहता है ।

श्री यंत्र

इसके अलावा आप इस दिन अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित कर सकते हैं । श्री यंत्र कई प्रकार के होते हैं । जिनमें तांबे के ऊपर बने हुए श्री यंत्र सामान्यतः हर जगह उपलब्ध होते हैं । सुनार की दुकान पर आपको चांदी के ऊपर बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे और कई जगह आपको सोने के या सोने की प्लेटिंग के बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे ।

इसके अलावा श्री यंत्र कई चीजों से बनते हैं, जिनमें स्फटिक और अन्य मणियाँ शामिल है ! मणि यानी कि रत्न से बने हुए श्री यंत्र भी उपलब्ध होते हैं ये थोड़े महंगे होते हैं और इनकी कीमत रत्न के वजन के हिसाब से होती है ।




श्री यंत्र का लॉकेट भी मिलता है, आप चाहे तो उसे गले में भी पहन सकते हैं ।

अक्षय तृतीया के दिन कोई भी लक्ष्मी का मंत्र या स्तोत्र आप श्री यंत्र के ऊपर संपन्न करके उसे अपनी तिजोरी, पूजा घर, आलमारी या अपने गल्ले में रख सकते हैं ।

लक्ष्मी की अनुकूलता देने वाली तांत्रिक सामग्री :-

 

एकाक्षी नारियल

 

 


एक = एक , अक्ष = आँख

इसके अलावा जो विशेष तांत्रिक सामग्री लक्ष्मी के घर में स्थायित्व के लिए, या घर में लक्ष्मी के रुकने के लिए या बेवजह के खर्चों को रोकने के लिए सहायक होती है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण है एकाक्षी नारियल ।

सामान्यत: आपने देखा होगा कि नारियल के ऊपर तीन छेद होते हैं । जिसे दो आंख तथा एक मुंह कहा जाता है । एकाक्षी नारियल में दो की जगह केवल एक ही आंख होता है । जो सामान्य नारियल होते हैं, उसमें इस प्रकार से सैकड़ों नारियल में से किसी एक नारियल में दो की जगह एक ही आंख होता है, यानी कि उसमें तीन की जगह केवल दो काले बिंदु दिखाई देंगे और उनको एकाक्षी नारियल कहा जाता है ।

इसके अलावा कुछ तांत्रिक एकाक्षी नारियल भी होते हैं, जो कि अलग-अलग प्रकार के आकारों मे पाए जाते हैं । उनके अंदर भी इस प्रकार की आंख की आकृति बनी हुई होती है ।

वह भी महालक्ष्मी कृपा प्रदान करने में सहायक होते हैं ।

 

हत्था जोड़ी

 

 

एक और तांत्रिक वस्तु है..... हत्था जोड़ी !

यह एक पौधे की जड़ होती है । जिसका आकार बिल्कुल मनुष्य के हाथ के जैसा दिखाई देगा और वह भी एक हाथ नहीं बल्कि एक हाथ की जोड़ी के जैसा । ऐसा लगता है जैसे दो हाथों को आपस में मिलाकर रखा गया हो । हत्था जोड़ी बहुत दुर्लभ नहीं है । इसे प्राप्त किया जा सकता है । कई जड़ी बूटी की दुकानों पर या घूमने वाले घुमंतू व्यक्तिओं से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । यह अगर आप अपने घर में रखे तो भी आपको लक्ष्मी के और व्यवसाय के संबंध में अनुकूलता प्राप्त होगी ।

बिल्ली की जेर


इसके अलावा एक और चीज है जो काफी प्राचीन काल से ही लक्ष्मी प्रदायक मानी जाती है । वह है बिल्ली की जेर या बिल्ली की नाल । बिल्ली जब अपने बच्चे का प्रसव करती है तो उसके साथ उसकी नाल भी बाहर निकलती है । यह बिल्ली की नाल बदबूदार होती है बिल्ली अधिकांश अवसरों पर इसे स्वयं खा जाती है ।

अगर सौभाग्यवश किसी प्रकार से आपको यह नाल प्राप्त हो जाए तो इसे सुखाकर आप सिंदूर कपूर इलायची आदि डालकर किसी सोने की डिबिया में या चांदी की डिबिया में या प्लास्टिक के डिब्बे में अपने पूजा स्थान में या अपने गल्ले में या अपनी तिजोरी में इसे रखेंगे तो वह आपके लिए अनुकूलता प्रदान करेगी । यदि आप उसे सामने रखकर उसके सामने लक्ष्मी के मंत्र का जाप कर लेते हैं या महालक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करते हैं या कमलगट्टे की आहुतियां उसके सामने यज्ञ करके प्रदान करते हैं तो उसकी तेजस्विता बढ़ जाती है । वह आपको ज्यादा अनुकूलता प्रदान करती है ।

 

कनकधारा यंत्र


लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए अन्य यंत्रों में एक सबसे उपयोगी यंत्र है कनकधारा यंत्र । कनकधारा यंत्र को स्थापित करके यदि आप नित्य कनकधारा स्तोत्र का एक बार या अपनी क्षमता अनुसार ज्यादा पाठ करेंगे तो 6 महीने से साल भर के भीतर आपको आर्थिक लाभ होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी ।

 

हां ! इसके लिए जरूरी है कि आपका कोई काम हो यानि आप कुछ पुरुषार्थ करते हों । घर बैठे बैठे कुछ भी नहीं मिलता है । मान लीजिए आपकी दुकान होगी तो वह ज्यादा चलने लग जाएगी ।

लेकिन अगर आप नौकरी करते हैं तो वहां तो सीमित संभावनाएं होती है उसमें बहुत ज्यादा लाभ आपको नहीं दिखेगा । हां ! खर्चों में कमी आ सकती है ।

यदि आप की दुकान है या कोई व्यवसाय है जिसमे आय बढ़ने की संभावनाएं हैं तो कनकधारा का जाप करने से आपको निश्चित रूप से उसका लाभ दिखाई देगा ।

 

अष्ट लक्ष्मी यंत्र

 

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए एक अन्य वस्तु जो उपयोगी है वह है अष्ट लक्ष्मी यंत्र । इसमें आठ प्रकार की लक्ष्मीयों के यंत्र बने हुए होते हैं या उनकी आकृति बनी हुई होती है ।

इस यंत्र को भी आप लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए स्थापित कर सकते हैं ।

 

कुबेर यंत्र


एक और यंत्र है जो महालक्ष्मी कृपा प्राप्त करने के लिए यानि धन समृद्धि प्राप्त करने के लिए सहायक होता है । वह है कुबेर यंत्र ! कुबेर यंत्र भी कई स्थानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है या किसी तांत्रिक प्रतिष्ठान से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । कुबेर को भगवान या देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में स्वीकार किया जाता है । यानी कि वे देवराज इंद्र के कोषाध्यक्ष है । अब देवताओं के पास अकूत धन संपदा होती है और उसके प्रभारी हैं यक्ष राज कुबेर । उनके यंत्र को स्थापित करके उनके मंत्र का जाप करने से भी लक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होती है ।

 

स्वर्णाकर्षण भैरव 

एक और तांत्रिक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव ! जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे भगवान शिव का जो सक्रिय स्वरूप है वह है भैरव । भैरव के कई स्वरूप माने गए हैं उसमें से एक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव । स्वर्ण का मतलब है सोना, आकर्षण मतलब उसे अपनी ओर खींचने की क्रिया और भैरव याने कि वह जो इस प्रकार की क्रिया को संपन्न करता है ।

स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र भी अगर आपको कहीं से प्राप्त हो जाए तो उसे स्थापित करके और अगर स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र प्राप्त ना हो पाए तो आप किसी शिवलिंग के सामने बैठकर भी स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र पढ़कर आर्थिक अनुकूलता प्राप्त कर सकते हैं । यह ध्यान रखेंगे कि स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र रात्रि काल में किया जाएगा और उसकी कम से कम 11 माला अर्थात 1100 बार उसका रोज उच्चारण करना चाहिए तभी आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

पारद श्री यंत्र

श्री यंत्र पारे से भी बनाए जाते हैं । पारा एक ऐसी धातु है जो लिक्विड अर्थात द्रव अवस्था में होती है । इसे कुछ जड़ी बूटियों और रसायनों के मिश्रण के द्वारा ठोस बनाया जाता है और फिर उसे आकार दिया जाता है । पारे के बने हुए शिवलिंग के विषय में आपने सुना होगा लेकिन पारे से श्री यंत्र भी बनाए जाते हैं और पारे से बने हुए श्री यंत्र महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक माने गए हैं । इनको स्थापित करने से भी आपको महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है ।

 

पारदेश्वरी लक्ष्मी विग्रह

पारे से बने हुए लक्ष्मी के विग्रह को पारदेश्वर लक्ष्मी कहा जाता है । यदि आपके घर में पारदेश्वरी लक्ष्मी का विग्रह स्थापित हो तो वह भी आपको आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने में सहायता करता है । पारदेश्वरी लक्ष्मी के विग्रह के सामने नित्य महालक्ष्मी मंत्र का जाप करना चाहिए या उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।

 

 

इसके अलावा कुछ ऐसे उपाय हैं जो महालक्ष्मी की कृपा प्रदान करते हैं ।

 

 

स्त्री का सम्मान


इसमें से पहला तो यह है कि प्रत्येक स्त्री का सम्मान करें , क्योंकि महालक्ष्मी स्त्री तत्व है इसलिए जब आप स्त्रियों का सम्मान करते हैं तो महालक्ष्मी की प्रसन्नता आपको प्राप्त होती है । आपके घर में काम करने वाली नौकरानी भी हो तो भी उसे बेवजह अपमानित ना करें ।

 

स्वछता


अपने घर में या कार्यस्थल में जितनी शुचिता या साफ-सफाई आप बनाए रखेंगे, उतनी ही संभावना है कि महालक्ष्मी की उपस्थिति वहां पर हो, क्योंकि वह स्वच्छ और पवित्र स्थान पर आसानी से उपस्थित हो जाती हैं । वह उनको प्रिय होता है ।

 

वस्त्र गंध और शृंगार

आप स्वयं भी साफ-सुथरे और अच्छे वस्त्र पहने यदि संभव हो तो इत्र या सेंड का उपयोग अवश्य करें । वह भी इस प्रकार का जिसकी खुशबू हल्की-हल्की भीनी भीनी हो ।

महिलाएं अगर है तो वह श्रंगार अवश्य करें । साधना या मंत्र जाप करते समय भी इसी प्रकार से बैठे । अच्छे वस्त्र आभूषण धारण करें और इत्र अगरबत्ती लगाकर बैठे, क्योंकि महालक्ष्मी स्वयं आभूषणों से युक्त हैं, स्वर्ण से अलंकृत है, मुकुट धारिणी है । वे अपने भक्तों को साज-सज्जा के साथ बैठे हुए देखना ही पसंद करती हैं । इसलिए महालक्ष्मी की साधना करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप की वेशभूषा स्वच्छ शुद्ध और पवित्र हो । साथ ही आपके आसपास का वातावरण भी सुगंधित और साफ सुथरा हो ऐसे में आपको महालक्ष्मी की साधना या उनकी पूजा करने में अनुकूलता शीघ्रता से प्राप्त हो जाएगी ।

 

गौमाता की सेवा


यदि आपके पास कोई गौशाला या गायों को संरक्षित करने का कोई स्थान हो तो वहां पर कुछ दान दक्षिणा अवश्य करते रहें । यह उनकी कृपा प्रदान करता है । गाय को कामधेनु का स्वरूप माना गया है । कामधेनु का अर्थ होता है कि वह जो आपकी इच्छा के अनुसार कोई भी चीज देने में समर्थ है । उसकी सेवा करने से आपको अनुकूलता अवश्य प्राप्त होगी ।

 

पारिजात का वृक्ष

पारिजात एक ऐसा पौधा है, जिसमें सफेद रंग के फूल खिलते हैं । इसकी डांडिया हल्की लाल रंग की होती है और यह फूल रात में ही झड़ जाते हैं, रात्रि काल में खिलते हैं और सुबह होने से पहले अधिकांश फूल जमीन पर गिर जाते हैं । इसमें हल्की-हल्की खुशबू आती है यह अगर आप अपने घर में लगाएंगे तो भी आपको महालक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

महालक्ष्मी के मंत्र


महालक्ष्मी के कई प्रकार के मंत्र हैं जिनमें से किसी भी मंत्र का आप उपयोग कर सकते हैं ।

महालक्ष्मी का बीज मंत्र

महालक्ष्मी का बीज मंत्र है..... 

॥ श्रीम ॥

बीज मंत्र का तात्पर्य होता है एक ऐसा मंत्र जो उस विद्या का बीज है । जैसे किसी पेड़ का बीज होता है जो उस पूरे पेड़ को अपने अंदर समेटे हुए होता है उसी प्रकार से बीज मंत्र भी संबंधित विद्या को अपने अंदर समेटे हुए होता है ।

जिस प्रकार से बीज से किसी वृक्ष के निकलकर बड़े हो जाने की संभावना होती है उसी प्रकार से बीज मंत्र का जाप करते रहने से भी संबंधित विद्या की संपूर्ण कृपा प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।


महालक्ष्मी गायत्री मंत्र


इसके अलावा आप महालक्ष्मी के गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं जो इस प्रकार से है :-

॥ ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नी च धीमही तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ॥

इसके अलावा आप महालक्ष्मी के विभिन्न स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं । जिसमें से प्रमुख स्त्रोत्र हैं श्री सूक्त, दूसरा है लक्ष्मी सूक्त तीसरा है कनकधारा स्तोत्र , और एक है सहस्रक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र । यह सारे स्तोत्र तथा कुछ अन्य मंत्र मैंने पहले से ही प्रकाशित किए हुए हैं । जिसे आप इसी रचना के अन्य भागों में देख सकते हैं ।

 

इनमें से प्रत्येक स्तोत्र अपने आप में शक्तिशाली और प्रचंड है । इनका नित्य पाठ करते रहने से आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

ऐसा नहीं है कि आपने दो महीने पाठ कर लिया और आपके घर में सोने की बारिश हो जाएगी या आप अचानक से करोड़पति हो जाए ।

ऐसा चमत्कार होने की उम्मीद ना करें । धीरे-धीरे आपको अपने व्यवसाय में, आय में वृद्धि होती हुई महसूस होगी ....

अगर आय में वृद्धि होती हुई महसूस नहीं होगी तो आपको खर्चों में कमी होती हुई अवश्य महसूस होगी ।

यह महालक्ष्मी की कृपा का प्रभाव है यदि आप निरंतर जाप करते रहेंगे तो आपको स्वयं अपने अंदर भी एक पॉजिटिव ऊर्जा का अनुभव होगा जो खुद आपको अपने व्यवसाय में आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करेगी ।


अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं कि आप महालक्ष्मी के विभिन्न उपक्रमों और उपायों का प्रयोग करते हुए अपने जीवन में अनुकूलता और सफलता प्राप्त करने की कोशिश करें और सफल हो !

महामाया महालक्ष्मी अपने करुणामयी नेत्रों से आप सभी के जीवन में धन, ऐश्वर्य, संपत्ति और कृपा की वर्षा करें ....

ऐसी शुभकामनाए...