पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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24 जुलाई 2025
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
16 जुलाई 2025
चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष
चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष
गौरीशंकर रुद्राक्ष मे रुद्राक्ष के दो दाने प्रकृतिक रूप से जुड़े हुये होते हैं । यह सामान्य रुद्राक्ष से महंगा होता है और आंवले के बराबर के दाने लगभग ग्यारह बारह हजार रुपए के आसपास मिलते हैं । इसके छोटे दाने कम कीमत मे भी उपलब्ध होते हैं । आप अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार इसे पहन सकते हैं ।
गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने के लाभ :-
अकाल मृत्यु नहीं होती है ।
आरोग्य प्रदान करता है ।
उच्च श्रेणी की परीक्षा के स्टूडेंट के लिए बहुत कारगर होता है । जो नौकरी के लिए विशेष एग्जाम मे बैठते हैं उनके लिए भी गौरीशंकर रुद्राक्ष बहुत अच्छा काम करता है ।
वैवाहिक जीवन मे जो पति-पत्नी के बीच की प्रॉब्लम होती है या पुरुषों में जो कमजोरी आती है उसके लिए भी सिद्ध गौरी शंकर रुद्राक्ष काम करता है । अगर पति पत्नी दोनों गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करते हैं तो पति पत्नी के संबंध बहुत मधुर रहते है ।
गौरी शंकर रुद्राक्ष, पहनने वाले व्यक्ति को सदा मुकदमों,कोर्ट कचहरी से, विवादों से बचा लेता है ।
मानसिक रोग, मिर्गी के दौरे पड़ना, बुरे स्वप्न देखना, बेवजह गुस्सा आना, स्त्रियों में अजीब सा व्यवहार, हर वक्त एक अंजाना डर बैठा रहना, बहुत ज्यादा सोचते रहना आदि समस्याओं मे गौरी शंकर रुद्राक्ष जबर्दस्त अनुकूलता प्रदान करता है ।
आध्यात्मिक साधकों के लिए यह साधना की सफलता मे सहायक होता है । साधना और साधक के बीच में सेतु के रूप मे गौरी शंकर रुद्राक्ष बहुत काम आता है । गौरीशंकर रुद्राक्ष पहनकर मंत्र जाप करने से जल्दी अनुभव और अनुकूलता मिलती है ।
यदि आप मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा विशेष रूप से अभिमंत्रित किए गए गौरीशंकर रुद्राक्ष प्राप्त करना चाहते हों तो आप नीचे लिखे नंबर पर उनके प्रिय शिष्य मुकेश जी से संपर्क कर सकते हैं :-
श्री मुकेश,
निखिलधाम,भोपाल
99266-70726
11 जुलाई 2025
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
29 जून 2025
वैवाहिक सम्बन्धों मे मधुरता के लिए : दो मुखी रुद्राक्ष
वैवाहिक सम्बन्धों मे मधुरता के लिए : दो मुखी रुद्राक्ष
विवाहित जीवन मे अगर पति पत्नी मे सामंजस्य का अभाव हो तो वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है और फिर तलाक से लेकर अत्महत्या तक एक से बढ़कर एक कांड होते हैं ।
मूल रूप से विवाह का आधार सुखद आपसी संबंध होते हैं जिनके अभाव मे धीरे धीरे वैवाहिक जीवन मे दिक्कत आती है । ऐसे मे दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूलता मिल सकती है ।
दो मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव और माता पार्वती के एकीकृत स्वरूप "अर्धनारीश्वर" का प्रतीक माना जाता है। द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति की सम्मिलित ऊर्जा को दर्शाता है और इसे एकता, सद्भाव और संबंधों में मधुरता का कारक माना गया है।
दो मुखी रुद्राक्ष का शासक ग्रह चंद्रमा को माना जाता है जो मन का नियंत्रक होता है । सम्बन्धों मे मधुरता मन के मिलने से ही आती है ।
दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने के कई लाभ हैं ।
वैवाहिक संबंध मे लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, विश्वास और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या जो एक उत्तम जीवनसाथी की तलाश में हैं, उनके लिए द्विमुखी रुद्राक्ष बहुत लाभकारी माना जाता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष परिवार में, पार्टनरशिप मे व्यापार करने वाले साझेदारों के बीच और अन्य सामाजिक संबंधों में अनुकूलता स्थापित करने में मदद करता है।
मानसिक और भावनात्मक लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष का संबंध चंद्रमा से होने के कारण यह मन को स्थिरता प्रदान करता है। यह चिंता, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
द्विमुखी रुद्राक्ष भावनात्मक संतुलन बनाए रखने और निर्णय लेने की क्षमता को सुधारता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष पहनने वाले के मन से नकारात्मक विचारों को दूर कर शांति प्रदान करता है।
आध्यात्मिक लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष गुरु-शिष्य के संबंध को भी मजबूत करता है। जिससे शिष्य को गुरुकृपा मिलती है ।
द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्रदान करता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्वास्थ्य संबंधी मान्यताएं:-
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, द्विमुखी रुद्राक्ष मोटापा, हृदय रोग, और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।
किनके लिए दो मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से लाभकारी होगा :-
ऐसे दम्पति जो अपने वैवाहिक जीवन में सामंजस्य चाहते हैं।
वे लोग जिन्हें अपने लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश है।
जो व्यक्ति अत्यधिक मानसिक तनाव, चिंता या अस्थिरता से गुजर रहे हैं।
व्यापारी और ऐसे लोग जो पार्टनरशिप में काम करते हैं।
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर या पीड़ित हो, उनके लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद है।
धारण करने की सरल विधि :-
पहले रुद्राक्ष को सोमवार के दिन सुबह गंगाजल या कच्चे दूध मे डूबाकर छोड़ देंगे ।
इसके बाद पूजा स्थान पर रखकर महादेव शिव और जगदंबा पार्वती का सुंदर मुसकुराते हुये स्वरूप मे ध्यान करें।
"ॐ सांब सदाशिवाय नमः"
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। ज्यादा कर सकते हैं तो ज्यादा भी कर सकते हैं ।
मंत्र जाप के बाद रुद्राक्ष को उसी बर्तन मे 24 मिनट तक डूबा रहने दें । फिर उसे साफ जल से धोकर साफ कपड़े से पोछ लें ।
उसके बाद धागे में या चेन में अपने गले में धारण करें।
सोमवार का दिन द्विमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
इसके बाद नित्य इस रुद्राक्ष को बाएँ हाथ मे पकड़ कर,पति या पत्नी के प्रसन्न अवस्था मे होने जैसा मन मे ध्यान करके, नित्य 11,21,51,108 बार "ॐ सांब सदाशिवाय नमः" मंत्र का जाप करते रहेंगे तो ज्यादा अनुकूलता मिलेगी ।
धारण करने के नियम :-
मेरी बुद्धि के अनुसार भगवान शिव किसी बंधन मे नहीं हैं तो उनका अंश रुद्राक्ष धारण करने के लिए भी किसी नियम की आवश्यकता नहीं है ।
इसे कोई भी पहन सकता है, जिसे भगवान शिव और जगदंबा पर पूर्ण विश्वास हो ।
शुद्धि अशुद्धि के विषय मे बेवजह चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है ।
शुद्धि अशुद्धि के विषय मे अगर आपको बहुत चिंता हो तो गंगा जल या शुद्ध जल से भरी कटोरी मे रुद्राक्ष रखकर 108 बार उपरोक्त मंत्र पढ़ लेंगे तो शुद्ध हो जाएगा फिर उसे पहन सकते हैं ।
विशेष :-
किसी प्रकार का संकट आने या कोई तंत्र प्रयोग या नकारात्मक शक्ति के आपसे टकराने की स्थिति मे रुद्राक्ष फट जाता है और आपकी रक्षा करता है । ऐसी स्थिति मे रुद्राक्ष को जल मे विसर्जित कर देंगे और यथाशीघ्र नया रुद्राक्ष धारण कर लेंगे ।
यदि आप चाहें तो आपको द्विमुखी रुद्राक्ष अभिमंत्रित करके हमारे संस्थान "अष्टलक्ष्मी पूजा सामग्री" द्वारा भेजा जा सकता है ।
इसका शुल्क मात्र 551=00 (रूपए पाँच सौ इंक्यावन मात्र ) होगा । इसमे पूजा,पेकेजिंग और पोस्टेज का खर्च शामिल है । जिसका भुगतान आप नीचे दिये QR कोड़ के माध्यम से कर सकते हैं ।
रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने के लिए आपको निम्नलिखित जानकारी
मोबाइल नंबर 7000630499
पर व्हात्सप्प से भेजनी होगी :-
आपका नाम
आपकी जन्मतिथि,स्थान,समय,गोत्र । [जो भी मालूम हो ] - इसके आधार पर रुद्राक्ष आपके नाम से अभिमंत्रित किया जाएगा ।
उपरोक्त जानकारी न हो तो एक लेटेस्ट फोटो, बिना चश्मे के ।
अपना पूरा डाक का पता, पिन कोड सहित ।
मोबाइल नंबर जिसपर आवश्यकता पड़ने पर पोस्टमेन आपसे संपर्क कर सके ।
पार्सल इंडिया पोस्ट के द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजा जाएगा ।
यदि आप अन्य कूरियर सर्विस से प्राप्त करना चाहते हैं तो डिलिवरी कौरियर सर्विस से भेजा जा सकता है । उसके लिए अतिरिक्त शुल्क 100 रुपए आपको भेजना पड़ेगा । यानि कुल 651 रुपए भेजना पड़ेगा ।
22 जून 2025
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
15 जून 2025
वैवाहिक सम्बन्धों मे मधुरता के लिए : दो मुखी रुद्राक्ष
वैवाहिक सम्बन्धों मे मधुरता के लिए : दो मुखी रुद्राक्ष
विवाहित जीवन मे अगर पति पत्नी मे सामंजस्य का अभाव हो तो वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है और फिर तलाक से लेकर अत्महत्या तक एक से बढ़कर एक कांड होते हैं ।
मूल रूप से विवाह का आधार सुखद आपसी संबंध होते हैं जिनके अभाव मे धीरे धीरे वैवाहिक जीवन मे दिक्कत आती है । ऐसे मे दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूलता मिल सकती है ।
दो मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव और माता पार्वती के एकीकृत स्वरूप "अर्धनारीश्वर" का प्रतीक माना जाता है। द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति की सम्मिलित ऊर्जा को दर्शाता है और इसे एकता, सद्भाव और संबंधों में मधुरता का कारक माना गया है।
दो मुखी रुद्राक्ष का शासक ग्रह चंद्रमा को माना जाता है जो मन का नियंत्रक होता है । सम्बन्धों मे मधुरता मन के मिलने से ही आती है ।
दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने के कई लाभ हैं ।
वैवाहिक संबंध मे लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, विश्वास और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या जो एक उत्तम जीवनसाथी की तलाश में हैं, उनके लिए द्विमुखी रुद्राक्ष बहुत लाभकारी माना जाता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष परिवार में, पार्टनरशिप मे व्यापार करने वाले साझेदारों के बीच और अन्य सामाजिक संबंधों में अनुकूलता स्थापित करने में मदद करता है।
मानसिक और भावनात्मक लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष का संबंध चंद्रमा से होने के कारण यह मन को स्थिरता प्रदान करता है। यह चिंता, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
द्विमुखी रुद्राक्ष भावनात्मक संतुलन बनाए रखने और निर्णय लेने की क्षमता को सुधारता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष पहनने वाले के मन से नकारात्मक विचारों को दूर कर शांति प्रदान करता है।
आध्यात्मिक लाभ :-
द्विमुखी रुद्राक्ष गुरु-शिष्य के संबंध को भी मजबूत करता है। जिससे शिष्य को गुरुकृपा मिलती है ।
द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्रदान करता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्वास्थ्य संबंधी मान्यताएं:-
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, द्विमुखी रुद्राक्ष मोटापा, हृदय रोग, और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।
किनके लिए दो मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से लाभकारी होगा :-
ऐसे दम्पति जो अपने वैवाहिक जीवन में सामंजस्य चाहते हैं।
वे लोग जिन्हें अपने लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश है।
जो व्यक्ति अत्यधिक मानसिक तनाव, चिंता या अस्थिरता से गुजर रहे हैं।
व्यापारी और ऐसे लोग जो पार्टनरशिप में काम करते हैं।
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर या पीड़ित हो, उनके लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद है।
धारण करने की सरल विधि :-
पहले रुद्राक्ष को सोमवार के दिन सुबह गंगाजल या कच्चे दूध मे डूबाकर छोड़ देंगे ।
इसके बाद पूजा स्थान पर रखकर महादेव शिव और जगदंबा पार्वती का सुंदर मुसकुराते हुये स्वरूप मे ध्यान करें।
"ॐ सांब सदाशिवाय नमः"
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। ज्यादा कर सकते हैं तो ज्यादा भी कर सकते हैं ।
मंत्र जाप के बाद रुद्राक्ष को उसी बर्तन मे 24 मिनट तक डूबा रहने दें । फिर उसे साफ जल से धोकर साफ कपड़े से पोछ लें ।
उसके बाद धागे में या चेन में अपने गले में धारण करें।
सोमवार का दिन द्विमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
इसके बाद नित्य इस रुद्राक्ष को बाएँ हाथ मे पकड़ कर,पति या पत्नी के प्रसन्न अवस्था मे होने जैसा मन मे ध्यान करके, नित्य 11,21,51,108 बार "ॐ सांब सदाशिवाय नमः" मंत्र का जाप करते रहेंगे तो ज्यादा अनुकूलता मिलेगी ।
धारण करने के नियम :-
मेरी बुद्धि के अनुसार भगवान शिव किसी बंधन मे नहीं हैं तो उनका अंश रुद्राक्ष धारण करने के लिए भी किसी नियम की आवश्यकता नहीं है ।
इसे कोई भी पहन सकता है, जिसे भगवान शिव और जगदंबा पर पूर्ण विश्वास हो ।
शुद्धि अशुद्धि के विषय मे बेवजह चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है ।
शुद्धि अशुद्धि के विषय मे अगर आपको बहुत चिंता हो तो गंगा जल या शुद्ध जल से भरी कटोरी मे रुद्राक्ष रखकर 108 बार उपरोक्त मंत्र पढ़ लेंगे तो शुद्ध हो जाएगा फिर उसे पहन सकते हैं ।
विशेष :-
किसी प्रकार का संकट आने या कोई तंत्र प्रयोग या नकारात्मक शक्ति के आपसे टकराने की स्थिति मे रुद्राक्ष फट जाता है और आपकी रक्षा करता है । ऐसी स्थिति मे रुद्राक्ष को जल मे विसर्जित कर देंगे और यथाशीघ्र नया रुद्राक्ष धारण कर लेंगे ।
यदि आप चाहें तो आपको द्विमुखी रुद्राक्ष अभिमंत्रित करके हमारे संस्थान "अष्टलक्ष्मी पूजा सामग्री" द्वारा भेजा जा सकता है ।
इसका शुल्क मात्र 551=00 (रूपए पाँच सौ इंक्यावन मात्र ) होगा । इसमे पूजा,पेकेजिंग और पोस्टेज का खर्च शामिल है । जिसका भुगतान आप नीचे दिये QR कोड़ के माध्यम से कर सकते हैं ।
रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने के लिए आपको निम्नलिखित जानकारी
मोबाइल नंबर 7000630499
पर व्हात्सप्प से भेजनी होगी :-
आपका नाम
आपकी जन्मतिथि,स्थान,समय,गोत्र । [जो भी मालूम हो ] - इसके आधार पर रुद्राक्ष आपके नाम से अभिमंत्रित किया जाएगा ।
उपरोक्त जानकारी न हो तो एक लेटेस्ट फोटो, बिना चश्मे के ।
अपना पूरा डाक का पता, पिन कोड सहित ।
मोबाइल नंबर जिसपर आवश्यकता पड़ने पर पोस्टमेन आपसे संपर्क कर सके ।
पार्सल इंडिया पोस्ट के द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजा जाएगा ।
यदि आप अन्य कूरियर सर्विस से प्राप्त करना चाहते हैं तो डिलिवरी कौरियर सर्विस से भेजा जा सकता है । उसके लिए अतिरिक्त शुल्क 100 रुपए आपको भेजना पड़ेगा । यानि कुल 651 रुपए भेजना पड़ेगा ।
15 फ़रवरी 2025
पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
25 जनवरी 2025
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,
30 सितंबर 2024
अभिमंत्रित पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग के विषय मे कहा गया है कि,