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21 जून 2023

चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष

  चमत्कारी फल दायक : गौरी शंकर रुद्राक्ष



गौरीशंकर रुद्राक्ष मे रुद्राक्ष के दो दाने प्रकृतिक रूप से जुड़े हुये होते हैं । यह सामान्य रुद्राक्ष से महंगा होता है और आंवले के बराबर के दाने लगभग ग्यारह बारह हजार रुपए के आसपास मिलते हैं । इसके छोटे दाने कम कीमत मे भी उपलब्ध होते हैं । आप अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार इसे पहन सकते हैं । 

  


गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने के लाभ :-

अकाल मृत्यु नहीं होती है । 

आरोग्य प्रदान करता है । 

उच्च श्रेणी की परीक्षा के स्टूडेंट के लिए बहुत कारगर होता है । जो नौकरी के लिए विशेष एग्जाम मे बैठते हैं उनके लिए भी गौरीशंकर रुद्राक्ष बहुत अच्छा काम करता है । 

वैवाहिक जीवन मे जो पति-पत्नी के बीच की प्रॉब्लम होती है या पुरुषों में जो कमजोरी आती है उसके लिए भी सिद्ध गौरी शंकर रुद्राक्ष काम करता है ।  अगर पति पत्नी दोनों गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करते हैं तो पति पत्नी के संबंध बहुत मधुर रहते है । 

गौरी शंकर रुद्राक्ष, पहने वाले व्यक्ति को सदा मुकदमों,कोर्ट कचहरी से, विवादों से बचा लेता है । 


मानसिक रोग, मिर्गी के दौरे पड़ना, बुरे स्वप्न देखना, बेवजह गुस्सा आना, स्त्रियों में अजीब सा व्यवहार, हर वक्त एक अंजाना डर बैठा रहना, बहुत ज्यादा सोचते रहना आदि समस्याओं मे गौरी शंकर रुद्राक्ष जबर्दस्त अनुकूलता प्रदान करता है । 


आध्यात्मिक साधकों के लिए यह साधना की सफलता मे सहायक होता है । साधना और साधक के बीच में सेतु के रूप मे गौरी शंकर रुद्राक्ष बहुत काम आता है । गौरीशंकर रुद्राक्ष पहनकर मंत्र जाप करने से जल्दी अनुभव और अनुकूलता मिलती है । 





यदि आप मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा विशेष रूप से अभिमंत्रित किए गए गौरीशंकर रुद्राक्ष प्राप्त करना चाहते हों तो आप नीचे लिखे नंबर पर उनके शिष्य मुकेश जी से संपर्क कर सकते हैं :-




श्री मुकेश, 

निखिलधाम,भोपाल 

99266-70726


23 मई 2021

चंद्रग्रहण : पति से संबंध अनुकूल बनाने का मंत्र

 यदि आपका पति आपसे विरक्त हो गया हो लगातार झगड़ा होता रहता हो  बेवजह दूरियां बन गई हो तो इस साधना से अनुकूलता मिलेगी |


विधि :-
कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
ना मिले तो जिस कुमकुम से आप बिंदी लगाती हैं वह ...... या फिर स्टिकर बिंदी का प्रयोग करती हैं तो स्टीकर बिंदी के पैकेट को अपने सामने लाल कपड़े में रख लेंगे । जाप करने के बाद उस लाल कपड़े में लपेटकर रख लेंगे अगले दिन फिर उसे खोल कर जाप करना है । यदि लाल कपडे में रखने में दिक्कत हो तो ऐसे भी पूजा स्थान में रखकर कर सकते हैं ,. 

अगर आपका कोई गुरु हो या किसी देवता को गुरु मानते हो तो उनके मंत्र का तीन बार जाप कर लें
यदि गुरु नहीं हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र का 3 बार जाप कर ले
ॐ श्री गुरु मण्डलाय नमः

इसके बाद अपने दाएं हाथ में एक चम्मच पानी रख लें और अपनी इच्छा (अर्थात मेरा और मेरे पति के बीच में संबंध अच्छा बना रहे ) ऐसी भावना करके उस जल को जमीन पर छोड़ देंगे

उसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप करेंगे

"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।

नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।

मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।

सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।

तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?

कैलास-पर्वत से आया।

कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया।

काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार।

बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।

दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।

सत्य नाम, आदेश गुरु की।


२६ मई को पूर्णिमा भी है चंद्र ग्रहण भी है उस दिन भी आप इसको १०८ बार या जितनी आपकी क्षमता हो उतनी बार कर सकते हैं . उसके बाद अगली पूर्णिमा तक इसे नित्य कम से कम ११ बार करें . 

इसके आलावा आप निम्नलिखित समय में भी इस कर सकते हैं ;-


.....1....
इस मन्त्र को रोज 11 बार जाप होलिका दहन की रात्रि से प्रारंभ कर रामनवमी तक करें ।

हनुमान जयंती वाले दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।

हनुमान जयंती के बाद किसी भी दिन से इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।

...,........2.....,
अगर ऐसा ना कर सके तो 108 जाप रोज  पूरी नवरात्री में करें . आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।

इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।

.,........3......

यदि होली,नवरात्रि में ना कर पाएं तो किसी भी पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक रोज 11 बार जाप कर सकते हैं। आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
बिंदी या कुमकुम रखने में दिक्कत हो तो माता गौरी के भगवान शिव के साथ वाले स्वरूप का ध्यान करके जाप कर लेंगे । टीका या बिंदी लगाते समय इस मंत्र का जाप करते हुए टीका लगा लेंगे ।
.....,

ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.

क्रोध करने से बचें और बेवजह का प्रलाप या बकवास ना करें

यह केवल आपके स्वयं के विवाहित पति के लिए काम करेगा .

प्रेमी के लिए काम नहीं करेगा .

24 मार्च 2021

पति से समरसता बनाने के लिए

 

पति से झगड़ा और कडवे संबंध गृहस्थ जीवन की सबसे बड़ी समस्या है....
अपने पति से समरसता बनाने के लिए ... इस मंत्र का प्रयोग करें ।
॥ यह केवल आपस मे विवाहित पति पत्नी के लिए काम करेगा, दूसरे की पत्नी/पति  को अनुकूल बनाने या प्रेमी/प्रेमिका को अनुकूल बनाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग आपको नुकसान और अपयश प्रदान करेगा  

"हथेली में हनुमन्त बसैभैरु बसे कपार ।
नरसिंह की मोहिनीमोहे सब संसार ।
मोहन रे मोहन्ता वीरसब वीरन में तेरा सीर ।
सबकी नजर बाँध देतेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे ।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?
कैलास-पर्वत से आया ।
कौन लायाअञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया ।
कालागोरातोतला-तीनों बसे कपार ।
बिन्दा तेल सिन्दूर कादुश्मन गया पाताल ।
दुहाई कमिया सिन्दूर की,
हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।
दुहाई महादेव पार्वती की ।
बस जाये मेरा परिवार ।
सत्य नामआदेश गुरु का ।
फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।


जाप के अंत मे तीन बार निम्नलिखित मंत्र बोलें ।
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥ 


1.      कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
2.   कामिया सिंदूर न मिले तो उस कुमकुम को या बिंदी को रख लें जिसका आप उपयोग करती हैं ।
3.   इस मन्त्र को रोज 108 बार जाप , होलिका दहन वाली पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
4.   इसका जाप रात मे करना श्रेष्ठ है, लेकिन संभव न हो तो आप दिन मे भी कर सकते हैं ।
5.    इसका टीका  [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. टीका लगाते समय महामाया से प्रार्थना करें कि मेरा पति मेरे अनुकूल हो .
6.  ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
7.    ऐसा नहीं है कि इससे वह आपके आदेश का गुलाम हो जाएगा , वह आपके प्रति सद्भावना से युक्त होने लगेगा .
8.   इसके साथ साथ अपना व्यवहार भी अच्छा और शांत रखें. बेवजह की तानाकशी और टिप्पणी से बचें. ससुराल वालों को कोसना और मीन मेख निकालना भी कम करें .
9.  मुस्कुराए . क्योंकि मुस्कुराहट सबसे बड़ा सम्मोहन है. खुश रहें ।  

9 मार्च 2020

पति अनुकूलन प्रयोग : होलीका दहन विशेष


पति से झगड़ा और कडवे संबंध गृहस्थ जीवन की सबसे बड़ी समस्या है....
अपने पति से समरसता बनाने के लिए ... इस मंत्र का प्रयोग करें ।
॥ यह केवल आपस मे विवाहित पति पत्नी के लिए काम करेगा, दूसरे की पत्नी/पति  को अनुकूल बनाने या प्रेमी/प्रेमिका को अनुकूल बनाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग आपको नुकसान और अपयश प्रदान करेगा  

"हथेली में हनुमन्त बसैभैरु बसे कपार ।
नरसिंह की मोहिनीमोहे सब संसार ।
मोहन रे मोहन्ता वीरसब वीरन में तेरा सीर ।
सबकी नजर बाँध देतेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे ।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?
कैलास-पर्वत से आया ।
कौन लायाअञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया ।
कालागोरातोतला-तीनों बसे कपार ।
बिन्दा तेल सिन्दूर कादुश्मन गया पाताल ।
दुहाई कमिया सिन्दूर की,
हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।
दुहाई महादेव पार्वती की ।
बस जाये मेरा परिवार ।
सत्य नामआदेश गुरु का ।
फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।


जाप के अंत मे तीन बार निम्नलिखित मंत्र बोलें ।
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥ 


1.      कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
2.   कामिया सिंदूर न मिले तो उस कुमकुम को या बिंदी को रख लें जिसका आप उपयोग करती हैं ।
3.   इस मन्त्र को रोज 108 बार जाप , होलिका दहन वाली पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
4.   इसका जाप रात मे करना श्रेष्ठ है, लेकिन संभव न हो तो आप दिन मे भी कर सकते हैं ।
5.    इसका टीका  [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. टीका लगाते समय महामाया से प्रार्थना करें कि मेरा पति मेरे अनुकूल हो .
6.  ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
7.    ऐसा नहीं है कि इससे वह आपके आदेश का गुलाम हो जाएगा , वह आपके प्रति सद्भावना से युक्त होने लगेगा .
8.   इसके साथ साथ अपना व्यवहार भी अच्छा और शांत रखें. बेवजह की तानाकशी और टिप्पणी से बचें. ससुराल वालों को कोसना और मीन मेख निकालना भी कम करें .
9.  मुस्कुराए . क्योंकि मुस्कुराहट सबसे बड़ा सम्मोहन है. खुश रहें ।  

4 मार्च 2020

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र



ॐ क्रीं  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं स्वाहा ।

शुचिजाया, महापिशाचिनी,  दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी,  वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं  महालक्ष्म्ये ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ  हसकहल ह्रीँ  हस्त्रैँ  ॐ ह्रीँ  क्लीँ  मे  स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ  ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।

खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ  ह्रीँ  नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच ।  मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय ।

मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे ।  घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ  रोँ रोँ  रीँ  ह्रीँ  श्रीँ  हसौः सौँ  वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ कति कति स्वाहा |

काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।

हृदयाये ॐ ह्रीँ  क्रीँ  मे स्वाहा ।

ठः ठः ठः क्रीँ  ह्रं  ह्रीँ  चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके ।  श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके ।  करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ ।  निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।

रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  हूं  हूं ह्रीँ  ह्रीँ फट् स्वाहा ।

शक्तिरुपायै ।  रोँ  वा गणपायै  । रोँ  रोँ  रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै ।  प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ  ह्रीँ  रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।  शक्ति । मार्तण्ड ।  भैरवि ।  विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।

पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय  महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके ।  स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।



  • 108 पाठ से लाभ मिलेगा |
  • चमेली के तेल का दीपक जलएंगे । 
  • रात्रिकालीन साधना है |

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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27 नवंबर 2019

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र


भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र



ॐ क्रीं  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं स्वाहा ।

शुचिजाया, महापिशाचिनी,  दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी,  वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं  महालक्ष्यै ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ  हसकहल ह्रीँ  हस्त्रैँ  ॐ ह्रीँ  क्लीँ  मे  स्वाहा । 

ॐ ॐ ह्रीँ  ईं स्वाहा । 

दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।

खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे,  ह्रीँ  नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच ।  मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके, सर्वजगद वशमानय वशमानय ।
मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।

विस्फारिणी । कपालधरे ।  घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ  रोँ रोँ  रीँ  ह्रीँ  श्रीँ  हसौः सौँ  वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ कति कति स्वाहा |

काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।

हृदयाये ॐ ह्रीँ  क्रीँ  मे स्वाहा ।

ठः ठः ठः क्रीँ  ह्रं  ह्रीँ  चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान्
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके ।  श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके ।  करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ ।  निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।

रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  हूं  हूं ह्रीँ  ह्रीँ फट् स्वाहा ।

शक्तिरुपायै ।  रोँ  वा गणपायै  । रोँ  रोँ  रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै ।  प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।

ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।

शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ  ह्रीँ  रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।  शक्ति । मार्तण्ड ।  भैरवि ।  विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।

खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।

ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।

कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।

पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय  महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके ।  स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।


14 जुलाई 2018

चन्द्रग्रहण : सम्मोहन साधना : 27 जुलाई

सम्मोहन का मतलब होता है , व्यक्तित्व ऐसा हो की लोग प्रभावित हों आकर्षित हों.
यह स्त्री पुरुष आकर्षण के मामले में भर लागु नहीं होता , जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता होती है.
दुकान भी उसी दुकानदार की ज्यादा चलती है जिसके व्यक्तित्व में ज्यादा आकर्षण या सम्मोहन होता है.
पत्नी भी उसी पति की बात मानती है जिससे उसे आकर्षण होता है.
बॉस भी उसी कर्मचारी की बातको तवज्जो देता है जिसके व्यक्तित्व में सम्मोहन होता है.
जनता भी उसी नेता का अनुसरण करती है जिसका व्यक्तित्व सम्मोहक होता है.
सम्मोहन शरीर या चेहरे की सुन्दरता से नहीं होता वह कुछ ऐसा आतंरिक वाइब्रेशन है जो लोगों को खींचता है .
ऐसी ही एक विधि प्रस्तुत है जो आपके अन्दर के सम्मोहन को आकर्षण को बढ़ाएगा.
दिनांक 27 जुलाई गुरु पूर्णिमा को चंद्रग्रहण है समय आप केलेंडर में देख लेंगे .
कमोबेश रात 11.55 से सुबह 3: 45 बजे तक ग्रहण का समय है .
यह सम्मोहन साधना का सबसे बढ़िया दिवस होता है.
अभी गुप्त नवरात्री चल रही है पूर्णिमा तक सवा लाख या अपनी क्षमतानुसार जाप कर लें | साथ ही ग्रहण काल में अपनी शक्ति के अनुसार मोती का एक दाना लाकर सामने रख लें. उसके सामने जितना ज्यादा से ज्यादा जाप हो सके निम्न मन्त्र की करें.
|| ॐ सं सम्मोहनाय सम्मोहनाय सं सोमाय नम: ||
इसे हो सके तो उसी दिन पहन लें.
यदि ऐसा न कर सकें तो उस दिन शाम को जब चाँद निकले तब से जब तक आप कर सकें चाँद को देखते हुए इसी मन्त्र का जाप करें. आपकी आँखों में सम्मोहन शक्ति का विकास होगा.
विशेष :- किसी अनुचित कार्य में इसका प्रयोग न करें अन्यथा चन्द्रमा के कुपित होने के फलस्वरूप स्वेत कुष्ट [सफ़ेद दाग] जैसे दाग चेहरे पर आ सकते हैं. जो की लाइलाज होता है.

31 जनवरी 2018

व्यक्तित्व में सम्मोहन

सम्मोहन का मतलब होता है ,
व्यक्तित्व ऐसा हो कि:-
ü लोग प्रभावित हों .
ü आकर्षित हों.
ü यह केवल स्त्री पुरुष आकर्षण के मामले में भर लागु नहीं होता.
ü जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता होती है.
ü दुकान भी उसी दुकानदार की ज्यादा चलती है जिसके व्यक्तित्व में ज्यादा आकर्षण या सम्मोहन होता है.
ü पत्नी भी उसी पति की बात मानती है जिससे उसे आकर्षण होता है.
ü बॉस भी उसी कर्मचारी की बातको तवज्जो देता है जिसके व्यक्तित्व में सम्मोहन होता है.
ü जनता भी उसी नेता का अनुसरण करती है जिसका व्यक्तित्व सम्मोहक होता है.

सम्मोहन
Ø शरीर या चेहरे की सुन्दरता से नहीं होता .
Ø वह कुछ ऐसा आतंरिक वाइब्रेशन है जो लोगों को खींचता है .

ऐसी ही एक विधि प्रस्तुत है जो आपके अन्दर के सम्मोहन को आकर्षण को बढ़ाएगा.

Ø चंद्रग्रहण  सम्मोहन साधना का सबसे बढ़िया दिवस होता है.
Ø ग्रहण काल में अपनी शक्ति के अनुसार मोती का एक दाना लाकर सामने रख लें. उसके सामने जितना ज्यादा से ज्यादा जाप हो सके निम्न मन्त्र की करें.

|| सं सम्मोहनाय सम्मोहनाय सं सोमाय नम: ||

इसे हो सके तो उसी दिन पहन लें.

शाम को जब चाँद निकले तब से जब तक आप कर सकें चाँद को देखते हुए इसी मन्त्र का जाप करें. आपकी आँखों में सम्मोहन शक्ति का विकास होगा.पूर्णिमा से पूर्णिमा तक करें .

विशेष :- किसी अनुचित कार्य में इसका प्रयोग न करें अन्यथा चन्द्रमा के कुपित होने के फलस्वरूप स्वेत कुष्ट [सफ़ेद दाग] जैसे दाग चेहरे पर आ सकते हैं. जो की लाइलाज होता है.

28 जनवरी 2018

गृहस्थ सुख साधना


"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार। नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार। मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर। सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे। तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास-पर्वत से आया। कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया। काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार। बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल। दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए। सत्य नाम, आदेश गुरु की।

  1. कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
  2. इस मन्त्र को रोज 108 बार जाप पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  3. इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ.
  4. ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.


23 जनवरी 2017

साधना सिद्धि विज्ञान

साधना सिद्धि विज्ञान  मासिक पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1999 से भोपाल से हो रहा है. 
यह पत्रिका साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. 
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गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता साधनाजी के साधनात्मक अनुभव के प्रकाश मे प्रकाशित साधनात्मक ज्ञान आप को स्वयम अभिभूत कर देगा 

[ Sadhana Siddhi Vigayan monthly magazine,a knowledge bank of Tantra, Mantra, Yantra Sadhana

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महाविद्या गुह्यकाली विशेषांक








महाविद्या तारा विशेषांक










महाविद्या छिन्नमस्ता विशेषांक
महाविद्या बगलामुखी विशेषांक




निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल  महामृत्युंजय तंत्रम






महाविद्या भुवनेश्वरी विशेषांक







महाविद्या महाकाली विशेषांक





महाविद्या तारा विशेषांक

















  • गुरु तन्त्रम.
  • शरभ तन्त्रम.
  • बगलामुखी तन्त्रम.
  • श्री विद्या रहस्यम.
  • तारा तन्त्रम.
  • महाकाल तन्त्रम.
  • मातंगी तन्त्रम.
  • अप्सरा तन्त्रम.
  • नाग तन्त्रम.
  • योगिनी तन्त्रम.
  • लक्ष्मी तन्त्रम.
  • कामकलाकाली तन्त्रम.
  • गुह्यकाली तन्त्रम.
  • भुवनेश्वरि तन्त्रम.
  • धूमावती तन्त्रम.
  • कमला तन्त्रम.
  • रुद्र तन्त्रम.
  • शिव रहस्यम.
  • छिन्नमस्ता तन्त्रम.
  • नाथ तन्त्रम.
  • विष्णु तन्त्रम.
  • काली तन्त्रम.
  • दक्षिण काली तन्त्रम.
  • भैरव तन्त्रम.
  • त्रिपुर सुन्दरी तन्त्रम.
  • भैरवी तन्त्रम.
  • कामाख्या तन्त्रम.
  • रस तन्त्रम
  • निखिल तन्त्रम.
  • चामुन्डा तन्त्रम.
  • अघोर तन्त्रम.
  • रुद्राक्ष रहस्यम.
  • रत्न रहस्यम.
  • तान्त्रिक सामग्री रहस्यम.
  • मुद्रा विवेचन.

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