एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
15 अगस्त 2025
13 अगस्त 2025
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काल
शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||
12 अगस्त 2025
श्री कालिकाष्टकम्
विरञ्च्यादिदेवास्त्रयस्ते गुणास्त्रीम ,
समाराध्य कालीम प्रधाना बभूवुः ।
अनादिम सुरादिम मखादिम भवादिम,
स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥ 1 ॥
जगन्मोहनीयम तु वाग्वादिनीयम,
सुह्रित्पोषिणी शत्रुसन्हारिणीयम् ।
वचस्स्तम्भनीयम् किमुच्चाटनीयम्,
स्वरुपम् त्वदीयम् न विन्दति देवाः ॥ 2 ॥
इयम् स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली,
मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात् ।
तथा ते कृतार्था भवंतीति नित्यम्,
स्वरुपम् त्वदीयम् न विन्दन्ति देवाः ॥ 3 ॥
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता,
लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते ।
जपध्यानपूजासुधाधौतपङ्काः,
स्वरुपम् त्वदीयम् न विन्दन्ति देवाः ॥ 4 ॥
चिदानन्दकन्दम हसन्मन्दमन्दम ,
शरच्चन्द्रकोटिप्रभापुञ्जबिम्बम् ।
मुनीनाम् कवीनाम् ह्रदि द्योतयन्तम्,
स्वरुपम् त्वदीयम् न विन्दन्ति देवाः ॥ 5 ॥
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा,
कदाचिद्विचित्राकृतिर्योगमाया ।
न बाला, न वृध्दा, न कामातुरापि,
स्वरुपम् त्वदीयम् न विन्दन्ति देवाः ॥ 6 ॥
क्षमस्वापराधं महागुप्तभावं,
मयि लोकमध्ये प्रकाशीकृतं यत् ।
तव ध्यानपूतेन चापल्यभावात्,
स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥ 7 ॥
यदि ध्यानयुक्तम पठेद्यो मनुष्य-
स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च ।
गृहे चाष्टसिध्दिमृते चापि मुक्तिः,
स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥ 8 ॥
भगवती महाकाली के ध्यान के रूप में आप इसे पढ़ सकते हैं उनकी स्तुति के रूप में इसे पढ़ सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं ।
youtube video :-
आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं
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11 अगस्त 2025
महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र
।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है .
निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं ।
इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
7 अगस्त 2025
श्री कृष्ण जन्माष्टमी : ऑनलाइन दीक्षा एवं पूजन अनुष्ठान मे भाग लीजिए
🌹 श्री कृष्ण जन्माष्टमी 🌹
श्री कृष्ण द्वारा युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को दिया गया गीता ज्ञान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि अगर साधक के जीवन में परम चैतन्यता, परम आनंद,परम रस हो तो वह साधक योगेश्वर बन जाता हैं । महाविद्या साधक परिवार, भोपाल द्वारा निखिल भगवान की सूक्ष्म उपस्थिति में गुरुदेव श्री सुदर्शननाथ एवं माँ डॉ साधना के साथ श्री कृष्ण जन्मोत्सव 15 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है । जिसके अंतर्गत कुंडलिनी शक्ति का पूजन संपन्न कराया जाएगा साथ ही मानव जीवन को सम्पूर्णता प्रदान करने वाली श्री कृष्ण तत्त्व प्राप्ति दीक्षा भी प्रदान की जाएगी।
नोट :-
4️⃣रेजिस्ट्रेशन के लिए संपर्क करे
मनोहर दास सरजाल (छत्तीसगढ़) - 9009160861
करुणेश कर्ण (पटना):- 9852284595 (call or whatsapp)
28 जून 2025
नवरात्रि हवन की सरल विधि
नवरात्रि हवन की सरल विधि:-
नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशन, गीता प्रेस, चौखम्बा प्रकाशन, आदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।.
आवश्यक सामग्री :-
1. दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा .
2. घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )
3. कपूर आग जलाने के लिए .
4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,
5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।.
हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.
हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .
फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट , रेती रखें उसपर पात्र रखें.
कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें
“ ॐ अग्नये स्वाहा “
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।
ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।
ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।
ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।
ॐ भूः स्वाहा ।
उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .
नवग्रह मंत्र :-
ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा
ऊं भौमाय नमः स्वाहा
ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
ऊँ शनये नमः स्वाहा
ऊँ राहवे नमः स्वाहा
ऊँ केतवे नमः स्वाहा
गायत्री मंत्र :-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,
ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,
ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,
ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,
ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा
माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा
हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, हवन सामग्री आदि डाल दें.
पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.
पूर्णाहुति मंत्र-
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।
इसका अर्थ है :-
वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है , उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ , उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।
वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य , अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.
उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,
फिर आरती करें.
अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.
माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।
25 जून 2025
नवार्ण मंत्र
नवार्ण मंत्र एक स्वयं सिद्ध मंत्र है ।.
कलयुग में देवी चंडिका और भगवान गणेश को सहज ही प्रसन्न होने वाला माना गया है इसलिए नवार्ण मंत्र का जाप करके आप साधना के क्षेत्र में धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं।
नवार्ण मंत्र
।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।
इसमे तीन बीज मंत्र हैं जो क्रमशः महासरस्वती महालक्ष्मी और महाकाली के बीजमन्त्र हैं । इसलिए सभी मनोकामनाओं के लिए इसे जप सकते हैं ।
बहुत ज्यादा विधि विधान नहीं जानते हो तो आप केवल अपने सामने दीपक जलाकर मंत्र जाप कर सकते हैं ।
मंत्र जाप की संख्या अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित कर लें कम से कम 108 बार मंत्र जाप करना चाहिए ।
23 जून 2025
नवरात्रि में देवी का विस्तृत पूजन
नवरात्रि में देवी का विस्तृत पूजन
नवरात्रि में सभी की इच्छा रहती है कि देवी का विस्तृत पूजन किया जाए । नीचे की पंक्तियों में एक सरल पूजन विधि प्रस्तुत है ।
इसमें मेरी आराध्य महामाया देवी महाकाली का पूजन किया गया है उनके पूजन में सभी देवियों का पूजन संपन्न हो जाता है . लेकिन अगर आप देवी के किसी और स्वरूप का पूजन करना चाहते हैं तो भी आप इसी विधि से पूजन संपन्न कर सकते हैं । फर्क सिर्फ इतना होगा कि जहां पर (क्रीं महाकाल्यै नमः) लिखा है उस स्थान पर देवी के दूसरे स्वरूप का मंत्र आ जाएगा ।
उदाहरण के लिए अगर आप दुर्गा देवी की साधना कर रहे हैं तो वहां पर आप (दुँ दुर्गायै नमः ) बोलकर पूरा पूजन सम्पन्न कर सकते हैं ।
काली :-
ध्यान
देवी काली का ध्यान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ध्यानम समर्पयामि )
दुर्गा :-
ध्यान
देवी दुर्गा का ध्यान करें
( दुँ दुर्गायै नमः ध्यानम समर्पयामि )
इस तरह से आप किसी भी देवी का पूजन कर सकते हैं ....
इसके अलावा आप यदि किसी मंत्र का जाप कर रहे हो उस मंत्र को बोलकर भी पूरा पूजन संपन्न कर सकते हैं ।
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माता महाकाली का पूजन
महाकाली का पूजन प्रस्तुत है जो कि बेहद सरल है ।
ध्यान
देवी काली का ध्यान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ध्यानम समर्पयामि )
यदि पढ़ सकते हो तो नीचे लिखा हुआ ध्यान भी पढ़ सकते हैं ।
करालवदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम् ।
कालिकां दक्षिणां दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम् ॥
सद्यः छिन्नशिरः खड्गवामाधोर्ध्व कराम्बुजाम् ।
अभयं वरदञ्चैव दक्षिणोर्ध्वाध: पाणिकाम् ॥
महामेघ प्रभां श्यामां तथा चैव दिगम्बरीम् ।
कण्ठावसक्तमुण्डाली गलद्रुधिर चर्चिताम् ॥
कर्णावतंसतानीत शवयुग्म भयानकां ।
घोरदंष्ट्रां करालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ॥
शवानां कर संघातैः कृतकाञ्ची हसन्मुखीम् ।
सृक्कद्वयगलद् रक्तधारां विस्फुरिताननाम् ॥
घोररावां महारौद्रीं श्मशानालय वासिनीम् ।
बालर्क मण्डलाकार लोचन त्रितयान्विताम् ॥
दन्तुरां दक्षिण व्यापि मुक्तालम्बिकचोच्चयाम् ।
शवरूप महादेव ह्रदयोपरि संस्थिताम् ॥
शिवाभिर्घोर रावाभिश्चतुर्दिक्षु समन्विताम् ।
महाकालेन च समं विपरीत रतातुराम् ॥
सुक प्रसन्नावदनां स्मेरानन सरोरुहाम् ।
एवं सञ्चियन्तयेत् काली सर्वकाम समृद्धिदां ॥
पुष्प समर्पण :-
अब फूल चढ़ाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पम समर्पयामि )
आसन :-
आसन के लिए महाकाली के चरणों में निम्न मंत्र को बोलते हुए पुष्प / अक्षत समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः आसनं समर्पयामि )
पाद्य :-
जल से चरण धोएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः पाद्यं समर्पयामि )
उद्वर्तन :-
चरणों में सुगन्धित तेल समर्पित करे ।
( क्रीं महाकाल्यै नमः उद्वर्तन तैलं समर्पयामि )
आचमन :-
पीने के लिए जल प्रदान करें ।
( क्रीं महाकाल्यै नमः आचमनीयम् समर्पयामि )
स्नान :-
सामान्य जल या सुगन्धित पदार्थों से युक्त जल से स्नान करवाएं (जल में इत्र , कर्पूर , तिल , कुश एवं अन्य वस्तुएं अपनी सामर्थ्य या सुविधानुसार मिश्रित कर लें )
( क्रीं महाकाल्यै नमः स्नानं निवेदयामि )
मधुपर्क :-
गाय का शुद्ध, दूध , दही , घी , चीनी , शहद मिलाकर चढ़ाएं या शहद चढ़ाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः मधुपर्कं समर्पयामि )
चन्दन :-
सफ़ेद चन्दन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः चन्दनं समर्पयामि )
रक्त चन्दन :-
लाल चन्दन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः रक्त चन्दनं समर्पयामि )
सिन्दूर :-
सिन्दूर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः सिन्दूरं समर्पयामि )
कुंकुम :-
कुंकुम समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कुंकुमं समर्पयामि )
अक्षत :-
चावल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः अक्षतं समर्पयामि )
पुष्प :-
पुष्प समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पं समर्पयामि )
विल्वपत्र :-
बिल्वपत्र समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि )
पुष्प माला :-
फूलों की माला समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पमालां समर्पयामि )
वस्त्र :-
वस्त्र समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि )
धूप :-
सुगन्धित धुप समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः धूपं समर्पयामि )
दीप :-
दीपक समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः दीपं दर्शयामि )
सुगंधि द्रव्य :-
इत्र समर्पित करे
( क्रीं महाकाल्यै नमः सुगन्धित द्रव्यं समर्पयामि )
कर्पूर दीप :-
कर्पूर का दीपक जलाकर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कर्पूर दीपम दर्शयामि )
नैवेद्य :-
प्रसाद समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि )
ऋतु फल :-
फल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ऋतुफलं समर्पयामि )
जल :-
जल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः जलम समर्पयामि )
करोद्वर्तन जल :-
हाथ धोने के लिए जल प्रदान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः करोद्वर्तन जलम समर्पयामि )
आचमन :-
जल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुनराचमनीयम् समर्पयामि )
ताम्बूल :-
पान समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि )
काजल :-
काजल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कज्जलं समर्पयामि )
महावर :-
महावर समर्पित करे
( क्रीं महाकाल्यै नमः महावरम समर्पयामि )
चामर :-
चामर / पंखा झलना होता है
( क्रीं महाकाल्यै नमः चामरं समर्पयामि )
घंटा वादनम :-
घंटी बजाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः घंटा वाद्यं समर्पयामि )
दक्षिणा :-
दक्षिणा/ धन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः दक्षिणाम समर्पयामि )
पुष्पांजलि :-
दोनों हाथों मे फूल या फूल की पंखुड़ियाँ भरकर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि )
नीराजन :-
कपूर से आरती
( क्रीं महाकाल्यै नमः नीराजनं समर्पयामि )
क्षमा प्रार्थना :-
( क्रीं महाकाल्यै नमः क्षमा प्रार्थनाम समर्पयामि )
दोनों हाथों से कानों को पकड़कर पूजन मे हुईं किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करते हुए कृपा की याचना करें ।
अगर पढ़ सकते हैं तो इसे भी पढ़ सकते हैं
ॐ प्रार्थयामि महामाये यत्किञ्चित स्खलितम् मम
क्षम्यतां तज्जगन्मातः कालिके देवी नमोस्तुते
ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदरचितम्
पुर्णम्भवतु तत्सर्वं त्वप्रसादान्महेश्वरी
शक्नुवन्ति न ते पूजां कर्तुं ब्रह्मदयः सुराः
अहं किं वा करिष्यामि मृत्युर्धर्मा नरोअल्पधिः
न जाने अहं स्वरुप ते न शरीरं न वा गुणान्
एकामेव ही जानामि भक्तिं त्वचर्णाबजयोः ।।
आरती :-
अंत मे आरती करें
9 जून 2025
महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र
।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है .
निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं ।
इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
26 अप्रैल 2025
युद्ध मे भारत की विजय के लिए गुरुसेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा प्रदत्त रणचंडी मंत्र
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं । सैनिक तो युद्ध क्षेत्र मे अपना कार्य करेंगे । हम सभी देशवासी भी युद्ध मे विजय के लिए गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी द्वारा प्रदत्त निम्नलिखित मंत्र का यथा शक्ति जाप करें ।
इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है ।
गुरु दीक्षित होने की भी अनिवार्यता नहीं है ।
यह संकट काल है और रणचंडी देवी महाकाली के किसी भी स्वरूप का ध्यान करके आप अपनी क्षमतानुसार जाप कर सकते हैं ।
बैठकर ना कर पाएँ तो चलते फिरते भी कर सकते हैं ।
24 मार्च 2025
नवरात्रि के विषय में सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर
सबसे पहले आप सभी को महामाया के नवरात्रि शक्ति पर्व की शुभकामनाएं
शक्ति पर्व साधनाओं के माध्यम से शक्ति अर्जित करने का पर्व है ।
इस अवसर पर साधनाएं और मंत्र जाप अवश्य करें ।.
इस विषय पर ब्लॉग पर बहुत सारी विधियाँ प्रकाशित हैं ।. आप उनमे से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं .
अगर आप काम की अधिकता , अस्वस्थता या स्थानाभाव के कारण पूजा स्थान मे बैठकर नहीं कर पा रहे हैं तो महाकाली के बीज मंत्र
"क्रीं "
( उचाचारण होगा क्रीम /kreem )
का चलते फिरते , उठते बैठते लेटते, सभी अवस्थाओं मे मानसिक जाप करके भी महामाया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर
क्या मैं नवरात्रि में देवी का मंत्र जाप कर सकता/सकती हूँ ?
हाँ ! अगर आपकी देवी पर आस्था और विश्वास है तो आप कर सकते हैं . स्त्री पुरुष दोनों मंत्र जाप कर सकते हैं . बच्चे अपने माता पिता की अनुमति और जानकारी में ही मंत्र जाप करें .
क्या मंत्र जाप के लिए गुरु आवश्यक है ?
हाँ ! मंत्र जाप से आपके शरीर में ऊर्जा बनती है उसे नियंत्रित करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती है . यह विशेष रूप से तब आवश्यक है जब आप सवा लाख या अधिक मंत्र जाप का अनुष्ठान कर रहे हों .
यदि आप एकाध माला रोज कर रहे हैं तो आप बिना गुरु के भी मंत्र जाप कर सकते हैं .
स्तोत्र पाठ और शतनाम सहस्रनाम का पाठ आप बिना गुरु के भी कर सकते हैं .
अगर जाप से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी या बेचैनी जैसा आभास हो तो समझ जाइएगा कि आपका शरीर उतनी ऊर्जा सहन नहीं कर पा रहा है , तब जप या पाठ की संख्या कम कर लेंगे . धीरे धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं .
मैं एक स्त्री हूँ मेरा मासिक नवरात्री के बीच में आ रहा है , क्या इससे मेरी साधना खंडित हो जाएगी ? मैं क्या करू?
विश्व विख्यात मंत्र तंत्र विशेषज्ञ पूज्यपाद गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा जो निर्देश हमें मिलते थे उसके अनुसार "अगर जाप शुरू करने के बाद मासिक आ जाए तो आप पूजा स्थान में बैठकर जाप करना रोक लें, मासिक पूरा हो जाने के बाद उसे कंटीन्यू कर सकते हैं ऐसे में साधना खंडित नहीं मानी जायेगी .
क्या मैं सुबह महाविद्या भुवनेश्वरी और रात में महाविद्या महाकाली साधना कर सकता/सकती हूँ ?
बहुत सारे मंत्र या पूजन करने की बजाय एक ही मंत्र या स्तोत्र को ज्यादा से ज्यादा बार करें । हर देवी या देवता सब कुछ देने मे समर्थ है., तभी तो वह देवता या देवी है ।
अगर जाप के दौरान कुछ गलती हो गयी तो क्या मातारानी मुझे सजा देगी और उससे मेरा नुकसान हो जाएगा ?
कोई नन्हा बच्चा अपनी माँ को बुलाने के लिए किसी भी शब्द या क्रिया का इस्तेमाल करे माता उसे समझ जाती है और उसकी आवश्यकता की पूर्ती कर देती है . जगदम्बा सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं . वे ममत्व और वात्सलय की अंतिम सीमा हैं . वे अपनी साधना करने वाले किसी साधक साधिका को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकती . इसलिए इस प्रकार के बेवजह के डर को अपने दिमाग से निकाल दीजिये . स्वयं को महामाया का नन्हा शिशु मानकर मन्त्र जाप करिये वे अवश्य सुनेंगी .
क्या मंत्र जाप करने से सम्बंधित देवी/देवता मेरे सामने प्रकट हो जायेंगे ?
सामान्य शब्दों में कहूँ तो यह वैसी ही बात है जैसे पैदल चलने वाला व्यक्ति चाँद पर पहुँचने की बात करे . चाँद पर पहुँचने के लिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना पड़ता है ! बेहद कठोर ट्रेनिंग होती है ! इसमें महीनों या सालों का समय लगता है . फिर एक अत्यंत उच्च तकनीक वाला रॉकेट होता है जिसमे बैठकर आप चाँद पर पहुँचते हैं ! विशेष स्पेस सूट पहनकर ही आप चाँद को स्पर्श कर सकते हैं ! उसपर चल सकते हैं !
ठीक वैसे ही साधना के रस्ते पर आपको कई वर्षों की कठोर साधना करनी होगी . उच्च कोटि के गुरु के सानिध्य में ट्रेनिंग लेनी होगी , अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाना होगा, अपने शरीर को जागृत करके उस लायक बनाना होगा तब देवी देवता का दर्शन संभव है .
हम सामान्य गृहस्थ हैं हम उतनी ज्यादा साधना नहीं करते परिणामतः उच्च स्तर की देवी ऊर्जा को सहन भी नहीं कर सकते हैं . इसलिए देवी शक्तियां हमें प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देतीं . वे स्वप्न में आभास देती हैं . कभी विचित्र गंध आपके पूजन कक्ष में आएगी . कभी घुंघरू जैसी ध्वनि सुनाई देगी . ऐसा होगा तो आपको समझना है कि कोई देवीय शक्ति आपसे प्रसंन्न होकर उपस्थित हुई है . ऐसे में उनको प्रणाम कर लेना चाहिये और उनसे कृपा का निवेदन करना चाहिए . इस प्रकार के आभास नवरात्री में विशेष रूप से होते हैं .....
मैं कैसे समझूँ कि मेरी साधना या मंत्र जाप सफल हुआ है ?
मंत्र जाप की सफलता के लक्षण :-
आपका मनोवांछित कार्य पूरा होगा या उसमे अनुकूलता मिलेगी .
आपको आतंरिक शांति का अनुभव होगा .
आपके अनावश्यक खर्चे कम होने लगेंगे .
आप और परिवार में अन्य सदस्य बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे .
पारिवारिक कलह जैसे पति/पत्नी के झगडे कम होने लगेंगे .
घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होगा .
मन्त्र जाप करते समय मुझे जम्हाई /नींद आती है ऐसा क्यों ?
हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियों और हमारे अपने आलस्य की वजह से मंत्र जाप शुरू करने पर कुछ समय तक सभी साधकों के साथ ऐसा होता है . जो धीरे धीरे कम होता जायेगा . अपने पास एक गिलास में पानी रखकर बीच बीच में उसके छींटे मारते रहें तो काफी लाभ मिलेगा .
एक दिन में या पंद्रह दिन में साधना सिद्ध हो सकती है क्या ?
ऐसा कुछ नहीं है . जैसे जैसे मंत्र जाप की संख्या बढ़ती जाती है आपका मंत्र जागृत और चैतन्य होने लगता है और धीरे धीरे कुछ सालों में आपको वह स्थिति प्राप्त होने लगती है जब आप उस मंत्र के माध्यम से अपने अभीष्ट कार्य संपंन्न कर सकते हैं .
दूसरों के कार्य करने के लिए मैं अपनी सिद्धियों का प्रयोग कैसे कर सकता हूँ ?
जब आप तीन से पांच लाख की संख्या में मंत्र जाप कर लेते हैं तो आप उस मंत्र की सहायता से स्वयं के या दूसरों के काम कर सकते हैं . इसके साथ साथ आपकी शक्तियां भी कम होंगी . सामान्य भाषा में आपको समझाऊं तो मंत्र जाप को आप मोबाइल के बैटरी चार्ज करने जैसा समझ लीजिये . सिंपल कालिंग होगा तो बैटरी ज्यादा लम्बे समय आपके काम आएगी . आप उसमे वीडियो चलाएंगे, बच्चे उसमे गेम खेलेंगे, दोस्त वीडियो कॉल करेगा तो बैटरी जल्दी ख़तम हो जायेगी . उसी प्रकार जब आप दूसरों का काम करेंगे तो आपकी साधना की ऊर्जा उस काम में लगेगी और आपकी ऊर्जा कम होती जाएगी . उसे रोज साधना के द्वारा रिचार्ज करते रहना पड़ेगा अन्यथा एक दिन बैटरी डेड हो जाएगी ...... उसके बाद ..... मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे . दूसरों का काम गारंटी से करने का दावा करने वाले और अचानक प्रकट होने वाले विश्वविख्यात तांत्रिक और ज्योतिष बाबा इसी कारण से चार पांच साल बाद गुमनामी के अँधेरे में चले जाते हैं .... फिर उनको कोई नहीं पूछता .....
यह बात दिमाग में स्पष्ट रखें कि ..... दूसरों का काम करने के लिए आपको नियमित साधना करनी ही होगी और संभव हो तो किसी दुसरे पूजा स्थान पर अपने नाम से अनुष्ठान आदि भी कराते रहना चाहिए . तभी आपकी शक्तियां आपके साथ लगातार बनी रहेंगी .
22 मार्च 2025
महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र
।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है .
निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं ।
इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
21 मार्च 2025
नवरात्रि में देवी का विस्तृत पूजन
नवरात्रि में देवी का विस्तृत पूजन
नवरात्रि में सभी की इच्छा रहती है कि देवी का विस्तृत पूजन किया जाए । नीचे की पंक्तियों में एक सरल पूजन विधि प्रस्तुत है ।
इसमें मेरी आराध्य महामाया देवी महाकाली का पूजन किया गया है उनके पूजन में सभी देवियों का पूजन संपन्न हो जाता है . लेकिन अगर आप देवी के किसी और स्वरूप का पूजन करना चाहते हैं तो भी आप इसी विधि से पूजन संपन्न कर सकते हैं । फर्क सिर्फ इतना होगा कि जहां पर (क्रीं महाकाल्यै नमः) लिखा है उस स्थान पर देवी के दूसरे स्वरूप का मंत्र आ जाएगा ।
उदाहरण के लिए अगर आप दुर्गा देवी की साधना कर रहे हैं तो वहां पर आप (दुँ दुर्गायै नमः ) बोलकर पूरा पूजन सम्पन्न कर सकते हैं ।
काली :-
ध्यान
देवी काली का ध्यान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ध्यानम समर्पयामि )
दुर्गा :-
ध्यान
देवी दुर्गा का ध्यान करें
( दुँ दुर्गायै नमः ध्यानम समर्पयामि )
इस तरह से आप किसी भी देवी का पूजन कर सकते हैं ....
इसके अलावा आप यदि किसी मंत्र का जाप कर रहे हो उस मंत्र को बोलकर भी पूरा पूजन संपन्न कर सकते हैं ।
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माता महाकाली का पूजन
महाकाली का पूजन प्रस्तुत है जो कि बेहद सरल है ।
ध्यान
देवी काली का ध्यान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ध्यानम समर्पयामि )
यदि पढ़ सकते हो तो नीचे लिखा हुआ ध्यान भी पढ़ सकते हैं ।
करालवदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम् ।
कालिकां दक्षिणां दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम् ॥
सद्यः छिन्नशिरः खड्गवामाधोर्ध्व कराम्बुजाम् ।
अभयं वरदञ्चैव दक्षिणोर्ध्वाध: पाणिकाम् ॥
महामेघ प्रभां श्यामां तथा चैव दिगम्बरीम् ।
कण्ठावसक्तमुण्डाली गलद्रुधिर चर्चिताम् ॥
कर्णावतंसतानीत शवयुग्म भयानकां ।
घोरदंष्ट्रां करालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ॥
शवानां कर संघातैः कृतकाञ्ची हसन्मुखीम् ।
सृक्कद्वयगलद् रक्तधारां विस्फुरिताननाम् ॥
घोररावां महारौद्रीं श्मशानालय वासिनीम् ।
बालर्क मण्डलाकार लोचन त्रितयान्विताम् ॥
दन्तुरां दक्षिण व्यापि मुक्तालम्बिकचोच्चयाम् ।
शवरूप महादेव ह्रदयोपरि संस्थिताम् ॥
शिवाभिर्घोर रावाभिश्चतुर्दिक्षु समन्विताम् ।
महाकालेन च समं विपरीत रतातुराम् ॥
सुक प्रसन्नावदनां स्मेरानन सरोरुहाम् ।
एवं सञ्चियन्तयेत् काली सर्वकाम समृद्धिदां ॥
पुष्प समर्पण :-
अब फूल चढ़ाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पम समर्पयामि )
आसन :-
आसन के लिए महाकाली के चरणों में निम्न मंत्र को बोलते हुए पुष्प / अक्षत समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः आसनं समर्पयामि )
पाद्य :-
जल से चरण धोएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः पाद्यं समर्पयामि )
उद्वर्तन :-
चरणों में सुगन्धित तेल समर्पित करे ।
( क्रीं महाकाल्यै नमः उद्वर्तन तैलं समर्पयामि )
आचमन :-
पीने के लिए जल प्रदान करें ।
( क्रीं महाकाल्यै नमः आचमनीयम् समर्पयामि )
स्नान :-
सामान्य जल या सुगन्धित पदार्थों से युक्त जल से स्नान करवाएं (जल में इत्र , कर्पूर , तिल , कुश एवं अन्य वस्तुएं अपनी सामर्थ्य या सुविधानुसार मिश्रित कर लें )
( क्रीं महाकाल्यै नमः स्नानं निवेदयामि )
मधुपर्क :-
गाय का शुद्ध, दूध , दही , घी , चीनी , शहद मिलाकर चढ़ाएं या शहद चढ़ाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः मधुपर्कं समर्पयामि )
चन्दन :-
सफ़ेद चन्दन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः चन्दनं समर्पयामि )
रक्त चन्दन :-
लाल चन्दन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः रक्त चन्दनं समर्पयामि )
सिन्दूर :-
सिन्दूर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः सिन्दूरं समर्पयामि )
कुंकुम :-
कुंकुम समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कुंकुमं समर्पयामि )
अक्षत :-
चावल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः अक्षतं समर्पयामि )
पुष्प :-
पुष्प समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पं समर्पयामि )
विल्वपत्र :-
बिल्वपत्र समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि )
पुष्प माला :-
फूलों की माला समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पमालां समर्पयामि )
वस्त्र :-
वस्त्र समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि )
धूप :-
सुगन्धित धुप समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः धूपं समर्पयामि )
दीप :-
दीपक समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः दीपं दर्शयामि )
सुगंधि द्रव्य :-
इत्र समर्पित करे
( क्रीं महाकाल्यै नमः सुगन्धित द्रव्यं समर्पयामि )
कर्पूर दीप :-
कर्पूर का दीपक जलाकर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कर्पूर दीपम दर्शयामि )
नैवेद्य :-
प्रसाद समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि )
ऋतु फल :-
फल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ऋतुफलं समर्पयामि )
जल :-
जल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः जलम समर्पयामि )
करोद्वर्तन जल :-
हाथ धोने के लिए जल प्रदान करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः करोद्वर्तन जलम समर्पयामि )
आचमन :-
जल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुनराचमनीयम् समर्पयामि )
ताम्बूल :-
पान समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि )
काजल :-
काजल समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः कज्जलं समर्पयामि )
महावर :-
महावर समर्पित करे
( क्रीं महाकाल्यै नमः महावरम समर्पयामि )
चामर :-
चामर / पंखा झलना होता है
( क्रीं महाकाल्यै नमः चामरं समर्पयामि )
घंटा वादनम :-
घंटी बजाएं
( क्रीं महाकाल्यै नमः घंटा वाद्यं समर्पयामि )
दक्षिणा :-
दक्षिणा/ धन समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः दक्षिणाम समर्पयामि )
पुष्पांजलि :-
दोनों हाथों मे फूल या फूल की पंखुड़ियाँ भरकर समर्पित करें
( क्रीं महाकाल्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि )
नीराजन :-
कपूर से आरती
( क्रीं महाकाल्यै नमः नीराजनं समर्पयामि )
क्षमा प्रार्थना :-
( क्रीं महाकाल्यै नमः क्षमा प्रार्थनाम समर्पयामि )
दोनों हाथों से कानों को पकड़कर पूजन मे हुईं किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करते हुए कृपा की याचना करें ।
अगर पढ़ सकते हैं तो इसे भी पढ़ सकते हैं
ॐ प्रार्थयामि महामाये यत्किञ्चित स्खलितम् मम
क्षम्यतां तज्जगन्मातः कालिके देवी नमोस्तुते
ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदरचितम्
पुर्णम्भवतु तत्सर्वं त्वप्रसादान्महेश्वरी
शक्नुवन्ति न ते पूजां कर्तुं ब्रह्मदयः सुराः
अहं किं वा करिष्यामि मृत्युर्धर्मा नरोअल्पधिः
न जाने अहं स्वरुप ते न शरीरं न वा गुणान्
एकामेव ही जानामि भक्तिं त्वचर्णाबजयोः ।।
आरती :-
अंत मे आरती करें
20 मार्च 2025
रोगनाशक महाकाली मंत्र सिद्ध रुद्राक्ष माला
॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥
- यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
- इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
- यथा शक्ति जाप करें.
- इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
- रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
- जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
- जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
- ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
- आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
- रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
- पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
- पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
- एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
- अगली पूर्णिमा को अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
2 अक्टूबर 2024
रोगनाशक महाकाली मंत्र सिद्ध रुद्राक्ष माला
॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥
- यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
- इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
- यथा शक्ति जाप करें.
- इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
- रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
- जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
- जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
- ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
- आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
- रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
- पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
- पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
- एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
- अगली पूर्णिमा को अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
नवरात्रि हवन की सरल विधि:-
नवरात्रि हवन की सरल विधि:-
नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशन, गीता प्रेस, चौखम्बा प्रकाशन, आदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।.
आवश्यक सामग्री :-
1. दशांग या हवन सामग्री , दुकान पर आपको मिल जाएगा .
2. घी ( अच्छा वाला लें , भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )
3. कपूर आग जलाने के लिए .
4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,
5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।.
हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.
हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .
फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट , रेती रखें उसपर पात्र रखें.
कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें
“ ॐ अग्नये स्वाहा “
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।
ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।
ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।
ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।
ॐ भूः स्वाहा ।
उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .
नवग्रह मंत्र :-
ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा
ऊं भौमाय नमः स्वाहा
ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
ऊँ शनये नमः स्वाहा
ऊँ राहवे नमः स्वाहा
ऊँ केतवे नमः स्वाहा
गायत्री मंत्र :-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,
ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,
ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,
ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,
ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा
माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा
हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, हवन सामग्री आदि डाल दें.
पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.
पूर्णाहुति मंत्र-
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।
इसका अर्थ है :-
वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है , उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ , उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।
वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य , अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.
उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,
फिर आरती करें.
अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.
माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।