एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का......
Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है . जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है . निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं । इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
होलिका दहन की रात्रि को सभी प्रकार के रक्षा प्रयोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।
आप भी इस अवसर पर अपने लिए रक्षा रुद्राक्ष, रक्षा कडा या रक्षा माला बना सकते हैं ।
इसके लिए एक लाल कपड़े मे एक सूखे नारियल के साथ संबंधित वस्तु को आप सामने रख लेंगे और हाथ मे जल लेकर महामाया महाकाली से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हुए अपनी इच्छा बोल देंगे और जल जमीन पर छोड़ देंगे ।
इसके बाद आपको जैसा ज्ञान हो वैसा महाकाली का पूजन कर लेंगे और नीचे लिखे मंत्र का 1008 बार जप कर लेंगे । गिनती के लिए आप कागज पेंसिल, दाना , माला, काउंटिंग मशीन किसी भी चीज का उपयोग कर सकते हैं ।
जाप के बाद माल, अंगूठी, कडा, धागा को धारण कर लेंगे । उस सूखे नारियल को अपने सिर से तीन बार उतारा करके लाल कपड़े मे लपेट कर उसे होली की अग्नि मे डाल देंगे । यदि आपके आसपास होली न जल रही हो तो घर मे ही लकड़ी जलाकर उसमे उसे जला देंगे । यह सारा काम आपको होलिका दहन की रात्री मे ही कर लेना है ।
रक्षा कारक देवताओं में भगवान भैरव को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है । इन्हें भगवान शिव का ही एक स्वरूप माना गया है । प्रत्येक पूजन में विघ्नों से रक्षा के लिए भगवान गणेश की पूजा के पश्चात सर्व विध रक्षा के लिए भगवान श्री भैरव का पूजन संपन्न किया जाता है . प्रमुख रूप से आठ प्रकार के भैरव माने गए हैं । कई तांत्रिक ग्रन्थों में 51 और 64 प्रकार के भैरव का भी उल्लेख मिलता है ।
यूट्यूब पर उपलब्ध विडियोस मे आप पाएंगे कि गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी ने अपने प्रवचनों में कई बार भैरव साधना के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां दी है उनमें से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी है कि भैरव यंत्र का पूजन करके अगर आप उसे घर के प्रमुख द्वार के ऊपर लटका दें तो नकारात्मक शक्तियों का घर के अंदर प्रवेश नहीं हो पाता है ।.
आपके नाम से भैरव यंत्र [शुल्क- पाँच सौ एक रुपये मात्र] अभिमंत्रित करके आपको स्पीड पोस्ट से भेजने की व्यवस्था की जा सकती है, इसके लिए आप इस क्यूआर कोड़ का उपयोग भी कर सकते हैं :-
यदि आप इच्छुक हो तो आप निम्नलिखित जानकारी मेरे व्हाट्सएप नंबर 7000630499 पर भेज देंगे ➖
1> निर्धारित शुल्क 501 रुपये का शुल्क फोन पे/गूगल पे//पे टी एम के द्वारा भेजे जाने की रसीद/स्क्रीन शॉट ।
2> आपका नाम ।
3> आपका गोत्र, जन्म तिथि,समय,स्थान (यदि मालूम हो तो )
4> बिना चश्मे के आपकी एक ताजा फोटो जिसमे आपका चेहरा और आँखें स्पष्ट दिखती हों ।
5> पिन कोड़ सहित, आपका पूरा डाक का पता, जिस पते पर पार्सल भेजना है । साथ मे आपका वह मोबाइल नंबर जिसपर पोस्टमेन आवश्यकता पड़ने पर आपसे पार्सल डिलिवरी के समय संपर्क कर सके ।
इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
यथा शक्ति जाप करें.
आप इसे अपने परिवार के किसी सदस्य के स्वस्थ्य लाभ के लिए भी कर सकते हैं ।
इसके लिए आप नवरात्रि / शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हाथ मे जल लेकर संकल्प कर लें :-
मैं (अपना नाम बोलें ), यथा शक्ति, यथा ज्ञान [यानि जितनी मेरी शक्ति है जितना मेरा ज्ञान है उतना ] अमुक (रोगी का नाम ) के स्वस्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए महाकाली रोग निवारण मंत्र के (जाप संख्या बोलें ) जाप का संकल्प लेता हूँ । महा माया महाकाली मेरी त्रुटियों को क्षमा करें और प्रसन्न होकर अमुक (रोगी का नाम ) को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें ।
इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
अगली पूर्णिमा को अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
रोग निवारक महाकाली मंत्रों से सिद्ध रुद्राक्ष माला
अगर आप चाहें तो आपके नाम से रोग निवारक काली मंत्र से अभिमंत्रित रुद्राक्ष माला मात्र 1111 रुपये मे उपलब्ध कराने की व्यवस्था इस नवरात्रि मे कर रहा हूँ ।
इसे आप एक महीने तक गले मे धारण करें और उसके बाद अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
अगर आप इस प्रकार की रुद्राक्ष माला प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो निम्नलिखित जानकारियाँ मुझे मेरे नंबर 7000630499 पर शुल्क की रसीद के साथ व्हाट्सप्प कर सकते हैं :-
नाम ,
जन्म तिथि, समय स्थान ,गोत्र (मालूम हो तो ) ।
अपनी एक ताजा फोटो ।
शुल्क फोन पे करने के बाद उसकी रसीद ।
अपना पूरा पोस्टल एड्रेस और मोबाइल नंबर ।
शुल्क पेमेंट के लिए किसी भी यूपीआई एप्प [जैसे फोन पे] पर इस क्यूआर कोड़ का प्रयोग कर सकते हैं ।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है . जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है . निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं । इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
यह महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है . जन्माष्टमी की रात्रि मे इसका जाप करना ज्यादा लाभदायक है . निशा काल अर्थात रात्रि 9 से 3 बजे के बीच १०८ बार जाप करें । क्षमता हो तो ज्यादा जाप भी कर सकते हैं .
इस दौरान आप अपने सामने रुद्राक्ष , अंगूठी , माला आदि को सामने रखकर उसे मंत्र सिद्ध करके रक्षा के लिए बच्चों को भी पहना सकते हैं । इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं।
जन्माष्टमी को महाकाली सिद्धि दिवस भी कहा जाता है .
इस दिन महाकाली से सम्बंधित विशेष मंत्र साधनायें की जा सकती हैं .
किसी भी होटल मे कई कमरे होते हैं । जिनकी अलग अलग चाबियाँ होती हैं । किसी भी कमरे की चाबी से सिर्फ वही कमरा खुलता है । होटल के मेनेजर के पास "मास्टर की" नामक एक ऐसी चाबी होती है जो हर कमरे का दरवाजा खोल सकती है । साधना के क्षेत्र मे महामाया महाकाली भी वैसी ही "मास्टर की" हैं जो हर समस्या को सुलझा सकती हैं । सब कुछ दे सकती हैं .........
जीवन में नकारात्मक शक्तियां जब ज्यादा हो जाती है, तो कई बार बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं ! घर में धन की कमी हो जाती है ! कई बार ऐसा होता है कि आय के साधन होने के बावजूद अनावश्यक खर्चे हो जाते हैं जिससे घर में पैसा बचता नहीं है । इन सब के पीछे आपके आसपास बनी हुई नकारात्मक ऊर्जा का भी हाथ रहता है । आप चाहे तो इसके समाधान के लिए मां काली के बीज मंत्र की साधना कर सकते हैं । यह छोटा है ! सरल है !! और इसके जाप के लिए बहुत ज्यादा विधि विधान की आवश्यकता नहीं है । सिर्फ आपके मन में महाकाली माता के प्रति श्रद्धा और विश्वास का भाव होना चाहिए । वह मूल शक्ति हैं, वे आपके आसपास मौजूद नकारात्मक शक्तियों को और आपके जीवन की जटिलताओं को समाप्त करने में सक्षम है । उनका स्वरूप अति भयंकर है लेकिन वे पूर्ण मातृत्व से युक्त मूल शक्ति हैं । जैसे एक शिशु अपनी मां से उसकी इच्छित वस्तु, चाहे वह दूध हो या भोजन हो, उसकी प्राप्ति के लिए याचना करता है वैसे ही याचना के भाव के साथ आप प्रतिदिन इस मंत्र का कम से कम एक घंटे जाप करें । इसमें यह भी जरूरी नहीं है कि आप साधना कक्ष में या किसी निश्चित स्थान पर बैठकर जाप करें, आप इसका जाप चलते-फिरते भी कर सकते हैं । हाँ ! यदि एक स्थान पर बैठकर जाप करेंगे तो आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे..... यदि किसी कारण से आप वैसा नहीं कर पाए, तो कम से कम दो-तीन घंटा चलते-फिरते आप इसका जाप करें । तीन से छह महीने के अंदर आपको अपने जीवन में सकारात्मक शक्तियों का अनुभव होगा....... बहुत सारी ऐसी अनुकूलता भी प्राप्त होगी जो आपने सोची भी नहीं होंगी.... महाकाली का बीज मंत्र :-
भगवान श्री हनुमान जी को सभी प्रकार की आपदाओं से बचाने वाला देवता माना जाता है ।
जैसे जैसे गाडियाँ बढ़ी हैं , वाहन दुर्घटनाएँ भी बढ़ी हैं । ऐसी स्थिति मे हनुमान यंत्र को गाड़ी मे या अपनी जेब मे रखने से अनुकूलता रहती है और ज्यादा नुकसान नहीं होते ।
अगर आप चाहें तो आपके नाम से भगवान शिव के अवतार श्री हनुमान जी के विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित करके श्री हनुमान यंत्र आपको स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजी जा सकती है ।
इसके लिए निर्धारित शुल्क दो सौ इक्यावन रुपये [जिसमे श्री हनुमान यंत्र का मूल्य, पूजन सामग्री का व्यय, पूजन शुल्क, पेकेजिंग तथा पोस्टेज व्यय शामिल है ] भेजकर आप इसे प्राप्त कर सकते हैं ।
शुल्क आप फोन पे, पे टी एम, गूगल पे, भीम पे से मेरे मोबाइल नंबर पर भेज सकते हैं :-
मेरा मोबाइल नंबर - 7000630499
इस क्यूआर कोड से भी भेज सकते हैं
माला प्राप्त करने के लिए मुझे निम्नलिखित चीजें इस नंबर पर व्हाट्सप्प कर देंगे :-
१) निर्धारित शुल्क के ऑनलाइन पेमेंट की रसीद ।
२) आपका नाम , जन्म तिथि,स्थान,समय ।[ यदि मालूम हो ]
३) गोत्र (यदि मालूम हो )
४) अपनी ताजा फोटो जिसमे आपका चेहरा और आँखें स्पष्ट दिखती हों । चश्मा लगाते हों तो बिना चश्मे के फोटो भेजेंगे । यह फोटो आपके प्रतीक रूप में यंत्र के पूजन के समय रखी जाएगी .
५) आपका पूरा पोस्टल एड्रेस पिन कोड सहित भेजेंगे । साथ मे वह मोबाइल नंबर भी भेजेंगे जिसपर पोस्टमेन आवश्यकता पड़ने पर आपसे पार्सल की डिलिवरी के समय संपर्क कर सके ।
तंत्र या नकारात्मक शक्ति प्रयोग से अपनी रक्षा स्वयं करें
यह सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा दिया गया एक अद्भुत मंत्र है .....
ॐ रक्षो रक्ष महावीर !
काला गोरा भेरूँ! बल वहन करे !
वज्र सी देह रक्षा करे ! एडी सू चोटी चोटी सू एडी !
तणो वज्र निरधार झरे ! ठम ठम ठम !!!
सद्गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमली जी के इस स्वरूप को प्रणाम करें और रक्षा की प्रार्थना करें उसके बाद इसे आप नवरात्रि मे रोज 108 बार जपकर सिद्ध कर लें ।.
बिस्तर से उठते समय यदि आप इसका नित्य 1 या 3 बार जाप करते रहें तो आपके ऊपर किसी प्रकार का तंत्र प्रयोग आदि होने पर उससे रक्षा होगी ।.
हनुमान चालीसा एक बेहद लोकप्रिय उपाय है जो बहुत सारे लोग प्रयोग में लाते हैं ।
इसकी भाषा सरल है इसलिए कोई भी इसका प्रयोग कर सकता है ।
हनुमान जी अमर है ! चिरंजीवी है !!
इसलिए उनकी उपस्थिति आज भी पृथ्वी पर महसूस की जाती है ।
रक्षा कवच
हनुमान चालीसा को रक्षा कवच के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है ।
इसके लिए एक छोटे आकार की हनुमान चालीसा ले लें । उसे रखने लायक गेरुए कलर का कपड़ा ले लें जिसमे आप उसे लपेट कर रख सकें या उससे छोटा पॉकेट जैसा बना लें ।
हनुमान जयंती से या किसी भी पूर्णिमा के दिन से प्रारंभ करें और उस हनुमान चालीसा के 11 पाठ रोज करें , ऐसा अगली पूर्णिमा तक करें यानी कुल मिलाकर लगभग 30 दिनों तक आपका पाठ होगा । पाठ हो जाने के बाद उसे उस कपड़े या पॉकेट में बंद करके रख ले । उसे इस प्रकार से रखें कि कोई दूसरा व्यक्ति उसे स्पर्श ना कर सके । यानी आपको 30 दिनों तक उसे दूसरों से छुपा कर रखना है ॥
पूर्णिमा से पूर्णिमा तक पाठ कर लेने के बाद आप उस हनुमान चालीसा को उस कपड़े में लपेटकर हमेशा अपने साथ रखें तथा नित्य एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें जिससे आपको सभी प्रकार के बाधाओं में हनुमान जी की कृपा से रक्षा प्राप्त होगी ।
· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।
· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |
· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |
· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।
· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।
इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
मंत्र :-
॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,
ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।
· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।
· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |
· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |
· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।
· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।
इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
मंत्र :-
॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,
ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।
सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर नारियल काला धागा पंचमुखी रुद्राक्ष 3 सामान्य पूजन सामग्री
वस्त्र/आसन काले रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ महाकाली मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
नारियल पर काला धागा [अपने शरीर की लंबाई का सात गुना लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ नमः शिवाय "
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
गोबर का कंडा जलाकर उसमे एक चमच घी और एक टुकड़ा देशी कपूर डालकर धुप करें न हो पाए तो धूप /अगरबत्ती जलाएं .
नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें । स्वयंसिद्ध महाकाली मंत्र
सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. उसका पूजन करें.
लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .
नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें ।
"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"
अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिये : सदाशिव रक्षा कवच
बहुत सारे पाठकों ने पूछा था कि कोई ऐसी विधि हो यह मंत्र हो जिसके पाठ से या जाप से किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव स्वयं पर तथा परिवार पर ना पड़े ।
नीचे एक सदा शिव रक्षा कवच प्रस्तुत है । इसका नित्य प्रति एक पाठ करने से परिवार में किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं हो पाएगा । यदि कोई बाधा होगी तो वह भी धीरे-धीरे हट जाएगी ।