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15 अप्रैल 2024

हनुमान चालीसा से बनायें रक्षा कवच

 हनुमान चालीसा से बनायें रक्षा कवच 



हनुमान चालीसा एक बेहद लोकप्रिय उपाय है जो बहुत सारे लोग प्रयोग में लाते हैं ।  

इसकी भाषा सरल है इसलिए कोई भी इसका प्रयोग कर सकता है । 

हनुमान जी अमर है ! चिरंजीवी है !! 

इसलिए उनकी उपस्थिति आज भी पृथ्वी पर महसूस की जाती है । 


रक्षा कवच 

हनुमान चालीसा को रक्षा कवच के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है । 


इसके लिए एक छोटे आकार की हनुमान चालीसा ले लें । उसे रखने लायक गेरुए कलर का कपड़ा ले लें जिसमे आप उसे लपेट कर रख सकें या उससे छोटा पॉकेट जैसा बना लें ।  

हनुमान जयंती से या किसी भी पूर्णिमा के दिन से प्रारंभ करें और उस हनुमान चालीसा के 11 पाठ रोज करें ,  ऐसा अगली पूर्णिमा तक करें यानी कुल मिलाकर लगभग 30 दिनों तक आपका पाठ होगा । पाठ हो जाने के बाद उसे उस कपड़े या पॉकेट में बंद करके रख ले ।  उसे इस प्रकार से रखें कि कोई दूसरा व्यक्ति उसे स्पर्श ना कर सके ।  यानी आपको 30 दिनों तक उसे दूसरों से छुपा कर रखना है ॥ 

पूर्णिमा से पूर्णिमा तक पाठ कर लेने के बाद आप उस हनुमान चालीसा को उस कपड़े में लपेटकर हमेशा अपने साथ रखें तथा नित्य एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें जिससे आपको सभी प्रकार के बाधाओं में हनुमान जी की कृपा से रक्षा प्राप्त होगी । 

7 अप्रैल 2024

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र

 साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र




· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।

· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |

· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |

· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।

· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।


इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।


मंत्र :-


॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,

ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।




5 अप्रैल 2024

काल भैरव अष्टकम

काल भैरव अष्टकम

काल भैरव अष्टकम


देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥


विधि :-

सूर्यग्रहण के अवसर पर 108 पाठ करें ।

यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।

विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे किया जा सकता है ।  

3 अप्रैल 2024

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र

 

साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र

· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।

· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |

· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |

· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।

· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।

इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।

मंत्र :-

॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,

ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।




2 अप्रैल 2024

सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा प्रदत्त एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

 एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र



यह सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा दिया गया एक अद्भुत मंत्र है ..... 


ॐ रक्षो रक्ष महावीर !

काला गोरा भेरूँ! बल वहन करे !

वज्र सी देह रक्षा करे ! एडी सू चोटी चोटी सू एडी !

तणो वज्र निरधार झरे ! ठम ठम ठम !!!



इसे आप 108 बार जपकर सूर्यग्रहण के अवसर पर सिद्ध कर लें ।. 

इसका नित्य 3 बार जाप करते रहें तो आपके ऊपर किसी प्रकार का प्रयोग आदि होने पर उससे रक्षा होगी ।. 

1 अप्रैल 2024

सूर्यग्रहण विशेष - रक्षा नारियल

सूर्यग्रहण विशेष - रक्षा नारियल

सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
काला धागा
पंचमुखी रुद्राक्ष 3
सामान्य पूजन सामग्री


वस्त्र/आसन काले रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ महाकाली मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर काला धागा [अपने शरीर की लंबाई का सात गुना लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ नमः शिवाय "

अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.

गोबर का कंडा जलाकर उसमे एक चमच घी और एक टुकड़ा देशी कपूर डालकर धुप करें न हो पाए तो धूप /अगरबत्ती जलाएं .

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें ।
स्वयंसिद्ध महाकाली मंत्र

।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके
घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके
दानवान दारय हन हन शरीरे
महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।

उच्चारण के लिए यूट्यूब देखें :-



अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले.
आपका रक्षा नारियल तय्यार है.

इसे आप ग्रहण वाले दिन , घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें.

यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

31 मार्च 2024

सूर्यग्रहण विशेष - तंत्र रक्षा नारियल

सूर्यग्रहण विशेष  - तंत्र रक्षा नारियल 


सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.


आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर

नारियल

सामान्य पूजन सामग्री

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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.

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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"

अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. उसका पूजन करें.

लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें । 

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

13 मार्च 2024

सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच

 सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच 



कई पाठक पाठिकाओं ने अपने जीवन की कई समस्याओं के विषय मे मुझसे जानकारी और उपाय के विषय मे पूछा है ।

जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान पाने का सहयोगात्मक उपाय उससे संबन्धित साधनाओं से किया जा सकता है जो कि सदगुरु के पास से प्राप्त होता और सर्वश्रेष्ठ होता है ।

गृहस्थ व्यक्ति के लिए साधना करना कई बार संभव नहीं होता ऐसी स्थिति मे जब गुरु प्रसन्न होते हैं तो वे ऐसे दुर्लभ और विशिष्ट उपाय की सृष्टि भी कर देते हैं जो हर समस्या मे काम करता है ।

ऐसा ही एक उपाय है दस महाविद्या कवच !

यह एक अत्यंत छोटा सा और प्रभावशाली कवच है जो चाँदी मे बना हुआ है । इसे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने श्री महाकाल चक्र मण्डल के मंत्रों से इस प्रकार संगुफित किया है कि यह कम से कम गुरु की एक महादशा अर्थात लगभग 15-16 वर्ष तक प्रभावी रहेगा.....



तंत्र के क्षेत्र मे दस महाविद्याओं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । किसी एक महाविद्या के मंत्रों से सिद्ध किया गया कवच अद्भुत और शक्तिशाली बन जाता है ।


आप स्वयं कल्पना करें कि यदि कोई ऐसा कवच बनाया जाये, जिसे दसों महाविद्याओं से संबन्धित मंत्रों के द्वारा सिद्ध किया गया हो तो उसकी शक्ति कितनी प्रचंड होगी । वह भी एक ऐसे प्रचंड गुरु के द्वारा जिसने स्वयं दस महाविद्याओं की साधना की हुई हो ..... 


पूज्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने हिमालय की तराई मे पाई जाने वाली दस महाविद्याओं से संबन्धित गोपनीय तांत्रिक औषधियों के माध्यम से अभिमंत्रित करके दस महाविद्या कवच का निर्माण किया है ।  


आप चाहें तो इस अतिविशिष्ट कवच के विषय मे जानकारी/प्राप्त करने के लिए गुरुदेव के प्रिय शिष्य श्री प्रशांत पांडे जी से निम्नलिखित नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । 


श्री प्रशांत पांडे [दिल्ली] 

मोबाइल - 8800458271


आपकी जानकारी के लिए दस महाविद्याये और उनकी साधना से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं :-




1 - महाकाली महाविद्या = शत्रुबाधा , मानसिक शांति, अभय !


2 - तारा महाविद्या = सर्व संकट निवारण, आर्थिक उन्नति, विद्या प्राप्ति !



3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या =  सौन्दर्य , सुखद वैवाहिक जीवन, भोग और मोक्ष की प्राप्ति !




4. भुवनेश्वरी महाविद्या = आत्म ज्ञान, स्वस्थ्य और ऊर्जा , संतान प्राप्ति !



5. त्रिपुर भैरवी महाविद्या = इतर योनि बाधा , डर व भय से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति !



6. छिन्नमस्ता मंत्र = शत्रु विनाश, अभय, सर्वबाधा शमन , तंत्रबाधा नाशक !



7. धूमावती महाविद्या = गूढ रहस्यों का ज्ञान, संकट और न्यूनताओं का निवारण । 



8. बगलामुखी महाविद्या = शत्रुओं का स्तंभन और समूल नाश, वाक्पटुता, उत्तम स्वस्थ्य !





9. मातंगी महाविद्या = विद्या, बुद्धि, संगीत व कला का विकास । 


10. कमला महाविद्या = आर्थिक लाभ , ऋण मुक्ति, व्यापार वृद्धि, नौकरी में उन्नति, ऐश्वर्य और समृद्धि !


 


7 अक्तूबर 2023

काल भैरव साधना

 




काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
  • शत्रु बाधा.
  • तंत्र बाधा.
  • इतर योनी से कष्ट.
  • उग्र साधना में रक्षा हेतु.
काल भैरव मंत्र :-

|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||

विधि :-
  1. रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
  2. रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
  3. काला आसन और वस्त्र रहेगा.
  4. रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
  5. १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
  6. जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन  कर लें.
  7. हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
  8. काली  मिर्च या  तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  9. अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
  10. एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें. 
  11. किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ. 
  12. घर में आकर स्नान कर लें. 
  13. दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें. 
  14. किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
  15. दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.

9 जुलाई 2023

सदाशिव कवच का उच्चारण यूट्यूब पर



नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिये : सदाशिव रक्षा कवच 



बहुत सारे पाठकों ने पूछा था कि कोई ऐसी विधि हो यह मंत्र हो जिसके पाठ से या जाप से किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव स्वयं पर तथा परिवार पर ना पड़े ।

नीचे एक सदा शिव रक्षा कवच प्रस्तुत है । इसका नित्य प्रति एक पाठ करने से परिवार में किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं हो पाएगा । यदि कोई बाधा होगी तो वह भी धीरे-धीरे हट जाएगी ।


सदाशिव रक्षा कवच


ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्वात्मकाय सर्वमन्त्रस्वरूपाय सर्वयन्त्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्वतत्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणि मुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकाल- रौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलधारैकनिलयाय तत्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनाय अनन्तकोटिब्रह्माण्डनायकाय अनन्त वासुकि तक्षक- कर्कोटक शङ्ख कुलिक- पद्म महापद्मेति- अष्टमहानागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाश दिक् स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्करहिताय सकललोकैककर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकललोकैकशङ्कराय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय सकलजगदभयङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजवासाय निराकाराय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहङ्काराय निरङ्कुशाय निष्कलङ्काय निर्गुणाय निष्कामाय निरूपप्लवाय निरुपद्रवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातङ्काय निष्प्रपञ्चाय निस्सङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्लोपाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निःसंशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय नित्यशुद्धबुद्धमुक्तपरिपूर्ण- सच्चिदानन्दाद्वयाय परमशान्तस्वरूपाय परमशान्तप्रकाशाय तेजोरूपाय तेजोमयाय तेजो‌sधिपतये जय जय रुद्र महारुद्र महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग चर्मखड्गधर पाशाङ्कुश- डमरूशूल चापबाणगदाशक्तिभिन्दिपाल- तोमर मुसल मुद्गर पाश परिघ- भुशुण्डी शतघ्नी चक्राद्यायुधभीषणाकार- सहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदन विकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्डमण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर नागेन्द्रनिकेतन मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वतोमुख सर्वतोमुख माम# रक्ष रक्ष ज्वलज्वल प्रज्वल प्रज्वल महामृत्युभयं शमय शमय अपमृत्युभयं नाशय नाशय रोगभयम् उत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान् मारय मारय मम# शत्रून् उच्चाटयोच्चाटय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खड्गेन छिन्द्दि छिन्द्दि खट्वाङ्गेन विपोधय विपोधय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणैः सन्ताडय सन्ताडय यक्ष रक्षांसि भीषय भीषय अशेष भूतान् विद्रावय विद्रावय कूष्माण्डभूतवेतालमारीगण- ब्रह्मराक्षसगणान् सन्त्रासय सन्त्रासय मम# अभयं कुरु कुरु मम# पापं शोधय शोधय वित्रस्तं माम्# आश्वासय आश्वासय नरकमहाभयान् माम्# उद्धर उद्धर अमृतकटाक्षवीक्षणेन माम# आलोकय आलोकय सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुत्तृष्णार्तं माम्# आप्यायय आप्यायय दुःखातुरं माम्# आनन्दय आनन्दय शिवकवचेन माम्# आच्छादय आच्छादय हर हर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव परमशिव नमस्ते नमस्ते नमः ॥


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विधि :-

भस्म से माथे पर तीन लाइन वाला तिलक त्रिपुंड बनायें.

हाथ में पानी लेकर भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना करें , जल छोड़ दें.

एक माला गुरुमंत्र की करें . अगर गुरु न बनाया हो तो भगवान् शिव को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का जाप कर लें.

यदि अपने लिए पाठ नहीं कर रहे हैं तो मम# वाले जगह पर उसका नाम लें जिसके लिए पाठ कर रहे हैं |

रोगमुक्ति, बधामुक्ति, मनोकामना के लिए ११ पाठ ११ दिनों तक करें . अनुकूलता प्राप्त होगी.

इसे आप प्रतिलिपि पर सुनकर सही उच्चारण करने में सहायता ले सकते हैं . 

https://hindi.pratilipi.com/audio/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%9A-x5pdiwgaonhb#share_modal

 

8 जुलाई 2023

सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच

  सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच 



कई पाठक पाठिकाओं ने अपने जीवन की कई समस्याओं के विषय मे मुझसे जानकारी और उपाय के विषय मे पूछा है ।

जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान पाने का सहयोगात्मक उपाय उससे संबन्धित साधनाओं से किया जा सकता है जो कि सदगुरु के पास से प्राप्त होता और सर्वश्रेष्ठ होता है ।

गृहस्थ व्यक्ति के लिए साधना करना कई बार संभव नहीं होता ऐसी स्थिति मे जब गुरु प्रसन्न होते हैं तो वे ऐसे दुर्लभ और विशिष्ट उपाय की सृष्टि भी कर देते हैं जो हर समस्या मे काम करता है ।

ऐसा ही एक उपाय है दस महाविद्या कवच !

यह एक अत्यंत छोटा सा और प्रभावशाली कवच है जो चाँदी मे बना हुआ है । इसे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने श्री महाकाल चक्र मण्डल के मंत्रों से इस प्रकार संगुफित किया है कि यह कम से कम गुरु की एक महादशा अर्थात लगभग 15-16 वर्ष तक प्रभावी रहेगा.....



तंत्र के क्षेत्र मे दस महाविद्याओं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । किसी एक महाविद्या के मंत्रों से सिद्ध किया गया कवच अद्भुत और शक्तिशाली बन जाता है ।


आप स्वयं कल्पना करें कि यदि कोई ऐसा कवच बनाया जाये, जिसे दसों महाविद्याओं से संबन्धित मंत्रों के द्वारा सिद्ध किया गया हो तो उसकी शक्ति कितनी प्रचंड होगी । वह भी एक ऐसे प्रचंड गुरु के द्वारा जिसने स्वयं दस महाविद्याओं की साधना की हुई हो ..... 


पूज्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने हिमालय की तराई मे पाई जाने वाली दस महाविद्याओं से संबन्धित गोपनीय तांत्रिक औषधियों के माध्यम से अभिमंत्रित करके दस महाविद्या कवच का निर्माण किया है ।  


आप चाहें तो इस अतिविशिष्ट कवच के विषय मे जानकारी/प्राप्त करने के लिए गुरुदेव के प्रिय शिष्य श्री प्रशांत पांडे जी से निम्नलिखित नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । 


श्री प्रशांत पांडे [दिल्ली] 

मोबाइल - 8800458271


आपकी जानकारी के लिए दस महाविद्याये और उनकी साधना से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं :-




1 - महाकाली महाविद्या = शत्रुबाधा , मानसिक शांति, अभय !


2 - तारा महाविद्या = सर्व संकट निवारण, आर्थिक उन्नति, विद्या प्राप्ति !



3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या =  सौन्दर्य , सुखद वैवाहिक जीवन, भोग और मोक्ष की प्राप्ति !




4. भुवनेश्वरी महाविद्या = आत्म ज्ञान, स्वस्थ्य और ऊर्जा , संतान प्राप्ति !



5. त्रिपुर भैरवी महाविद्या = इतर योनि बाधा , डर व भय से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति !



6. छिन्नमस्ता मंत्र = शत्रु विनाश, अभय, सर्वबाधा शमन , तंत्रबाधा नाशक !



7. धूमावती महाविद्या = गूढ रहस्यों का ज्ञान, संकट और न्यूनताओं का निवारण । 



8. बगलामुखी महाविद्या = शत्रुओं का स्तंभन और समूल नाश, वाक्पटुता, उत्तम स्वस्थ्य !





9. मातंगी महाविद्या = विद्या, बुद्धि, संगीत व कला का विकास । 


10. कमला महाविद्या = आर्थिक लाभ , ऋण मुक्ति, व्यापार वृद्धि, नौकरी में उन्नति, ऐश्वर्य और समृद्धि !


 


8 जून 2023

सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच

  सर्व विध रक्षा और उन्नति के लिए : दस महाविद्या कवच 



कई पाठक पाठिकाओं ने अपने जीवन की कई समस्याओं के विषय मे मुझसे जानकारी और उपाय के विषय मे पूछा है ।

जीवन की लगभग हर समस्या का समाधान पाने का सहयोगात्मक उपाय उससे संबन्धित साधनाओं से किया जा सकता है जो कि सदगुरु के पास से प्राप्त होता और सर्वश्रेष्ठ होता है ।

गृहस्थ व्यक्ति के लिए साधना करना कई बार संभव नहीं होता ऐसी स्थिति मे जब गुरु प्रसन्न होते हैं तो वे ऐसे दुर्लभ और विशिष्ट उपाय की सृष्टि भी कर देते हैं जो हर समस्या मे काम करता है ।

ऐसा ही एक उपाय है दस महाविद्या कवच !

यह एक अत्यंत छोटा सा और प्रभावशाली कवच है जो चाँदी मे बना हुआ है । इसे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने श्री महाकाल चक्र मण्डल के मंत्रों से इस प्रकार संगुफित किया है कि यह कम से कम गुरु की एक महादशा अर्थात लगभग 15-16 वर्ष तक प्रभावी रहेगा.....



तंत्र के क्षेत्र मे दस महाविद्याओं को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है । किसी एक महाविद्या के मंत्रों से सिद्ध किया गया कवच अद्भुत और शक्तिशाली बन जाता है ।


आप स्वयं कल्पना करें कि यदि कोई ऐसा कवच बनाया जाये, जिसे दसों महाविद्याओं से संबन्धित मंत्रों के द्वारा सिद्ध किया गया हो तो उसकी शक्ति कितनी प्रचंड होगी । वह भी एक ऐसे प्रचंड गुरु के द्वारा जिसने स्वयं दस महाविद्याओं की साधना की हुई हो ..... 


पूज्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी ने हिमालय की तराई मे पाई जाने वाली दस महाविद्याओं से संबन्धित गोपनीय तांत्रिक औषधियों के माध्यम से अभिमंत्रित करके दस महाविद्या कवच का निर्माण किया है ।  


आप चाहें तो इस अतिविशिष्ट कवच के विषय मे जानकारी/प्राप्त करने के लिए गुरुदेव के प्रिय शिष्य श्री प्रशांत पांडे जी से निम्नलिखित नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । 


श्री प्रशांत पांडे [दिल्ली] 

मोबाइल - 8800458271


आपकी जानकारी के लिए दस महाविद्याये और उनकी साधना से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं :-




1 - महाकाली महाविद्या = शत्रुबाधा , मानसिक शांति, अभय !


2 - तारा महाविद्या = सर्व संकट निवारण, आर्थिक उन्नति, विद्या प्राप्ति !



3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या =  सौन्दर्य , सुखद वैवाहिक जीवन, भोग और मोक्ष की प्राप्ति !




4. भुवनेश्वरी महाविद्या = आत्म ज्ञान, स्वस्थ्य और ऊर्जा , संतान प्राप्ति !



5. त्रिपुर भैरवी महाविद्या = इतर योनि बाधा , डर व भय से मुक्ति, शत्रुओं से मुक्ति !



6. छिन्नमस्ता मंत्र = शत्रु विनाश, अभय, सर्वबाधा शमन , तंत्रबाधा नाशक !



7. धूमावती महाविद्या = गूढ रहस्यों का ज्ञान, संकट और न्यूनताओं का निवारण । 



8. बगलामुखी महाविद्या = शत्रुओं का स्तंभन और समूल नाश, वाक्पटुता, उत्तम स्वस्थ्य !





9. मातंगी महाविद्या = विद्या, बुद्धि, संगीत व कला का विकास । 


10. कमला महाविद्या = आर्थिक लाभ , ऋण मुक्ति, व्यापार वृद्धि, नौकरी में उन्नति, ऐश्वर्य और समृद्धि !