28 फ़रवरी 2021

सर्व रोग हर मृत्युंजय मन्त्र

 ||ॐ त्रयम्बकं यजामहे उर्वा रुकमिव स्तुता वरदा प्रचोदयंताम आयु: प्राणं प्रजां पशुं ब्रह्मवर्चसं मह्यं दत्वा व्रजम ब्रह्मलोकं  ||


  • इस मंत्र के उच्चारण करने या श्रवण करने से समस्त बिमारियों में लाभ होता है .
  • शिवरात्रि तक क्षमतानुसार जाप करें.

26 फ़रवरी 2021

तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त हनुमान साधना

 




॥ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं रुद्ररूपाय महासिद्धाय ह्रीं ह्रीं ह्रीं नमः 

यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है.  
जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें. 
ब्रह्मचर्य का पालन करें. 
एक समय भोजन करें. बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें. 
रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें. 
लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर  जाप करें. 
गुड तथा चने का भोग लगायें. 
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
११००० जाप करें ११०० मन्त्रों से हवन करें. 
साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.

25 फ़रवरी 2021

शिव कृपा

 



॥ ऊं नमः शिवाय ॥


इस मंत्र का जाप आप चलते फ़िरते कर सकते हैं.तीन लाख जाप से शिव कृपा मिलती है....
----------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

24 फ़रवरी 2021

गणेश पुराणांक :गीता प्रेस


 gitapress.org

 

भगवान श्री गणेश पुराण इस बार गीता प्रेस के द्वारा प्रकाशित कल्याण पत्रिका के विशेष अंक के रूप मे प्रकाशित की गई है । 

मूल्य मात्र 250 रुपये । इसके साथ कल्याण पत्रिका की वार्षिक सदस्यता भी है ...

भगवान शिव को बिल्व पत्र चढाने का मन्त्र

 


भगवान शिव को बिल्व पत्र चढाने का मन्त्र:-
काशीवासनिवासिनम कालभैरवपूजिताम ।
कोटि कन्या महादानम एक बिल्वपत्रम शिवार्पणम ॥

23 फ़रवरी 2021

अघोरेश्वर महादेव

 



॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥

  • १,२५,००० मंत्र का जाप .
  • दिगंबर/नग्न  अवस्था में जाप करें
  • अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं. 
  • लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए  चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं  करें. यह गम्भीर  नुकसान कर सकता है.
  • गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे  की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
  • जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
  • जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
  • शिव कृपा होगी.
  • रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.

22 फ़रवरी 2021

सदाशिव रक्षा कवच

 



[प्रातः स्मरणीय परम श्रद्धेय सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी]

ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्वात्मकाय सर्वमन्त्रस्वरूपाय सर्वयन्त्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्वतत्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणि मुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकाल- रौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलधारैकनिलयाय तत्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनाय अनन्तकोटिब्रह्माण्डनायकाय अनन्त वासुकि तक्षक- कर्कोटक शङ्ख कुलिक- पद्म महापद्मेति- अष्टमहानागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाश दिक् स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्करहिताय सकललोकैककर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकललोकैकशङ्कराय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय सकलजगदभयङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजवासाय निराकाराय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहङ्काराय निरङ्कुशाय निष्कलङ्काय निर्गुणाय  निष्कामाय निरूपप्लवाय निरुपद्रवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातङ्काय निष्प्रपञ्चाय निस्सङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्लोपाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निःसंशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय नित्यशुद्धबुद्धमुक्तपरिपूर्ण- सच्चिदानन्दाद्वयाय परमशान्तस्वरूपाय परमशान्तप्रकाशाय तेजोरूपाय तेजोमयाय तेजो‌sधिपतये जय जय रुद्र महारुद्र महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग चर्मखड्गधर पाशाङ्कुश- डमरूशूल चापबाणगदाशक्तिभिन्दिपाल- तोमर मुसल मुद्गर पाश परिघ- भुशुण्डी शतघ्नी चक्राद्यायुधभीषणाकार- सहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदन विकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्डमण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर नागेन्द्रनिकेतन मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वतोमुख सर्वतोमुख माम# रक्ष रक्ष ज्वलज्वल प्रज्वल प्रज्वल महामृत्युभयं शमय शमय अपमृत्युभयं नाशय नाशय रोगभयम् उत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान् मारय मारय मम# शत्रून् उच्चाटयोच्चाटय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खड्गेन छिन्द्दि छिन्द्दि खट्वाङ्गेन विपोधय विपोधय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणैः सन्ताडय सन्ताडय यक्ष रक्षांसि भीषय भीषय अशेष भूतान् विद्रावय विद्रावय कूष्माण्डभूतवेतालमारीगण- ब्रह्मराक्षसगणान् सन्त्रासय सन्त्रासय मम# अभयं कुरु कुरु मम# पापं शोधय शोधय वित्रस्तं माम्# आश्वासय आश्वासय नरकमहाभयान् माम्# उद्धर उद्धर अमृतकटाक्षवीक्षणेन माम# आलोकय आलोकय सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुत्तृष्णार्तं माम्# आप्यायय आप्यायय दुःखातुरं माम्# आनन्दय आनन्दय शिवकवचेन माम्# आच्छादय आच्छादय हर हर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव परमशिव नमस्ते नमस्ते नमः ॥
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विधि :-
  1. भस्म से  माथे पर  तीन लाइन वाला तिलक त्रिपुंड बनायें.
  2. हाथ में पानी लेकर भगवान  शिव से रक्षा की प्रार्थना करें , जल छोड़ दें.
  3. एक माला गुरुमंत्र की करें . अगर गुरु न बनाया हो तो भगवान् शिव को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का जाप कर लें.
  4. यदि अपने लिए पाठ नहीं कर रहे हैं तो # वाले जगह पर उसका नाम लें जिसके लिए पाठ कर रहे हैं |
  5. रोगमुक्ति, बधामुक्ति, मनोकामना के लिए ११ पाठ प्र्तिदिन करें . अनुकूलता प्राप्त होगी.
  6. रक्षा कवच बनाने के लिए एक पंचमुखी रुद्राक्ष ले लें. उसको दूध,दही,घी,शक्कर,शहद,से स्नान करा लें |अब इसे गंगाजल से स्नान कराकर बेलपत्र चढ़ाएं | नवरात्रि में 11,21,51,101 या  151 पाठ करें पाठ के बाद इसे धारण कर लें |

साधना में गुरु की आवश्यकता
Y   मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.अगर गुरु न मिले तो भगवान शिव या महाकाली को गुरु मानकर साधना करें । 
Y   साधना से उठने वाली उर्जा को गुरु नियंत्रित और संतुलित करता है, जिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
Y   गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए. अगर बैठकर ना कर पायें तो चलते फिरते भी आप मन्त्र जाप कर सकते हैं.
Y   रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला धारण करने से आध्यात्मिक अनुकूलता मिलती है .
Y   रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं.
Y   गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं. इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
गुरु के बिना साधना
Y   स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
Y   जिन मन्त्रों में 108 से ज्यादा अक्षर हों उनकी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
Y   शाबर मन्त्र तथा स्वप्न में मिले मन्त्र बिना गुरु के जाप कर सकते हैं .
Y   गुरु के आभाव में स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरश्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.
Y    
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y   मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y   गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y   आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y   बकवास और प्रलाप न करें.
Y   किसी पर गुस्सा न करें.
Y   यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y   ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
Y   किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न होअपमान न करें.
Y   जप और साधना का ढोल पीटते न रहेंइसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y   बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y   ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y   इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पद सकती है |
Y   भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
मंत्र जाप में दिशा, आसन, वस्त्र का महत्व
Y   साधना के लिए नदी तट, शिवमंदिर, देविमंदिर, एकांत कक्ष श्रेष्ट माना गया है .
Y   आसन में काले/लाल कम्बल का आसन सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ट माना गया है .
Y   अलग अलग मन्त्र जाप करते समय दिशा, आसन और वस्त्र अलग अलग होते हैं .
Y   इनका अनुपालन करना लाभप्रद होता है .
Y   जाप के दौरान भाव सबसे प्रमुख होता है , जितनी भावना के साथ जाप करेंगे उतना लाभ ज्यादा होगा.
Y   यदि वस्त्र आसन दिशा नियमानुसार ना हो तो भी केवल भावना सही होने पर साधनाएं फल प्रदान करती ही हैं .



आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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21 फ़रवरी 2021

शिवषडक्षरस्तोत्र साधना

 





शिवषडक्षरस्तोत्र साधना
***************************************************
ऊँकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:।।
नमंति ऋषयो देवा नमंत्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।
महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नम:।।
शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकनुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नम:।।
यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।

***************************************************
सामान्य निर्देश :-
·    स्तोत्रसाधना के मार्ग में प्रवेश करने का सबसे उत्तम मार्ग है |
·    स्तोत्र साधना के लिए गुरु अनिवार्य नहीं है |
·    आप अपनी क्षमतानुसार नित्य पाठ करें |
·    पाठ संख्या 21,51,108 तक हो सकती हैं | गिनती के लिए आप अपनी सुविधानुसार कापी पेन या किसी अन्य वस्तु का प्रयोग कर सकते हैं |
·    जैसे जैसे पाठ की संख्या बढती जायेगी स्तोत्र उतना बलवान होगा और आपको कार्य में अनुकूलता प्रदान करेगा |
·    साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
·    इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
·    साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
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विधि :-

पाठ प्रारम्भ के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले)आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह स्तोत्र पाठ  कर रहा/ रही हूँ मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
1. इशान (उत्तर पूर्व के बीच ) दिशा की और देखते हुए बैठें |
2. आसन सफ़ेद /पीले रंग का रखें|
3. स्त्रोत का पाठ ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4 से सुबह 6 के बीच करें | संभव ना हो तो दिन में भी कर सकते हैं |
4. पाठ के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें |
5. साधना काल में किसी को आशीर्वाद या श्राप ना दें | इससे आपकी साधनात्मक शक्ति का ह्रास होगा |
6. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें यथा संभव हर स्त्री को देवी के रूप में देखें |
7. सात्विक आहार/ आचार/ विचार/व्यवहार रखें |
8. ब्रह्मचर्य का पालन करें | विवाहित पुरुष अपनी विवाहिता स्त्री के साथ सम्बन्ध रख सकते हैं |
9. व्यर्थ के प्रलाप और अपनी साधना का ढिंढोरा पीटने से बचें | इससे आपकी शक्ति कम होती जाती है | साधना को यथा संभव गोपनीय रखें |
10.   साधना का प्रयोग यदि लोगों की समस्या के समाधान के लिए कर रहे हों तो नित्य साधना अवश्य करें |


11.   यदि नित्य साधना नहीं करेंगे और समस्या समाधान करेंगे तो धीरे धीरे आपकी शक्ति क्षीण होती जायेगी और काम होने बंद हो जायेंगे |

12 फ़रवरी 2021

बसंत पंचमी : बालकों में बुद्धि तथा विद्या के विकास के लिये प्रयोग

 


बसंत पंचमी यानी सरस्वती सिद्धि दिवस. इस दिन आप अपने बालकों को बुद्धि तथा विद्या के विकास के लिये यह प्रयोग करें:-

  • प्रात: काल स्नानादि करने के बाद आप १०८ बार या यथाशक्ति अपने गुरुमंत्र का जाप करे. यदि गुरु न बनाया हो तो मेरे गुरुमंत्र "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " का जाप कर लें.

  • इसके बाद यथा शक्ति सरस्वती के बीज  मंत्र  " ऐं " का जप करे. कम से कम आधा घंटा जाप करना चाहिए .
  • अब केसर या शहद से अपनी तर्जनी ऊँगली से अपने बालक/बालिका के जीभ पर सरस्वती बीज मन्त्र  " ऐं "  को लिखे.
  • बालक/बालिका को यथा शक्ति गुरु मंत्र का जाप करने को कहें.

11 फ़रवरी 2021

गुप्त नवरात्रि विशेष : त्रिपुरभैरवी महाविद्या

 माघ प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है 



नवरात्रि के समान ही यह देवी साधनाओं मे सफलता दायक है 





॥ हसै हसकरी हसै ॥


लाभ - शत्रुबाधा, तन्त्रबाधा निवारण.


विधि ---


  • दिये हुए चित्र को फ्रेम करवा लें.
  • यन्त्र के बीच में देखते हुए जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • काला रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधना काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • उपवास न कर सकें तो साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.

10 फ़रवरी 2021

महाविद्या बगलामुखी दीक्षा

 


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

विभिन्न साधनात्मक जानकारियों 

तथा

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


 तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से 


भगवती बगलामुखि दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
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भोपाल [म.प्र.] 462011
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विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें :-
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना  सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना,  अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
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सदगुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा शरीर में समाहित दोष निवारण प्रयोग

सदगुरुदेव नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा भगवती जगदम्बा साक्षात् दर्शन सा...

नवार्ण मंत्र के माध्यम से दुर्लभ और अदभुत सतोपंथी दीक्षा

सद्गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा कराए गए अत्यंत दुर्लभ और प्रचंड प्रयोगों मे से एक है यह । 
नवरात्रि मे नित्य इसे एक बार सुनें और उसके बाद नवार्ण मंत्र का यथा शक्ति जाप करें तो आपको इसकी तेजस्विता का स्वयं अनुभव होगा .....  


8 फ़रवरी 2021

शत्रु स्तंभिनी : बगलामुखी साधना

 


शत्रु बाधा तथा कानूनी विवादों में बुरी तरह फ़स जाने पर जब कोइ मार्ग ना दिखाइ दे तब बगलामुखी साधना करना लाभप्रद माना गया है ।

मन्त्रम:-

ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदम स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं फ़ट स्वाहा

7 फ़रवरी 2021

भगवती बगलामुखी साधना के लिये सामान्य नियम

  


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

6 फ़रवरी 2021

बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र

  


बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र

ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृध्रोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय,  शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्कं स्तंभय स्तंभय , गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय, शैलकाननमहीं मर्दय मर्दय, मुखं उत्पाटय उत्पाटय, पात्रं पूरय पूरय, भूतभविष्यं यत्सर्व कथय कथय, कृन्त कृन्त, दह दह, पच पच, मथ मथ, प्रमथ प्रमथ, घर्घर घर्घर, ग्रासय ग्रासय, विद्रावय विद्रावय उच्चाटय उच्चाटय, विष्णुचक्रेण वरुणपाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय नाशय, प्रविदं स्फोटय स्फोटय , सर्वशत्रून मम वशं कुरु कुरु, पातालं प्रत्यंतरिक्षं आकाशग्रहं आनय आनय, करालि विकरालि महाकालि, रुद्रशक्ते पूर्वदिशं निरोधय निरोधयपश्चिमदिशं स्तम्भय स्तम्भयदक्षिणदिशं निधय निधयउत्तरदिशं बंधय बंधय, ह्रां ह्रीं ॐ बंधय बंधय, ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनि, मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि वासुकी कृत हारभूषणे मेखला चन्द्रार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहास निलय निलय, हुं फट्, हुं फट् विजृंभित शरीरे सप्तद्वीप कृते ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तन युगले असि मुसल परशु तोमर क्षुरिपाश हलेषु वीरान् शमय शमय, सहस्त्र बाहु परापरादिशक्ति विष्णु शरीरे, शंकर ह्रदयेश्वरी बगलामुखी ! सर्वदुष्टान् विनाशय विनाशय, हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं बगलामुखी ये केचनापकारिणः सन्ति, तेषां वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय, जिह्वां कीलय कीलय, बुद्धिं विनाशय विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा !

ॐ ह्रीं हिली हिली सर्व शत्रुणां वाचं मुखं पदं स्तम्भय , शत्रुजिह्वां कीलय, शत्रूणां दृष्टिमुष्टि गति मति दंत तालु जिह्वां बंधय बंधय, मारय मारय, शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा ।

 महाविद्या बगलामुखी की कृपा प्रदान करता है । 

स्तोत्र है इसलिए वे भी कर सकते हैं जिन्होंने गुरु दीक्षा नहीं ली है । लेकिन वे नित्य 11 पाठ से ज्यादा ना करें । 

नित्य क्षमतानुसार 1,3,5,7,9,11,16,21,33,51,108 पाठ करें ।


सामने सरसों के तेल का दीपक लगा लें । 
रात्री काल बेहतर है । 
पीले रंग का आसन और वस्त्र  । 
सात्विक विद्या है । 
ब्रह्मचर्य का पालन करें । 
सात्विक आचार विचार व्यवहार रखें  । 
नशा और मांसाहार निषेध है । 
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर देखते हुए करें । 
शत्रु बाधा निवारण, तथा सर्वविध रक्षा के लिए उपयोगी है । 
नवरात्रि मे ज्यादा लाभ प्रदायक है । 

विधि :-

पहले दिन हाथ मे जल लेकर इच्छा बोलेंगे और माता के चरणों मे छोड़ देंगे । 

गुरु बनाया हो तो एक माला गुरु मंत्र की करें । 
अगर गुरु न हो तो एक माला निम्नलिखित मंत्र की करें :
।। ॐ गुं  गुरुभ्यो नमः ।। 

गुरु मंत्र का जाप रुद्राक्ष या किसी भी माला से कर सकते हैं । 

उसके बाद "ह्लीं " [ hleem ] मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने शरीर को सर से पाँव तक छू लेंगे और ऐसी भावना करेंगे कि देवी बगलामुखी आपके शरीर मे स्थापित हो रही हैं । 
इसके बाद पाठ प्रारंभ करें । 
पाठ की गिनती आप किसी भी चीज से कर सकते हैं , कागज पेंसिल पर भी कर सकते हैं । 

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

 

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