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2 मई 2022

अक्षय तृतीया : भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र

 


॥  ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा लक्ष्मै नमः ॥


  • भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
  • गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
  • अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
  • विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
  •  रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
  • क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।

भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....

इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...

 

अक्षय तृतीया : सहस्राक्षरी लक्ष्मी

   अक्षय तृतीया : सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र



अक्षय तृतीया को खरीदारी का विशिष्ट मुहूर्त कहा जाता है लेकिन वास्तव में यह भगवती लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे विशिष्ट मुहूर्त है ।

हर कोई चाहता है कि उसके घर में लक्ष्मी अक्षय रहे । 

क्षय का अर्थ होता है नष्ट होना और अक्षय का अर्थ होता है जो कभी नष्ट नहीं होती ।

अक्षय तृतीया की विशिष्टता यह है कि यह ऐसा दिन होता है जिसमें कोई भी क्षण कम नहीं होता ऐसे विशेष मुहूर्त पर महालक्ष्मी के अक्षय होने की प्रार्थना करने पर उनकी विशेष कृपा अवश्य प्राप्त होती है ।

अक्षय तृतीया भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण मुहूर्त है. प्रत्येक गृहस्थ को इस अवसर पर देवी महालक्ष्मी का पूजन विधि विधान से संपन्न करना ही चाहिए क्योंकि गृहस्थ जीवन का आधार ही महालक्ष्मी हैं. महालक्ष्मी पूजन विविध प्रकार से किए जा सकते हैं लेकिन देवराज इंद्रकृत सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र अपने आप में अत्यंत ही प्रभावशाली तथा शीघ्र फलप्रदायक है. इस अवसर पर आप चाहें तो महालक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं जिससे आपको अनुकूलता प्राप्त होगी


यह स्तोत्र लक्ष्मी जी के यंत्र चित्र या मूर्ति के सामने करना चाहिए.

पहले लघु पूजन करें. तदुपरांत स्तोत्र का पाठ करें.

महालक्ष्मी पूजनः-


श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः गंधम समर्पयामि । (इत्र कुंकुम चढायें)

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः पुष्पम समर्पयामि । (फूल चढायें )

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः धूपम समर्पयामि । (अगरबत्ती दिखायें)

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः दीपम समर्पयामि । (दीपक दिखायें )

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यम समर्पयामि । (प्रसाद चढायें )


क्षमतानुसार 11, 21,51 या 108 बार सहस्राक्षरी स्तोत्र मंत्र का पाठ करेंः-


(हाथ में जल लेकर)विनियोगः-

ऊँ अस्य श्री सर्व महाविद्या महारात्रि गोपनीय मंत्र रहस्याति रहस्यमयी पराशक्ति श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्राक्षरी सहस्र रूपिणि महाविद्याया श्री इंद्र ऋषिं गायत्रयादि नाना छंदांसि नवकोटि शक्तिरूपा श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थ जपे पाठे विनियोगः । (जल जमीन पर छोड़ दें )

अपने हाथ मे एक पुष्प रखें । एक पाठ पूरा हो जाने पर उसे देवी के चरणों मे चढ़ा दें और उनकी कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करें ।.


स्तोत्र मंत्र :-


ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं हसौं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौः सौः ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी, जगदाद्ये,विजये सुरासुर त्रिभुवन निदाने दयांकुरे सर्व तेजो रूपिणी विरंचि संस्थिते, विधि वरदे सच्चिदानंदे विष्णु देहावृते महामोहिनी नित्य वरदान तत्परे महासुधाब्धि वासिनी महातेजो धारिणी सर्वाधारे सर्वकारण कारिणे अचिंत्य रूपे इंद्रादि सकल निर्जर सेविते सामगान गायन परिपूर्णोदय कारिणी विजये जयंति अपराजिते सर्व सुंदरि रक्तांशुके सूर्य कोटि संकाशे चंद्र कोटि सुशीतले अग्निकोटि दहनशीले यम कोटि वहनशीले ऊँकार नाद बिंदु रूपिणी निगमागम भाग्यदायिनी त्रिदश राज्य दायिनी सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी दिव्य देहिनि निर्गुणे सगुणे सदसद रूप धारिणी सुर वरदे भक्त त्राण तत्परे बहु वरदे सहस्राक्षरे अयुताक्षरे सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी अनेक लक्षलक्ष स्वरूपे अनंत कोटि ब्रहमाण्ड नायिके चतुर्विंशति मुनिजन संस्थिते चतुर्दश भुवन भाव विकारिणे गगन वाहिनी नाना मंत्र राज विराजिते सकल सुंदरी गण सेविते चरणारविंद्र महात्रिपुर सुंदरी कामेश दायिते करूणा रस कल्लोलिनी कल्पवृक्षादि स्थिते चिंतामणि द्वय मध्यावस्थिते मणिमंदिरे निवासिनी विष्णु वक्षस्थल कारिणे अजिते अमले अनुपम चरिते मुक्तिक्षेत्राधिष्ठायिनी प्रसीद प्रसीद सर्व मनोरथान पूरय पूरय सर्वारिष्टान छेदय छेदय सर्वग्रह पीडा ज्वराग्र भय विध्वंसय विध्वंसय सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय ज्ञानमार्ग प्रकाशय प्रकाशय अज्ञान तमो नाशय नाशय धनधान्यादि वृद्धिं कुरूकुरू सर्व कल्याणानि कल्पय कल्पय माम रक्ष रक्ष सर्वापदभ्यो निस्तारय निस्तारय वज्र शरीरं साधय साधय ह्रीं सहस्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महाविद्यायै नमः ।

30 अप्रैल 2022

अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

 


अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

अक्षय तृतीया महालक्ष्मी की साधना के लिए और उनके पूजन के लिए एक अति विशिष्ट मुहूर्त माना गया है । गृहस्थ के लिए लक्ष्मी अर्थात धन धान्य का महत्व अलग से बताने की शायद आवश्यकता नहीं है  । इस दिन महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करना चाहिए । अगर संभव हो तो उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना भी लाभदायक रहता है ।

श्री यंत्र

इसके अलावा आप इस दिन अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित कर सकते हैं । श्री यंत्र कई प्रकार के होते हैं । जिनमें तांबे के ऊपर बने हुए श्री यंत्र सामान्यतः हर जगह उपलब्ध होते हैं । सुनार की दुकान पर आपको चांदी के ऊपर बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे और कई जगह आपको सोने के या सोने की प्लेटिंग के बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे ।

इसके अलावा श्री यंत्र कई चीजों से बनते हैं, जिनमें स्फटिक और अन्य मणियाँ शामिल है ! मणि यानी कि रत्न से बने हुए श्री यंत्र भी उपलब्ध होते हैं ये थोड़े महंगे होते हैं और इनकी कीमत रत्न के वजन के हिसाब से होती है ।




श्री यंत्र का लॉकेट भी मिलता है, आप चाहे तो उसे गले में भी पहन सकते हैं ।

अक्षय तृतीया के दिन कोई भी लक्ष्मी का मंत्र या स्तोत्र आप श्री यंत्र के ऊपर संपन्न करके उसे अपनी तिजोरी, पूजा घर, आलमारी या अपने गल्ले में रख सकते हैं ।

लक्ष्मी की अनुकूलता देने वाली तांत्रिक सामग्री :-

 

एकाक्षी नारियल

 

 


एक = एक , अक्ष = आँख

इसके अलावा जो विशेष तांत्रिक सामग्री लक्ष्मी के घर में स्थायित्व के लिए, या घर में लक्ष्मी के रुकने के लिए या बेवजह के खर्चों को रोकने के लिए सहायक होती है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण है एकाक्षी नारियल ।

सामान्यत: आपने देखा होगा कि नारियल के ऊपर तीन छेद होते हैं । जिसे दो आंख तथा एक मुंह कहा जाता है । एकाक्षी नारियल में दो की जगह केवल एक ही आंख होता है । जो सामान्य नारियल होते हैं, उसमें इस प्रकार से सैकड़ों नारियल में से किसी एक नारियल में दो की जगह एक ही आंख होता है, यानी कि उसमें तीन की जगह केवल दो काले बिंदु दिखाई देंगे और उनको एकाक्षी नारियल कहा जाता है ।

इसके अलावा कुछ तांत्रिक एकाक्षी नारियल भी होते हैं, जो कि अलग-अलग प्रकार के आकारों मे पाए जाते हैं । उनके अंदर भी इस प्रकार की आंख की आकृति बनी हुई होती है ।

वह भी महालक्ष्मी कृपा प्रदान करने में सहायक होते हैं ।

 

हत्था जोड़ी

 

 

एक और तांत्रिक वस्तु है..... हत्था जोड़ी !

यह एक पौधे की जड़ होती है । जिसका आकार बिल्कुल मनुष्य के हाथ के जैसा दिखाई देगा और वह भी एक हाथ नहीं बल्कि एक हाथ की जोड़ी के जैसा । ऐसा लगता है जैसे दो हाथों को आपस में मिलाकर रखा गया हो । हत्था जोड़ी बहुत दुर्लभ नहीं है । इसे प्राप्त किया जा सकता है । कई जड़ी बूटी की दुकानों पर या घूमने वाले घुमंतू व्यक्तिओं से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । यह अगर आप अपने घर में रखे तो भी आपको लक्ष्मी के और व्यवसाय के संबंध में अनुकूलता प्राप्त होगी ।

बिल्ली की जेर


इसके अलावा एक और चीज है जो काफी प्राचीन काल से ही लक्ष्मी प्रदायक मानी जाती है । वह है बिल्ली की जेर या बिल्ली की नाल । बिल्ली जब अपने बच्चे का प्रसव करती है तो उसके साथ उसकी नाल भी बाहर निकलती है । यह बिल्ली की नाल बदबूदार होती है बिल्ली अधिकांश अवसरों पर इसे स्वयं खा जाती है ।

अगर सौभाग्यवश किसी प्रकार से आपको यह नाल प्राप्त हो जाए तो इसे सुखाकर आप सिंदूर कपूर इलायची आदि डालकर किसी सोने की डिबिया में या चांदी की डिबिया में या प्लास्टिक के डिब्बे में अपने पूजा स्थान में या अपने गल्ले में या अपनी तिजोरी में इसे रखेंगे तो वह आपके लिए अनुकूलता प्रदान करेगी । यदि आप उसे सामने रखकर उसके सामने लक्ष्मी के मंत्र का जाप कर लेते हैं या महालक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करते हैं या कमलगट्टे की आहुतियां उसके सामने यज्ञ करके प्रदान करते हैं तो उसकी तेजस्विता बढ़ जाती है । वह आपको ज्यादा अनुकूलता प्रदान करती है ।

 

कनकधारा यंत्र


लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए अन्य यंत्रों में एक सबसे उपयोगी यंत्र है कनकधारा यंत्र । कनकधारा यंत्र को स्थापित करके यदि आप नित्य कनकधारा स्तोत्र का एक बार या अपनी क्षमता अनुसार ज्यादा पाठ करेंगे तो 6 महीने से साल भर के भीतर आपको आर्थिक लाभ होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी ।

 

हां ! इसके लिए जरूरी है कि आपका कोई काम हो यानि आप कुछ पुरुषार्थ करते हों । घर बैठे बैठे कुछ भी नहीं मिलता है । मान लीजिए आपकी दुकान होगी तो वह ज्यादा चलने लग जाएगी ।

लेकिन अगर आप नौकरी करते हैं तो वहां तो सीमित संभावनाएं होती है उसमें बहुत ज्यादा लाभ आपको नहीं दिखेगा । हां ! खर्चों में कमी आ सकती है ।

यदि आप की दुकान है या कोई व्यवसाय है जिसमे आय बढ़ने की संभावनाएं हैं तो कनकधारा का जाप करने से आपको निश्चित रूप से उसका लाभ दिखाई देगा ।

 

अष्ट लक्ष्मी यंत्र

 

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए एक अन्य वस्तु जो उपयोगी है वह है अष्ट लक्ष्मी यंत्र । इसमें आठ प्रकार की लक्ष्मीयों के यंत्र बने हुए होते हैं या उनकी आकृति बनी हुई होती है ।

इस यंत्र को भी आप लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए स्थापित कर सकते हैं ।

 

कुबेर यंत्र


एक और यंत्र है जो महालक्ष्मी कृपा प्राप्त करने के लिए यानि धन समृद्धि प्राप्त करने के लिए सहायक होता है । वह है कुबेर यंत्र ! कुबेर यंत्र भी कई स्थानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है या किसी तांत्रिक प्रतिष्ठान से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । कुबेर को भगवान या देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में स्वीकार किया जाता है । यानी कि वे देवराज इंद्र के कोषाध्यक्ष है । अब देवताओं के पास अकूत धन संपदा होती है और उसके प्रभारी हैं यक्ष राज कुबेर । उनके यंत्र को स्थापित करके उनके मंत्र का जाप करने से भी लक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होती है ।

 

स्वर्णाकर्षण भैरव 

एक और तांत्रिक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव ! जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे भगवान शिव का जो सक्रिय स्वरूप है वह है भैरव । भैरव के कई स्वरूप माने गए हैं उसमें से एक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव । स्वर्ण का मतलब है सोना, आकर्षण मतलब उसे अपनी ओर खींचने की क्रिया और भैरव याने कि वह जो इस प्रकार की क्रिया को संपन्न करता है ।

स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र भी अगर आपको कहीं से प्राप्त हो जाए तो उसे स्थापित करके और अगर स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र प्राप्त ना हो पाए तो आप किसी शिवलिंग के सामने बैठकर भी स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र पढ़कर आर्थिक अनुकूलता प्राप्त कर सकते हैं । यह ध्यान रखेंगे कि स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र रात्रि काल में किया जाएगा और उसकी कम से कम 11 माला अर्थात 1100 बार उसका रोज उच्चारण करना चाहिए तभी आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

पारद श्री यंत्र

श्री यंत्र पारे से भी बनाए जाते हैं । पारा एक ऐसी धातु है जो लिक्विड अर्थात द्रव अवस्था में होती है । इसे कुछ जड़ी बूटियों और रसायनों के मिश्रण के द्वारा ठोस बनाया जाता है और फिर उसे आकार दिया जाता है । पारे के बने हुए शिवलिंग के विषय में आपने सुना होगा लेकिन पारे से श्री यंत्र भी बनाए जाते हैं और पारे से बने हुए श्री यंत्र महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक माने गए हैं । इनको स्थापित करने से भी आपको महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है ।

 

पारदेश्वरी लक्ष्मी विग्रह

पारे से बने हुए लक्ष्मी के विग्रह को पारदेश्वर लक्ष्मी कहा जाता है । यदि आपके घर में पारदेश्वरी लक्ष्मी का विग्रह स्थापित हो तो वह भी आपको आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने में सहायता करता है । पारदेश्वरी लक्ष्मी के विग्रह के सामने नित्य महालक्ष्मी मंत्र का जाप करना चाहिए या उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।

 

 

इसके अलावा कुछ ऐसे उपाय हैं जो महालक्ष्मी की कृपा प्रदान करते हैं ।

 

 

स्त्री का सम्मान


इसमें से पहला तो यह है कि प्रत्येक स्त्री का सम्मान करें , क्योंकि महालक्ष्मी स्त्री तत्व है इसलिए जब आप स्त्रियों का सम्मान करते हैं तो महालक्ष्मी की प्रसन्नता आपको प्राप्त होती है । आपके घर में काम करने वाली नौकरानी भी हो तो भी उसे बेवजह अपमानित ना करें ।

 

स्वछता


अपने घर में या कार्यस्थल में जितनी शुचिता या साफ-सफाई आप बनाए रखेंगे, उतनी ही संभावना है कि महालक्ष्मी की उपस्थिति वहां पर हो, क्योंकि वह स्वच्छ और पवित्र स्थान पर आसानी से उपस्थित हो जाती हैं । वह उनको प्रिय होता है ।

 

वस्त्र गंध और शृंगार

आप स्वयं भी साफ-सुथरे और अच्छे वस्त्र पहने यदि संभव हो तो इत्र या सेंड का उपयोग अवश्य करें । वह भी इस प्रकार का जिसकी खुशबू हल्की-हल्की भीनी भीनी हो ।

महिलाएं अगर है तो वह श्रंगार अवश्य करें । साधना या मंत्र जाप करते समय भी इसी प्रकार से बैठे । अच्छे वस्त्र आभूषण धारण करें और इत्र अगरबत्ती लगाकर बैठे, क्योंकि महालक्ष्मी स्वयं आभूषणों से युक्त हैं, स्वर्ण से अलंकृत है, मुकुट धारिणी है । वे अपने भक्तों को साज-सज्जा के साथ बैठे हुए देखना ही पसंद करती हैं । इसलिए महालक्ष्मी की साधना करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप की वेशभूषा स्वच्छ शुद्ध और पवित्र हो । साथ ही आपके आसपास का वातावरण भी सुगंधित और साफ सुथरा हो ऐसे में आपको महालक्ष्मी की साधना या उनकी पूजा करने में अनुकूलता शीघ्रता से प्राप्त हो जाएगी ।

 

गौमाता की सेवा


यदि आपके पास कोई गौशाला या गायों को संरक्षित करने का कोई स्थान हो तो वहां पर कुछ दान दक्षिणा अवश्य करते रहें । यह उनकी कृपा प्रदान करता है । गाय को कामधेनु का स्वरूप माना गया है । कामधेनु का अर्थ होता है कि वह जो आपकी इच्छा के अनुसार कोई भी चीज देने में समर्थ है । उसकी सेवा करने से आपको अनुकूलता अवश्य प्राप्त होगी ।

 

पारिजात का वृक्ष

पारिजात एक ऐसा पौधा है, जिसमें सफेद रंग के फूल खिलते हैं । इसकी डांडिया हल्की लाल रंग की होती है और यह फूल रात में ही झड़ जाते हैं, रात्रि काल में खिलते हैं और सुबह होने से पहले अधिकांश फूल जमीन पर गिर जाते हैं । इसमें हल्की-हल्की खुशबू आती है यह अगर आप अपने घर में लगाएंगे तो भी आपको महालक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

महालक्ष्मी के मंत्र


महालक्ष्मी के कई प्रकार के मंत्र हैं जिनमें से किसी भी मंत्र का आप उपयोग कर सकते हैं ।

महालक्ष्मी का बीज मंत्र

महालक्ष्मी का बीज मंत्र है..... 

॥ श्रीम ॥

बीज मंत्र का तात्पर्य होता है एक ऐसा मंत्र जो उस विद्या का बीज है । जैसे किसी पेड़ का बीज होता है जो उस पूरे पेड़ को अपने अंदर समेटे हुए होता है उसी प्रकार से बीज मंत्र भी संबंधित विद्या को अपने अंदर समेटे हुए होता है ।

जिस प्रकार से बीज से किसी वृक्ष के निकलकर बड़े हो जाने की संभावना होती है उसी प्रकार से बीज मंत्र का जाप करते रहने से भी संबंधित विद्या की संपूर्ण कृपा प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।


महालक्ष्मी गायत्री मंत्र


इसके अलावा आप महालक्ष्मी के गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं जो इस प्रकार से है :-

॥ ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नी च धीमही तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ॥

इसके अलावा आप महालक्ष्मी के विभिन्न स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं । जिसमें से प्रमुख स्त्रोत्र हैं श्री सूक्त, दूसरा है लक्ष्मी सूक्त तीसरा है कनकधारा स्तोत्र , और एक है सहस्रक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र । यह सारे स्तोत्र तथा कुछ अन्य मंत्र मैंने पहले से ही प्रकाशित किए हुए हैं । जिसे आप इसी रचना के अन्य भागों में देख सकते हैं ।

 

इनमें से प्रत्येक स्तोत्र अपने आप में शक्तिशाली और प्रचंड है । इनका नित्य पाठ करते रहने से आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

ऐसा नहीं है कि आपने दो महीने पाठ कर लिया और आपके घर में सोने की बारिश हो जाएगी या आप अचानक से करोड़पति हो जाए ।

ऐसा चमत्कार होने की उम्मीद ना करें । धीरे-धीरे आपको अपने व्यवसाय में, आय में वृद्धि होती हुई महसूस होगी ....

अगर आय में वृद्धि होती हुई महसूस नहीं होगी तो आपको खर्चों में कमी होती हुई अवश्य महसूस होगी ।

यह महालक्ष्मी की कृपा का प्रभाव है यदि आप निरंतर जाप करते रहेंगे तो आपको स्वयं अपने अंदर भी एक पॉजिटिव ऊर्जा का अनुभव होगा जो खुद आपको अपने व्यवसाय में आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करेगी ।


अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं कि आप महालक्ष्मी के विभिन्न उपक्रमों और उपायों का प्रयोग करते हुए अपने जीवन में अनुकूलता और सफलता प्राप्त करने की कोशिश करें और सफल हो !

महामाया महालक्ष्मी अपने करुणामयी नेत्रों से आप सभी के जीवन में धन, ऐश्वर्य, संपत्ति और कृपा की वर्षा करें ....

ऐसी शुभकामनाए...

16 जनवरी 2022

महालक्ष्मी के 108 नाम

  श्री लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम या महालक्ष्मी के 108 नाम  


सबसे पहले महालक्ष्मी जी को हाथ जोड़कर ध्यान करलें :-



सरसिज निलये सरोज हस्ते धवलतरांशुक गन्ध माल्य शोभे ।

भगवति हरि वल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥


हिन्दी भावार्थ - हे महामाया महालक्ष्मी ! आप कमल फूलो से भरे हुए वन में निवास करनेवाली हो, आपके हाथों में सुंदर कमल है। आपके वस्त्र अत्यन्त उज्ज्वल हैं । आपके दिव्य देह पर अत्यंत मनोहर गन्ध और सुंदर सुंदर मालाएँ डाली हुई हैं । हे भगवान श्री हरी की प्रिया आपका स्वरूप अत्यंत मनमोहक है । आपकी कृपा से त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्राप्त हो सकता है आप मुझपर प्रसन्न होकर कृपा करें । 

ऐसा ध्यान करेंगे । 


इसके बाद अपने पूजा स्थान/दुकान/ एकांत कक्ष मे अपने सामने लक्ष्मी चित्र/ यंत्र/ श्रीयंत्र/ चाँदी सिक्का/ लक्ष्मी मूर्ति (जो आपके पास उपलब्ध हो ) रखकर भगवती लक्ष्मी के 108 नामों का उच्चारण करें और हर बार नम:  के साथ फूल /कुमकुम/ चावल/ अष्टगंध चढ़ाएं । 


  1. ॐ श्रीं अदित्यै नमः ।

  2. ॐ श्रीं अनघायै नमः ।

  3. ॐ श्रीं अनुग्रहप्रदायै नमः ।

  4. ॐ श्रीं अमृतायै नमः ।

  5. ॐ श्रीं अशोकायै नमः ।

  6. ॐ श्रीं आह्लादजनन्यै नमः ।

  7. ॐ श्रीं इन्दिरायै नमः ।

  8. ॐ श्रीं इन्दुशीतलायै नमः । 

  9. ॐ श्रीं उदाराङ्गायै नमः ।

  10. ॐ श्रीं कमलायै नमः ।

  11. ॐ श्रीं करुणायै नमः ।

  12. ॐ श्रीं कान्तायै नमः ।

  13. ॐ श्रीं कामाक्ष्यै नमः ।

  14. ॐ श्रीं क्रोधसम्भवायै नमः ।

  15. ॐ श्रीं चतुर्भुजायै नमः ।

  16. ॐ श्रीं चन्द्ररूपायै नमः ।

  17. ॐ श्रीं चन्द्रवदनायै नमः ।

  18. ॐ श्रीं चन्द्रसहोदर्यै नमः ।

  19. ॐ श्रीं चन्द्रायै नमः ।

  20. ॐ श्रीं जयायै नमः ।

  21. ॐ श्रीं तुष्टयै नमः । 

  22. ॐ श्रीं त्रिकालज्ञानसम्पन्नायै नमः ।

  23. ॐ श्रीं दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ।

  24. ॐ श्रीं दारिद्र्यनाशिन्यै नमः । 

  25. ॐ श्रीं दित्यै नमः ।

  26. ॐ श्रीं दीप्तायै नमः ।

  27. ॐ श्रीं देव्यै नमः ।

  28. ॐ श्रीं धनधान्यकर्यै नमः ।

  29. ॐ श्रीं धन्यायै नमः ।

  30. ॐ श्रीं धर्मनिलयायै नमः ।

  31. ॐ श्रीं नवदुर्गायै नमः ।

  32. ॐ श्रीं नारायणसमाश्रितायै नमः ।

  33. ॐ श्रीं नित्यपुष्टायै नमः ।

  34. ॐ श्रीं नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ।

  35. ॐ श्रीं पद्मगन्धिन्यै नमः ।

  36. ॐ श्रीं पद्मनाभप्रियायै नमः ।

  37. ॐ श्रीं पद्मप्रियायै नमः ।

  38. ॐ श्रीं पद्ममालाधरायै नमः ।

  39. ॐ श्रीं पद्ममुख्यै नमः ।

  40. ॐ श्रीं पद्मसुन्दर्यै नमः ।

  41. ॐ श्रीं पद्महस्तायै नमः ।

  42. ॐ श्रीं पद्माक्ष्यै नमः ।

  43. ॐ श्रीं पद्मायै नमः ।

  44. ॐ श्रीं पद्मालयायै नमः ।

  45. ॐ श्रीं पद्मिन्यै नमः ।

  46. ॐ श्रीं पद्मोद्भवायै नमः ।

  47. ॐ श्रीं परमात्मिकायै नमः ।

  48. ॐ श्रीं पुण्यगन्धायै नमः ।

  49. ॐ श्रीं पुष्टयै नमः ।

  50. ॐ श्रीं प्रकृत्यै नमः ।

  51. ॐ श्रीं प्रभायै नमः ।

  52. ॐ श्रीं प्रसन्नाक्ष्यै नमः । 

  53. ॐ श्रीं प्रसादाभिमुख्यै नमः ।

  54. ॐ श्रीं प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ।

  55. ॐ श्रीं बिल्वनिलयायै नमः ।

  56. ॐ श्रीं बुद्धये नमः ।

  57. ॐ श्रीं ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ।

  58. ॐ श्रीं भास्कर्यै नमः ।

  59. ॐ श्रीं भुवनेश्वर्यै नमः । 

  60. ॐ श्रीं मङ्गळा देव्यै नमः ।

  61. ॐ श्रीं महाकाल्यै नमः ।

  62. ॐ श्रीं महादीप्तायै नमः ।

  63. ॐ श्रीं महादेव्यै नमः ।

  64. ॐ श्रीं यशस्विन्यै नमः ।

  65. ॐ श्रीं रमायै नमः ।

  66. ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः । 

  67. ॐ श्रीं लोकमात्रे नमः ।

  68. ॐ श्रीं लोकशोकविनाशिन्यै नमः ।

  69. ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः । 

  70. ॐ श्रीं वरारोहायै नमः ।

  71. ॐ श्रीं वसुधायै नमः ।

  72. ॐ श्रीं वसुधारिण्यै नमः ।

  73. ॐ श्रीं वसुन्धरायै नमः । 

  74. ॐ श्रीं वसुप्रदायै नमः ।

  75. ॐ श्रीं वाचे नमः । 

  76. ॐ श्रीं विकृत्यै नमः ।

  77. ॐ श्रीं विद्यायै नमः ।

  78. ॐ श्रीं विभावर्यै नमः ।

  79. ॐ श्रीं विभूत्यै नमः ।

  80. ॐ श्रीं विमलायै नमः ।

  81. ॐ श्रीं विश्वजनन्यै नमः ।

  82. ॐ श्रीं विष्णुपत्न्यै नमः ।

  83. ॐ श्रीं विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ।

  84. ॐ श्रीं शान्तायै नमः ।

  85. ॐ श्रीं शिवकर्यै नमः ।

  86. ॐ श्रीं शिवायै नमः ।

  87. ॐ श्रीं शुक्लमाल्याम्बरायै नमः ।

  88. ॐ श्रीं शुचये नमः ।

  89. ॐ श्रीं शुभप्रदाये नमः ।

  90. ॐ श्रीं शुभायै नमः ।

  91. ॐ श्रीं श्रद्धायै नमः ।

  92. ॐ श्रीं श्रियै नमः ।

  93. ॐ श्रीं सत्यै नमः ।

  94. ॐ श्रीं समुद्रतनयायै नमः ।

  95. ॐ श्रीं सर्वभूतहितप्रदायै नमः ।

  96. ॐ श्रीं सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ।

  97. ॐ श्रीं सिद्धये नमः ।

  98. ॐ श्रीं सुधायै नमः ।

  99. ॐ श्रीं सुप्रसन्नायै नमः । 

  100. ॐ श्रीं सुरभ्यै नमः ।

  101. ॐ श्रीं स्त्रैणसौम्यायै नमः ।

  102. ॐ श्रीं स्वधायै नमः ।

  103. ॐ श्रीं स्वाहायै नमः ।

  104. ॐ श्रीं हरिण्यै नमः ।

  105. ॐ श्रीं हरिवल्लभायै नमः ।

  106. ॐ श्रीं हिरण्मय्यै नमः ।

  107. ॐ श्रीं हिरण्यप्राकारायै नमः ।

  108. ॐ श्रीं हेममालिन्यै नमः ।




अन्त मे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना कर लें ।


यह पूजन आप रात्री मे कर सकते हैं । अगर ऐसा संभव ना हो तो आप दिन में किसी भी समय इसे कर सकते हैं ।  


अगर आपने श्री यंत्र के ऊपर पूजन किया है तो पूजा करने के बाद उस यंत्र को आप पूजा स्थान में या अपने पैसा रखने वाले गल्ले में रख सकते हैं ।