एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
8 दिसंबर 2007
देवाधिदेव - भगवान शिव
2 दिसंबर 2007
तोडफोड रहित वास्तु समाधान
तोडफोड रहित वास्तु समाधान
भारतीय भवन निर्माण कला की अद्वितीय परंपरा को सारे विश्व में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता रहा है. भारतीय भवन निर्माण कला स्वयं में कला, विज्ञान तथा आध्यात्म का एक ऐसा अभूतपूर्व तथा विलक्षण संगम है जिसके समकक्ष शिल्प कला विश्व के किसी भी भाग में नही पायी जाती. हमारे भवनों में जहां एक ओर रहने की सुविधाजनक व्यवस्थाओं का चिंतन किया गया है वहीं दूसरी ओर गृहस्थ जीवन पर ज्योतिष, तंत्र तथा दैवीय शक्तियों के प्रतीकात्मक तथा व्यावहारिक प्रभाव का लाभदायक प्रभाव प्राप्त करने के निमित्त वास्तु शास्त्र नामक एक पूरा विधान भी गढा गया तथा उसके अनुसार भवनों को ज्यादा उपयोगी तथा गृहस्थ जीवन को पूर्णता प्रदान करने में सहयोगी बनाने का भी प्रयास किया गया.
आज हम पुनः भवन निर्माण के प्राचीन नियमों अर्थात वास्तु को मान्यता दे रहे हैं. कई भव्य भवन जो वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार नही थे बल्कि विख्यात आर्किटेक्टों के निर्देशन में बने थे उनको तोडकर वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाने पर वहां रहने वालों को अत्यंत ही सुखद परिणाम प्राप्त हुए. जिसने आज वास्तु को भवन निर्माण के लिए एक अनिवार्यता के रूप में प्रस्तुत कर दिया है. एक ऐसा शास्त्र जो हमारी अन्य पारंपरिक विधाओं की ही तरह अपने महत्व को प्रमाणित करने में समर्थ हो रहा है.
वास्तु के अनुसार बनाये गए घरों से होने वाले लाभों के कारण काफी सारे धनवान लोगों ने अपने भवनों को तोडकर नए सिरे से निर्मित किया मगर ऐसा हर व्यक्ति के लिए संभव नही होता. आज जब बने बनाये मकानों का दौर चल रहा है तब आप उसमें वास्तु के अनुकूल निर्माण की उम्मीद नही कर सकते. ऐसी स्थिति में यक्ष प्रश्न खडा हो जाता है कि क्या किया जाये?
ऐसी परिस्थिति में वास्तु से संबंधित विविध साधनाओं की व्यवस्था है जिनके प्रयोग से आप गृहदोषों का निवारण कर सकते हैं. ये प्रयोग निम्नलिखित हैं :-
वास्तु पुरूष साधना संपन्न करें. अथवा विश्वकर्मा साधना अथवा त्रिपुर सुंदरी साधना संपन्न करें.
यदि आप उपरोक्त साधनाओं से संबंधित मंत्र साधनाओं का स्वयं प्रयोग करें तो सबसे अच्छा होगा, यदि न कर पायें तो किसी प्रामाणिक तांत्रिक से यंत्र सिद्ध करवाकर घर में स्थापित करें तो भी लाभदायक होगा.
घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करना भी समस्त दोषों का समाधान करता है. पारा एक द्रवीय धातु है इसे विविध संस्कारों के द्वारा ठोस बनाया जाता है. यह रसविद्या के अंतर्गत आता है कुछ लोग रसायनों का प्रयोग कर भी पारे को ठोस बनाकर शिवलिंग बना रहे हैं इनसे खास लाभ नही प्राप्त होगा. प्रामाणिक पारद शिवलिंग आप अपने विवेकानुसार किसी विश्वसनीय संस्थान से प्राप्त करें. मुझे साधना सिद्धि विज्ञान, भोपाल तथा फयूचर पाइंट दिल्ली के पारद शिवलिंग श्रेष्ठ लगे.
रसोई घर में या जहां आप अन्न रखते हैं वहां प्राणप्रतिष्ठित अन्नपूर्णा यंत्र लाल कपडे में बांधकर लटकायें या रखें.
यदि संभव हो तथा प्राप्त हो सके तो भैरव यंत्र को लाल कपडे में बांधकर अपने घर के प्रवेश द्वार पर बांधें या फिर ऐसी जगह पर रखें कि किसी व्यक्ति के घर में प्रवेश करते ही उसकी नजर सबसे पहले उस यंत्र पर ही पडे. ऐसा करना आपके घर तथा घर के लोगों को बुरी नजर से बचाने में सहायक होगा.
गृहस्थ जीवन का आधार होता है ÷घर'. घर यानी वह स्थान जहां आप रहते हैं. यदि वह आपके अनुकूल हो तो आपके लिए स्वास्थ्य से लेकर समृद्धि तक सब कुछ प्राप्त करने में सहायक होता है.कुछ सावधानियां जो मकान बनाते समय ध्यान मे रखनी चाहिये वे आगे की पंक्तियों में स्पष्ट कर रहा हूं. इनका ध्यान रखने से अधिकतर भूमि दोषों का निवारण हो जाता है :-
यदि नींव खोदते समय हड्डी मिले तो उसे पूरी तरह निकालकर जल मे विसर्जित करें तथा भूमि में गंगाजल आदि डालकर पवित्रीकरण के बाद ही निर्माण प्रारंभ करें.
नींव खोदते समय तांबे से बना सर्प शेषनाग तथा चांदी से बना कछुआ भगवान विष्णु के प्रतीक रूप में डालना चाहिए.
सोना या सोने की मूर्ति यदि नींव में न डालें तो श्रेष्ठ होगा, क्योंकि यह समृद्धि को नष्ट करता है. अपवाद स्वरूप अपने गुरू द्वारा प्रदत्त या फिर किसी श्रेष्ठ तांत्रिक द्वारा किसी खास प्रयोजन के लिए दिए गए सोने के उपकरण डाले जा सकते हैं.
मेरी राय में मूर्ति के लिए चांदी का प्रयोग ही श्रेष्ठ है.
मूर्ति के स्थान पर संबंधित देवता का यंत्र सिद्ध करके डालना ज्यादा लाभप्रद होता है.
गृह पूजन में वास्तु पुरूष पूजन के साथ साथ क्षेत्रपाल व भैरव पूजन करवाना भी लाभप्रद होता है.
वास्तु पूजन के द्वारा आप का घर ज्यादा शांत तथा अनुकूल बन सकेगा और दैवीय कृपा की प्राप्ति हो सकेगी.
22 नवंबर 2007
गणपति साधना
- गणपति साधना का यह विवरण सामान्य गृहस्थों के लिए है। इसे किसी भी जाति, लिंग, आयु का व्यक्ति कर सकता है।
- मंत्र का जाप प्रतिदिन निश्चित संख्या या समय तक करना चाहिये ।
- माला की व्यवस्था हो सके तो माला से तथा अभाव में किसी भी गणनायोग्य वस्तु से गणना कर सकते हैं ।
- ऐसा न कर सकें तो एक समयावधि निश्चित समयावधि जैसे पांच, दस, पंद्रह मिनट, आधा या एक घंटा अपनी क्षमता के अनुसार निश्चित कर लें ।
- इस प्रकार १, ३, ७, ९, ११, १६, २१, ३३, या ५१ दिनों तक करें। यदि किसी दिन जाप न कर पायें तो साधना खण्डित मानी जायेगी । अगले दिन से पुनः प्रारंभ करना पडेगा। इसलिये दिनों की संख्या का चुनाव अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। महिलायें रजस्वला होने पर जाप छोडकर उस अवधि के बाद पुनः जाप कर सकती हैं। इस अवस्था में साधना खण्डित नही मानी जायेगी।
- यदि संभव हो तो प्रतिदिन निश्चित समय पर ही बैठने का प्रयास करें ।
- जप करते समय दीपक जलता रहना चाहिये ।
- साफ वस्त्र पहनकर स्नानादि करके जाप करें । पूर्व की ओर देखते हुए बैठें। सामने गणपति का चित्र, मूर्ति या यंत्र रखें।
गुरु रहस्यम
- इस मंत्र का सवा लाख जाप करें।साधनाकाल में सफेद रंग के वस्त्रों को धारण करें।
- अपने सामने अपने गुरु के लिये भी सफेद रंग का एक आसन बिछाकर रखें।
- यदि हो सके तो इस मंत्र का जाप प्रातः चार से छह बजे के बीच में करना चाहिये।साधना पूर्ण होने तक आपके भाग्यानुकूल श्रेष्ठ गुरु हैं तो साधनात्मक रुप से आपको संकेत मिल जायेंगे।