8 जुलाई 2013

गुरु साधना




  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.






  • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.






  • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.






  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...










  • गुरु मंत्रम:-




    ॥ ॐ गुं गुरुभ्यो नमः ॥











    • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.







    • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.






    • माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.






    • सवा लाख मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी.









    • यदि आप इच्छुक हों तो मेरे गुरु स्वामी सुदर्शननाथ जी से भी निःशुल्क दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं.


      7 जुलाई 2013

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -4

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना


      तन्त्रोक्त  निखिलेश्वरानंद सिद्धि मन्त्र


      || ॐ निं निखिलेश्वराय सं संमोहनाय निं नमः  ||

      वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
      आसन - सफ़ेद होगा.
      समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए

      तो कभी भी कर सकते हैं.
      दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें

      पुरश्चरण - तीन  लाख मंत्र जाप का होगा
      हवन - ३०,००० मंत्रों से
      हवन सामग्री - दशांग या घी


      विधि :-
      सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

      हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस

      स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह

      साधना  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के

      मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

      लाभ :-
      वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ट तंत्र मर्मज्ञ , योगिराज प्रातः स्मरणीय

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त

      होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

      6 जुलाई 2013

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना-3

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना



      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना



      || स ह् फ़्रे ह् स क्ष म ल व र यू म   ||

      वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
      आसन - सफ़ेद होगा.
      समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
      दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें

      पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा
      हवन - १२,५०० मंत्रों से
      हवन सामग्री - दशांग या घी


      विधि :-
      सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

      हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

      लाभ :-
      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

      5 जुलाई 2013

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -२

      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना



      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

      || ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय  नमः  ||

      वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
      आसन - सफ़ेद होगा.
      समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
      दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें

      पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा
      हवन - १२,५०० मंत्रों से
      हवन सामग्री - दशांग या घी


      विधि :-
      सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

      हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

      लाभ :-
      पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

      4 जुलाई 2013

      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी



      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी



      अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.




      प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


      सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

      जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


      जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


      काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.




      गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी


      एक विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.

      दस महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन गुरुजी ने किया है वह अपने आप में एक मिसाल है.शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता और कामकलाकाली तन्त्र से लेकर गुह्यकाली तक तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव [ Swami Sudarshan Nath Ji ] की सीमा से परे नहीं है.

      लुप्तप्राय हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर ज्ञान का अकूत भन्डार अपने शिष्यों के लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन है .


      आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....


      ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.