25 मार्च 2014

तारा महाविद्या साधना


  • तारा काली कुल की महविद्या है । 

  • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

  • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

  • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

  • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना अनिवार्य होता है । 


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तारा बीजयुक्त गायत्री मंत्रम

 ॥ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट एकजटे विद्महे ह्रीं स्त्रीं हूँ परे नीले विकट दंष्ट्रे ह्रीं धीमहि ॐ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट एं सः स्त्रीं तन्नस्तारे प्रचोदयात  ॥






  1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
  3. नवरात्रि के प्रथम दिन या गुरुवार से प्रारंभ करें. 
  4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
  8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध और बकवास ना करें.
  11. साधना को गोपनीय रखें.


प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

तारा स्तव मंजरी
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24 मार्च 2014

मंत्र दीक्षा : एक सामान्य विवेचन


किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ? यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण दत्ता श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-

  • साधना से शारीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
  • जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
  • गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.

  • हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शारीर के इर्दगिर्द घूमता है.
  • हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
  • गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनों से सम्बंधित दीक्षाएं नी:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.

यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-

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गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
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23 मार्च 2014

नवार्ण मन्त्र





॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥


ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।

ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।

क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।




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यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. 
साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .
इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .
देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
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महाविद्या मातंगी साधना



॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.

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21 मार्च 2014

हनुमान मन्त्र





॥ ॐ पंचमुखाय महारौद्राय कपिराजाय नमः ॥ 




ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें. जाप संख्या ११,००० होगी. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.