एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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18 फ़रवरी 2016
17 फ़रवरी 2016
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्र
पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-
यदि खुद कर रहे हैं तो:-
॥ ॐ जूं सः मां पालय पालय सः जूं ॐ॥
यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥
- यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
- यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
- रुद्राक्ष माला धारण करें.
- रुद्राक्ष माला से जाप करें.
- बेल पत्र चढायें.
- भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.
16 फ़रवरी 2016
15 फ़रवरी 2016
14 फ़रवरी 2016
पशुपतिनाथाय नमः
पशुओं के अधिपति - पशुपति
पाशों के अधिपति - पशुपति
संसार रुपी वन के सर्वविध पशुओं के एकमात्र अधिपति - पशुपति
॥ ऊं पशुपतिनाथाय नमः ॥
- स्वयं को पशुवत मानकर भगवान् शिव को अपना अधिपति मानते हुए यह साधना की जाती है |
- इसके रहस्य इस मन्त्र को जपते जपते अपने आप मिलेंगे या फिर कोई सक्षम गुरु आपको प्रदान करेगा |
- कोई समय/दिशा/मात्र/आहार/विहार/विचार का बंधन नहीं है |
12 फ़रवरी 2016
बसंत पंचमी : बालकों में बुद्धि तथा विद्या के विकास के लिये प्रयोग
बसंत पंचमी यानी सरस्वती सिद्धि दिवस. इस दिन आप अपने बालकों को बुद्धि तथा विद्या के विकास के लिये यह प्रयोग करें:-
- प्रात: काल स्नानादि करने के बाद आप १०८ बार या यथाशक्ति अपने गुरुमंत्र का जाप करे. यदि गुरु न बनाया हो तो मेरे गुरुमंत्र "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " का जाप कर लें.
- इसके बाद यथा शक्ति सरस्वती के बीज मंत्र " ऐं " का जप करे. कम से कम आधा घंटा जाप करना चाहिए .
- अब केसर या शहद से अपनी तर्जनी ऊँगली से अपने बालक/बालिका के जीभ पर सरस्वती बीज मन्त्र " ऐं " को लिखे.
- बालक/बालिका को यथा शक्ति गुरु मंत्र का जाप करने को कहें.
11 फ़रवरी 2016
सरस्वती साधना
॥ ऎं श्रीं ऎं ॥
लाभ - विद्या तथा वाकपटुता
विधि ---
- बसंत पंचमी से पूर्णिमा तक सवा लाख जाप करें |
- रात्रि में जाप करें.
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
10 फ़रवरी 2016
8 फ़रवरी 2016
नटराज : कामेश्वर : शिव
यह मंत्र उनके लिए है जो .....
जीवन को एक उत्सव मानते हैं ....
उल्लास जिनकी जीवन शैली है ....
मुस्कान जिनके होंठों का श्रृंगार है.....
सहजता जिनकी प्रवृत्ति है ..................
....................यह शिवत्व की यात्रा है...........
जीवन को एक उत्सव मानते हैं ....
उल्लास जिनकी जीवन शैली है ....
मुस्कान जिनके होंठों का श्रृंगार है.....
सहजता जिनकी प्रवृत्ति है ..................
....................यह शिवत्व की यात्रा है...........
7 फ़रवरी 2016
अघोरेश्वराय परमेश्वराय महादेवाय नमः
अघोर साधनाएं जीवन की सबसे अद्भुत साधनाएं हैं
अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं.
इस
साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए
विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए.
- यह साधना अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
- यह दिगंबर साधना है.
- एकांत कमरे में साधना होगी.
- स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
- भोजन कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
- यथा संभव मौन रहना है.
- क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
- गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
- स्नान करने के बाद बिना शरीर पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
- अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
- जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
- माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
- जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
- आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.
- जाप के बाद भूमि पर सोयें.
- उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
- यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
- साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
- गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
- जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.
|||| अघोरेश्वराय हूं ||||
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