1 मार्च 2016

शिवलिंग की महिमा

शिवलिंग की महिमा








भगवान शिव के पूजन मे शिवलिंग का प्रयोग होता है। शिवलिंग के निर्माण के लिये स्वर्णादि विविध धातुओं, मणियों, रत्नों, तथा पत्थरों से लेकर मिटृी तक का उपयोग होता है।इसके अलावा रस अर्थात पारे को विविध क्रियाओं से ठोस बनाकर भी लिंग निर्माण किया जाता है,

इसके बारे में कहा गया है कि,
मृदः कोटि गुणं स्वर्णम, स्वर्णात्कोटि गुणं मणिः
 मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं  भूतो भविष्यति
अर्थात मिटृी से बने शिवलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल सोने से बने शिवलिंग के पूजन से, स्वर्ण से करोड गुणा ज्यादा फल मणि से बने शिवलिंग के पूजन से, मणि से करोड गुणा ज्यादा फल बाणलिंग से तथा बाणलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल रस अर्थात पारे से बने शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है। आज तक पारे से बने शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग तो बना है और ही बन सकता है।





शिवलिंगों में नर्मदा नदी से प्राप्त होने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग भी अत्यंत लाभप्रद तथा शिवकृपा प्रदान करने वाले माने गये हैं। यदि आपके पास शिवलिंग हो तो अपने बांये हाथ के अंगूठे को शिवलिंग मानकर भी पूजन कर सकते हैं  

शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त की भावना का संयोजन नही होता तब तक शिवकृपा नही मिल सकती।

27 फ़रवरी 2016

युग्म धतूरा : वैवाहिक सुख के लिए


शिवलिंग पर बेलपत्र के सामान ही धतूरा का फल और फूल भी चढ़ाया जाता है |
युग्म धतूरा :-
  • युग्म धतूरा, दो धतूरा एक साथ जुड़ा जैसा दीखता है |
  • इसमें बीच में एक लाइन जैसी दिखती है |
  • वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए दूध से अभिषेक कर इसे शिवलिंग पर चढ़ाना लाभप्रद होता है |

20 फ़रवरी 2016

शिवरात्रि शिविर : 6 और 7 मार्च

शिवरात्रि शिविर 
6 और 7 मार्च 
निखिलधाम , भोजपुर, भोपाल (म.प्र.)
जानकारी के लिए संपर्क फोन 
  • (0755 ) 4283681 
  • (0755 ) 4269368 
  • (0755 ) 4221116  

साधना सिद्धि विज्ञान : महाकाल विशेषांक



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महाकाल विशेषांक जून 2003

19 फ़रवरी 2016

शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक मन्त्र





॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

 लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.