11 अप्रैल 2016

महाकाली का प्रिय स्तोत्र : ककारादि सह्स्रनाम



महाकाली का प्रिय स्तोत्र है "ककारादि सह्स्रनाम"


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परा वाणी आध्यात्मिक शोध संस्थान
श्री चंडी धाम, अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग [उ.प्र.]

फ़ोन - 9450222676

10 अप्रैल 2016

रक्षा नारियल

आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.
नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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  1. वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
  2. सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
  3. इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
  4. नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
  5. लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
  6. अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
  7. नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

महाकाल भैरव मंत्र



काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
  • शत्रु बाधा.
  • तंत्र बाधा.
  • इतर योनी से कष्ट.
  • उग्र साधना में रक्षा हेतु.
काल भैरव मंत्र :-

|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||

विधि :-
  1. रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
  2. रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
  3. काला आसन और वस्त्र रहेगा.
  4. रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
  5. १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
  6. जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन  कर लें.


  7. हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
  8. काली  मिर्च या  तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  9. अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
  10. एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें. 
  11. किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ. 
  12. घर में आकर स्नान कर लें. 
  13. दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें. 
  14. किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
  15. दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.

त्रिपुर भैरवी नमः



॥ हसै हसकरी हसै ॥


लाभ - शत्रुबाधा, तन्त्रबाधा निवारण.


विधि ---


  • दिये हुए चित्र को फ़्रम करवा लें.
  • यन्त्र के बीच में देखते हुए जाप करें.
  • रात्रि काल में जाप होगा.
  • रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  • काला रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  • दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  • हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  • किसी स्त्री का अपमान न करें.
  • किसी पर साधना काल में क्रोध न करें.
  • किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  • यथा संभव मौन रखें.
  • उपवास न कर सकें तो साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.


तारा महाविद्या




  1.  तारा काली कुल की महविद्या है ।
  2. तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
  3. यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
  4. गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
  5. साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।

तारा मंत्रम
 ॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
  • मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के
  • बीच करना चाहिये.
  • यह रात्रिकालीन साधना है.
  • गुरुवार से प्रारंभ करें.
  • गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  • उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  • यथासंभव एकांत वास करें.
  • सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
  • ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  • क्रोध और बकवास ना करें.
  • साधना को गोपनीय रखें.
  • प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका      
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