18 अप्रैल 2017

गुरु सूत्र




  • गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
  • गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
  • वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
  • बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
  • गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
  • गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
  • शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.
  • बेवजह गुरु बनने का ढोंग करने से साधक साधनात्मक रूप से नीचे गिरता जाता है और एक दिन अभिशप्त जीवन जीने को विवश हो जाता है .
  • गुरु भी सदैव अपने गुरु के प्रति नतमस्तक ही रहता है इसलिए साधकों को अपने गुरुत्व के प्रदर्शन में अपने गुरु के सम्मान को ध्यान रखना चाहिए .

17 अप्रैल 2017

तांत्रोक्त गुरु पूजन

तांत्रोक्त गुरु पूजन संपन्न करें आपको गुरु कृपा का प्रत्यक्ष अनुभव होगा.














16 अप्रैल 2017

गुरु की तलाश


  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
  • गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
  • जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है,  तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...




गुरु मंत्रम:-

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥


  • ऊपर छपे चित्र को फ्रेम करा लें. नित्य जाप उसी के सामने करेंगे .
  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
  • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
  • यदि न हो तो तूलसी माला या किसी भी माला से जाप कर सकते हैं .
  • नित्य अपनी क्षमतानुसार 5 माला या अधिक मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी या गुरु प्राप्ति के सम्बन्ध में दिशा मिलेगी.
  • यदि निर्देश न मिले तो चित्र को फ्रेम से निकाल लें और लाल कपडे में बंधकर प्रवाहित कर दें.



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साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका 
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.  साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी . इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा . देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .   
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15 अप्रैल 2017

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना





पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय  नमः  ||

  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें
  • साधनाकाल में ब्रह्मचारी रहें . 
  • किसी से विवाद, क्रोध, बकवास ना करें .
  • यथासंभव मौन धारण करें 
  • अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने का प्रयास करें .

  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से
  • हवन सामग्री - दशांग या घी


विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह प्रयोग कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी नीचे छोड़ दें.

लाभ :-
  • पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी .
  • जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
  • यदि गुरु की प्राप्ति नहीं हुई है तो इस सम्बन्ध में कोई राह निकलेगी 
  • साधनात्मक बल बढेगा .
  • उग्र साधनों में रक्षा कवच की तरह कार्य करेगा .

13 अप्रैल 2017

साधनाओं की शुरुआत कैसे करें ?

कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-

आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।

लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
  1. छिन्नमस्ता साधना ।
  2. शरभेश्वर साधना ।
  3. अघोर साधनाएं ।
  4. श्मशान साधना ।
  5. वाममार्गी साधनाएँ.
  6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/अप्सरा/यक्षिणी/पिशाचिनी साधनाएँ.
  ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.