22 अक्तूबर 2019

गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक


गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-




गीताप्रेस द्वारा मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता हैकिन्तु अहिन्दीभाषी लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिलतेलुगुमराठीकन्नड़बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं । 

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श्री वेंकटेश्वराय नमः



|| ॐ श्री वेंकटेश्वराय नमः ॥

17 अक्तूबर 2019

श्री गणेश अष्टोत्तर शत नामावली


श्री गणेश अष्टोत्तर शत नामावली 

1) गं विनायकाय नम:
2) गं विघ्नराजाय नम:
3) गं गौरीपुत्राय नम:
4) गं गणेश्वराय नम:
5) गं स्कंदाग्रजाय नम:
6) गं अव्ययाय नम:
7) गं भूताय नम:
8) गं दक्षाय नम:
9) गं अध्यक्षाय नम:
10) गं द्विजप्रियाय नम:
11) गं अग्निगर्भच्छिदे नम:
12) गं इंद्रश्रीप्रदाय नम:
13) गं वाणीप्रदाय नम:
14) गं अव्ययाय नम:
15) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
16) गं शर्वतनयाय नम:
17) गं शर्वरीप्रियाय नम:
18) गं सर्वात्मकाय नम:
19) गं सृष्टिकत्रै नम:
20) गं देवाय नम:
21) गं अनेकार्चिताय नम:
22) गं शिवाय नम:
23) गं शुद्धाय नम:
24) गं बुद्धिप्रियाय नम:
25) गं शांताय नम:
26) गं ब्रह्मचारिणे नम:
27) गं गजाननाय नम:
28) गं द्वैमातुराय नम:
29) गं मुनिस्तुत्याय नम:
30) गं भक्तविघ्नविनाशनाय नम:
31) गं एकदंताय नम:
32) गं चतुर्बाहवे नम:
33)गं चतुराय नम:
34) गं शक्तिसंयुताय नम:
35) गं लंबोदराय नम:
36) गं शूर्पकर्णाय नम:
37) गं हरये नम:
38) गं ब्रह्मविदुत्तमाय नम:
39) गं कालाय नम:
40) गं ग्रहपतये नम:
41) गं कामिने नम:
42) गं सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
43) गं पाशांकुशधराय नम:
44) गं चण्डाय नम:
45) गं गुणातीताय नम:
46) गं निरंजनाय नम:
47) गं अकल्मषाय नम:
48) गं स्वयंसिद्धाय नम:
49) गं सिद्धार्चितपदांबुजाय नम:
50) गं बीजापूरफलासक्ताय नम:
51) गं वरदाय नम:
52) गं शाश्वताय नम:
53) गं कृतिने नम:
54) गं द्विजप्रियाय नम:
55) गं वीतभयाय नम:
56) गं गतिने नम:
57) गं चक्रिणे नम:
58) गं इक्षुचापधृते नम:
59) गं श्रीदाय नम:
60) गं अजाय नम:
61) गं उत्पलकराय नम:
62) गं श्रीपतये नम:
63) गं स्तुतिहर्षिताय नम:
64) गं कुलाद्रिभेत्रे नम:
65) गं जटिलाय नम:
66) गं कलिकल्मषनाशनाय नम:
67) गं चंद्रचूडामणये नम:
68) गं कांताय नम:
69) गं पापहारिणे नम:
70) गं समाहिताय नम:
71) गं आश्रिताय नम:
72) गं श्रीकराय नम:
73) गं सौम्याय नम:
74) गं भक्तवांछितदायकाय नम:
75) गं शांताय नम:
76) गं कैवल्यसुखदाय नम:
77) गं सच्चिदानंदविग्रहाय नम:
78) गं ज्ञानिने नम:
79) गं दयायुताय नम:
80) गं दांताय नम:
81) गं ब्रह्मद्वेषविवर्जिताय नम:
82) गं प्रमत्तदैत्यभयदाय नम:
83) गं श्रीकण्ठाय नम:
84) गं विबुधेश्वराय नम:
85) गं रामार्चिताय नम:
86) गं विधये नम:
87) गं नागराजयज्ञोपवितवते नम:
88) गं स्थूलकण्ठाय नम:
89) गं स्वयंकर्त्रे नम:
90) गं सामघोषप्रियाय नम:
91) गं परस्मै नम:
92) गं स्थूलतुंडाय नम:
93) गं अग्रण्यै नम:
94) गं धीराय नम:
95) गं वागीशाय नम:
96) गं सिद्धिदायकाय नम:
97) गं दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:
98) गं अव्यक्तमूर्तये नम:
99) गं अद्भुतमूर्तिमते नम:
100) गं शैलेंद्रतनुजोत्संगखेलनोत्सुकमानसाय नम:
101) गं स्वलावण्यसुधासारजितमन्मथविग्रहाय नम:
102) गं समस्तजगदाधाराय नम:
103) गं मायिने नम:
104) गं मूषकवाहनाय नम:
105) गं हृष्टाय नम:
106) गं तुष्टाय नम:
107) गं प्रसन्नात्मने नम:
108) गं सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम:

12 अक्तूबर 2019

उच्चिष्ठ गणपति साधना

  •  


॥ हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा ॥
 
सामान्य निर्देश :-
  • साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
  • इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
  • साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
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विधि :-

  1. रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य  है |
  2. जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
  3. गुरु से अनुमति ले लें|
  4. पान का बीड़ा चबाएं फिर मंत्र जाप करें |
  5. दिशा दक्षिण की और देखते हुए बैठें |
  6. आसन लाल/पीले रंग का रखें|
  7. जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
  8. यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है | 
  9. कम से कम 21 दिन जाप करने से अनुकूलता मिलती है | 
  10. जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
  11. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें | यथा सम्भव सम्मान करें |
  12. जिस बालिका/युवती/स्त्री के बाल कमर से नीचे तक या उससे ज्यादा लम्बे हों उसे देखने पर मन ही मन मातृवत मानते हुए प्रणाम करें |
  13. सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
  14. ब्रह्मचर्य का पालन करें |

2 अक्तूबर 2019

देवी सरस्वती साधना




॥ ऎं श्रीं ऎं ॥ 


लाभ - विद्या तथा वाकपटुता 


विधि ---

पूणिमा से पूर्णिमा तक या नवरात्रि में सवा लाख जाप करें |
रात्रि काल में जाप होगा.
रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
किसी स्त्री का अपमान न करें.
किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
यथा संभव मौन रखें.
साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.

1 अक्तूबर 2019

देवी पद्मावती

पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है 
जैन संप्रदाय 
और उनकी अधिष्टात्री देवी है 
देवी पद्मावती 

दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धान्य सुतान्वदै  च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||

ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||

धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं, परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं  , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

सन्यस्त रूपमपरम पूर्णम गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमलत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||


विधि :-


  1. सबसे पहले  तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः "  मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  2. इस स्तोत्र को शरद पूर्णिमा या दीपावली  के दिन 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  3. या इसे किसी माह की पूर्णिमा से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें | नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  4. इसे  आप नवरात्रि मे भी कर सकते हैं |
  5. सात्विक आहार /विचार /व्यवहार  रखें |
  6. क्रोध ना करें |
  7. किसी स्त्री का अपमान ना करें |
  8. जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
  9. लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
  10. घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
  11. फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  12. घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
  13.  इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |

30 सितंबर 2019

शत्रु स्तंभिनी : बगलामुखी साधना


शत्रु बाधा तथा कानूनी विवादों में बुरी तरह फ़स जाने पर जब कोइ मार्ग ना दिखाइ दे तब बगलामुखी साधना करना लाभप्रद माना गया है ।

मन्त्रम:-

॥ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदम स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं फ़ट स्वाहा ॥

29 सितंबर 2019

धूमावती साधना : समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट





  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना होली की रात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें



जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.

अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
काले रंग का धागा अपनी कमर पर तीन लपेट लगाकर बान्धें. 

अब रुद्राक्ष की माला से १०८ माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


जाप के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल पर धागे को लपेट दें. इसे अब तीन बार सिर से पांव तक तथा पांव से सिर तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.
अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को बाहर फ़ेंक दें इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडि होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें

28 सितंबर 2019

विद्या प्रदायिनी तारा महाविद्या साधना




तंत्र में दस महाविद्याओं को शक्ति के दस प्रधान स्वरूपों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैये दस महाविद्यायें हैं
कालीताराषोडशीछिन्नमस्ताबगलामुखीत्रिपुरभैरवीमातंगीधूमावतीभुवनेश्वरी तथा कमला.
इनको दो कुलों में बांटा गया हैपहला काली कुल तथा दूसरा श्री कुल
काली कुल की प्रमुख महाविद्या है तारा
इस साधना से जहां एक ओर आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है वहीं ज्ञान तथा विद्या का विकास भी होता हैइस महाविद्या के साधकों में जहां महर्षि विश्वामित्र जैसे प्राचीन साधक रहे हैं वहीं वामा खेपा जैसे साधक वर्तमान युग में बंगाल प्रांत में हो चुके हैंविश्वप्रसिद्ध तांत्रिक तथा लेखक गोपीनाथ कविराज के आदरणीय गुरूदेव स्वामी विशुद्धानंद जी तारा साधक थेइस साधना के बल पर उन्होने अपनी नाभि से कमल की उत्पत्ति करके दिखाया था.
तिब्बत को साधनाओं का गढ माना जाता हैतिब्बती लामाओं या गुरूओं के पास साधनाओं की अतिविशिष्ठ तथा दुर्लभ विधियां आज भी मौजूद हैंतिब्बती साधनाओं के सर्वश्रेष्ठ होने के पीछे भी उनकी आराध्या देवी मणिपद्मा का ही आशीर्वाद हैमणिपद्मा तारा का ही तिब्बती नाम हैइसी साधना के बल पर वे असामान्य तथा असंभव लगने वाली क्रियाओं को भी करने में सफल हो पाते हैंतारा महाविद्या साधना सवसे कठोर साधनाओं में से एक हैइस साधना में किसी प्रकार की नियमों में शिथिलता स्वीकार्य नही होतीइस विद्या के तीन रूप माने गये हैं :-

1.       नील सरस्वती.
2.     एक जटा.
3.     उग्रतारा.
नील सरस्वती तारा साधना

तारा के नील सरस्वती स्वरूप की साधना विद्या प्राप्ति तथा ज्ञान की पूर्णता के लिये सर्वश्रेष्ठ हैइस साधना की पूर्णता साधक को जहां ज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय बनाती है वहीं साधक को स्वयं में कवित्व शक्ति भी प्रदान कर देती हैअर्थात वह कविता या लेखन की क्षमता भी प्राप्त कर लेता है.

नील सरस्वती साधना की एक गोपनीय विधि मुझे स्वामी आदित्यानंदजी से प्राप्त हुयी थी जो कि अत्यंत ही प्रभावशाली हैइस साधना से निश्चित रूप से मानसिक क्षमता का विकास होता ही हैयदि इसे नियमित रूप से किया जाये तो विद्यार्थियों के लिये अत्यंत लाभप्रद होता है.

नील सरस्वती बीज मंत्रः-

॥ ऐं ॥

यह बीज मंत्र छोटा है इसलिये करने में आसान होता हैजिस प्रकार एक छोटा सा बीज अपने आप में संपूर्ण वृक्ष समेटे हुये होता है ठीक उसी प्रकार यह छोटा सा बीज मंत्र तारा के पूरे स्वरूप को समेटे हुए है.
साधना विधिः-
1.       इस मंत्र का जाप अमावस्या से प्रारंभ करके पूर्णिमा तक या नवरात्रि में करना सर्वश्रेष्ठ होता हैअपनी सामर्थ्य के अनुसार १०८ बार कम से कम तथा अधिकतम तीन घंटे तक नित्य करें.
2.     कांसे की थाली में केसर से उपरोक्त बीजमंत्र को लिखेंअब इस मंत्र के चारों ओर चार चावल के आटे से बने दीपक घी से जलाकर रखेंचारों दीयों की लौ ऐं बीज की तरफ होनी चाहियेकुंकुम या केसर से चारों दीपकों तथा बीज मंत्र को घेरते हुये एक गोला थाली के अंदर बना लेंयह लिखा हुआ साधना के आखिरी दिन तक काम आयेगादीपक रोज नया बनाकर लगाना होगा.
3.     सर्वप्रथम हाथ जोडकर ध्यान करें :-
नील वर्णाम त्रिनयनाम ब्रह्‌म शक्ति समन्विताम
कवित्व बुद्धि प्रदायिनीम नील सरस्वतीं प्रणमाम्यहम.
4.    हाथ मे जल लेकर संकल्प करें कि मां आपको बुद्धि प्रदान करें.
5.     ऐं बीज को देखते हुये जाप करेंपूरा जाप हो जाने के बाद त्रुटियों के लिये क्षमा मांगें.
6.     साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
7.      कम से कम बातचीत करेंकिसी पर क्रोध न करें.
8.     किसी स्त्री का अपमान न करें.
9.     वस्त्र सफेद रंग के धारण करें.

बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की यह तांत्रिक साधना हैपूरे विश्वास तथा श्रद्धा से करने पर तारा निश्चित रूप से अभीष्ठ सिद्धि प्रदान करती है.



27 सितंबर 2019

दुर्गा मन्त्र


॥ ॐ क्लीं दुर्गायै नमः ॥

  • यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.

  • यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
  • इसका जाप आप नवरत्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
  • अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
  • २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
  • विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.

26 सितंबर 2019

नवार्ण महामंत्र



नवार्ण महामंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महादुर्गे नवाक्षरी नवदुर्गे नवात्मिके नवचंडी महामाये महामोहे महायोगे निद्रे जये मधुकैटभ विद्राविणि महिषासुर मर्दिनी धूम्रलोचन संहंत्री चंड मुंड विनाशिनी रक्त बीजान्तके निशुम्भ ध्वंसिनी शुम्भ दर्पघ्नी देवि अष्टादश बाहुके कपाल खट्वांग शूल खड्ग खेटक धारिणी छिन्न मस्तक धारिणी रुधिर मांस भोजिनी समस्त भूत प्रेतादी योग ध्वंसिनी ब्रह्मेंद्रादी स्तुते देवि माम रक्ष रक्ष मम शत्रून नाशय ह्रीं फट ह्वुं फट ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे ||
  1. नवरात्री में १००८ पाठ करके सिद्ध कर लें |
  2. उसके बाद रक्षा सहित विभिन्न प्रयोगों में उपयोग कर सकते हैं |

25 सितंबर 2019

साधनाओं की शुरुआत कैसे करें ?

कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये कुछ सहज उपाय है  :-


  • आप जिस देवी या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
  • भगवान् शिव को गुरु मान लें | शिवरात्री से या किसी भी सोमवार से या गुरु पूर्णिमा से " हरि ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवान् शिव से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |


  • महामाया भगवती महाकाली को गुरु मान लें | कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्री, होली ,या किसी भी अमावस्या से या गुरु पूर्णिमा से " क्रीं कालिकायै नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवती महाकाली से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |



  • लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
    1. छिन्नमस्ता साधना ।
    2. शरभेश्वर साधना ।
    3. अघोर साधनाएं ।
    4. श्मशान साधना ।
    5. वाममार्गी साधनाएँ.
    6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/पिशाचिनी जैसी साधनाएँ.
      ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

    इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

    24 सितंबर 2019

    रोग नाशक महाकाली मन्त्रं


    ॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


    • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
    • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
    • यथा शक्ति जाप करें.

    गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक

    गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक
    गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-




    गीताप्रेस द्वारा मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता हैकिन्तु अहिन्दीभाषी लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिलतेलुगुमराठीकन्नड़बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं । 

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    23 सितंबर 2019

    अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले




    शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
                                    महाकाल  प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
    घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
                                    अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

    मेरी अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर विराजमान हैजो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैंजो चौंषठ कलाओं से युक्त हैंजो भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैंऐसी प्रचंड स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं |


    उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
                                     रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
    सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
                                   अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
    जिनकी केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैंअर्थात हर नियमहर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं जो श्मशान की अधिष्टात्री देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये हुए है ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता हूं |



    क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
                                   केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
    कटि नर कर मेखला धारिणीम,
                                   अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

    अद्भुत सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत उन्नत स्तन मंडलों से सुशोभित हैंजिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे  सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै सदैव अर्चन करता हूं  ||


    खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
                                   युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
    महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
                                   अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
    देव सेना की महानायिकाजो खड्ग चालन में अति निपुण हैंयुद्ध जिनको अत्यंत प्रिय हैअसुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो युद्ध भूमि की अधिष्टात्री हैं जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का रक्तपान करने को आतुर रहती हैं ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल रमणी महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |

    मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
                                    प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
    वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
                                    अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥


    जो सारे संसार का पालन करने वाली मातृस्वरूपा हैंजिनके मुख पर सदैव अभय भाव युक्त आश्वस्त करने वाली मंद मंद मुस्कुराहट विराजमान रहती है जो प्रेममय हैं जो प्रेमभाव में ही स्थित हैं हमेशा अपने साधकों को वर प्रदान करने को आतुर रहने वाली ,अभय प्रदान करने वाली माँ महाकाली को मै उनके सहस्र रूपों में सदैव प्रणाम करता हूं |

    || इति श्री निखिल शिष्य अनिल कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||

    22 सितंबर 2019

    साम्ब सदाशिवाय नम:


    भगवान सदाशिव तथा जगदम्बा की कृपा प्राप्ति के लिये मन्त्र :-  

    ॥ ओम साम्ब सदाशिवाय नम: ॥ 

    1. सवा लाख मन्त्र का एक पुरस्चरण होगा.
    2. शिवलिंग सामने रखकर साधना करें.
    3. समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ती के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
    4. किसी अनुचित अनैतिक इच्छा से न करें गंभीर  नुक्सान हो सकता है. 
    5.