3 जनवरी 2020

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना


तन्त्रोक्त  निखिलेश्वरानंद सिद्धि मन्त्र


|| ॐ निं निखिलेश्वराय सं संमोहनाय निं नमः  ||

वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
आसन - सफ़ेद होगा.
समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए

तो कभी भी कर सकते हैं.
दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें

पुरश्चरण - तीन  लाख मंत्र जाप का होगा
हवन - ३०,००० मंत्रों से
हवन सामग्री - दशांग या घी


विधि :-
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस

स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह

साधना  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के

मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी नीचे छोड़ दें.

लाभ :-
वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ट तंत्र मर्मज्ञ , योगिराज प्रातः स्मरणीय

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त

होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

2 जनवरी 2020

साधना की शुरुआत कैसे करें



कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये कुछ सहज उपाय है  :-


  • आप जिस देवी या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
  • भगवान् शिव को गुरु मान लें | शिवरात्री से या किसी भी सोमवार से या गुरु पूर्णिमा से " हरि ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवान् शिव से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |




  • महामाया भगवती महाकाली को गुरु मान लें | कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्री, होली ,या किसी भी अमावस्या से या गुरु पूर्णिमा से " क्रीं कालिकायै नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें | कम से कम एक साल तक चलते फिरते हर अवस्था में इस मन्त्र का जाप करते रहें | उसके बाद भगवती महाकाली से अनुमति लेकर जिस देवी/देवता का मन्त्र जाप करना चाहते हों कर सकते हैं |



  • लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
    1. छिन्नमस्ता साधना ।
    2. शरभेश्वर साधना ।
    3. अघोर साधनाएं ।
    4. श्मशान साधना ।
    5. वाममार्गी साधनाएँ.
    6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/पिशाचिनी जैसी साधनाएँ.
      ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

    इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

    1 जनवरी 2020

    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

    नव वर्ष पर : विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र

    सभी पाठकों को 
    नववर्ष 2020 
    की शुभकामनायें 








    विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



    नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
    साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
    जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
    जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

    जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
    समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
    नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
    इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥

    चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
    नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
    सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
    पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥

    ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
    स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
    ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
    वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥

    दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
    ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
    द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
    डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥

    ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
    सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
    शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
    सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥

    शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
    द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
    तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
    सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥

    इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर  सर्व विध शांति हो.

    24 दिसंबर 2019

    सूर्यग्रहण विशेष : शीघ्र विवाह मंत्र

    मखनो हाथी जर्द अम्बारी उस पर बैठी कमाल खाँ की सवारी. कमाल खाँ कमाल खाँ मुग़ल पठान बैठ चबूतरे पढ़े कुरान. हजार काम दुनिया का करे एक काम मेरा भी कर. जो ना करे तो तीन लाख तैंतीस हजार पीर पैगम्बरों की दुहाई।




    1. जिस लड़की का विवाह नहीं हो रहा है वह स्वयं जाप करे |
    2. सूर्यग्रहण पर जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके जाप करें । 
    3. नित्य जाप करते रहें |
    4. जाप से शीघ्र अनुकूलता मिलेगी |

    सूर्यग्रहण विशेष : रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र






    साधना मे रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र
    ·       इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहणहोलीरवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।
    ·       इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |
    ·       हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |
    ·       जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।
    ·       इस मंत्र का बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।

    इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है  और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।
    मंत्र :-
    ॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,
    ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।


    23 दिसंबर 2019

    सूर्य ग्रहण विशेष : काल भैरव अष्टकम






    काल भैरव अष्टकम

    देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
    नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
    भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
    कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
    शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
    भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
    भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
    विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
    धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
    स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
    रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
    मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
    अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
    अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
    भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
    नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥

    विधि :-
    1. सूर्यग्रहण के अवसर पर 108 पाठ करें ।
    2. यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।
    3. विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे किया जा सकता है । 

    22 दिसंबर 2019

    गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक


    गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-




    गीताप्रेस द्वारा मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता हैकिन्तु अहिन्दीभाषी लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिलतेलुगुमराठीकन्नड़बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं । 

    गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं के लिए क्लिक करें :-





    18 दिसंबर 2019

    सूर्यग्रहण विशेष : काली शाबर मंत्र साधना



    प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।

    ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार
    तत सार मध्ये ज्योत
    ज्योत मध्ये परम ज्योत
    परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता 
    शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली
    कृष्ण वर्णीशव वाहनीरुद्र की पोषणी
    हाथ खप्पर खडग धारी
    गले मुण्डमाला हंस मुखी । 
    जिह्वा ज्वाला दन्त काली । 
    मद्यमांस कारी श्मशान की राणी । 
    मांस खाये रक्त-पी-पीवे । 
    भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई । 
    सत की नाती , धर्म की बेटी । 
    इन्द्र की साली , काल की काली । 
    जोग की जोगीननागों की नागीन । 
    मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे । 
    अकेली चार वीर अष्ट भैरोंघोर काली अघोर काली । 
    अजर महाकाली । 
    बजर अमर काली । 
    भख जून निर्भय काली । 

    बला भखदुष्ट को भख
    काल भख, पापी पाखण्डी को भख । 

    जती सती को रख । 

    ॐ काली तुम बाला ना वृद्धादेव ना दानवनर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।



    मूल मंत्र -

    क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।



    विधि -

    1. महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
    2. अपनी क्षमतानुसार 1, 3,9,11,21,51,108 बार जाप रात्रिकाल मे करें।सूर्यग्रहण काल मे करने से विशेष लाभदायक होगा। 
    3. धूप जलाकर रखें । 

    17 दिसंबर 2019

    सूर्यग्रहण विशेष - तंत्र रक्षा नारियल

    आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.

    सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

    आवश्यक सामग्री :-

    लाल कपडा सवा मीटर
    नारियल
    सामान्य पूजन सामग्री
    -------
    यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
    -----

    1. वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
    2. सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
    3. इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
    4. नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
    5. लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
    6. अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
    7. लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .
    8. नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें । 
    "ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"



    अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

    16 दिसंबर 2019

    सूर्यग्रहण विशेष - तारा शाबर मंत्र




    ॐ आदि योग अनादि माया । 
    जहाँ पर ब्रह्माण्ड उत्पन्न भया ।
    ब्रह्माण्ड समाया । 

    आकाश मण्डल । 
    तारा त्रिकुटा तोतला माता तीनों बसै । 

    ब्रह्म कापलिजहाँ पर ब्रह्मा विष्णु महेश उत्पत्तिसूरज मुख तपे । 
    चंद मुख अमिरस पीवे
    अग्नि मुख जले
    आद कुंवारी हाथ खण्डाग गल मुण्ड माल
    मुर्दा मार ऊपर खड़ी देवी तारा । 
    नीली काया पीली जटा
    काली दन्त में जिह्वा दबाया । 
    घोर तारा अघोर तारा
    दूध पूत का भण्डार भरा । 
    पंच मुख करे हा हा ऽऽकारा
    डाकिनी शाकिनी भूत पलिता 
    सौ सौ कोस दूर भगाया । 
    चण्डी तारा फिरे ब्रह्माण्डी 
    तुम तो हों तीन लोक की जननी ।

    तारा मंत्र
    ॐ ऐं ह्रीं स्त्रीं हूँ फट्

    विधि :-
    1. रात्री काल मे जाप करें । ग्रहण काल मे जाप करने से विशेष लाभदायक है । 
    2. अपनी क्षमतानुसार 1,11,21,51,108 बार । 
    3. व्यापार और आर्थिक समृद्धि के लिए लाभदायक । 
    4. जप काल मे किसी स्त्री का अपमान न करें । 


    सूर्य ग्रहण विशेष : तारा साधना





    तंत्र में दस महाविद्याओं को शक्ति के दस प्रधान स्वरूपों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैये दस महाविद्यायें हैं

    1. काली
    2. तारा
    3. षोडशी
    4. छिन्नमस्ता
    5. बगलामुखी
    6. त्रिपुरभैरवी
    7. मातंगी
    8. धूमावती
    9. भुवनेश्वरी तथा 
    10. कमला.
    इनको दो कुलों में बांटा गया हैपहला काली कुल तथा दूसरा श्री कुल
    काली कुल की प्रमुख महाविद्या है तारा
    इस साधना से जहां एक ओर आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है वहीं ज्ञान तथा विद्या का विकास भी होता हैइस महाविद्या के साधकों में जहां महर्षि विश्वामित्र जैसे प्राचीन साधक रहे हैं वहीं वामा खेपा जैसे साधक वर्तमान युग में बंगाल प्रांत में हो चुके हैंविश्वप्रसिद्ध तांत्रिक तथा लेखक गोपीनाथ कविराज के आदरणीय गुरूदेव स्वामी विशुद्धानंद जी तारा साधक थेइस साधना के बल पर उन्होने अपनी नाभि से कमल की उत्पत्ति करके दिखाया था.
    तिब्बत को साधनाओं का गढ माना जाता हैतिब्बती लामाओं या गुरूओं के पास साधनाओं की अतिविशिष्ठ तथा दुर्लभ विधियां आज भी मौजूद हैंतिब्बती साधनाओं के सर्वश्रेष्ठ होने के पीछे भी उनकी आराध्या देवी मणिपद्मा का ही आशीर्वाद हैमणिपद्मा तारा का ही तिब्बती नाम हैइसी साधना के बल पर वे असामान्य तथा असंभव लगने वाली क्रियाओं को भी करने में सफल हो पाते हैंतारा महाविद्या साधना सवसे कठोर साधनाओं में से एक हैइस साधना में किसी प्रकार की नियमों में शिथिलता स्वीकार्य नही होतीइस विद्या के तीन रूप माने गये हैं :-

    1.       नील सरस्वती.
    2.     एक जटा.
    3.     उग्रतारा.
    नील सरस्वती तारा साधना

    तारा के नील सरस्वती स्वरूप की साधना विद्या प्राप्ति तथा ज्ञान की पूर्णता के लिये सर्वश्रेष्ठ हैइस साधना की पूर्णता साधक को जहां ज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय बनाती है वहीं साधक को स्वयं में कवित्व शक्ति भी प्रदान कर देती हैअर्थात वह कविता या लेखन की क्षमता भी प्राप्त कर लेता है.

    नील सरस्वती साधना की एक गोपनीय विधि मुझे स्वामी आदित्यानंदजी से प्राप्त हुयी थी जो कि अत्यंत ही प्रभावशाली हैइस साधना से निश्चित रूप से मानसिक क्षमता का विकास होता ही हैयदि इसे नियमित रूप से किया जाये तो विद्यार्थियों के लिये अत्यंत लाभप्रद होता है.

    नील सरस्वती बीज मंत्रः-

    ॥ ऐं ॥

    यह बीज मंत्र छोटा है इसलिये करने में आसान होता हैजिस प्रकार एक छोटा सा बीज अपने आप में संपूर्ण वृक्ष समेटे हुये होता है ठीक उसी प्रकार यह छोटा सा बीज मंत्र तारा के पूरे स्वरूप को समेटे हुए है.
    साधना विधिः-
    1.       इस मंत्र का जाप अमावस्या से प्रारंभ करके पूर्णिमा तक या नवरात्रि में करना सर्वश्रेष्ठ होता हैअपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम १०८ बार तथा अधिकतम तीन घंटे तक नित्य करें.
    2.  कांसे की थाली में केसर से उपरोक्त बीजमंत्र को लिखेंअब इस मंत्र के चारों ओर चार चावल के आटे से बने दीपक घी से जलाकर रखेंचारों दीयों की लौ ऐं बीज की तरफ होनी चाहियेकुंकुम या केसर से चारों दीपकों तथा बीज मंत्र को घेरते हुये एक गोला थाली के अंदर बना लेंयह लिखा हुआ साधना के आखिरी दिन तक काम आयेगादीपक रोज नया बनाकर लगाना होगा.
    3.     सर्वप्रथम हाथ जोडकर ध्यान करें :-
    नील वर्णाम त्रिनयनाम ब्रह्‌म शक्ति समन्विताम
    कवित्व बुद्धि प्रदायिनीम नील सरस्वतीं प्रणमाम्यहम.
    4.    हाथ मे जल लेकर संकल्प करें कि मां आपको बुद्धि प्रदान करें.
    5.     ऐं बीज को देखते हुये जाप करेंपूरा जाप हो जाने के बाद त्रुटियों के लिये क्षमा मांगें.
    6.     साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
    7.      कम से कम बातचीत करेंकिसी पर क्रोध न करें.
    8.     किसी स्त्री का अपमान न करें.
    9.     वस्त्र सफेद रंग के धारण करें.

    दिनांक 26-12-2019 को सूर्यग्रहण के अवसर पर पूरे ग्रहण काल मे इसका जाप करने से भी लाभ होगा ।

    बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की यह तांत्रिक साधना हैपूरे विश्वास तथा श्रद्धा से करने पर तारा निश्चित रूप से अभीष्ठ सिद्धि प्रदान करती है.




    14 दिसंबर 2019

    सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग

    सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग




    गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी द्वारा प्रदत्त 108 महालक्ष्मी यंत्र
    आवश्यक सामग्री.
    1. भोजपत्र 
    2. अष्टगंध
    3. कुमकुम.
    4. चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
    5. उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
    6. दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.

    विधि विधान :-

    • ग्रहण काल मे इसे करने से विशेष लाभदायक होगा । 
    • धुप अगर बत्ती जला दें.
    • संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
    • स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
    • मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.

    • 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ". उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
    • इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
    • इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
    • हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
    • यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
    • एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
    • इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं"  पर बिंदी लग जाएगी. 
    • पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
    • जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
    • कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
    • उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
    आर्थिक अनुकूलता प्रदान करता है.धनागमन का रास्ता खुलता है.महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक है.

    13 दिसंबर 2019

    सूर्य ग्रहण विशेष – व्यापार वृद्धि साधना


    सूर्य ग्रहण विशेष – व्यापार वृद्धि साधना

    आवश्यक वस्तुएं :-
    Ø श्री यंत्र छोटा साइज का जिसे आप अपनी जेब , पर्स,या बेग मे रख सकें ।
    Ø केसर  




    दिनांक 26,12,2019 को प्रातः सूर्यग्रहण है । समय केलेण्डर या गूगल से देख लें ।
    । । ॐ श्रीं ॐ । ।
    1.      लाल कपड़े मे अपने सामने श्री यंत्र एक थाली मे रख लें।
    2.   केसर को पानी मे घोल लें ।
    3.   इस मंत्र का एक जाप करें और एक केसर की बिंदी श्री यंत्र पर लगाएँ ।
    4.   इस प्रकार 1008 बार करें ।
    5.    उसके बाद उस यंत्र को अपने पर्स या बैग मे रख लें।
    6.  अधिक लाभ के लिए इसका मानसिक जाप करते रहें ।

    11 दिसंबर 2019

    पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ









    अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

    प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


    सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

    जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

    जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

    काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.







    3 दिसंबर 2019

    गुरु क्या है ?


    • गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
    • गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
    • वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
    • बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
    • गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
    • गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
    • शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.
    • बेवजह गुरु बनने का ढोंग करने से साधक साधनात्मक रूप से नीचे गिरता जाता है और एक दिन अभिशप्त जीवन जीने को विवश हो जाता है .
    • गुरु भी सदैव अपने गुरु के प्रति नतमस्तक ही रहता है इसलिए साधकों को अपने गुरुत्व के प्रदर्शन में अपने गुरु के सम्मान को ध्यान रखना चाहिए .