13 जनवरी 2021

अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग

अमावस्या विशेष – लक्ष्मी प्रयोग





गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी द्वारा प्रदत्त 108 महालक्ष्मी यंत्र
आवश्यक सामग्री.
  1. भोजपत्र 
  2. अष्टगंध
  3. कुमकुम.
  4. चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
  5. उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
  6. दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.

विधि विधान :-

  • धुप अगर बत्ती जला दें.
  • संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
  • स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
  • मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.

  • 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें यदि आपके गुरु नहीं हैं तो " ॐ गूँ  गुरुभ्यो नमः ". का जाप करें 
  • उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
  • इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
  • इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
  • हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
  • यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
  • एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
  • इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं"  पर बिंदी लग जाएगी. 
  • पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
  • जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
  • कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
  • उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
आर्थिक अनुकूलता प्रदान करता है.धनागमन का रास्ता खुलता है.महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक है.

11 जनवरी 2021

मकर संक्रांति लक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त

 


मकर संक्रांति लक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त है । 
यह पूजन आप श्रीयंत्र,दस महाविद्या यन्त्र ,या कोइ भी रत्न या
रुद्राक्ष पर या कुछ नही तो सुपारी पर कर सकते है .. उस सुपारी को अपनी तिजोरी मे रखे .. अगले साल उसे विसर्जित कर नइ सुपारी पर पुजन करे ..
महालक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर का पूजन भी करे 
पूजन सामुग्री सामान्य यानी हल्दी,कुमकुम ,चन्दन ,अष्टगंध ,
अक्षत ,इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि
रखे ..महालक्ष्मी पूजन में कभी भी कोई कंजूसी न करे ..यथाशक्ति अच्छी से अच्छी सामुग्री रखे ..जैसे मिठाई ,अगरबत्ती ,फुल अच्छी क्वालिटी के रखे ..वातावरण प्रसन्न रखे .घर को सजाये .महालक्ष्मी जी को सजावट और प्रसन्न वातावरण और सफाई पसंद है ..
सबसे पहले आपके सामने गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र या महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी साधन सामुग्री हो उसे रखे ..दीपक और अगरबत्ती जलाए ..
पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करे ..
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
अब आप 4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )
श्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं विद्या तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
अब आप घंटा नाद करे और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे
घंटा देवताभ्यो नमः
अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
आसन देवताभ्यो नमः
अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे
दीप देवताभ्यो नमः
अब आप कलश का पूजन करे ..उसमेगंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..उसे तिलक करे .
कलश देवताभ्यो नमः
अब आप अपने आप को तिलक करे
और दाहिने हाथ में जल,पुष्प,अक्षत
लेकर संकल्प करे की आप अपना नाम गोत्र बोलकर आज मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त पर यथा शक्ति महालक्ष्मी पूजन कर रहे है और वे आपका पूजन ग्रहण करे और आप पर हमेश कृपा दृष्टी रखे या आपकी जो मनोकामना है उसे पुरी करे और जल को पुजन स्थान पर छोडे ..
अब आप गणेशजी का स्मरण करे ..गणेशजी महालक्ष्मी के मानस पुत्र है ..इसीलिए उनका पूजन इस महालक्ष्मी पूजन में महत्त्व पूर्ण है ....
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा
श्री महागणपति आवाहयामि
मम पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि
अब नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे
गं सुमुखाय नम:
गं एकदंताय नम:
गं कपिलाय नम:
गं गजकर्णकाय नम:
गं लंबोदराय नम:
गं विकटाय नम:
गं विघ्नराजाय नम:
गं गणाधिपाय नम:
गं धूम्रकेतवे नम:
गं गणाध्यक्षाय नम:
गं भालचंद्राय नम:
गं गजाननाय नम:
गं वक्रतुंडाय नम:
गं शूर्पकर्णाय नम:
गं हेरंबाय नम:
गं स्कंदपूर्वजाय नम:
अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे
एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात
आप चाहे तो यहाँ गणपती अथर्वशीर्ष का अन्य किसी गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते है ..
अनेन पूजनेन श्री महागणपति देवता प्रीयन्तां न मम
अब भगवान विष्णु का पूजन करे। महालक्ष्मी विष्णु पत्नी है।
जहां विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है
विष्णु ध्यान :-
शान्ताकारं भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्
ॐ श्री विष्णवे नमः
श्री महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः
ॐ श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः नैवेद्यं समर्पयामि
आप चाहे तो यहाँ पुरुषसूक्त , विष्णुसूक्त का पाठ कर सकते है ..
अब भगवान विष्णु के 24 नामोंसे तुलसी या पुष्प अर्पण करे
१. ॐ केशवाय नमः
२. ॐ नारायणाय नमः
३. ॐ माधवाय नमः
४. ॐ गोविन्दाय नमः
५. ॐ विष्णवे नमः
६. ॐ मधुसूदनाय नमः
७. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
८. ॐ वामनाय नमः
९. ॐ श्रीधराय नमः
१०. ॐ ऋषिकेशाय नमः
११. ॐ पद्मनाभाय नमः
१२. ॐ दामोदराय नमः
१३. ॐ संकर्षणाय नमः
१४. ॐ वासुदेवाय नमः
१५. ॐ प्रद्युम्नाय नमः
१६. ॐ अनिरुद्धाय नमः
१७. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
१८. ॐ अधोक्षजाय नमः
१९. ॐ नारसिंहाय नमः
२०. ॐ अच्युताय नमः
२१. ॐ जनार्दनाय नमः
२२. ॐ उपेन्द्राय नमः
२३. ॐ हरये नमः
२४. ॐ श्रीकृष्णाय नमः
अब भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करे
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात
अनेन पूजनेन श्री महाविष्णु देवता प्रियन्ताम् न मम
अब आप महालक्ष्मी का ध्यान करे ..
फिर चाहे तो महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र से आवाहन करे ..वैसे तो यह स्तोत्र बहुत बडा है लेकिन इसका संक्षिप्त रुप दुसरी पोस्ट मे प्रस्तुत करुंगा ..
महालक्ष्मी का आवाहन करे ..आवाहन के लिये संक्षिप्त हृदय स्तोत्र का
या ध्यान मंत्र का पाठ करे ..
ध्यान मंत्र
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या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता
श्री महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः
(अगर आपको मुद्रा का ज्ञान हो तो भगवती महालक्ष्मी के लिए पद्ममुद्रा दिखाए )
फिर पुष्प अक्षत अर्पण करे ..और उनका पंचोपचार या षोडश उपचार पूजन करे
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आवाहनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर दो आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर जल में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर स्नान के लिए जल अर्पण करे यहाँ आप चाहे तो श्रीसूक्त या अन्य किसी महालक्ष्मी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते है .. )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर मौली लाल धागा या अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि
( निचे का मन्त्र बोलकर मौली या अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः उप वस्त्रं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि'
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती समर्पयामि
अब आप अष्ट सिद्धियों का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे
ॐ अणिम्ने नमः
ॐ महिम्ने नमः
ॐ गरिम्ने नमः
ॐ लघिम्ने नमः
ॐ प्राप्त्यै नमः
ॐ प्राकाम्यै नमः
ॐ इशितायै नमः
ॐ वशितायै नमः
अब आप अष्टलक्ष्मी का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे
ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धन लक्ष्म्यै नमः
ॐ धान्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धैर्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ गज लक्ष्म्यै नमः
ॐ संतान लक्ष्म्यै नमः
ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः
ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः
(यहाँ पर भगवती महालक्ष्मी की 32 नामावली अलग दी है उससे पूजन करे .अगर समय नहि है तो इसको छोडकर आगे का पुजन कर सकते है )
साधक एकेक नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए।
1. ॐ श्रियै नमः।
2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
3. ॐ वरदायै नमः।
4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
5. ॐ वसुप्रदायै नमः।
6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।
7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।
8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।
9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।
10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।
11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
12. ॐ पद्महस्तायै नमः।
13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।
14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।
15. ॐ सूर्यायै नमः।
16. ॐ चंद्रायै नमः।
17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।
18. ॐ ईश्वर्यै नमः।
19. ॐ भुक्त्यै नमः।
20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।
21. ॐ विभूत्यै नमः।
22. ॐ ऋद्धयै नमः।
23. ॐ समृद्ध्यै नमः।
24. ॐ तुष्टयै नमः।
25. ॐ पुष्टयै नमः।
26. ॐ धनदायै नमः।
27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।
28. ॐ श्रद्धायै नमः।
29. ॐ भोगिन्यै नमः।
30. ॐ भोगदायै नमः।
31. ॐ धात्र्यै नमः।
32. ॐ विधात्र्यै नमः।
अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े
अनेन महालक्ष्मी द्वात्रिंश नाम पूजनेन श्री भगवती महालक्ष्मी देवता प्रीयन्तां मम .
अब महालक्ष्मी के पुत्रों का पूजन करे
(अगर समय है तो करे )
१. ॐ देवसखाय नमः
२. ॐ चिक्लीताय नमः
३. ॐ आनंदाय नमः
४. ॐ कर्दमाय नमः
५. ॐ श्रीप्रदाय नमः
६. ॐ जातवेदाय नमः
७. ॐ अनुरागाय नमः
८. ॐ संवादाय नमः
९. ॐ विजयाय नमः
१०. ॐ वल्लभाय नमः
११. ॐ मदाय नमः
१२. ॐ हर्षाय नमः
१३. ॐ बलाय नमः
१४. ॐ तेजसे नमः
१५. ॐ दमकाय नमः
१६. ॐ सलिलाय नमः
१७. ॐ गुग्गुलाय नमः
१८ . ॐ कुरूण्टकाय नमः
अनेन पूजनेन श्री महालक्ष्मी पुत्र सहित श्री महालक्ष्मी प्रियन्ताम् न मम
हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करे
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा इश्वरी कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया पद्मा पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्माधारिणी
द्वादशैतानी नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह
अब आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे सकते है ..
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
हाथ जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे
त्राहि त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात त्राही वेगत :
त्वमेव जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी त्वमेव च
रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे
दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी कृपां कुरु ममोपरी
माँ महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये
सदा स्थिरो भव प्रसन्नो भव वरदो भव
अब आप प्रार्थना करे की आपका महालक्ष्मी पूजन पूर्ण रूप से फले ..
जय श्री गुरुदेव ..ॐ माँ ..





7 जनवरी 2021

श्री यंत्र -लक्ष्मी सिक्का

मकर संक्रांति महालक्ष्मी पूजन का सिद्ध मुहूर्त होता है उस दिन आप विभिन्न प्रकार के पूजन संपन्न कर सकते हैं आगे की पंक्तियों में एक छोटा सा पूजन प्रस्तुत है जिसे आप श्री यंत्र के ऊपर या लक्ष्मी के सिक्के पर कर सकते हैं । 








आगे 32 प्रकार की लक्ष्मीयों के नाम दिए गए हैं जिनके नाम का उच्चारण करके हर बार नमः बोलने के साथ आप कुमकुम या केसर से सिक्के या श्री यंत्र पर बिंदी लगा सकते हैं या पुष्प और चावल छोड़ सकते हैं । 

इस प्रकार से पूजन करने के बाद आप उस सिक्के या यंत्र को तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख सकते हैं और अगर इच्छा हो तो उसे अपनी जेब में या पर्स में भी रख सकते हैं । 


श्री गुरुवे नमः 

ॐ गं गणपतये नमः 

ॐ भ्रम भैरवाये नमः 



1. ॐ श्रियै नमः।

2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।

3. ॐ वरदायै नमः।

4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।

5. ॐ वसुप्रदायै नमः।

6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।

7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।

8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।

9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।

10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।

11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।

12. ॐ पद्महस्तायै नमः।

13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।

14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।

15. ॐ सूर्यायै नमः।

16. ॐ चंद्रायै नमः।

17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।

18. ॐ ईश्वर्यै नमः।

19. ॐ भुक्त्यै नमः।

20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।

21. ॐ विभूत्यै नमः।

22. ॐ ऋद्धयै नमः।

23. ॐ समृद्ध्यै नमः।

24. ॐ तुष्टयै नमः।

25. ॐ पुष्टयै नमः।

26. ॐ धनदायै नमः।

27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।

28. ॐ श्रद्धायै नमः।

29. ॐ भोगिन्यै नमः।

30. ॐ भोगदायै नमः।

31. ॐ धात्र्यै नमः।

32. ॐ विधात्र्यै नमः।




1 जनवरी 2021

श्री गणेश अष्टोत्तर शतनाम

 

श्री गणेश अष्टोत्तर शत नामावली 

1) गं विनायकाय नम:
2) गं विघ्नराजाय नम:
3) गं गौरीपुत्राय नम:
4) गं गणेश्वराय नम:
5) गं स्कंदाग्रजाय नम:
6) गं अव्ययाय नम:
7) गं भूताय नम:
8) गं दक्षाय नम:
9) गं अध्यक्षाय नम:
10) गं द्विजप्रियाय नम:
11) गं अग्निगर्भच्छिदे नम:
12) गं इंद्रश्रीप्रदाय नम:
13) गं वाणीप्रदाय नम:
14) गं अव्ययाय नम:
15) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
16) गं शर्वतनयाय नम:
17) गं शर्वरीप्रियाय नम:
18) गं सर्वात्मकाय नम:
19) गं सृष्टिकत्रै नम:
20) गं देवाय नम:
21) गं अनेकार्चिताय नम:
22) गं शिवाय नम:
23) गं शुद्धाय नम:
24) गं बुद्धिप्रियाय नम:
25) गं शांताय नम:
26) गं ब्रह्मचारिणे नम:
27) गं गजाननाय नम:
28) गं द्वैमातुराय नम:
29) गं मुनिस्तुत्याय नम:
30) गं भक्तविघ्नविनाशनाय नम:
31) गं एकदंताय नम:
32) गं चतुर्बाहवे नम:
33)गं चतुराय नम:
34) गं शक्तिसंयुताय नम:
35) गं लंबोदराय नम:
36) गं शूर्पकर्णाय नम:
37) गं हरये नम:
38) गं ब्रह्मविदुत्तमाय नम:
39) गं कालाय नम:
40) गं ग्रहपतये नम:
41) गं कामिने नम:
42) गं सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
43) गं पाशांकुशधराय नम:
44) गं चण्डाय नम:
45) गं गुणातीताय नम:
46) गं निरंजनाय नम:
47) गं अकल्मषाय नम:
48) गं स्वयंसिद्धाय नम:
49) गं सिद्धार्चितपदांबुजाय नम:
50) गं बीजापूरफलासक्ताय नम:
51) गं वरदाय नम:
52) गं शाश्वताय नम:
53) गं कृतिने नम:
54) गं द्विजप्रियाय नम:
55) गं वीतभयाय नम:
56) गं गतिने नम:
57) गं चक्रिणे नम:
58) गं इक्षुचापधृते नम:
59) गं श्रीदाय नम:
60) गं अजाय नम:
61) गं उत्पलकराय नम:
62) गं श्रीपतये नम:
63) गं स्तुतिहर्षिताय नम:
64) गं कुलाद्रिभेत्रे नम:
65) गं जटिलाय नम:
66) गं कलिकल्मषनाशनाय नम:
67) गं चंद्रचूडामणये नम:
68) गं कांताय नम:
69) गं पापहारिणे नम:
70) गं समाहिताय नम:
71) गं आश्रिताय नम:
72) गं श्रीकराय नम:
73) गं सौम्याय नम:
74) गं भक्तवांछितदायकाय नम:
75) गं शांताय नम:
76) गं कैवल्यसुखदाय नम:
77) गं सच्चिदानंदविग्रहाय नम:
78) गं ज्ञानिने नम:
79) गं दयायुताय नम:
80) गं दांताय नम:
81) गं ब्रह्मद्वेषविवर्जिताय नम:
82) गं प्रमत्तदैत्यभयदाय नम:
83) गं श्रीकण्ठाय नम:
84) गं विबुधेश्वराय नम:
85) गं रामार्चिताय नम:
86) गं विधये नम:
87) गं नागराजयज्ञोपवितवते नम:
88) गं स्थूलकण्ठाय नम:
89) गं स्वयंकर्त्रे नम:
90) गं सामघोषप्रियाय नम:
91) गं परस्मै नम:
92) गं स्थूलतुंडाय नम:
93) गं अग्रण्यै नम:
94) गं धीराय नम:
95) गं वागीशाय नम:
96) गं सिद्धिदायकाय नम:
97) गं दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:
98) गं अव्यक्तमूर्तये नम:
99) गं अद्भुतमूर्तिमते नम:
100) गं शैलेंद्रतनुजोत्संगखेलनोत्सुकमानसाय नम:
101) गं स्वलावण्यसुधासारजितमन्मथविग्रहाय नम:
102) गं समस्तजगदाधाराय नम:
103) गं मायिने नम:
104) गं मूषकवाहनाय नम:
105) गं हृष्टाय नम:
106) गं तुष्टाय नम:
107) गं प्रसन्नात्मने नम:
108) गं सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम:

नववर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनायें

 सभी पाठकों को 

नववर्ष
2021
की शुभकामनायें 




वर्ष 2020 ढेर सारी समस्याओं के साथ हमारे सामने आया । हम में से सभी लोगों ने अपने अपने स्तर पर उसका मुकाबला करने की कोशिश भी की और सफल भी हुए । 


कोरोना जैसी महामारी ने सब कुछ हिला कर रख दिया है । अब भी समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है ऐसी स्थिति में महामाया की शक्ति पर विश्वास और गुरु की कृपा से यह वर्ष भी बेहतर ढंग से आगे की ओर बढ़े और सभी के जीवन में सुख समृद्धि और अनुकूलता प्रदान करें ऐसी ही शुभकामनाएं आप सभी को !





विश्वशान्ति हेतु : शान्ति स्तोत्र



नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नरा: ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम ॥
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः ।
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ॥

जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
समयाचार संपन्ना जयन्ति पूजका नराः ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः ।
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवतः ॥

चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः ।
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ॥
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥

ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्तिम कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचार विमर्द नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः ॥

दृष्ट्वा चक्रम्पूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवास्याज्ञया ॥
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ॥

ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरै संततम ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥

शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।
तत्परं पठेत स्तोत्रमानंदस्तोत्रमुत्तमम ।
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ॥

इस स्तोत्र का पाठ इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर  सर्व विध शांति हो.

श्री गणेश अष्टोत्तर शत नाम

  


श्री गणेश अष्टोत्तर शत नाम
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"गं" गणेश भगवान का बीज मंत्र है । 
गणेश भगवान की मूर्ति या यंत्र को सामने रख लें ।
अगर मूर्ति मिट्टी की है तो उसपर जल न चढ़ाएँ , सामने एक बर्तन रखके उसमे चढ़ाएँ , वरना आपकी मूर्ति गीली हो जाएगी ।  

1) गं विनायकाय नम: 
2) गं विघ्नराजाय नम:
3) गं गौरीपुत्राय नम:
4) गं गणेश्वराय नम:
5) गं स्कंदाग्रजाय नम:
6) गं अव्ययाय नम:
7) गं भूताय नम:
8) गं दक्षाय नम:
9) गं अध्यक्षाय नम:
10) गं द्विजप्रियाय नम:
11) गं अग्निगर्भच्छिदे नम:
12) गं इंद्रश्रीप्रदाय नम:
13) गं वाणीप्रदाय नम:
14) गं अव्ययाय नम:
15) गं सर्वसिद्धिप्रदाय नम:
16) गं शर्वतनयाय नम:
17) गं शर्वरीप्रियाय नम:
18) गं सर्वात्मकाय नम:
19) गं सृष्टिकत्रै नम:
20) गं देवाय नम:
21) गं अनेकार्चिताय नम:
22) गं शिवाय नम:
23) गं शुद्धाय नम:
24) गं बुद्धिप्रियाय नम:
25) गं शांताय नम:
26) गं ब्रह्मचारिणे नम:
27) गं गजाननाय नम:
28) गं द्वैमातुराय नम:
29) गं मुनिस्तुत्याय नम:
30) गं भक्तविघ्नविनाशनाय नम:
31) गं एकदंताय नम:
32) गं चतुर्बाहवे नम:
33)गं चतुराय नम:
34) गं शक्तिसंयुताय नम:
35) गं लंबोदराय नम:
36) गं शूर्पकर्णाय नम:
37) गं हरये नम:
38) गं ब्रह्मविदुत्तमाय नम:
39) गं कालाय नम:
40) गं ग्रहपतये नम:
41) गं कामिने नम:
42) गं सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
43) गं पाशांकुशधराय नम:
44) गं चण्डाय नम:
45) गं गुणातीताय नम:
46) गं निरंजनाय नम:
47) गं अकल्मषाय नम:
48) गं स्वयंसिद्धाय नम:
49) गं सिद्धार्चितपदांबुजाय नम:
50) गं बीजापूरफलासक्ताय नम:
51) गं वरदाय नम:
52) गं शाश्वताय नम:
53) गं कृतिने नम:
54) गं द्विजप्रियाय नम:
55) गं वीतभयाय नम:
56) गं गतिने नम:
57) गं चक्रिणे नम:
58) गं इक्षुचापधृते नम:
59) गं श्रीदाय नम:
60) गं अजाय नम:
61) गं उत्पलकराय नम:
62) गं श्रीपतये नम:
63) गं स्तुतिहर्षिताय नम:
64) गं कुलाद्रिभेत्रे नम:
65) गं जटिलाय नम:
66) गं कलिकल्मषनाशनाय नम:
67) गं चंद्रचूडामणये नम:
68) गं कांताय नम:
69) गं पापहारिणे नम:
70) गं समाहिताय नम:
71) गं आश्रिताय नम:
72) गं श्रीकराय नम:
73) गं सौम्याय नम:
74) गं भक्तवांछितदायकाय नम:
75) गं शांताय नम:
76) गं कैवल्यसुखदाय नम:
77) गं सच्चिदानंदविग्रहाय नम:
78) गं ज्ञानिने नम:
79) गं दयायुताय नम:
80) गं दांताय नम:
81) गं ब्रह्मद्वेषविवर्जिताय नम:
82) गं प्रमत्तदैत्यभयदाय नम:
83) गं श्रीकण्ठाय नम:
84) गं विबुधेश्वराय नम:
85) गं रामार्चिताय नम:
86) गं विधये नम:
87) गं नागराजयज्ञोपवितवते नम:
88) गं स्थूलकण्ठाय नम:
89) गं स्वयंकर्त्रे नम:
90) गं सामघोषप्रियाय नम:
91) गं परस्मै नम:
92) गं स्थूलतुंडाय नम:
93) गं अग्रण्यै नम:
94) गं धीराय नम:
95) गं वागीशाय नम:
96) गं सिद्धिदायकाय नम:
97) गं दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:
98) गं अव्यक्तमूर्तये नम:
99) गं अद्भुतमूर्तिमते नम:
100) गं शैलेंद्रतनुजोत्संगखेलनोत्सुकमानसाय नम:
101) गं स्वलावण्यसुधासारजितमन्मथविग्रहाय नम:
102) गं समस्तजगदाधाराय नम:
103) गं मायिने नम:
104) गं मूषकवाहनाय नम:
105) गं हृष्टाय नम:
106) गं तुष्टाय नम:
107) गं प्रसन्नात्मने नम:
108) गं सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम:
हर  नमः पर एक आचमनी जल अर्पण करे 
अंत मे श्री गणेश भगवान से गलतियों के लिए क्षमा मांगे ।  

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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28 दिसंबर 2020

कामाख्या तार

  







असम के कामाख्या शक्तीपीठ को तंत्र साधनाओं का मूल माना जाता है । ऐसा माना जाता है की यहाँ देवी का योनि भाग गिरा था और इसे योनि पीठ या मातृ पीठ की मान्यता है ।

यहाँ का प्रमुख पर्व है अंबुवाची मेला जब प्रत्येक वर्ष तीन दिनों के लिए यह मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है। माना जाता है कि माँ कामाख्या इस बीच रजस्वला होती हैं। और उनके शरीर से रक्त निकलता है। इस दौरान शक्तिपीठ की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए देश के विभिन्न भागों से यहां तंत्रिक और साधक जुटते हैं। आस-पास की गुफाओं में रहकर वह साधना करते हैं।

चौथे दिन माता के मंदिर का द्वार खुलता है। माता के भक्त और साधक दिव्य प्रसाद पाने के लिए बेचैन हो उठते हैं। यह दिव्य प्रसाद होता है लाल रंग का वस्त्र जिसे माता राजस्वला होने के दौरान धारण करती हैं। माना जाता है वस्त्र का टुकड़ा जिसे मिल जाता है उसके सारे कष्ट और विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं।

https://www.amarujala.com/spirituality/religion/kamakhya-mandir-ambubachi-mela



यदि आपको इस वस्त्र का एक धागा भी मिल जाये तो उसके निम्न लाभ माने जाते हैं :-

इसे ताबीज मे भरकर पहन लें तंत्र बाधा यानि किए कराये का असर नहीं होगा।
यह सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
इसे धरण करने से आकर्षण बढ़ता है।
आपसी प्रेम मे वृद्धि तथा गृह क्लेश मे कमी आती है ।
इसे साथ रखकर किसी भी कार्य या यात्रा मे जाएँ तो सफलता की संभावना बढ़ जाएगी ।
दुकान के गल्ले मे लाल कपड़े मे बांध कर रखें तो व्यापार मे अनुकूलता मिलेगी । 

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27 दिसंबर 2020

तंत्र बाधाओं के शमन मे उपयोगी भैरव प्रयोग

 



  • सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं के शमन मे उपयोगी है । 
  • अमावस्या, कृष्ण पक्ष मे अष्टमी/ त्रयोदशी/चतुर्दशी  या सावन माह की किसी भी रात्रि करें|
  • अपने सामने एक सूखा नारियल , एक कपूर की डली , 11 लौंग 11 इलायची, 1 डली लोबान या धुप रखें |
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं |
  • हाथ में नारियल लेकर अपनी मनोकामना बोलें | नारियल सामने रखें |
  • दक्षिण दिशा कीओर देखकर इस मन्त्र का 108 बार जाप करें |
  • अगले दिन जल प्रवाह करें । 





|| ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भ्रः | ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रः |ख्रां ख्रीं ख्रूं ख्रः|घ्रां घ्रीं घ्रूं घ्र: | म्रां म्रीं म्रूं म्र: | म्रों म्रों म्रों म्रों | क्लों   क्लों क्लों क्लों |श्रों श्रों श्रों श्रों | ज्रों ज्रों  ज्रों ज्रों | हूँ हूँ हूँ हूँ| हूँ हूँ हूँ हूँ | फट | सर्वतो रक्ष रक्ष रक्ष रक्ष भैरव नाथ हूँ फट ||

26 दिसंबर 2020

साधना की शुरुआत : महाकाली बीज मंत्र साधना

  तंत्र साधना की मूल शक्ति है महाकाली ..

अगर आप साधना के क्षेत्र मे प्रवेश करना चाहते हैं तो महाकाली बीज मंत्र का जाप प्रारंभ करें । 

यदि आप साधना करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं तो आपको छह माह के अंदर अनुकूलता मिलेगी और मार्ग मिलेगा । 




॥ क्रीं 
kreem


  • महाकाली का बीज मन्त्र है. 
  • इसका जाप करने से महाकाली की कृपा प्राप्त होति है.
  • यथाशक्ति जाप करें.
  • चलते फिरते 24 घंटे जाप कर सकते हैं .