एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
29 सितंबर 2021
28 सितंबर 2021
25 सितंबर 2021
पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा
पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा
श्राद्ध पक्ष में यथा सम्भव जाप करें ।
॥ ऊं सर्व पितरेभ्यो, मम सर्व शापं प्रशमय प्रशमय, सर्व दोषान निवारय निवारय, पूर्ण शान्तिम कुरु कुरु नमः ॥
पितृमोक्ष अमावस्या के दिन एक थाली में भोजन सजाकर सामने रखें।
108 बार जाप करें |
सभी ज्ञात अज्ञात पूर्वजों को याद करें , उनसे कृपा मागें |
ॐ शांति कहते हुए तीन बार पानी से थाली के चारों ओर गोल घेरा बनायें।
अपने पितरॊं को याद करके ईस थाली को गाय कॊ खिला दें।
इससे पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा आपकॊ प्राप्त होगी ।
23 सितंबर 2021
Pratah Kaalin Gunjarit Ved Dhwani प्रातः कालीन गुंजरित वेदध्वनि Sadgurud...
19 सितंबर 2021
पितृ स्तोत्र (गरुड पुराण)
पितृ स्तोत्र (गरुड पुराण)
अमूर्त्तानां च मूर्त्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम !
इंद्रादीनां च नेतारो दक्षमारी चयोस्तथा !!
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान नमस्यामि कामदान !
मन्वादीनां मुनींद्राणां सूर्य्यांचंद्रमसो तथा !!
तान नमस्यामि अहं सर्व्वान पितरश्च अर्णवेषु ये !
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वायु अग्नि नभ तथा !!
द्यावा पृथ्वीव्योश्च तथा नमस्यामि कृतांजलि: !
देवर्षिणां ग्रहाणां च सर्वलोकनमस्कृतान !!
अभयस्य सदा दातृन नमस्येहं कृतांजलि:
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ! !
स्वयंभुवे नमस्यामि ब्रम्हणे योग चक्षुषे !
सोमाधारान पितृगणान योगमूर्तिधरांस्तथा !!
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम !
अग्निरुपां तथैव अन्यान नमस्यामि पितृं अहं !!
अग्निसोममयं विश्वं यत एदतशेषत:
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्य्याग्निमूर्तय:!!
जगत्स्वरुपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरुपिण:
तेभ्यो अखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानसा: !
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदंतु स्वधाभुज: !!
आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं ।
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
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अगर आपको संस्कृत में उच्चारण करने में दिक्कत हो तो आप इसका भावार्थ हिंदी में भी उच्चरित कर सकते हैं जो कि निम्नानुसार है
जो अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ।
इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नायक हैं, सभी कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ।
मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी प्रणाम करता हूँ।
नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो प्रमुख हैं, उन पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ।
देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता, पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ।
प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा प्रणाम करता हूँ।
सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ।
चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ।
सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ।
अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है।
जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ।
समस्त पितरो को मैं बारम्बार नमस्कार करता हुआ उनकी कृपा का आकांक्षी हूं ।
वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों। वह मुझ पर कृपालु हो और मेरे समस्त दोषों का प्रशमन करते हुए मुझे सर्व विध अनुकूलता प्रदान करें ....
विधि :-
एक थाली में भोजन तैयार करके रख ले तथा स्तोत्र का यथाशक्ति (1,3,7,9,11) पाठ करके किसी गाय को या किसी गरीब व्यक्ति को खिला दे ।
18 सितंबर 2021
पितृ पक्ष
पितृ पक्ष
पितृ पक्ष में सभी लोग विधि विधान से पूजन नहीं कर पाते हैं । जो पितर पूजन करना चाहते हैं ,उनके लिए एक सरल विधि प्रस्तुत है जिसे आप आसानी से कर सकते है :-
|| ॐ सर्व पित्रेभ्यो नमः ||
Om sarva pitarebhyo namah
भाव रखें कि - "मैं अपने सभी (ज्ञात और अज्ञात ) पूर्वजों को नमस्कार करता हूं तथा उनसे शांति की प्रार्थना करता हूं ।"
आपके घर में जो भोजन बना हो उसे एक थाली में सजा लें ....
उसको पूजा स्थान में अपने सामने रखकर इस मंत्र का १०८ बार जाप करें.
हाथ में पानी लेकर कहें " मेरे सभी ज्ञात अज्ञात पितरों की शांति हो " इसके बाद जल जमीन पर छोड़ दे.
अब उस थाली के भोजन को किसी गाय को या किसी गरीब भूखे को खिला दें.
मन मे प्रार्थना करें कि " मेरे पूर्वजों को शांति प्राप्त हो !
16 सितंबर 2021
भगवान विश्वकर्मा के 108 नाम
भगवान विश्वकर्मा के 108 नाम
आप देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा
के इन 108 नामों के साथ फूल, चावल , चंदन, कुमकुम , अष्टगंध आदि चढ़ा सकते हैं :-
1. ऊँ अतलाय नमः
2. ऊँ अतिसूक्ष्माय नमः
3. ऊँ अदभुताय नमः
4. ऊँ अनन्तकल्पाय नमः
5. ऊँ अनन्तचक्षुसे नमः
6. ऊँ अनन्तभुजाय नमः
7. ऊँ अनन्तमुखाय नमः
8. ऊँ अनन्तशक्तिभूते नमः
9. ऊँ अनन्ताय नमः
10.
ऊँ
आघ्रात्मने नमः
11.
ऊँ
कंबीघराय नमः
12.
ऊँ
कमंडलधराय नमः
13.
ऊँ
कर्षपाय नमः
14.
ऊँ
कृतिपतये नमः
15.
ऊँ
गुणवल्लभाय नमः
16.
ऊँ
चतुर्भुजाय नमः
17.
ऊँ
जनलोकाय नमः
18.
ऊँ
ज्ञानमुद्राय नमः
19.
ऊँ
तपोलोकाय नमः
20.
ऊँ
तेजात्मने नमः
21.
ऊँ
त्रिगुणात्मने नमः
22.
ऊँ
त्रिनेत्राय नमः
23.
ऊँ
त्रिभुवनाय नमः
24.
ऊँ
त्वष्टे नमः
25.
ऊँ
दुखहर्त्रे नमः
26.
ऊँ
दुर्लभाय नमः
27.
ऊँ
दुष्टदमनाय नमः
28.
ऊँ
देवज्ञाय नमः
29.
ऊँ
देवधराय नमः
30.
ऊँ देवाय
नमः
31.
ऊँ
धराधराय नमः
32.
ऊँ
धर्मात्मने नमः
33.
ऊँ
धर्मिणे नमः
34.
ऊँ धीराय
नमः
35.
ऊँ नाथाय
नमः
36.
ऊँ
निराकाराय नमः
37.
ऊँ
निराधाराय नमः
38.
ऊँ
निरामयाय नमः
39.
ऊँ
निर्मोहाय नमः
40.
ऊँ
निर्विकल्पाय नमः
41.
ऊँ
निर्विधाय नमः
42.
ऊँ
पंचवक्त्राय नमः
43.
ऊँ
परम तत्वाय नमः
44.
ऊँ
परमात्मने नमः
45.
ऊँ
परमेश्वराय नमः
46.
ऊँ
पवित्राय नमः
47.
ऊँ
पातालाय नमः
48.
ऊँ
पीतवस्त्राय नमः
49.
ऊँ
पुरुषाय नमः
50.
ऊँ
पूर्णप्रभाय नमः
51.
ऊँ
पूर्णानंदाय नमः
52.
ऊँ
ब्रहमांडाय नमः
53.
ऊँ
भुवनपतये नमः
54.
ऊँ
भूकल्पाय नमः
55.
ऊँ
महलोकाय नमः
56.
ऊँ
महशिल्पिने नमः
57.
ऊँ
महातलाय नमः
58.
ऊँ
महादुर्लभाय नमः
59.
ऊँ
मोक्षदात्रे नमः
60.
ऊँ
मोहरहिताय नमः
61.
ऊँ
रसातलाय नमः
62.
ऊँ वरदाय
नमः
63.
ऊँ
वर्मिणे नमः
64.
ऊँ
वासपात्रे नमः
65.
ऊँ
वास्तोष्पतये नमः
66.
ऊँ
वितलाय नमः
67.
ऊँ विरजे
नमः
68.
ऊँ
विशभुंजाय नमः
69.
ऊँ विश्व
आधाराय नमः
70.
ऊँ विश्व
धर्माय नमः
71.
ऊँ
विश्वकराय नमः
72.
ऊँ
विश्वकर्मणे नमः
73.
ऊँ
विश्वधराय नमः
74.
ऊँ
विश्वम्भराय नमः
75.
ऊँ
विश्वरक्षकाय नमः
76.
ऊँ
विश्वरुपाय नमः
77.
ऊँ
विश्ववल्लभाय नमः
78.
ऊँ
विश्वविस्मयाय नमः
79.
ऊँ
विश्वव्यापक नमः
80.
ऊँ
विश्वव्यापिने नमः
81.
ऊँ
विश्वात्मने नमः
82.
ऊँ
विश्वेशाधिपतये नमः
83.
ऊँ
विश्वेश्वराय नमः
84.
ऊँ
विष्णवे नमः
85.
ऊँ
वेदधारिणे नमः
86.
ऊँ शांतिदात्रे
नमः
87.
ऊँ
शांतिमुर्तये नमः
88.
ऊँ
श्वेतांगाय नमः
89.
ऊँ
सत्यलोकाय नमः
90.
ऊँ
सत्यात्मने नमः
91.
ऊँ
सनातनाय नमः
92.
ऊँ
सर्वाभयदाय नमः
93.
ऊँ
सर्वेश्वरांय नमः
94.
ऊँ
सानन्दाय नमः
95.
ऊँ
सुखकत्रे नमः
96.
ऊँ
सुतलाय नमः
97.
ऊँ
सूक्ष्माय नमः
98.
ऊँ
सूत्रधराय नमः
99.
ऊँ
सूत्रात्मने नमः
100.
ऊँ
सृष्टीकराय नमः
101.
ऊँ स्थिर
मानसाय नमः
102.
ऊँ
स्थिराय नमः
103.
ऊँ
स्थूलातिसूक्ष्माय नमः
104.
ऊँ
स्वर्गलोकाय नमः
105.
ऊँ
स्वर्णमुकुटधारिणे नमः
106.
ऊँ
हंसवाहनाय नमः
107.
ऊँ
हर्षाय नमः
108.
ऊँ
ह्रदयवासिने नमः