एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
2 नवंबर 2021
भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र
- भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
- गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
- अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
- विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
- रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
- क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
7 अक्तूबर 2021
अष्टकाली साधना
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
- दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
- 108 दाने वाली रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
- पुरश्चरण 1,25,000 मन्त्रों का होगा.यानि 1250 माला .
- 11000, 21000, 51000 की संख्या मे भी कर सकते हैं , यानि 110, 210, 510 माला ।
- रात्रिकाल में जाप करें.
- दशमी के दिन काली मिर्च/ तिल/दशांग/घी/ चमेली के तेल से दशांश हवन करें |
6 अक्तूबर 2021
नवरात्रि हवन की सरल विधि
नवरात्रि हवन की सरल विधि:-
नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर
आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो
ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु
से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी
राय मे चंडी प्रकाशन, गीता प्रेस, चौखम्बा प्रकाशन, आदि
से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।.
आवश्यक सामग्री :-
1. दशांग या हवन सामग्री ,
दुकान पर आपको मिल जाएगा .
2. घी ( अच्छा वाला लें ,
भले कम लें , पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह
ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी
को कैसे अर्पित कर सकते हैं )
3. कपूर आग जलाने के लिए .
4. एक नारियल गोला या सूखा
नारियल पूर्णाहुति के लिए ,
5. हवन कुंड या गोल बर्तन
।.
हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.
हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते
हैं .
फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड
या ईंट , रेती रखें उसपर पात्र रखें.
कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में
कपूर रखकर जला दें.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो
पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और
अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें
“ ॐ अग्नये स्वाहा “
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न
मम् ।
ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम्
।
ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।
ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।
ॐ भूः स्वाहा ।
उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .
नवग्रह मंत्र :-
ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा
ऊं भौमाय नमः स्वाहा
ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
ऊँ शनये नमः स्वाहा
ऊँ राहवे नमः स्वाहा
ऊँ केतवे नमः स्वाहा
गायत्री मंत्र :-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,
ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,
ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,
ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,
ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा
माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा
हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा
बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, हवन सामग्री आदि डाल
दें.
पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड
की अग्नि में रख दें.
पूर्णाहुति मंत्र-
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम
उदिच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते
।।
इसका अर्थ है :-
वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है , उसके द्वारा उत्पन्न यह
जगत भी पूर्ण हूँ , उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी
वह पूर्ण ही रहता है ।
वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे
कार्य , अभीष्ट
मे पूर्णता मिले ....
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी
चाहिए.
उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास
रख दें,
फिर आरती करें.
अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.
माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब
महिला या कन्या को दान मे दें ।
महाकाली का बीज मन्त्र
तंत्र साधना की मूल शक्ति है महाकाली ..
अगर आप साधना के क्षेत्र मे प्रवेश करना चाहते हैं तो महाकाली बीज मंत्र का जाप प्रारंभ करें ।
यदि आप साधना करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं तो आपको छह माह के अंदर अनुकूलता मिलेगी और मार्ग मिलेगा ।
- महाकाली का बीज मन्त्र है.
- इसका जाप करने से महाकाली की कृपा प्राप्त होति है.
- यथाशक्ति जाप करें.
- चलते फिरते 24 घंटे जाप कर सकते हैं .
श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम
श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम
बगलामुखी
बीज मंत्र है [ह्लीं ] उच्चारण होगा [hleem]
देवी
के सामने पीले पुष्प, पीले चावल, हल्दी नमः के उच्चारण के साथ समर्पित कर सकते हैं
।
1.
ह्लीं कठिनायै नमः ।
2. ह्लीं कपर्दिन्यै नमः ।
3. ह्लीं कलकारिण्यै नमः ।
4.
ह्लीं कलहायै नमः ।
5. ह्लीं कलायै नमः ।
6. ह्लीं कलिदुर्गतिनाशिन्यै नमः ।
7. ह्लीं कलिहरायै नमः ।
8. ह्लीं कल्किरूपायै नमः ।
9. ह्लीं काल्यै नमः ।
10.
ह्लीं किशोर्यै नमः ।
11.
ह्लीं कृत्यायै नमः ।
12.
ह्लीं कृष्णायै नमः ।
13.
ह्लीं केवलायै नमः ।
14.
ह्लीं केशवस्तुतायै नमः ।
15.
ह्लीं केशवाराध्यायै नमः ।
16.
ह्लीं केशव्यै नमः ।
17.
ह्लीं कैवल्यदायिन्यै नमः
।
18.
ह्लीं कोटिकन्दर्पमोहिन्यै
नमः ।
19.
ह्लीं कोटिसूर्यप्रतीकाशायै
नमः ।
20.
ह्लीं घनायै नमः ।
21.
ह्लीं जामदग्न्यस्वरूपायै
नमः ।
22.
ह्लीं देवदानवसिद्धौघपूजितापरमेश्वर्यै
नमः ।
23.
ह्लीं नक्षत्रपतिवन्दितायै
नमः ।
24.
ह्लीं नक्षत्ररूपायै नमः ।
25.
ह्लीं नक्षत्रायै नमः ।
26.
ह्लीं नक्षत्रेशप्रपूजितायै
नमः ।
27.
ह्लीं नक्षत्रेशप्रियायै
नमः ।
28.
ह्लीं नगराजप्रपूजितायै
नमः ।
29.
ह्लीं नगात्मजायै नमः ।
30.
ह्लीं नगाधिराजतनयायै नमः
।
31.
ह्लीं नरसिंहप्रियायै नमः
। १०
32.
ह्लीं नवीनायै नमः ।
33.
ह्लीं नागकन्यायै नमः ।
34.
ह्लीं नागजनन्यै नमः । ५०
35.
ह्लीं नागराजप्रवन्दितायै
नमः ।
36.
ह्लीं नागर्यै नमः ।
37.
ह्लीं नागिन्यै नमः ।
38.
ह्लीं नागेश्वर्यै नमः ।
39.
ह्लीं नित्यायै नमः ।
40.
ह्लीं नीरदायै नमः ।
41.
ह्लीं नीलायै नमः ।
42.
ह्लीं परतन्त्रविनाशिन्यै
नमः ।
43.
ह्लीं पराणुरूपापरमायै नमः
।
44.
ह्लीं पीतपुष्पप्रियायै
नमः ।
45.
ह्लीं पीतवसनापीतभूषणभूषितायै
नमः ।
46.
ह्लीं पीतस्वरूपिण्यै नमः
।
47.
ह्लीं पीतहारायै नमः ।
48.
ह्लीं पीतायै नमः ।
49.
ह्लीं बगलायै नमः ।
50.
ह्लीं बलदायै नमः ।
51.
ह्लीं बहुदावाण्यै नमः ।
52.
ह्लीं बहुलायै नमः ।
53.
ह्लीं बुद्धभार्यायै नमः ।
54.
ह्लीं बुद्धिरूपायै नमः ।
55.
ह्लीं बौद्धपाखण्डखण्डिन्यै
नमः ।
56.
ह्लीं ब्रह्मरूपावराननायै
नमः ।
57.
ह्लीं भामिन्यै नमः ।
58.
ह्लीं महाकूर्मायै नमः ।
59.
ह्लीं महामत्स्यायै नमः ।
60.
ह्लीं महारावणहारिण्यै नमः
।
61.
ह्लीं महावाराहरूपिण्यै
नमः ।
62.
ह्लीं महाविष्णुप्रस्वै
नमः ।
63.
ह्लीं मायायै नमः ।
64.
ह्लीं मोहिन्यै नमः ।
65.
ह्लीं यक्षिण्यै नमः ।
66.
ह्लीं रक्तायै नमः ।
67.
ह्लीं रम्यायै नमः ।
68.
ह्लीं रागद्वेषकर्यै नमः ।
69.
ह्लीं रात्र्यै नमः ।
70.
ह्लीं रामप्रपूजितायै नमः
।
71.
ह्लीं रामायै नमः ।
72.
ह्लीं रिपुत्रासकर्यै नमः
।
73.
ह्लीं रुद्रदेवतायै नमः ।
74.
ह्लीं रुद्रमूर्त्यै नमः ।
75.
ह्लीं रुद्ररूपायै नमः ।
76.
ह्लीं रुद्राण्यै नमः ।
77.
ह्लीं रेखायै नमः ।
78.
ह्लीं रौरवध्वंसकारिण्यै
नमः ।
79.
ह्लीं लङ्कानाथकुलहरायै
नमः ।
80.
ह्लीं लङ्कापतिध्वंसकर्यै
नमः ।
81.
ह्लीं लङ्केशरिपुवन्दितायै
नमः ।
82.
ह्लीं वटुरूपिण्यै नमः ।
83.
ह्लीं वरदाऽऽराध्यायै नमः
।
84.
ह्लीं वरदानपरायणायै नमः ।
85.
ह्लीं वरदायै नमः ।
86.
ह्लीं वरदेशप्रियावीरायै
नमः ।
87.
ह्लीं वसुदायै नमः ।
88.
ह्लीं वामनायै नमः ।
89.
ह्लीं विष्णुवनितायै नमः ।
90.
ह्लीं विष्णुशङ्करभामिन्यै
नमः ।
91.
ह्लीं वीरभूषणभूषितायै नमः
।
92.
ह्लीं वेदमात्रे नमः ।
93.
ह्लीं शत्रुसंहारकारिण्यै
नमः ।
94.
ह्लीं शुभायै नमः ।
95.
ह्लीं शुभ्रायै नमः ।
96.
ह्लीं श्यामायै नमः ।
97.
ह्लीं श्वेतायै नमः ।
98.
ह्लीं सिद्धनिवहायै नमः ।
99.
ह्लीं सिद्धिरूपिण्यै नमः
।
100.
ह्लीं सिद्धेशायै नमः ।
101.
ह्लीं सुन्दर्यै नमः ।
102.
ह्लीं सौन्दर्यकारिण्यै
नमः ।
103.
ह्लीं सौभगायै नमः ।
104.
ह्लीं सौभाग्यदायिन्यै नमः
।
105.
ह्लीं सौम्यायै नमः ।
106.
ह्लीं स्तम्भिन्यै नमः ।
107.
ह्लीं स्वर्गतिप्रदायै नमः
।
108.
ह्लीं स्वर्णाभायै नमः ।