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30 अप्रैल 2023

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह : एक सिद्ध तंत्र गुरु

 गुरुमाता डॉ. साधना सिंह : एक सिद्ध तंत्र गुरु




वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधिका हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.

तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
माँ अपने शिशु को स्नेह और वात्सल्य के साथ जो कुछ भी देती है वह उसके लिए अनुकूल हो जाता है . 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.

वे एक  योगाचार्य और विश्वविख्यात होम्यो पैथ भी हैं । उनके लेख वर्षों तक प्रतिष्ठित पत्रिका निरोगधाम में प्रकाशित होते रहे हैं । आप उनसे अपनी असाध्य बीमारियों पर भी सलाह एप्वाइंटमेंट लेकर ले सकते हैं।

मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ] तथा उनके बाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है ।

आप भी उनसे मिलकर प्रत्यक्ष मार्गदर्शन ले सकते हैं :-


जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar

24 अप्रैल 2023

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

 गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar




16 फ़रवरी 2023

काल भैरव अष्टकम

 


काल भैरव अष्टकम


देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥


विधि :-

सूर्यग्रहण के अवसर पर 108 पाठ करें ।

यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।

विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे किया जा सकता है । 

21 जनवरी 2023

तारा महाविद्या की साधना : जीवन का सौभाग्य

 




  1. तारा काली कुल की महविद्या है ।
  2. तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
  3. यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
  4. गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
  5. साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।

तारा मंत्रम
 
॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
  • मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के
  • बीच करना चाहिये.
  • यह रात्रिकालीन साधना है.
  • गुरुवार से प्रारंभ करें.
  • गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  • उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  • यथासंभव एकांत वास करें.
  • सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
  • ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  • किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  • क्रोध और बकवास ना करें.
  • साधना को गोपनीय रखें.
  • प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका ।    
तारा स्तव मंजरी । 

19 जनवरी 2023

एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

  एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

यह सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा दिया गया एक अद्भुत मंत्र है .....


ॐ रक्षो रक्ष महावीर !

काला गोरा भेरूँ! बल वहन करे !

वज्र सी देह रक्षा करे ! एडी सू चोटी चोटी सू एडी !

तणो वज्र निरधार झरे ! ठम ठम ठम !!!


सद्गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमली जी के इस स्वरूप को प्रणाम करें और रक्षा की प्रार्थना करें उसके बाद इसे आप नवरात्रि मे रोज 108 बार जपकर सिद्ध कर लें ।.

बिस्तर से उठते समय यदि आप इसका नित्य 1 या 3 बार जाप करते रहें तो आपके ऊपर किसी प्रकार का तंत्र प्रयोग आदि होने पर उससे रक्षा होगी ।.

17 जनवरी 2023

महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र

  






।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।



  1. महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
  2. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
  3. नवरात्रि मे ज्यादा लाभदायक है . 
  4. १०८ या १००८ की संख्या में जाप करके इसका प्रयोग करें .
  5. इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं, उसके लिए सामने मौली धागा या लाल या काला धागा रखकर 108 या 1008 जाप करके अपने लिए या बच्चों के लिए रक्षा सूत्र बनाकर बांध सकते हैं ।  
  6. विभिन्न प्रकार के रक्षा घेरे के निर्माण मे भी सहायक सिद्ध मन्त्र है

29 जून 2022

तंत्र साधना की मूल शक्ति : महाकाली

  तंत्र साधना की मूल शक्ति है महाकाली ..


अगर आप साधना के क्षेत्र मे प्रवेश करना चाहते हैं तो महाकाली बीज मंत्र का जाप प्रारंभ करें । 

यदि आप साधना करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं तो आपको छह माह के अंदर अनुकूलता मिलेगी और मार्ग मिलेगा । 




॥ क्रीं 
kreem


  • महाकाली का बीज मन्त्र है. 
  • इसका जाप करने से महाकाली की कृपा प्राप्त होती  है. 
  • यथाशक्ति जाप करें.
  • चलते फिरते 24 घंटे जाप कर सकते हैं .
  • अगर आप साधना के क्षेत्र मे आगे बढना चाहते हैं तो छह महीने साल भर तक इस मंत्र का जाप अनवरत करते रहें . महामाया आपको कोई न कोई मार्ग अवश्य प्रदान करेगी .... 

गुप्त नवरात्रि विशेष : महाकाली सर्व रक्षा मन्त्र




।। हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ।।



  1. महाकाली का स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
  2. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
  3. नवरात्रि मे ज्यादा लाभदायक है . 
  4. १०८ या १००८ की संख्या में जाप करके इसका प्रयोग करें .
  5. इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं, उसके लिए सामने मौली धागा या लाल या काला धागा रखकर 108 या 1008 जाप करके अपने लिए या बच्चों के लिए रक्षा सूत्र बनाकर बांध सकते हैं ।  
  6. विभिन्न प्रकार के रक्षा घेरे के निर्माण मे भी सहायक सिद्ध मन्त्र है

गुप्त नवरात्रि विशेष : रोग नाशक महाकाली मंत्र

 

 


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

गुप्त नवरात्रि : 30 जून

 साल में दो नवरात्रि आती है जो कि चैत्र माह में होती है जिस महीने में रामनवमी पड़ती है । दूसरी आश्विन माह में आती है जिसमे दशहरा पड़ता है । यह दोनों नवरात्रि व्यापक रूप से मनाई जाती है । इसमें भी दशहरा वाली नवरात्रि को ज्यादा महत्व दिया जाता है..... 





साधना के क्षेत्र मे इसके अलावा दो और नवरात्रियां वर्ष में मानी गई है । जिनको गुप्त नवरात्रि कहा जाता है । इसमे से एक माघ महीने में यानि मार्च महीने मे आती है और दूसरी आषाढ़ यानि जुलाई के महीने में आती है । 

इन दोनों में भी आप शक्ति साधना कर सकते हैं । इस वर्ष 2022 की आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 30 जून से प्रारंभ हो रही है । 

इस नवरात्रि के अवसर पर आप देवी से संबंधित साधनाएं कर सकते हैं, इन मंत्रों को किसी भी जाति आयु और लिंग का व्यक्ति जो सनातन धर्म मे विश्वास रखता है वह कर सकता है । 

नवरात्रि के अवसर पर शक्ति का संचरण पृथ्वी पर ज्यादा मात्रा में होता है । ऐसा माना जाता है । उस अवसर पर उनके लिए की गई साधनाएं ज्यादा अनुकूलता और परिणाम देती है । इसलिए नवरात्रि के अवसर पर देवी की साधना करना ज्यादा लाभप्रद माना गया है .... 


अपनी क्षमता के अनुसार आप रोज 5 मिनट, 10 मिनट से लेकर दो-तीन घंटे तक जितना आप की क्षमता हो.... उतना मंत्र जाप करें.... और देवी की अनुकूलता की प्रार्थना करें !

भगवती की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करें !!


31 मार्च 2022

तारा साधना

 


तारा साधना मंत्रम
तारा साधना जीवन का सौभाग्य है। 
यह साधना मनुष्यत्व से ब्रह्मत्व की यात्रा है। .........
शक्ति साधकों के लिए गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ने तारा शाक्त मन्त्र नवरात्री शिविर 1995 कराला में प्रदान किया था. यह साधना आर्थिक लाभ प्रदायक है .


·      यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.

·      भगवती तारा महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप करें। कम ज्यादा जाप ना करें  

  • ·      सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
  • ·      भगवती तारा अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने शिशु को ले जाती है.

|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तारायै नमः ||
·      इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
·      साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
·      रात्रिकालीन साधना है |
·      उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
·      एकांत कमरा होना चाहिए साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये |
·      दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप करते रहें .

·         


27 मार्च 2022

प्रत्यंगिरा : एक अद्भुत शक्ति पुंज

 प्रत्यंगिरा : एक अद्भुत शक्ति पुंज 

मनुष्य का जीवन लगातार विविध संघर्षों के बीच बीतता है संघर्ष कई प्रकार के होते हैं और समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं । कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब व्यक्ति समस्याओं और बाधाओं के बीच बुरी तरह से घिर जाता है और उसे आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है ।




साधना के क्षेत्र में वह सर्वश्रेष्ठ साधना जो  ऐसी विपरीत परिस्थिति में साधक को चक्रव्यू से निकालकर विजयी बनाती है वह साधना है प्रत्यंगिरा साधना ।
प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना होती है और इस साधना की काट केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं प्रत्यंगिरा साधना कर रखी हो ।

प्रत्यंगिरा साधना करने की अनुमति साधक को अपने गुरु से लेनी चाहिए क्योंकि इस साधना में साधक को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिस में सफलता प्राप्त करने के लिए सतत गुरु का मार्गदर्शन वह भी सक्षम गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य होता है ।
प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है जिसमें से सबसे प्रमुख है 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा एक ऐसी साधना है जो हर प्रकार के तंत्र प्रयोग को वापस लौटाने में सक्षम है और विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा लौटाई गई तांत्रिक शक्तियां गलत कर्म करने वाले साधक को उचित दंड अवश्य देती है


शिव प्रत्यंगिरा
काली प्रत्यंगिरा

विष्णु प्रत्यंगिरा

गणेश प्रत्यंगिरा

नरसिंह प्रत्यंगिरा 

सहित विभिन्न दैवीय शक्तियों की प्रत्यंगिरा विद्याएं हैं  जो आप सक्षम गुरु से प्राप्त करके साधना को संपन्न कर सकते हैं  ।

यहां विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना में गिनी जाती है, इसलिए छोटे बच्चे , बालिकाएं , महिलाएं और कमजोर मानसिक स्थिति वाले पुरुष तथा साधक साधना को गुरु के सानिध्य में उनकी अनुमति से ही संपन्न  करें ।

साधना के क्षेत्र मे प्रत्यंगिरा साधना को सभी प्रकार के प्रयोगों की अचूक काट माना जाता है । 

प्रत्यंगिरा साधना संबंधित जानकारी एवं दीक्षा प्राप्ति के लिए संपर्क करें 


गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


साधना सिद्धि विज्ञान 

429, जैस्मिन 

न्यू मिनाल रेसीडेंसी 

जे के रोड 

भोपाल, मध्यप्रदेश 462023 

फोन नंबर 

0755-4269368  

 


23 मार्च 2022

धूमावती साधना

   





  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना नवरात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें




जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.


  • अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
  • उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
अब रुद्राक्ष की माला से 11 माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


अंतिम दिन मंत्र जाप से पहले काला धागा तीन बार अपनी कमर मे लपेट कर बांध दें । उस दिन मंत्र जाप पूरा होने के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल को तीन बार सिर से पांव तक उतारा कर लें इसके लिए उसे सिर से पाँव तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.

अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. 

हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को उस समय या बाद मे किसी सुनसान जगह या नदी तालाब मे डाल दें । इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडी होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें ... 

किसी विधवा स्त्री को धन या भोजन जो आपकी इच्छा हो वह दान करें .... 

22 मार्च 2022

अष्टकाली मन्त्र साधना

 



॥  ऊं अष्टकाल्यै क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं सिद्धिं मे देहि दापय नमः ॥


  1.  
कमजोर मनस्थिति वाले पुरुष/महिलाएं/बच्चे इस साधना को ना करें |
  1. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
  2. दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
  3. रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
  4. पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.
  5. रात्रिकाल में जाप करें.
  6. दशमी के दिन काली मिर्च/ तिल/दशांग/घी/ चमेली के तेल  से दशांश  हवन  करें |
हवन होने के बाद किसी बालिका को यथाशक्ति दान दें |

11 मार्च 2022

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र

 भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र




ॐ क्रीं  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं स्वाहा ।

शुचिजाया, महापिशाचिनी,  दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी,  वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं  महालक्ष्म्ये ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ  हसकहल ह्रीँ  हस्त्रैँ  ॐ ह्रीँ  क्लीँ  मे  स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ  ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।

खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ  ह्रीँ  नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच ।  मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके,
सर्वजगद वशमानय वशमानय ।

मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे ।  घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ  रोँ रोँ  रीँ  ह्रीँ  श्रीँ  हसौः सौँ  वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ कति कति स्वाहा |

काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।

हृदयाये ॐ ह्रीँ  क्रीँ  मे स्वाहा ।

ठः ठः ठः क्रीँ  ह्रं  ह्रीँ  चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके ।  श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके ।  करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ ।  निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।

रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  हूं  हूं ह्रीँ  ह्रीँ फट् स्वाहा ।

शक्तिरुपायै ।  रोँ  वा गणपायै  । रोँ  रोँ  रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै ।  प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ  ह्रीँ  रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।  शक्ति । मार्तण्ड ।  भैरवि ।  विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।

पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय  महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके ।  स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।



  • 108 पाठ से लाभ मिलेगा |
  • चमेली के तेल का दीपक जलाएंगे । 
  • रात्रिकालीन साधना है |
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए जाप करें 
  • काला वस्त्र तथा काले कंबल का आसन रहेगा । 

8 मार्च 2022

साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका



साधना सिद्धि विज्ञान  मासिक पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1999 से भोपाल से हो रहा है. 
यह पत्रिका साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. 





गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता साधनाजी के साधनात्मक अनुभव के प्रकाश मे प्रकाशित साधनात्मक ज्ञान आप को स्वयम अभिभूत कर देगा 

[ Sadhana Siddhi Vigayan monthly magazine,a knowledge bank of Tantra, Mantra, Yantra Sadhana

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साधना सिद्धि विज्ञान
अब तक प्रकाशित साधनात्मक जानकारी से परिपूर्ण अंक :-




महाविद्या गुह्यकाली विशेषांक








महाविद्या तारा विशेषांक










महाविद्या छिन्नमस्ता विशेषांक
महाविद्या बगलामुखी विशेषांक




निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल  महामृत्युंजय तंत्रम






महाविद्या भुवनेश्वरी विशेषांक







महाविद्या महाकाली विशेषांक





महाविद्या तारा विशेषांक

















  • गुरु तन्त्रम.
  • शरभ तन्त्रम.
  • बगलामुखी तन्त्रम.
  • श्री विद्या रहस्यम.
  • तारा तन्त्रम.
  • महाकाल तन्त्रम.
  • मातंगी तन्त्रम.
  • अप्सरा तन्त्रम.
  • नाग तन्त्रम.
  • योगिनी तन्त्रम.
  • लक्ष्मी तन्त्रम.
  • कामकलाकाली तन्त्रम.
  • गुह्यकाली तन्त्रम.
  • भुवनेश्वरि तन्त्रम.
  • धूमावती तन्त्रम.
  • कमला तन्त्रम.
  • रुद्र तन्त्रम.
  • शिव रहस्यम.
  • छिन्नमस्ता तन्त्रम.
  • नाथ तन्त्रम.
  • विष्णु तन्त्रम.
  • काली तन्त्रम.
  • दक्षिण काली तन्त्रम.
  • भैरव तन्त्रम.
  • त्रिपुर सुन्दरी तन्त्रम.
  • भैरवी तन्त्रम.
  • कामाख्या तन्त्रम.
  • रस तन्त्रम
  • निखिल तन्त्रम.
  • चामुन्डा तन्त्रम.
  • अघोर तन्त्रम.
  • रुद्राक्ष रहस्यम.
  • रत्न रहस्यम.
  • तान्त्रिक सामग्री रहस्यम.
  • मुद्रा विवेचन.

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