16 अप्रैल 2024

मंगलप्रद श्रीरामसुप्रभातस्तोत्र

 मंगलप्रद श्रीरामसुप्रभातस्तोत्र 



विघ्नेश्वरः सकलविघ्नविनाशदक्षो दक्षात्मजा भगवती हि सरस्वती च। दृप्ताष्टभैरवगणा नव दिव्यदुर्गा देव्यः सुरास्तु नृपते तव सुप्रभातम् ।। 

भानुः शशी कुजबुधौ गुरुशुक्रमन्दा राहुः सकेतुरदितिर्दितिरादितेयाः । शक्रादयः कमलभूः पुरुषोत्तमेन्द्रो रुद्रः करोतु सततं तव सुप्रभातम् ।। 

पृथ्वी जलं ज्वलनमारुतपुष्कराणि सप्ताद्रयोऽपि भुवनानि चतुर्दशैव। शैला वनानि सरितः परितः पवित्रा गंगादयो विदधतां तव सुप्रभातम् ॥

 दिक्चक्रमेतदखिलं दिगिभा दिगीशा नागाः सुपर्णभुजगा नगवीरुधश्च । पुण्यानि देवसदनानि बिलानि दिव्यान्यव्याहतं विदधतां तव सुप्रभातम् ॥ 

वेदाः षडंगसहिताः स्मृतयः पुराणं काव्यं सदागमपथो मुनयोऽपि दिव्याः। व्यासादयः परमकारुणिका ऋषीणां गोत्राणि वै विदधतां तव सुप्रभातम् ।। 


 'हे नृपते! समस्त विघ्नोंका निवारण करनेमें अत्यन्त कुशल विघ्नेश्वर भगवान् गणेश, दक्ष प्रजापतिकी पुत्री सती भगवती पार्वती, देवी सरस्वती, अभिमानी अष्टभैरव, नौ दिव्य दुर्गा, देवियाँ और समस्त देवता- ये सभी आपके प्रभातको मंगलमय बनायें। सूर्यनारायण, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनैश्वर, राहु तथा केतु-ये नौ ग्रह, देवमाता अदिति, दैत्यमाता दिति, अदितिके पुत्र इन्द्रादि सभी देवता, कमलयोनि ब्रह्मा, पुरुषोत्तम विष्णु तथा भगवान् शिव-ये सभी आपके प्रभातको मंगलमय बनायें। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, सातों पर्वत, चौदह भुवन, सभी शैल, वन और गंग आदि पवित्र नदियाँ- ये सभी ओरसे आपके प्रभातको मंगलमय बनायें। समस्त दिशाएँ, समस्त दिशाओंके हाथी, समस्त दिक्पाल, नाग, सुपर्ण, सर्प, पर्वत, वनस्पतियाँ, पवित्र देवायतन तथा दिव्य गिरि-कन्दराएँ- ये सभी निर्विघ्नरूपसे आपके प्रभातको सर्वदा मंगलमय बनायें। शिक्षा, कल्प निरुक्त, व्याकरण, छन्द तथा ज्योतिष - इन षट् वेदांगोंके साथ ऋगादि सभी वेद, मन्वादि स्मृतिय भागवत आदि पुराण, सभी काव्य, उत्तम आगम मार्ग, दिव्य मुनिगण, परम दयालु व्यास, वाल्मीकि आदि महर्षि तथा सभी ऋषियोंके गोत्र-ये सभी आपके प्रभातकालको मंगलमय बनायें।' 

साभार- आनंद रामायण -गीता प्रेस । 

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