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3 अप्रैल 2020

कोरोना वाइरस से बचाव और पाशुपत मंत्र





पाशुपत मंत्र


पशुपति अर्थात पशुओं के पति....


जो पशुओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं... 


जो अनियंत्रित पशुओं को भी नियंत्रित करने की
क्षमता रखते हैं .... 


आपने चरवाहों को देखा होगा...  
गायों के और भैंसों के झुंड भी आपने देखे होंगे…


इसमें से बहुत सारे नियंत्रित होते हैं
और कुछ एक ऐसे होते हैं
जो अनियंत्रित होते हैं …


अपनी अलग ही चाल में चलते हैं.....


उनको नियंत्रित करने की क्षमता
रखने वाला व्यक्ति ही
एक अच्छा चरवाहा
अर्थात पशुपति बन सकता है..... 


यह संपूर्ण सृष्टि भी पशुओं से भरी हुई है.....
जिसमें सबसे विकसित पशु मनुष्य है......
अमीबा से लेकर वायरस तक
सब कुछ एक किस्म का पशु ही है... 
इन सब के अधिपति
इन सब को नियंत्रित करने
की क्षमता रखने वाले है ..... 
पशुपति.... 
अर्थात भगवान शिव.....


उनका सबसे तेजस्वी मंत्र है पाशुपत मंत्र 


यह एक ऐसा मंत्र है
जो सभी प्रकार के अनियंत्रित स्थितियों
को नियंत्रित करने में मदद करता है....


कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति
भी लगभग अनियंत्रित अवस्था में पहुंच चुकी है .... 


अगर आप ध्यान से देखें तो कोरोना भी
एक किस्म का अत्यंत सूक्ष्म पशु ही है
जो अनियंत्रित हो गया है ।
अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए
वह हर तरफ त्राहि-त्राहि की स्थिति
उत्पन्न कर रहा है .... 
जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है
तो उसका इलाज
केवल देवाधिदेव
महादेव शिव का
पाशुपत मंत्र ही कर सकता है....... 


इस विपरीत परिस्थिति में अनुकूलता लाने के लिए…
अपने परिवार की रक्षा के लिए.....
अपने समाज की रक्षा के लिए..... 
अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए..... 
मानवता की रक्षा के लिए.... 
आप पाशुपत मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं..... 


मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव  सुदर्शन नाथ जी
के द्वारा प्रदान किए गए
पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं। 
यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप
आदि शंकराचार्य के द्वारा
भगवान पशुपति की आराधना
के लिए प्रयुक्त हुआ था ....
इसलिए
यह बेहद प्रभावशाली
और शक्तिशाली मंत्र है ।
यह शिव के अवतार द्वारा
अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने
और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥ 
यह एक ऐसा अचूक मंत्र है
जो सभी प्रकार के संकटों से
रक्षा करने में सहायक है.... 


इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं ।
आपकी पत्नी कर सकती है,
आपके बच्चे कर सकते हैं ।
आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं
जो भगवान शिव पर और
सनातन धर्म में आस्था रखते हो
और अ
पने परिवार तथा राष्ट्र की
रक्षा के प्रति जागरूक हो.... 



पाशुपत मंत्र :- 
॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥ 

इसका उच्चारण होगा :- 
( ॐ श्लीम पशुम हुम फट) 
(om shleem pashum hoom fat)


विधि :-
  • मंत्र जाप से पहले
  • 3 या 11, 21,51 या 108 बार
  • गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले । 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥ 
यदि आपने गुरू  बनाया हो
और उन्होंने आपको कोई मंत्र दिया हो
तो आप उस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं । 

इसके बाद आप पशुपत मंत्र का
जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।
पशुपति मंत्र के जाप के लिए

किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।
भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण

इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का
बंधन भी नहीं है ।
अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं । 
इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं ।
नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं ।
इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं
तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं ।
इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में,
अपने ऑफिस में ,
अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं, 

शर्त यही है कि आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो.....

बाकी वह देख लेंगे। 

10 अगस्त 2019

ऊं नमः शिवाय



॥ ऊं नमः शिवाय ॥


इस मंत्र का जाप आप चलते फ़िरते कर सकते हैं.तीन लाख जाप से शिव कृपा मिलती है....
----------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

4 अगस्त 2019

अघोरेश्वर महादेव की साधना



अघोरमंत्र
ॐ नमः शिवाय महादेवाय नीलकंठाय आदि रुद्राय अघोरमंत्राय अघोर रुद्राय अघोर भद्राय सर्वभयहराय मम सर्वकार्यफल प्रदाय हन हनाय ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ टं टं टं टं टं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं हर हराय सर्व अघोररुपाय त्र्यम्बकाय विरुपाक्षाय ॐ हौं हः हीं हः ग्रं ग्रं ग्रं हां हीं हूं हैं हौं हः क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ॐ नमः शिवाय अघोरप्रलयप्रचंड रुद्राय अपरिमितवीरविक्रमाय अघोररुद्रमंत्राय सर्वग्रह उचचाटनाय सर्वजनवशीकरणाय सर्वतोमुख मां रक्ष रक्ष शीघ्रं हूं फट् स्वाहा ।
ॐ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ॐ हां हीं हूं हैं हौं हः स्वर्गमृत्यु पाताल त्रिभुवन संच्चरित देव ग्रहाणां दानव ग्रहाणां ब्रह्मराक्षस ग्रहाणां सर्ववातग्रहाणां सर्व वेताल ग्रहाणां शाकिनी ग्रहाणां डाकिनी ग्रहाणां सर्व भूत ग्रहाणां कमिनी ग्रहाणां सर्व पिंड ग्रहाणां सर्व दोष ग्रहाणां सर्वपस्मारग्रहाणां हन हन हन भक्षय भक्षय भक्षय विरूपाक्षाय दह दह दह हूं फट् स्वाहा ॥

  • अघोरेश्वर महादेव की साधना है | कोई नियम विधि बंधन नहीं | उन्मुक्त होने का प्रारंभ .....
  • क्रोध और काम दोनों से बचें .
  • यदि शरीर में ज्यादा गर्मी का आभास हो तो रात्रिकाल में एक कप दूध में आधा चम्मच घी डालकर पियें .

31 जुलाई 2019

शिव वत आनंदमय होने के लिए

 भगवन शिव के समान आनंदमय और निर्विकार रहने के लिए निम्नलिखित मंत्र का उल्लास के साथ २४ घंटे जाप करते रहें धीरे धीरे आप आनंदमय कोष में प्रवेश करने लगेंगे .







||| आनंद कन्दाय नमः |||

30 जुलाई 2019

महादेव शिव गायत्री मन्त्र

वे साधक जो गायत्री साधना नियमित करते हों वे शिव गायत्री मन्त्र का प्रयोग कर सकते हैं :-





महादेव शिव गायत्री मन्त्र 

॥ऊं महादेवाय विद्महे रुद्र मूर्तये धीमहि तन्नो शिवः प्रचोदयात ॥


  1. रुद्राक्ष माला से यथा शक्ति जाप करें.
  2. माला न हो तो ऐसे भी कर सकते हैं .
  3. भगवान् शिव जगद्गुरु हैं उन्हें गुरु मानकर मन्त्र जाप करें.
  4. शिव कृपा मिलेगी .

29 जुलाई 2019

भगवान सदाशिव तथा जगदम्बा की कृपा


भगवान सदाशिव तथा जगदम्बा की कृपा प्राप्ति के लिये मन्त्र :-  

॥ ओम साम्ब सदाशिवाय नम: ॥ 

  1. सवा लाख मन्त्र का एक पुरस्चरण होगा.
  2. शिवलिंग सामने रखकर साधना करें.
  3. समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ती के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
  4. किसी अनुचित अनैतिक इच्छा से न करें गंभीर  नुक्सान हो सकता है. 
  5.  

28 जुलाई 2019

महाकाली ककारादि सह्स्रनाम



महाकाली का प्रिय स्तोत्र है "ककारादि सह्स्रनाम"


प्राप्ति के लिये संपर्क करें:
परा वाणी आध्यात्मिक शोध संस्थान
श्री चंडी धाम, अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग [उ.प्र.]




फ़ोन - 9450222676

27 जुलाई 2019

भगवान शिव को बिल्व पत्र चढाने का मन्त्र:-


भगवान शिव को बिल्व पत्र चढाने का मन्त्र:-
काशीवासनिवासिनम कालभैरवपूजिताम ।
कोटि कन्या महादानम एक बिल्वपत्रम शिवार्पणम ॥

26 जुलाई 2019

पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना

पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना

|| ॐ ह्रीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं पारदाय क्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ||

  • कम से कम १०८ बार पारद शिवलिंग पर आचमनी से जल चढ़ाएं.
  • हर बार चढाते समय मंत्र का उच्चारण करें .
  • पूरा होने पर उस जल को अपने मुह आँख तथा शरीर पर छिडकें.
  • शेष जल को पी जाएँ.
  • ऐसा कम से कम १२० दिन तक करें.
  • जटिलतम रोगों में भी लाभप्रद है. 
  • पारद शिवलिंग यदि श्रेष्ट तांत्रिक गुरु द्वारा निर्मित हो तो अत्यंत श्रेष्ट होता है. उसमे भी यदि स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त हो तो सर्वश्रेष्ट होता है.
  • जो गुरु युगल रूप में अपनी शक्ति के साथ युक्त होते हैं उनके द्वारा प्रदत्त पारद शिवलिंग ज्यादा प्रभावशाली होता है.


  •  
  •   
  •  मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी से दीक्षा प्राप्त करने के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें

    समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
    साधना सिद्धि विज्ञान
    जैस्मिन - 429
    न्यू मिनाल रेजीडेंसी
    जे.के.रोड
    भोपाल [म.प्र.] 462011
    phone -[0755]-4269368
    ===============================
    साधनात्मक जानकारियों के लिए साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका
    यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.
    साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .
    इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .
    देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
    ------------------------------------------------------------------------------------
    वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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    साधना सिद्धि विज्ञान
    शोप न. 5 प्लाट न. 210
    एम.पी.नगर
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9 मार्च 2019

महाकाली महारोग नाशक मन्त्रम



॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥

  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के सामान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

18 फ़रवरी 2019

त्रयक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम



त्रयक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-

॥ ॐ जूं सः ॥


  • रुद्राक्ष माला धारण करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • बेल पत्र चढायें.
  • भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.

17 फ़रवरी 2019

पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम



पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-

यदि खुद कर रहे हैं तो:-

॥ ॐ जूं सः  मां  पालय पालय सः जूं ॐ॥

यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिलम) पालय पालय सः जूं ॐ ॥

  • यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
  • यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
  • रुद्राक्ष माला धारण करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • बेल पत्र चढायें.
  • भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.

23 जनवरी 2019

रोग नाशक महाकाली साधना


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

20 दिसंबर 2018

देवाधिदेव महादेव : पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना

पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना

|| ॐ ह्रीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं पारदाय क्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ||

  • कम से कम १०८ बार पारद शिवलिंग पर आचमनी से जल चढ़ाएं.
  • हर बार चढाते समय मंत्र का उच्चारण करें .
  • पूरा होने पर उस जल को अपने मुह आँख तथा शरीर पर छिडकें.
  • शेष जल को पी जाएँ.
  • ऐसा कम से कम १२० दिन तक करें.
  • जटिलतम रोगों में भी लाभप्रद है. 
  • पारद शिवलिंग यदि श्रेष्ट तांत्रिक गुरु द्वारा निर्मित हो तो अत्यंत श्रेष्ट होता है. उसमे भी यदि स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त हो तो सर्वश्रेष्ट होता है.
  • जो गुरु युगल रूप में अपनी शक्ति के साथ युक्त होते हैं उनके द्वारा प्रदत्त पारद शिवलिंग ज्यादा प्रभावशाली होता है.


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  •  मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी से दीक्षा प्राप्त करने के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें

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    इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .
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16 दिसंबर 2018

रोग नाशक महाकाली साधना


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.

13 दिसंबर 2018

शिव ताण्डव स्तोत्र



शिव ताण्डव स्तोत्र

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरीविलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥




25 नवंबर 2018

रोग नाशक महाकाली साधना


॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.