सुदर्शन नाथ SUDARSHAN NATH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सुदर्शन नाथ SUDARSHAN NATH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

24 अप्रैल 2023

ऑनलाइन दीक्षा और गुरुजी के दर्शन

 

ऑनलाइन दीक्षा और गुरुजी के दर्शन


जैसा कि मैंने आपको सूचित किया था गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी और गुरुमाता डा साधना सिंह जी ने गुरुजन्म दिवस 21 अप्रैल के अवसर पर विशेष दीक्षा प्रदान की थी जो ऑनलाइन थी ।
इस दीक्षा को प्राप्त करने वाले कुछ पाठको ने अनुभव साझा किए हैं । उनमें से एक अनुभव  पढ़ें :-

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक

 गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी : एक प्रचंड तंत्र साधक



साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.

भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो उनसे संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं :-

साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116

वेबसाइट:-

www.namobaglamaa.org


यूट्यूब चेनल :-

https://www.youtube.com/@MahavidhyaSadhakPariwar




17 अप्रैल 2023

काम कला काली दीक्षा : एक अद्भुत आध्यात्मिक/तांत्रिक दीक्षा

 

सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी अपने ग्रंथ

"मंत्र रहस्य"

मे लिखते हैं कि 


"तांत्रिक ग्रंथों में नवविध कालियों का नाम स्पष्ट किया गया है जो कि निम्न प्रकार है :-

  1. दक्षिण काली ।

  2. भद्रकाली । 

  3. शमशान काली । 

  4. कालकाली । 

  5. गुह्यकाली । 

  6. कामकला काली । 

  7. धनकाली । 

  8. सिद्धि काली तथा 

  9. चंड काली ॥ 


इन में काम कला काली का महत्व सर्वाधिक प्रमुख है और उसकी उपासना और साधना अत्यंत ही महत्वपूर्ण और गोपनीय मानी गई है । कामकला काली के 11 उपासक हैं, जो कि तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार निम्नानुसार है :-

  1. इंद्र 

  2. वरुण 

  3. कुबेर 

  4. ब्रह्मा 

  5. महाकाल 

  6. बाण 

  7. रावण 

  8. यम 

  9. चंद्र 

  10. विष्णु तथा 

  11. महर्षि गण ॥  

उनके उपासकों की उच्चता से ही आप इस महाविद्या, महाशक्ति या मूल शक्ति का महत्व समझ सकते हैं । 

ऐसी दिव्य शक्ति की दीक्षा प्रदान करना हर किसी के बस की बात नहीं होती इसके लिए प्रचंड साधना और आध्यात्मिक शक्ति का होना आवश्यक है । 



सदगुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ और गुरु माता डॉ साधना सिंह इस गुरु जन्म दिवस के अवसर पर 21 अप्रैल 2023 को यह अद्भुत और अनिर्वचनीय दीक्षा प्रदान कर रहे हैं । इसे प्राप्त करके आप साधना के क्षेत्र में उच्चता को प्राप्त कर सकते हैं । इसे आप एक प्रकार से साधना के क्षेत्र का जंपिंग स्टोन कह सकते हैं ..... जहां से आध्यात्मिक उच्चता की यात्रा प्रारंभ होती है । सदगुरुदेव और गुरु माता गृहस्थ जीवन में है इसलिए वे गृहस्थ शिष्य शिष्याओं और साधकों को ही यह अद्भुत दीक्षा प्रदान कर रहे हैं,

जिसे आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं ।


इसके लिए संपर्क करें:-

श्री मनोहर सरजाल 

78690 74864

90091 60861



अगर आप तंत्र साधना मे आगे बढ़ना चाहते हैं !
जीवन मे भोग और योग दोनों प्राप्त करना चाहते हैं तो यह दीक्षा आपके लिए एक लांच पैड का काम करेगी जहां से आप अपनी सफलता की यात्रा पर निकल सकते हैं । 







राज्यं दद्याद्ध्नं दद्यात स्त्रियं दद्याच्छिरस्तथा ।

न तु कामकलाकालीं दद्यात्कस्मापि क्वचित ॥




साधनाओं के क्षेत्र में कामकला काली की साधना को सर्वोपरि माना जाता है, इसके लिये कहा गया है कि प्राण का दान देकर भी यह विद्या मिल जाये तो इसे सप्रयास ग्रहण करना चाहिये ।

21 अप्रैल स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर गुरुमाता डॉ. साधना जी एवं गुरुदेव श्री सुदर्शननाथ जी द्वारा अतिविशेष कामकलाकाली साधना एवं दीक्षा संपन्न की जाएगी  ओनलाईन शिविर मे सम्मिलित होने के लिये सम्पर्क करें।👇 

श्री मनोहर सरजाल 

78690 74864, 90091 60861


🟠 साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय भोपाल 
0755-4269368

सद्गुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] ने अपनी विश्वविख्यात पुस्तक "मंत्र रहस्य" के पेज 280 मे इसका वर्णन इस प्रकार से किया है :-

इस गूढ विद्या के ऊपर साधन सिद्धि विज्ञान के छह विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं जिन्हे आप चाहें तो इस वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं :-



9 दिसंबर 2022

पंचम दिवस श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन की कुछ झलकियां

चतुर्थ दिवस निखिलधाम में श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन

तृतीय दिवस निखिलधाम में श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन

24 अगस्त 2022

साधना सिद्धि विज्ञान : अष्ट भैरव विशेषांक

 भगवान शिव की क्रियात्मक शक्ति का नाम है भगवान भैरव ।

भैरव के आठ स्वरूप माने गए हैं और इनकी पूजन पद्धति गोपनीय ग्रंथों में ही पाई जाती है ।
उनका संकलन करके साधना सिद्धि विज्ञान ने अष्ट भैरव विशेषांक निकाला है ।


जिसे आप ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं ।
इसके लिए आप नीचे लिखी वेबसाइट पर संपर्क करें ।

namobaglamaa.org

4 मार्च 2022

साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?

 


क्या आप :-
साधनात्मक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं ?
देवी देवताओं की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ?
विविध बाधाओं का समाधान चाहते हैं ?
देवी देवताओं के प्रामाणिक पूजन पद्धति का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं ? 
???????
तो आप 
पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २5०=०० रुपये] लें.   


इस पत्रिका की वेबसाइट है
www.namobaglamaa.org
www.facebook.com/namobaglamaa
www.twitter.com/namobaglamaa

साधनात्मक मार्गदर्शन एवं दीक्षा प्राप्ति के लिये सम्पर्क
[Tantra,Mantra Sadhana,Deeksha]

साधना सिद्धि विज्ञान 
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी 
जे. के. रोड , भोपाल  [म.प्र.]

दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681,4221116

जानकारीजिज्ञासासूचना हेतु कार्यालय में सम्पर्क का समय :
१० बजे से  बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681


आप दीक्षा के लिए पूरे भारत में लगने वाले साधना शिविर में भी संपर्क कर सकते हैं . 

आगामी शिविरों की जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:-
आगामी साधना शिविर 

22 जनवरी 2022

प्रत्यंगिरा : एक अद्भुत शक्ति पुंज

प्रत्यंगिरा : एक अद्भुत शक्ति पुंज 

मनुष्य का जीवन लगातार विविध संघर्षों के बीच बीतता है संघर्ष कई प्रकार के होते हैं और समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं । कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब व्यक्ति समस्याओं और बाधाओं के बीच बुरी तरह से घिर जाता है और उसे आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है ।




साधना के क्षेत्र में वह सर्वश्रेष्ठ साधना जो  ऐसी विपरीत परिस्थिति में साधक को चक्रव्यू से निकालकर विजयी बनाती है वह साधना है प्रत्यंगिरा साधना ।
प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना होती है और इस साधना की काट केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं प्रत्यंगिरा साधना कर रखी हो ।

प्रत्यंगिरा साधना करने की अनुमति साधक को अपने गुरु से लेनी चाहिए क्योंकि इस साधना में साधक को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिस में सफलता प्राप्त करने के लिए सतत गुरु का मार्गदर्शन वह भी सक्षम गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य होता है ।
प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है जिसमें से सबसे प्रमुख है 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा 

महा विपरीत प्रत्यंगिरा एक ऐसी साधना है जो हर प्रकार के तंत्र प्रयोग को वापस लौटाने में सक्षम है और विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा लौटाई गई तांत्रिक शक्तियां गलत कर्म करने वाले साधक को उचित दंड अवश्य देती है


शिव प्रत्यंगिरा
काली प्रत्यंगिरा

विष्णु प्रत्यंगिरा

गणेश प्रत्यंगिरा

नरसिंह प्रत्यंगिरा 

सहित विभिन्न दैवीय शक्तियों की प्रत्यंगिरा विद्याएं हैं  जो आप सक्षम गुरु से प्राप्त करके साधना को संपन्न कर सकते हैं  ।

यहां विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना में गिनी जाती है, इसलिए छोटे बच्चे , बालिकाएं , महिलाएं और कमजोर मानसिक स्थिति वाले पुरुष तथा साधक साधना को गुरु के सानिध्य में उनकी अनुमति से ही संपन्न  करें ।

साधना के क्षेत्र मे प्रत्यंगिरा साधना को सभी प्रकार के प्रयोगों की अचूक काट माना जाता है । 

प्रत्यंगिरा साधना संबंधित जानकारी एवं दीक्षा प्राप्ति के लिए संपर्क करें 


गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी 


साधना सिद्धि विज्ञान 

429, जैस्मिन 

न्यू मिनाल रेसीडेंसी 

जे के रोड 

भोपाल, मध्यप्रदेश 462023 

फोन नंबर 

0755-4269368  

 


3 नवंबर 2021

सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र

सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र

दीपावली भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण मुहूर्त है. प्रत्येक गृहस्थ को इस अवसर पर देवी महालक्ष्मी का पूजन विधि विधान से संपन्न करना ही चाहिए क्योंकि गृहस्थ जीवन का आधार ही महालक्ष्मी हैं. महालक्ष्मी पूजन विविध प्रकार से किए जा सकते हैं लेकिन देवराज इंद्रकृत सहस्राक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र अपने आप में अत्यंत ही प्रभावशाली तथा शीघ्र फलप्रदायक है. इस अवसर पर आप चाहें तो महालक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं जिससे आपको अनुकूलता प्राप्त होगी


यह स्तोत्र लक्ष्मी जी के यंत्र चित्र या मूर्ति के सामने करना चाहिए.

पहले लघु पूजन करें. तदुपरांत स्तोत्र का पाठ करें.

महालक्ष्मी पूजनः-


श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः गंधम समर्पयामि । (इत्र कुंकुम चढायें)

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः पुष्पम समर्पयामि । (फूल चढायें )

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः धूपम समर्पयामि । (अगरबत्ती दिखायें)

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः दीपम समर्पयामि । (दीपक दिखायें )

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यम समर्पयामि । (प्रसाद चढायें )


क्षमतानुसार 11, 21,51 या 108 बार सहस्राक्षरी स्तोत्र मंत्र का पाठ करेंः-


(हाथ में जल लेकर)विनियोगः-

ऊँ अस्य श्री सर्व महाविद्या महारात्रि गोपनीय मंत्र रहस्याति रहस्यमयी पराशक्ति श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्राक्षरी सहस्र रूपिणि महाविद्याया श्री इंद्र ऋषिं गायत्रयादि नाना छंदांसि नवकोटि शक्तिरूपा श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थ जपे पाठे विनियोगः । (जल जमीन पर छोड़ दें )

अपने हाथ मे एक पुष्प रखें । एक पाठ पूरा हो जाने पर उसे देवी के चरणों मे चढ़ा दें और उनकी कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करें ।.


स्तोत्र मंत्र :-


ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं हसौं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौः सौः ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी, जगदाद्ये,विजये सुरासुर त्रिभुवन निदाने दयांकुरे सर्व तेजो रूपिणी विरंचि संस्थिते, विधि वरदे सच्चिदानंदे विष्णु देहावृते महामोहिनी नित्य वरदान तत्परे महासुधाब्धि वासिनी महातेजो धारिणी सर्वाधारे सर्वकारण कारिणे अचिंत्य रूपे इंद्रादि सकल निर्जर सेविते सामगान गायन परिपूर्णोदय कारिणी विजये जयंति अपराजिते सर्व सुंदरि रक्तांशुके सूर्य कोटि संकाशे चंद्र कोटि सुशीतले अग्निकोटि दहनशीले यम कोटि वहनशीले ऊँकार नाद बिंदु रूपिणी निगमागम भाग्यदायिनी त्रिदश राज्य दायिनी सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी दिव्य देहिनि निर्गुणे सगुणे सदसद रूप धारिणी सुर वरदे भक्त त्राण तत्परे बहु वरदे सहस्राक्षरे अयुताक्षरे सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी अनेक लक्षलक्ष स्वरूपे अनंत कोटि ब्रहमाण्ड नायिके चतुर्विंशति मुनिजन संस्थिते चतुर्दश भुवन भाव विकारिणे गगन वाहिनी नाना मंत्र राज विराजिते सकल सुंदरी गण सेविते चरणारविंद्र महात्रिपुर सुंदरी कामेश दायिते करूणा रस कल्लोलिनी कल्पवृक्षादि स्थिते चिंतामणि द्वय मध्यावस्थिते मणिमंदिरे निवासिनी विष्णु वक्षस्थल कारिणे अजिते अमले अनुपम चरिते मुक्तिक्षेत्राधिष्ठायिनी प्रसीद प्रसीद सर्व मनोरथान पूरय पूरय सर्वारिष्टान छेदय छेदय सर्वग्रह पीडा ज्वराग्र भय विध्वंसय विध्वंसय सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय ज्ञानमार्ग प्रकाशय प्रकाशय अज्ञान तमो नाशय नाशय धनधान्यादि वृद्धिं कुरूकुरू सर्व कल्याणानि कल्पय कल्पय माम रक्ष रक्ष सर्वापदभ्यो निस्तारय निस्तारय वज्र शरीरं साधय साधय ह्रीं सहस्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महाविद्यायै नमः ।

21 अप्रैल 2021

साधना : प्रत्यक्ष मार्गदर्शन

 

साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]


तथा उनके बाद  
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 
 और 

 गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें







पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र 250 रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   


साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न५ प्लाट न२१०
एम.पी.नगर
भोपाल [.प्र.] ४६२०११

20 अप्रैल 2021

निखिलधाम

 






परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













9 मार्च 2021

अघोरमंत्र

 



अघोरमंत्र
ॐ नमः शिवाय महादेवाय नीलकंठाय आदि रुद्राय अघोरमंत्राय अघोर रुद्राय अघोर भद्राय सर्वभयहराय मम सर्वकार्यफल प्रदाय हन हनाय ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ टं टं टं टं टं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं हर हराय सर्व अघोररुपाय त्र्यम्बकाय विरुपाक्षाय ॐ हौं हः हीं हः ग्रं ग्रं ग्रं हां हीं हूं हैं हौं हः क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ॐ नमः शिवाय अघोरप्रलयप्रचंड रुद्राय अपरिमितवीरविक्रमाय अघोररुद्रमंत्राय सर्वग्रह उचचाटनाय सर्वजनवशीकरणाय सर्वतोमुख मां रक्ष रक्ष शीघ्रं हूं फट् स्वाहा ।
ॐ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ॐ हां हीं हूं हैं हौं हः स्वर्गमृत्यु पाताल त्रिभुवन संच्चरित देव ग्रहाणां दानव ग्रहाणां ब्रह्मराक्षस ग्रहाणां सर्ववातग्रहाणां सर्व वेताल ग्रहाणां शाकिनी ग्रहाणां डाकिनी ग्रहाणां सर्व भूत ग्रहाणां कमिनी ग्रहाणां सर्व पिंड ग्रहाणां सर्व दोष ग्रहाणां सर्वपस्मारग्रहाणां हन हन हन भक्षय भक्षय भक्षय विरूपाक्षाय दह दह दह हूं फट् स्वाहा ॥

  • अघोरेश्वर महादेव की साधना है | कोई नियम विधि बंधन नहीं | उन्मुक्त होने का प्रारंभ .....
  • क्रोध और काम दोनों से बचें .
  • यदि शरीर में ज्यादा गर्मी का आभास हो तो रात्रिकाल में एक कप दूध में आधा चम्मच घी डालकर पियें .