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1 मार्च 2022

शिवषडक्षरस्तोत्र

शिवषडक्षरस्तोत्र


भगवान् शिव के पंचाक्षरी मन्त्र के प्रथम अक्षरों से बना हुआ यह स्तोत्र है . इसे आप अपने शिव पूजन में शामिल कर सकते हैं . 


ऊँकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।

कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:।।

मंति ऋषयो देवा नमंत्यप्सरसां गणा:।

नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।

हादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्।

महापापहरं देवं मकाराय नमो नम:।।

शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकनुग्रहकारकम्।

शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।

वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।

वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नम:।।

त्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।

यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।

3 जनवरी 2022

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्

   


यह एक अत्यंत मधुर तथा गीत के रूप मे रचित देवी स्तुति है । इसके पाठ से आपको अत्यंत आनंद और सुखद अनुभूति होगी । 


महिषासुरमर्दिनि   स्तोत्रम् 

 

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते,

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकंठ कुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

 

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते,

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

 

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते,

शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥

 

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड  गजाधिपते

रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥

 

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते

चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥

 

 अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥

 

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते

समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।

शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥

 

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥

 

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते

झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

 

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनी रजनी रजनी रजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

 

सहित महाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते

विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक झिल्लिक भिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

 

अविरल गण्ड गलन्मद मेदुर मत्त मतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालस मानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

 

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुल सङ्कुल कुवलय मण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

 

करमुरलीरव वीजित कूजित लज्जित कोकिल मञ्जुमते

मिलित पुलिन्द मनोहर गुञ्जित रञ्जित शैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

 

कटितट पीत दुकूल विचित्र मयुख तिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणत सुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुल सन्नख चन्द्ररुचे

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

 

विजित सहस्र करैक सहस्र करैक सहस्र करैकनुते

कृत सुर तारक सङ्गर तारक सङ्गर तारक सूनुसुते ।

सुरथ समाधि समान समाधि समाधि समाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥

 

पद कमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे

अयि कमले कमला निलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥

 

कनक लसत्कल सिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शची कुच कुम्भतटी परिरम्भ सुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामर वाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥

 

तव विमलेन्दु कुलं वदनेन्दु मलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

 

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे

अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

 

 


3 नवंबर 2021

पद्मावती स्तोत्र

 पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है 

जैन संप्रदाय 
और उनकी अधिष्टात्री देवी है 
पद्मावती 



दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धन्य सुतान्वदै  च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||

ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||

धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं  , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

सन्यस्त रूप मपरम पूर्ण गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमालत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||





|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||


विधि :-
  1. सबसे पहले  तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः "  मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  2. इस स्तोत्र को अमावस्या से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें |
  3. नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  4. सात्विक आहार /विचार /व्यवहार  रखें |
  5. क्रोध ना करें |
  6. किसी स्त्री का अपमान ना करें |
  7. जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
  8. लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
  9. घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
  10. फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  11. घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
  12.  इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |

6 अक्तूबर 2021

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम

 

बगलामुखी बीज मंत्र है [ह्लीं ] उच्चारण होगा [hleem]

 

देवी के सामने पीले पुष्प, पीले चावल, हल्दी नमः के उच्चारण के साथ समर्पित कर सकते हैं ।

 

1.   ह्लीं कठिनायै नमः ।

2.   ह्लीं कपर्दिन्यै नमः ।

3.   ह्लीं कलकारिण्यै नमः ।

4.   ह्लीं कलहायै नमः ।

5.   ह्लीं कलायै नमः ।

6.   ह्लीं कलिदुर्गतिनाशिन्यै नमः ।

7.   ह्लीं कलिहरायै नमः ।

8.   ह्लीं कल्किरूपायै नमः ।

9.   ह्लीं काल्यै नमः ।

10.                    ह्लीं किशोर्यै नमः ।

11.                    ह्लीं कृत्यायै नमः ।

12.                    ह्लीं कृष्णायै नमः ।

13.                    ह्लीं केवलायै नमः ।

14.                    ह्लीं केशवस्तुतायै नमः ।

15.                    ह्लीं केशवाराध्यायै नमः ।

16.                    ह्लीं केशव्यै नमः ।

17.                    ह्लीं कैवल्यदायिन्यै नमः ।

18.                    ह्लीं कोटिकन्दर्पमोहिन्यै नमः ।

19.                    ह्लीं कोटिसूर्यप्रतीकाशायै नमः ।

20.                    ह्लीं घनायै नमः ।

21.                    ह्लीं जामदग्न्यस्वरूपायै नमः ।

22.                    ह्लीं देवदानवसिद्धौघपूजितापरमेश्वर्यै नमः ।

23.                    ह्लीं नक्षत्रपतिवन्दितायै नमः ।

24.                    ह्लीं नक्षत्ररूपायै नमः ।

25.                    ह्लीं नक्षत्रायै नमः ।

26.                    ह्लीं नक्षत्रेशप्रपूजितायै नमः ।

27.                    ह्लीं नक्षत्रेशप्रियायै नमः ।

28.                    ह्लीं नगराजप्रपूजितायै नमः ।

29.                    ह्लीं नगात्मजायै नमः ।

30.                    ह्लीं नगाधिराजतनयायै नमः ।

31.                    ह्लीं नरसिंहप्रियायै नमः । १०

32.                    ह्लीं नवीनायै नमः ।

33.                    ह्लीं नागकन्यायै नमः ।

34.                    ह्लीं नागजनन्यै नमः । ५०

35.                    ह्लीं नागराजप्रवन्दितायै नमः ।

36.                    ह्लीं नागर्यै नमः ।

37.                    ह्लीं नागिन्यै नमः ।

38.                    ह्लीं नागेश्वर्यै नमः ।

39.                    ह्लीं नित्यायै नमः ।

40.                    ह्लीं नीरदायै नमः ।

41.                    ह्लीं नीलायै नमः ।

42.                    ह्लीं परतन्त्रविनाशिन्यै नमः ।

43.                    ह्लीं पराणुरूपापरमायै नमः ।

44.                    ह्लीं पीतपुष्पप्रियायै नमः ।

45.                    ह्लीं पीतवसनापीतभूषणभूषितायै नमः ।

46.                    ह्लीं पीतस्वरूपिण्यै नमः ।

47.                    ह्लीं पीतहारायै नमः ।

48.                    ह्लीं पीतायै नमः ।

49.                    ह्लीं बगलायै नमः ।

50.                    ह्लीं बलदायै नमः ।

51.                    ह्लीं बहुदावाण्यै नमः ।

52.                    ह्लीं बहुलायै नमः ।

53.                    ह्लीं बुद्धभार्यायै नमः ।

54.                    ह्लीं बुद्धिरूपायै नमः ।

55.                    ह्लीं बौद्धपाखण्डखण्डिन्यै नमः ।

56.                    ह्लीं ब्रह्मरूपावराननायै नमः ।

57.                    ह्लीं भामिन्यै नमः ।

58.                    ह्लीं महाकूर्मायै नमः ।

59.                    ह्लीं महामत्स्यायै नमः ।

60.                    ह्लीं महारावणहारिण्यै नमः ।

61.                    ह्लीं महावाराहरूपिण्यै नमः ।

62.                    ह्लीं महाविष्णुप्रस्वै नमः ।

63.                    ह्लीं मायायै नमः ।

64.                    ह्लीं मोहिन्यै नमः ।

65.                    ह्लीं यक्षिण्यै नमः ।

66.                    ह्लीं रक्तायै नमः ।

67.                    ह्लीं रम्यायै नमः ।

68.                    ह्लीं रागद्वेषकर्यै नमः ।

69.                    ह्लीं रात्र्यै नमः ।

70.                    ह्लीं रामप्रपूजितायै नमः ।

71.                    ह्लीं रामायै नमः ।

72.                    ह्लीं रिपुत्रासकर्यै नमः ।

73.                    ह्लीं रुद्रदेवतायै नमः ।

74.                    ह्लीं रुद्रमूर्त्यै नमः ।

75.                    ह्लीं रुद्ररूपायै नमः ।

76.                    ह्लीं रुद्राण्यै नमः ।

77.                    ह्लीं रेखायै नमः ।

78.                    ह्लीं रौरवध्वंसकारिण्यै नमः ।

79.                    ह्लीं लङ्कानाथकुलहरायै नमः ।

80.                    ह्लीं लङ्कापतिध्वंसकर्यै नमः ।

81.                    ह्लीं लङ्केशरिपुवन्दितायै नमः ।

82.                    ह्लीं वटुरूपिण्यै नमः ।

83.                    ह्लीं वरदाऽऽराध्यायै नमः ।

84.                    ह्लीं वरदानपरायणायै नमः ।

85.                    ह्लीं वरदायै नमः ।

86.                    ह्लीं वरदेशप्रियावीरायै नमः ।

87.                    ह्लीं वसुदायै नमः ।

88.                    ह्लीं वामनायै नमः ।

89.                    ह्लीं विष्णुवनितायै नमः ।

90.                    ह्लीं विष्णुशङ्करभामिन्यै नमः ।

91.                    ह्लीं वीरभूषणभूषितायै नमः ।

92.                    ह्लीं वेदमात्रे नमः ।

93.                    ह्लीं शत्रुसंहारकारिण्यै नमः ।

94.                    ह्लीं शुभायै नमः ।

95.                    ह्लीं शुभ्रायै नमः ।

96.                    ह्लीं श्यामायै नमः ।

97.                    ह्लीं श्वेतायै नमः ।

98.                    ह्लीं सिद्धनिवहायै नमः ।

99.                    ह्लीं सिद्धिरूपिण्यै नमः ।

100.              ह्लीं सिद्धेशायै नमः ।

101.              ह्लीं सुन्दर्यै नमः ।

102.              ह्लीं सौन्दर्यकारिण्यै नमः ।

103.              ह्लीं सौभगायै नमः ।

104.              ह्लीं सौभाग्यदायिन्यै नमः ।

105.              ह्लीं सौम्यायै नमः ।

106.              ह्लीं स्तम्भिन्यै नमः ।

107.              ह्लीं स्वर्गतिप्रदायै नमः ।

108.              ह्लीं स्वर्णाभायै नमः ।