18 नवंबर 2011

काल भैरव साधना



  1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है.
  2. सभी प्रकार के पूजन/हवन/प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है.
  3. ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था.
  4. इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है.
  5. नीचे लिखे मन्त्र की १०८ माला  रात्रि को करें.
  6. काले रंग का वस्त्र तथा आसन रहेगा.
  7. दिशा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें
  8. इस साधना से भय का विनाश होता है तथा साह्स का संचार होता है.
  9. यह तन्त्र बाधा, भूत बाधा,तथा दुर्घटना से रक्षा प्रदायक है.



॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

17 नवंबर 2011

गुरु सूत्रम -२






श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के  लक्षण :-


श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को अपने गुरु का एक अच्छा शिष्य होना चाहिये. अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को साधक होना चाहिये. उसे निरंतर साधना करते रहना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को कम से कम एक महाविद्या सिद्ध होनी चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को वाक सिद्धि होनी चाहिये अर्थात उसे आशिर्वाद और श्राप दोनों देने में सक्षम होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को पूजन करना और कराना आना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को योग और मुद्राओं का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को रस सिद्धि होनी चाहिये, अर्थात पारद के संस्कारों का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को मन्त्र निर्माण की कला आती है. वह आवश्यकतानुसार मंत्रों का निर्माण कर सकता है और पुराने मंत्रों मे आवश्यकतानुसार संशोधन करने में समर्थ होता है.


16 नवंबर 2011

15 नवंबर 2011

गुर सूत्रम - १





  • गुरु मंत्र का कम से कम १,२५,००० जाप करने के बाद ही अन्य साधनाओं में प्रवृत्त हों
  • गुरु, इष्ट और मंत्र को एक ही मानें.
  • गुरु कृपा से ही साधनाओं में सफ़लता मिलती है.