23 जुलाई 2010

गुरु के अभाव मे साधना कैसे करें

कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ इसके लिये एक सहज उपाय है कि आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
  1. छिन्नमस्ता साधना ।
  2. शरभेश्वर साधना ।
  3. अघोर साधनाएं ।
  4. श्मशान साधना ।
  ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।

22 जुलाई 2010

गुरु पंचकम

शक्ति स्वरूपं भवदेव रूपं, चिन्त्यम विचिन्त्यम शम्भु स्वरूपम ।

विष्णोर्थवां ब्रह्म तथैव रुपं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥

नारायणोत्वम निखिलेश्वरो त्वम, पूर्णेश्वरो त्वम ज्ञानेश्वरो त्वम ।

ब्रह्मान्ड रूपं मपरं त्वमेवं, गुरुत्वं शरण्यं गुरुत्वं शरण्यं।

मातृ स्वरूपं ,पितृ स्वरूपं, ज्ञान स्वरुपं, चैतन्य रुपं ॥ 

भवतां भवेवं अमृतो sपतुल्यं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥  

देवाधिदेवं भवतां  श्रियन्तुं ,शिष्यत्व रक्षा परिपूर्ण देयं । 

अमृतं भवां पूर्ण मदैव कुम्भं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥ 

कम्पय स्वरूपं गदगद गदेवं, भवतां वदेवं सवितां च सुर्यं । 

सर्वोपमां पूर्ण पूर्णत्व रुपं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥

21 जुलाई 2010

गुरु गायत्री मन्त्र

गुरुवार से प्रारम्भ करें ।

प्रातःकाल [हो सके तो ब्रह्म मुहुर्त ४.०० -६.००] जाप करें । 

लाभ - गुरुकृपा ।

॥ ऊं गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात ॥

20 जुलाई 2010

गणपति


गणपति स्तोत्र

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियायलम्बोदराय सकलाय जगद्विताय ।
नागाननाय श्रुति यज्ञ विभूषितायगौरीसुताय गणनाथ नमोस्तुते ॥

भक्तार्तिनाशनपराय गणेश्वरायसर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय ।
विद्याधराय विकटाय च वामनायभक्तप्रसन्न वरदाय नमोनमस्ते ॥

नमस्ते ब्रह्‌मरूपाय विष्णुरूपायते नमःनमस्ते रूद्ररूपाय करि रूपायते नमः ।
विश्वरूपस्य रूपाय नमस्ते ब्रह्‌मचारिणेभक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायकः ॥

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रियनिर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।
त्वां विघ्न शत्रु दलनेति च सुंदरेति भक्तप्रियेति शुभदेति फलप्रदेति ॥

विद्याप्रदेत्यघहरेति च ये स्तुवंति तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेवि ।
अनया पूजया सांगाय सपरिवाराय श्री गणपतिम समर्पयामि नमः ॥

19 जुलाई 2010

हनुमान मन्त्र-५

दिशा - दक्षिण । वस्त्र - लाल । जप संख्या - १२५०००

॥  ऊं पवन नंदनाय स्वाहा ॥

18 जुलाई 2010

नवग्रह मन्त्रों के लिये साधारण नियम

नवग्रह मन्त्रों के जाप के लिये ग्रहानुसार दिन,वस्त्रों का रंग[दान तथा धारण], ।
सोमवार - चन्द्र,सफ़ेद
मंगलवार - मंगल,लाल
बुधवार - बुध,गुलाबी
गुरुवार - गुरु,सफ़ेद
शुक्रवार - शुक्र,सफ़ेद
शनिवार - शनि,काला
रविवार - सुर्य. लाल
जपसंख्या - कम से कम १०८ बार । प्रातः स्नानादि के बाद ।

केतु मन्त्र - २

॥ ऊं स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः