कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ इसके लिये एक सहज उपाय है कि आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ इसके लिये एक सहज उपाय है कि आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
- छिन्नमस्ता साधना ।
- शरभेश्वर साधना ।
- अघोर साधनाएं ।
- श्मशान साधना ।
अच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंनमस्कार डा. अनिल शेखर जी,
जवाब देंहटाएंमेरा नाम दीपक बिड़ला है, महोदय आपके ब्लोग को में कई दिनों से पड़ रहा हुं। आपके ब्लाग के द्वारा बहुत सी जानकारीयां हासिल हुई। आपके ब्लाग को पड़कर बहुत अच्छा भी लगा। अनिल जी मैं भी बहुत समय से इस प्रयास में था कि मुझे भी कोई ऐसा गुरू मिले जिससे में भी इस विद्या के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकुं एवं इनमें छुपे रहस्यों के बारे में जान सकुं। लेकिन अनिल जी बहुत कोशिश करने के बाद भी मुझे कोई ऐसे गुरू की प्राप्ति नहीं हो पाई जो मुझे इन रहस्यों और विद्याओं के बारे में जानकारी दे।
लेकिन आपके द्वारा अपने गुरू के बारे में जो लिखा गया कि जो लिखा है गुरू से मिला है और जो कमी है वो आपकी अपनी है। मुझे बेहद पसंद आई मैरे दिल को छु गई। अनिल जी मैंने अपने जिवन के इन 31 वर्षों में बहुत कुछ देखा है। मैं भी एक संपन्न परिवार से हुं, भगवान का दिया हुआ बहुत कुछ है, किसी चिज की कोई कमी नहीं है, बस कमी है तो सिर्फ एक की मैरे माता-पिता अपने जिवन के 70 वें वर्ष में चल रहें है और मैरा दुर्भाग्य देखिये की आज में उनके पास नहीं हुं, मैं उनकी सेवा नहीं कर सकता, क्यों किन्हीं कारणों की वजह से मुझे उनसे दुर जाना पड़ा जब भी माता-पिता से मिलना होता है तो उन्हें मैरे पास आना होता है। मैं चाहकर भी उनके पास नहीं जा सकता। अपनी इस परेशानी को दुर करने के लिए आम आदमी के पावर से ज्यादा मुझे किसी ऐसी ही रहस्यमयी विद्या का सहारा लेना जरूरी हो गया ऐसा लगने पर मैने भी कई जगहो पर गुरू या ऐसे शख्स की तलाश करने की कोशिश की कोई मेरी मदद कर सके, लेकिन हमेशा निराशा ही मिली। कहते है ना दो लोग ठगाते हैं रोगी और भोगी...
आप बहुत भाग्यशालि है कि आपको ऐसे गुरू मिले जिनकी आप पुजा कर सकते हैं। वाकई आप बहुत भाग्यशालि हैं। मैं आप से एक बार बात करना चाहता हुं क्या आप मुझे अपना मोबाइल नंबर दे सकते हैं मैरा ईमेल आई डी है ewi_deepak@rediffmail.com
Kiya gorkhnath ji se dikcha lene ka koi sadhn nhi he
जवाब देंहटाएंKirpya btaiye