13 सितंबर 2011

पितृ पक्ष : पितरॊं की कृपा प्राप्ति



१३-९-११ से २७-९-११ तक पितृ पक्ष है .
  • पितृ पक्ष में यथा शक्ति तुलसी की माला से जाप करें । 
  •  एक स्थान पर बैठ कर न कर सकें तो चलते फिरते  जाप करें |
  • पितृमोक्ष अमावस्या के दिन जाप के बाद इस माला को भी नदी में प्रवाहित करदें | हाथ जोड़कर सभी पूर्वजों का आशीर्वाद मांगें.
  • इससे पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा आपकॊ प्राप्त होगी ।




॥ ऊं सर्व पितरेभ्यो नमः ॥

पितरॊं की कृपा प्राप्ति






अपने पूर्वजो को सम्मान देने का विधान है श्राद्ध | इसे करने के ढेर सारे विधान हैं | एक अत्यंत सरल और सहज विधि प्रस्तुत है जो कोई भी आसानी से कर सकता है .



  • एक थाली में भोजन सजाकर सामने रखें। 
  • तीन बार पानी से उसके चारों ओर गोल घेरा बनायें। 
  • अपने पितरॊं को याद करके इस भोजन को गाय कॊ खिला दें। 
  • इससे पितरॊं अर्थात मृत पूर्वजॊं की कृपा आपकॊ प्राप्त होगी ।







॥ ऊं सर्व पितरेभ्यो, मम सर्व शापं प्रशमय प्रशमय, सर्व दोषान निवारय निवारय, पूर्ण शान्तिम कुरु कुरु नमः ॥


 यदि हो सके तो इस मंत्र का श्राद्ध पक्ष में यथा सम्भव जाप करें । 

11 सितंबर 2011

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें





गुरु दीक्षा फोटो द्वारा निशुल्क प्राप्त करने के लिये

पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   



साधना सिद्धि विज्ञान
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भोपाल [.प्र.] ४६२०११

सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का  विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क दीक्षा तथा मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.


नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

4 सितंबर 2011

शिव शक्ति मन्त्र





॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

 लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.

31 अगस्त 2011

गणपति : सरल हवन विधान


एक सरल हवन विधान प्रस्तुत है जो आप आसानी से स्वयम कर सकते हैं ।

ऊं अग्नये नमः .........७ बार इस मन्त्र का जाप करें तथा आग जला लें ।

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ..... २१ बार इस मन्त्र का जाप करें ।

ऊं अग्नये स्वाहा ...... ७ आहुति (अग्नि मे डालें)

ऊं गं  स्वाहा ..... १ बार

ऊं भैरवाय स्वाहा ..... ११ बार

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा .....२१ बार


ऊं गं गणपतये स्वाहा ..... १०८ बार

अन्त में कहें कि गणपति भगवान की कृपा मुझे प्राप्त हो....

गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....

तीन बार पानी छिडककर शांति शांति शांति ऊं कहें.....