एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
ब्लॉग पर दिखाये गए विज्ञापन गूगल तथा थर्ड पार्टी द्वारा दिखाये जाते हैं । उनकी प्रमाणकिता, प्रासंगिकता तथा उपयोगिता पर स्वविवेक से निर्णय लें ।
21 सितंबर 2015
17 सितंबर 2015
गणपति मन्त्रम - २
॥ ऊं वक्रतुन्डाय नमः ॥
-----
समस्त प्रकार की जटिलताओं के निवारण के लिये
--
दिशा = उत्तर ।
वस्त्र = सफ़ेद ।
आसन = सफ़ेद ।
-----
जप सन्ख्या = २१,२१०,२१००,२१०००.
----
-----
समस्त प्रकार की जटिलताओं के निवारण के लिये
--
दिशा = उत्तर ।
वस्त्र = सफ़ेद ।
आसन = सफ़ेद ।
-----
जप सन्ख्या = २१,२१०,२१००,२१०००.
----
गणपति मन्त्रम - १
॥ ऊं गं गणपतये नमः ॥
--
दिशा = उत्तर ।
वस्त्र = सफ़ेद ।
आसन = सफ़ेद ।
-----
जप सन्ख्या = २१,२१०,२१००,२१०००.
--
दिशा = उत्तर ।
वस्त्र = सफ़ेद ।
आसन = सफ़ेद ।
-----
जप सन्ख्या = २१,२१०,२१००,२१०००.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)