11 अक्तूबर 2016

काल भैरव साधना



काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
  • शत्रु बाधा.
  • तंत्र बाधा.
  • इतर योनी से कष्ट.
  • उग्र साधना में रक्षा हेतु.
काल भैरव मंत्र :-

|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||

विधि :-
  1. रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
  2. रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
  3. काला आसन और वस्त्र रहेगा.
  4. रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
  5. १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
  6. जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन  कर लें.



  7. हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
  8. काली  मिर्च या  तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  9. अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
  10. एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें. 
  11. किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ. 
  12. घर में आकर स्नान कर लें. 
  13. दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें. 
  14. किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
  15. दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.

3 अक्तूबर 2016

भुवनेश्वरी महाविद्या

॥ ह्रीं ॥




  • भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं



  • हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
  • इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
  • जिनका पाचन संबंधी शिकायत है उनको लाभ मिलेगा.
  • समस्त प्रकार के रोगियों को बल प्रदान करता है |
  • मृत्युंजय मन्त्र के समान लाभ दायक है  





  • साधना के रूप में जाप के नियम :-
  • प्रातः काल ४ से ६ बजे तक जाप करें तो श्रेष्ट होगा | अन्यथा रात्रि 9 से 4 के बीच |
  • सफ़ेद वस्त्र और आसन होगा.
  • दिशा उत्तर या पूर्व .
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • आचार विचार व्यवहार सात्विक रखें.
  • 1 अक्तूबर 2016

    कामाख्या मन्त्रम

    भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं , जो सभी साधनाओं का मूल हैं ।


    ॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥

    सामान्य निर्देश :-
    साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
    इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
    साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
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    विधि :-
    जाप ..माला से किया जाये तो श्रेष्ट है ना हो तो रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य  है |



    जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |



    दिशा उत्तर/ पूर्व की और देखते हुए बैठें |
    आसन लाल/पीले रंग का रखें|
    जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
    यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
    जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
    किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |
    सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
    ब्रह्मचर्य का पालन करें |
     

    नवकाली



    तन्त्र साधनाओं में नौ कालियों का विवेचन है वे हैं:-

    1. दक्षिणकाली.
    2. भद्रकाली.
    3. श्मशानकाली.
    4. कालकाली.
    5. गुह्यकाली.
    6. कामकलाकाली.
    7. धनकाली.
    8. सिद्धिकाली.
    9. चण्डकाली.