एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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16 फ़रवरी 2015
रूद्र शिव का मंत्र
|| ओम रुद्राय नमः ||
- रूद्र शिव का मंत्र है.
- रूद्र रुदन अर्थात रोने के देवता हैं. वे रुलाते हैं तो
उससे बचने का मार्ग भी प्रदान करते हैं. जब जीवन में हर तरफ निराशा ही
निराशा हो, मन पीड़ा से भर गया हो , रोने के सिवा कोई विकल्प न दिखे तो यह
साधना पूरी श्रद्धा से करें.
- इस साधन में कोई नियम नहीं है. स्नान करना भी आवश्यक नहीं है. आप जितना ज्यादा से ज्यादा जाप कर सकते हैं करें. बैठकर न कर सकें तो चलते फिरते , लेटे हुए , बैठे हुए , जैसे कर सकें वैसे करें. अत्यंत विवशता के समय में मार्ग प्रदान करेगा.
15 फ़रवरी 2015
रावण कृत : शिव तांडव स्तोत्र
भगवान शिव के प्रिय शिष्य लंकाधिपति रावण के द्वारा अनेक प्रचंड स्तोत्रों की रचना की गयी है...
उनमे से भगवान शिव का सबसे प्रिय स्तोत्र है शिव तान्डव स्तोत्रम.....
यह गेय स्तोत्र है सुमधुर स्वर में इसका पाठ करने से हृदय अत्यंत आनंदित होता है..
शिव ताण्डव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं, चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम् ॥१॥
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी, विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके, किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
12 फ़रवरी 2015
काल भैरव साधना
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.
11 फ़रवरी 2015
9 फ़रवरी 2015
शिव रुद्राष्टक
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजे अहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥
कलातीत-कल्याण-कल्पांतकारी, सदा सज्जनानन्द दातापुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद-प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजंतीह लोके परे वा नाराणम्।
न तावत्सुखं शांति संताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभुताधिवासम् ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दु:खौद्य तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥
रूद्राष्टक इदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये,ये पठंति नरा भक्त्या तेषां शम्भु प्रसीदति ॥
7 फ़रवरी 2015
पारद शिवलिंग रोगमुक्ति साधना
|| ॐ ह्रीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं पारदाय क्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ||
- कम से कम १०८ बार पारद शिवलिंग पर आचमनी से जल चढ़ाएं.
- हर बार चढाते समय मंत्र का उच्चारण करें .
- पूरा होने पर उस जल को अपने मुह आँख तथा शारीर पर छिडकें.
- शेष जल को पी जाएँ.
- ऐसा कम से कम १२० दिन तक करें.
- जटिलतम रोगों में भी लाभप्रद है.
- पारद शिवलिंग यदि श्रेष्ट तांत्रिक गुरु द्वारा निर्मित हो तो अत्यंत श्रेष्ट होता है. उसमे भी यदि स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त हो तो सर्वश्रेष्ट होता है.
- जो गुरु युगल रूप में अपनी शक्ति के साथ युक्त होते हैं उनके द्वारा प्रदत्त पारद शिवलिंग ज्यादा प्रभावशाली होता है.
5 फ़रवरी 2015
शिवशक्ति मंत्रम
॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥
लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.
विधि ---
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.
4 फ़रवरी 2015
हनुमान मन्त्र
॥ ॐ पंचमुखाय महारौद्राय कपिराजाय नमः ॥
ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें. जाप संख्या ११,००० होगी. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
30 जनवरी 2015
28 जनवरी 2015
भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र
॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा लक्ष्मै नमः ॥
- भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
- गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
- अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
- विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
- रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
- क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।
भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
24 जनवरी 2015
अष्ट्काली मंत्रम
॥ ऊं अष्टकाल्यै क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं सिद्धिं मे देहि दापय नमः ॥
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें.
- दिगम्बर अवस्था में जाप करें या काले रंग का आसन वस्त्र रखें.
- रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जाप करें.
- पुरश्चरण १,२५,००० मन्त्रों का होगा.
- रात्रिकाल में जाप करें.
- जप के बाद १२५०० मन्त्र में स्वाहा लगाकर सामान्य हवन सामग्री या कालीमिर्च से हवन करें.
22 जनवरी 2015
बसंत पंचमी : बालकों के लिये सरस्वती प्रयोग
बसंत पंचमी यानी सरस्वती सिद्धि दिवस. इस दिन आप अपने बालकों को बुद्धि तथा विद्या के विकास के लिये यह प्रयोग करें:-
- प्रात: काल स्नानादि करने के बाद आप १०८ बार या यथाशक्ति अपने गुरुमंत्र का जाप करे. यदि गुरु न बनाया हो तो मेरे गुरुमंत्र "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " का जाप कर लें.
- इसके बाद यथा शक्ति सरस्वती के बीज मंत्र " ऐं " का जप करे. कम से कम आधा घंटा जाप करना चाहिए .
- अब केसर या शहद से अपनी तर्जनी ऊँगली से अपने बालक/बालिका के जीभ पर सरस्वती बीज मन्त्र " ऐं " को लिखे.
- बालक/बालिका को यथा शक्ति गुरु मंत्र का जाप करने को कहें.
19 जनवरी 2015
16 जनवरी 2015
13 जनवरी 2015
11 जनवरी 2015
तंत्र बाधा निवारक : छिन्नमस्ता साधना
होली के अवसर पर संपन्न करें
॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऎं व ज्र वै रो च नी यै हुं हुं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें....
- यह साधना एक प्रचंड साधना है.
- इस साधना में मार्गदर्शक गुरु का होना जरूरी है.
- दीक्षा लेने के बाद ही इस साधना को करें.
- कमजोर मानसिक स्थिति वाले बच्चे तथा महिलायें इसे ना करें क्योंकि इस साधना के दौरान डरावने अनुभव हो सकते हैं.
- प्रबल से प्रबल तंत्र बाधा की यह अचूक काट है.
- हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोग को, प्रयोग करने वाले सहित ध्वस्त करने में इस साधना का कोई जवाब नहीं है.
4 जनवरी 2015
निखिलधाम
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.
इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.
यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.
यहां पर महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.
2 जनवरी 2015
विभिन्न साधनात्मक जानकारियों
विभिन्न साधनात्मक जानकारियों
तथा
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से
साधनात्मक दीक्षाओं
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1 जनवरी 2015
विश्वशान्ति हेतु : शान्ति मन्त्र
हम एक विनाशकारी समय से गुजर रहे हैं. ऐसे में यथाशक्ति शांति मन्त्रों का जाप विश्वशांति के लिये करना लाभदयक होगा । जो साधक ज्यादा जाप नहीं कर सकते वे प्रतिदिन कम से कम एक बार इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करें.
विश्वशान्ति हेतु : शान्ति मन्त्र
ॐ
द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुं) शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय:
शान्ति: । वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्व
(गुं) शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
इस मन्त्र का जाप इस भावना के साथ करें कि हमारी पृथ्वी पर सब तरफ और सभी प्रकार से शांति हो.
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