एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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21 मार्च 2012
नवरात्रि विशेष : सर्व तन्त्र बाधा निवारण हेतु : छिन्नमस्तका साधना
नवरात्रि में महाविद्यायें जागृत और चैतन्य हो जाती हैं.
महाविद्याओं में सबसे संहारक महाविद्या है छिन्नमस्तका...
इनका स्वरूप बहुत ही उग्र तथा अद्भुत है...
ये अपने साधक की सभी प्रकार की तांत्रिक/मांत्रिक बाधायें चाहे वे किसी भी प्रकार की हों समूल नष्ट कर जाती हैं.....
नवरात्रि में जाप करें.जाप रात्रि ९ से ३ के बीच करें.
ब्रह्मचर्य का पालन करें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
यथा संभव मौन रहें.
अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें.
किसी स्त्री का भूलकर भी अपमान ना करें.
लाल वस्त्र पहनकर लाल कंबल के आसन पर बैठ कर जाप करें.
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
२१००० जाप करें.
नवमी को मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर २१०० मंत्रों से हवन करें.
हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.
जाप पूरा हो जाने पर किसी सुहागिन गरीब स्त्री को भोजन तथा लाल साडी दान में दें.
महाविद्याओं में सबसे संहारक महाविद्या है छिन्नमस्तका...
इनका स्वरूप बहुत ही उग्र तथा अद्भुत है...
ये अपने साधक की सभी प्रकार की तांत्रिक/मांत्रिक बाधायें चाहे वे किसी भी प्रकार की हों समूल नष्ट कर जाती हैं.....
॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै फ़ट॥
नवरात्रि में जाप करें.जाप रात्रि ९ से ३ के बीच करें.
ब्रह्मचर्य का पालन करें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
यथा संभव मौन रहें.
अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें.
किसी स्त्री का भूलकर भी अपमान ना करें.
लाल वस्त्र पहनकर लाल कंबल के आसन पर बैठ कर जाप करें.
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
२१००० जाप करें.
नवमी को मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर २१०० मंत्रों से हवन करें.
हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.
जाप पूरा हो जाने पर किसी सुहागिन गरीब स्त्री को भोजन तथा लाल साडी दान में दें.
नवरात्रि विशेष : तारा तान्त्रोक्त साधना मन्त्रम
- तारा काली कुल की महविद्या है ।
- तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
- यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
- गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
- साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।
- नवरात्रि तथा ज्येष्ठ मास तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।
तारा मंत्रम
॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
- मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
- यह रात्रिकालीन साधना है.
- गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
- उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
- यथासंभव एकांत वास करें.
- सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
- ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- क्रोध और बकवास ना करें.
- साधना को गोपनीय रखें.
प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.
नवरात्रि विशेष : भुवनेश्वरी साधना
॥ ह्रीं ॥
- भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं
- हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
- जो निरंतर बीमार रहते हों, उर्जा का अभाव महसूस करते हों वे इस साधना को करें.इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
- नवरात्रि में सफ़ेद वस्त्र/आसन के साथ जाप करें.
- ११००० जाप करें.
- रुद्राक्ष से ११०० हवन करें.
- ब्रहम मुहुर्त यानि सुबह ४ से ६ के बीच करें.
गुरु निलयम, MIG-556,पद्मनाभपुर, दुर्ग, छ.ग., भारत
151-F, Risali Sector, भिलाई, छत्तीसगढ़, भारत
हनुमान मन्त्र
॥ ॐ पंचमुखाय महारौद्राय कपिराजाय नमः ॥
ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें. जाप संख्या ११,००० होगी. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें. वस्त्र तथा आसन लाल रंग का होगा. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
11 मार्च 2012
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी : जन्म दिवस
११ मार्च
मेरे आदरणीय गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथजी का जन्म दिवस
निखिलकृपा से आप शतायु हों....
आपकी कृपा शिष्यों को इसी प्रकार मिलती रहे...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
एक विराट व्यक्तित्व जिसने अपने अंदर तन्त्र साधनाओं के विश्व्वविख्यात गुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] के ज्ञान को संपूर्णता के साथ समाहित किया है.
डॉ . नारायण दत्त श्रीमाली जी के देहत्याग [ ३ जुलाई १९९८ ] के बाद साधनाओं के पुनरुत्थान तथा साधकों के निर्माण में सतत गतिशील गुरुवर स्वामी सुदर्शन नाथजी ने दस महाविद्याओं पर जितना ज्ञान तथा विवेचन किया है वह अपने आप में एक मिसाल है.
परम गोपनीय शरभ तन्त्र से लेकर महाकाल संहिता तक ...... और कामकलाकाली तन्त्र से लेकर गुह्यकाली तक........
तन्त्र का कोइ क्षेत्र गुरुदेव की सीमा से परे नहीं है.
लुप्तप्राय हो चुके तन्त्र ग्रन्थों से ढूढ कर सहस्रनाम स्तोत्रों और दुर्लभ पूजन विधियों का अकूत भन्डार साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका के माध्यम से अपने शिष्यों के लिये सहज ही प्रस्तुत करने वाले ऐसे दिव्य साधक के चरणों मे मेरा शत शत नमन है .
आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मेरे लिये सर्वसौभाग्य प्रदायक है....
ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.
गुरु देव स्वामी सुदर्शननाथ जी से सीधे सम्पर्क का समय :
सायं ७ से ९ बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681
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